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नयी दिल्ली. आवास क्षेत्र के लिए बकाया ऋण पिछले दो वित्त वर्षों में लगभग 10 लाख करोड़ रुपये बढ़कर इस साल मार्च में रिकॉर्ड 27.23 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। आरबीआई के ‘बैंक ऋण के क्षेत्रवार वितरण' आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। बैंकिंग और रियल एस्टेट क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने बताया कि कोविड महामारी के बाद आवासीय संपत्ति बाजार में दबी मांग सामने आने के चलते आवास ऋण बकाया में वृद्धि हुई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मार्च, 2024 के लिए बैंक ऋण के क्षेत्रवार वितरण पर आंकड़ों के अनुसार आवास (प्राथमिकता क्षेत्र आवास सहित) के लिए बकाया ऋण मार्च, 2024 में 27,22,720 करोड़ रुपये था। यह आंकड़ा मार्च, 2023 में 19,88,532 करोड़ रुपये और मार्च, 2022 में 17,26,697 करोड़ रुपये था। आंकड़ों से यह भी पता चला कि वाणिज्यिक अचल संपत्ति के लिए बकाया ऋण मार्च 2024 में 4,48,145 करोड़ रुपये था। यह मार्च, 2022 में 2,97,231 करोड़ रुपये था। विभिन्न संपत्ति सलाहकारों की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो वित्त वर्षों में घरों की बिक्री और कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि आवास ऋण में उच्च वृद्धि आवासीय क्षेत्र के सभी खंडों में तेजी के चलते है। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से किफायती आवास खंड में सरकार के प्रयासों के कारण तेजी देखी गई है।
सबनवीस ने कहा कि आवास ऋण की वृद्धि मजबूत बनी रहेगी, लेकिन उच्च आधार के कारण यह घटकर 15-20 प्रतिशत रह सकती है। आरबीआई के आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए रियल एस्टेट विश्लेषण कंपनी प्रॉपइक्विटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक समीर जसूजा ने कहा कि बकाया आवास ऋणों में वृद्धि मुख्य रूप से पिछले दो वित्त वर्षों में पेश की गईं और बेची गई संपत्तियों की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 से पहली श्रेणी के शहरों में 50-100 प्रतिशत के बीच मूल्य वृद्धि देखी गई है। इसके चलते प्रति संपत्ति औसत ऋण आकार में वृद्धि हुई। जसूजा को उम्मीद है कि आवास ऋण खंड में तेजी बनी रहेगी, क्योंकि आवासीय रियल एस्टेट की मांग मजबूत बनी हुई है। कृसुमी कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक मोहित जैन ने कहा कि बड़े घरों की मांग वास्तव में आसमान छू रही है। उन्होंने कहा कि जिन घरों को कभी विलासिता का माना जाता था, आज वे जरूरत बन गए हैं। -
नयी दिल्ली. बीते वित्त वर्ष (2023-24) में देश में 1.85 लाख से अधिक कंपनियों का पंजीकरण हुआ। यह इससे पिछले वित्त वर्ष में पंजीकृत कंपनियों की संख्या से कहीं अधिक है। इस साल मार्च में लगभग 16,600 कंपनियां स्थापित की गईं। आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में 18,132.16 करोड़ रुपये की सामूहिक चुकता पूंजी के साथ 1,59,524 कंपनियां पंजीकृत हुई थीं। मार्च, 2024 के अंत में देश में कुल 26,63,016 कंपनियां थीं और इनमें से 16,91,495 या 64 प्रतिशत कंपनियां सक्रिय थीं। आंकड़ो से पता चलता है कि इनमें से कम से कम 9,31,644 पंजीकृत कंपनियां बंद हो गईं, 2,470 निष्क्रिय थीं और 10,385 कंपनियां परिसमापन के तहत थीं। कुल 27,022 कंपनियों को आधिकारिक रिकॉर्ड से हटाने की प्रक्रिया जारी थी। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के मार्च के बुलेटिन के अनुसार, 2023-24 में कुल 30,927.40 करोड़ रुपये की चुकता पूंजी वाली 1,85,312 कंपनियां पंजीकृत की गईं। इनमें से 71 प्रतिशत कंपनियां सेवा क्षेत्र की थीं। इसके बाद 23 प्रतिशत औद्योगिक क्षेत्र की और छह प्रतिशत कृषि क्षेत्र से संबंधित थीं। राज्यों के लिहाज से देखा जाए, तो 2023-24 में 17.6 प्रतिशत नई कंपनियां महाराष्ट्र में स्थापित की गईं। आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च, 2024 तक देश में कुल 5,164 विदेशी कंपनियां पंजीकृत थीं और उनमें से 3,288 या 64 प्रतिशत सक्रिय थीं।
