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एक बार फिर से जश्न मनाने के लिए चैंपियंस ट्रॉफी को वानखेड़े में लाना चाहता हूं: रोहित

 मुंबई. भारत के टेस्ट और एकदिवसीय कप्तान रोहित शर्मा ने रविवार को कहा कि पिछली जुलाई में वानखेड़े स्टेडियम में उनके और उनके साथियों के स्वागत के लिए नीले समुद्र की तरह उमड़े प्रशंसकों के हुजूम को देखने के बाद ही उन्हें टी20 विश्व कप की व्यापकता का एहसास हुआ था।       अपने अंतरराष्ट्रीय करियर के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके भारतीय कप्तान 19 फरवरी से पाकिस्तान और दुबई में आयोजित होने वाली चैम्पियंस ट्रॉफी को जीत कर एक बार फिर से प्रशंसकों को ऐसा एहसास देना चाहते है।  भारत इससे पहले 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीत चुका है। वानखेड़े स्टेडियम के 50 साल पूरे होने पर मुंबई क्रिकेट संघ के भव्य समारोह में रोहित ने कहा कि उनकी इच्छा टी20 विश्व कप जीत की तरह एक और जीत की खुशी यहां के प्रशंसकों के साथ साझा करने की है। रोहित से पूछा गया कि किस समय उन्हें वास्तव में एहसास हुआ कि भारत ने विश्व कप जीत लिया है, तो उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं यहां जश्न मनाने के बाद अगले दिन उठा, तब हमें एहसास हुआ।'' उन्होंने कहा, ‘‘उस जश्न के बाद अगले दिन जब मैच सो कर उठा था तब मुझे एहसास हुआ था कि हमने जो किया वह बहुत, बहुत खास था।'' भारतीय कप्तान ने कहा, ‘‘विश्व कप जीतना एक बात है और अपने लोगों के साथ उसका जश्न मनाना अलग बात है। आप जीत का जश्न टीम के साथी खिलाड़ियों के साथ मनाते ही है लेकिन लोगों के साथ इस जश्न के साझा करने के एहसास बारे में मुझे मुंबई आने के बाद पता चला।''  रोहित ने कहा कि भारतीय टीम जल्द ही चैंपियंस ट्रॉफी अभियान शुरू करेगी और यहां के प्रतिष्ठित स्टेडियम में एक और ट्रॉफी लाने की कोशिश करेगी।   उन्होंने कहा, ‘‘ हम एक और टूर्नामेंट शुरू करेंगे। मुझे यकीन है कि जब हम दुबई पहुंचेंगे तो 140 करोड़ लोगों की शुभकामनाएं हमारे पीछे होंगी। हम यह जानते हैं। हम इस ट्रॉफी (आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी) को वानखेड़े में वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।'' महान सुनील गावस्कर ने कहा कि जब भी वह स्टेडियम जाते हैं तो उन्हें ‘घरेलू मैदान पर आने' का एहसास होता है। उन्होंने कहा, ‘‘जब 1974 में वानखेड़े स्टेडियम बनाया गया था, तो हमारा ड्रेसिंग रूम नीचे था। जब हमने अभ्यास सत्र के लिए पहली बार मैदान में कदम रखा तभी इससे प्यार हो गया था।'' उन्होंने कहा, ‘‘ इससे पहले हम ब्रेबॉर्न स्टेडियम में खेलते थे। वह एक क्लब (क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया) का मैदान था। लेकिन यहां आकर ऐसा लगा जैसे यह मुंबई क्रिकेट का घरेलू मैदान है। जब भी मैं कमेंट्री के लिए आता हूं तो मुझे वही अहसास होता है। मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया है।'' सचिन तेंदुलकर ने कहा कि उन्हें 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट खेलते समय भी ऐसी ही भावनाओं का अनुभव हुआ था।          उन्होंने कहा, ‘‘जब वेस्टइंडीज के खिलाफ श्रृंखला के कार्यक्रम की घोषणा की गई, तो मैंने  एन श्रीनिवासन (तत्कालीन बीसीसीआई अध्यक्ष) को फोन किया और अनुरोध किया कि क्या श्रृंखला का दूसरा और आखिरी मैच वानखेड़े में खेला जा सकता है क्योंकि मैं चाहता हूं कि मेरी मां मुझे अपना आखिरी मैच खेलते हुए देखें।'' उन्होंने कहा, ‘‘ मेरी मां ने उससे पहले कभी भी स्टेडियम आकर मुझे खेलते हुए नहीं देखा था। उस समय उनका स्वास्थ्य ऐसा था कि वह वानखेड़े को छोड़कर किसी अन्य स्थान पर नहीं जा सकती थी। बीसीसीआई ने बहुत शालीनता से उस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और मेरी मां और पूरा परिवार उस दिन वानखेड़े में थे। आज जब मैंने वानखेड़े में कदम रखा, तो मैं उन्हीं भावनाओं का अनुभव कर रहा हूं।''          तेंदुलकर ने कहा कि 2003 में एकदिवसीय विश्व कप फाइनल में पहुंचने के बाद भारत ने इस स्थान पर ही विश्व कप जीता था। उन्होंने विश्व कप जीतने के बाद साथी खिलाड़ियों के द्वारा कंधे पर उठाकर मैदान का चक्कर लगाने के बारे में कहा, ‘‘वह निस्संदेह मेरे जीवन का सबसे अच्छा क्षण था।'' इस मौके पर पूर्व हरफनमौला और भारत के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने बड़ौदा के गेंदबाज तिलक राज के ओवर में छह छक्के लगाने को याद किया। इस कार्यक्रम में शानदार लेजर शो और संगीतमय प्रदर्शन के साथ एक कॉफी टेबल बुक और एक डाक टिकट भी जारी किया गया।

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