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नई दिल्ली। देश में चल रहे लोकसभा चुनावों के बीच सरकार ने शनिवार को प्याज निर्यात पर प्रतिबंध हटा लिया, लेकिन साथ न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 550 डॉलर प्रति टन तय किया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा, ”प्याज की निर्यात नीति को संशोधित कर तत्काल प्रभाव से और अगले आदेश तक 550 डॉलर प्रति टन के एमईपी के तहत प्रतिबंध से मुक्त किया गया है।”
सरकार ने कल रात प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाया था। पिछले साल अगस्त में भारत ने 31 दिसंबर, 2023 तक प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया था। सरकार ने आठ दिसंबर, 2023 को इस साल 31 मार्च तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।मार्च में निर्यात प्रतिबंध को अगले आदेश तक बढ़ा दिया गया था। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने मार्च में प्याज उत्पादन के आंकड़े जारी किए थे। आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 (प्रथम अग्रिम अनुमान) में प्याज का उत्पादन पिछले साल के लगभग 302.08 लाख टन की तुलना में लगभग 254.73 लाख टन होने की उम्मीद है। आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में 34.31 लाख टन, कर्नाटक में 9.95 लाख टन, आंध्र प्रदेश में 3.54 लाख टन और राजस्थान में 3.12 लाख टन उत्पादन घटा है। महाराष्ट्र के किसानों ने निर्यात प्रतिबंध का विरोध किया था। कांग्रेस ने पिछले महीने नरेन्द्र मोदी सरकार पर प्याज निर्यात पर प्रतिबंध के कारण महाराष्ट्र के किसानों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया था। - मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को कहा कि बंद किए गए 2000 रुपये के 97.76 प्रतिशत नोट बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गए हैं। केंद्रीय बैंक ने बताया कि सिर्फ 7,961 करोड़ रुपये के नोट अभी जनता के पास हैं। आरबीआई ने बयान में कहा कि 19 मई, 2023 को 2000 रुपये के नोट को वापस लेने की घोषणा की गई थी। इस दिन के अंत में बाजार में मौजूद 2000 रुपये के नोटों का मूल्य 3.56 लाख करोड़ रुपये था। अब 30 अप्रैल, 2024 को बाजार में सिर्फ 7,961 करोड़ रुपये के नोट बाजार में हैं। बैंक ने कहा, “इस प्रकार, 2000 रुपये के 97.76 प्रतिशत नोट वापस आ चुके हैं।”हालांकि, 2000 रुपये का नोट वैध है।लोग देशभर में आरबीआई के 19 कार्यालयों पर 2000 रुपये के नोट जमा कर सकते हैं या उन्हें अन्य नोट से बदल सकते हैं। जनता 2000 के नोट भारतीय डाक के माध्यम से भी आरबीआई के किसी भी कार्यालय में भेजकर उनके बराबर मूल्य की राशि अपने बैंक खातों में जमा करा सकती है। आरबीआई द्वारा नवंबर, 2016 में 1000 रुपये और 500 रुपये के नोट बंद करने के बाद 2000 रुपये के नोट जारी किए गए थे।
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नयी दिल्ली,। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को बजाज फाइनेंस पर ईकॉम और इंस्टा ईएमआई कार्ड के माध्यम से कर्ज की मंजूरी और वितरण पर लगी पाबंदी हटा दी। केंद्रीय बैंक ने पिछले साल नवंबर में बजाज फाइनेंस को अपने दो कर्ज उत्पादों - ईकॉम और इंस्टा ईएमआई कार्ड के तहत ऋण की मंजूरी और वितरण को रोकने का निर्देश दिया था। यह प्रतिबंध डिजिटल ऋण दिशानिर्देशों के मौजूदा प्रावधानों का पालन नहीं करने के कारण लगाया गया था। कंपनी ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा, ‘‘आरबीआई ने दो मई 2024 के अपने पत्र के माध्यम से कंपनी के उठाये गये सुधारात्मक कदमों के आधार पर ईकॉम और ऑनलाइन डिजिटल ‘इंस्टा ईएमआई कार्ड' पर लगे प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से हटाने के अपने निर्णय के बारे में जानकारी दी।'' बजाज फाइनेंस ने कहा कि वह अब ईएमआई कार्ड जारी करने सहित दोनों व्यावसायिक क्षेत्रों में कर्ज की मंजूरी और वितरण फिर से शुरू करेगी। कंपनी ने कहा, ‘‘बजाज फाइनेंस नियामक दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।''
- नयी दिल्ली। होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया (एचएमएसआई) की घरेलू थोक बिक्री अप्रैल में 42 प्रतिशत के उछाल के साथ 4,81,046 इकाई रही है। पिछले साल अप्रैल में कंपनी ने 3,38,289 वाहन बेचे थे।एचएमएसआई ने गुरुवार को बयान में कहा कि अप्रैल में उसका निर्यात 67 प्रतिशत बढ़कर 60,900 इकाई हो गया, जो पिछले साल इसी महीने में 36,458 इकाई था। कंपनी ने बयान में कहा कि उसकी कुल बिक्री अप्रैल में बढ़कर 5,41,946 इकाई हो गई, जो पिछले साल इसी महीने में 3,74,747 इकाई थी।
- नयी दिल्ली। अडाणी ग्रीन एनर्जी लि. (एजीईएल) ने गुजरात और राजस्थान में 750 मेगावाट क्षमता की निर्माणाधीन सौर परियोजनाओं के लिए पांच अंतरराष्ट्रीय बैंकों के समूह से 40 करोड़ डॉलर का वित्तपोषण प्राप्त किया है। कंपनी ने गुरुवार को एक बयान में यह बात कही। इनमें से 500 मेगावाट क्षमता की परियोजना राजस्थान में विकसित की जा रही है। इस परियोजना को लेकर सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) के साथ दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौता है। दूसरी परियोजना, 250 मेगावाट क्षमता की है। इसे दुनिया के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा संकुल गुजरात के खावड़ा में विकसित किया जा रहा है। जिन बैंकों ने मिलकर कर्ज दिया है, वे सहकारी राबोबैंक यू.ए., डीबीएस बैंक लि., इंटेसा सानपोलो एस.पी.ए., एमयूएफजी बैंक लि. और सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन हैं। अडाणी ग्रीन एनर्जी के पास परिचालन में 10,934 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं हैं। इसमें 7,393 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाएं, 1,401 मेगावाट क्षमता की पवन और 2,140 मेगावाट की पवन-सौर हाइब्रिड क्षमता शामिल हैं।
- नयी दिल्ली,। निजी क्षेत्र के यस बैंक ने गुरुवार को कहा कि उसे सेवा कर मांग का आदेश मिला है जिसमें 6.42 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया है। बैंक ने शेयर बाजार को दी गई सूचना में कहा कि उसे दो मई, 2024 को महाराष्ट्र में जीएसटी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्त के कार्यालय से एक आदेश मिला है जिसमें ब्याज के साथ सेवा कर की देनदारी और 6,41,84,437 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यस बैंक ने कहा कि कर और ब्याज की यह मांग बैंक पर इस समय लागू सीमा से कम है। यस बैंक ने कहा, ‘‘उक्त आदेश के कारण बैंक की वित्तीय, संचालन या अन्य गतिविधियों पर कोई भी भौतिक प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है।'' इसके साथ ही बैंक ने कहा कि वह इस आदेश के खिलाफ अपील करेगा।
- मुंबई. आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी बिड़ला एस्टेट्स ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने मुंबई स्थित अपनी लक्जरी आवासीय परियोजना में 72 फ्लैटों की बिक्री कर 2,500 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि ये फ्लैट आवासीय टावर 'सिलास' में मौजूद हैं जो कि मध्य मुंबई में स्थित लक्जरी आवासीय परियोजना बिड़ला नियारा का हिस्सा है। सूत्रों के मुताबिक, इस टावर में कुल 148 फ्लैट हैं जिनमें से 72 अपार्टमेंट की बिक्री हो चुकी है। एक अपार्टमेंट की कीमत 30-45 करोड़ रुपये के बीच रही है। कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी के टी जीतेंद्रन ने कहा, "बिड़ला नियारा का सिलास टावर मुंबई में लक्जरी आवासीय क्षेत्र में नए मानक तय करेगा।"
- मुंबई,। किफायती विमानन सेवा प्रदाता इंडिगो ने गुरुवार को अपने कर्मचारियों के लिए विशेष बोनस की घोषणा की। यह फैसला एयरलाइन की चौथी तिमाही और पूरे साल के नतीजों की घोषणा से पहले आया है। कुछ दिन पहले ही इंडिगो ने चौड़े आकार के 30 ए350 विमानों के लिए ऑर्डर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, कर्मचारियों को भेजे गए एक संदेश में एयरलाइन ने कहा कि वह ‘डेढ़ महीने के मूल वेतन' के बराबर एकमुश्त विशेष बोनस देगी। बोनस राशि कर्मचारियों के मई के वेतन के साथ अनुग्रह राशि के रूप में दी जाएगी। घरेलू विमानन बाजार में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली इंडिगो कंपनी के वास्तविक परिचालन एवं वित्तीय परिणामों के आधार पर सालाना बोनस देती है। एयरलाइन लगातार पांच तिमाहियों से लाभ कमा रही है। अक्टूबर-दिसंबर 2023 तिमाही में इसका शुद्ध लाभ दोगुना से अधिक होकर 2,998.1 करोड़ रुपये रहा था। इसकी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2023 के अंत में एयरलाइन के 33,045 कर्मचारी थे।
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मुंबई. घरेलू शेयर बाजारों में बृहस्पतिवार को तेजी लौटी और बीएसई सेंसेक्स 128 अंक की बढ़त में रहा। अप्रैल में जीएसटी संग्रह के रिकॉर्ड स्तर, विनिर्माण के आंकड़े सकारात्मक रहने और विदेशी संस्थागत निवेशकों के पूंजी प्रवाह से निवेशकों की धारणा मजबूत हुई। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 128.33 अंक यानी 0.17 प्रतिशत की बढ़त के साथ 74,611.11 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 329.65 अंक तक चढ़ गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 43.35 अंक यानी 0.19 प्रतिशत की बढ़त के साथ 22,648.20 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स के शेयरों में पावरग्रिड, एशियन पेंट्स, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, एनटीपीसी, सन फार्मा, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एचडीएफसी बैंक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और जेएसडब्ल्यू स्टील प्रमुख रूप से लाभ में रहीं। दूसरी तरफ, नुकसान में रहने वाले शेयरों में कोटक महिंद्रा बैंक, भारती एयरटेल, एक्सिस बैंक, विप्रो, आईसीआईसीआई बैंक और इंडसइंड बैंक शामिल हैं। बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सकल माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह अप्रैल में सालाना आधार पर 12.4 प्रतिशत बढ़कर 2.10 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया। घरेलू लेनदेन तथा आयात में मजबूत वृद्धि से यह संग्रह बढ़ा है। यह पहला मौका है जब किसी महीने में जीएसटी का संग्रह दो लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है।
वहीं देश के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां अप्रैल में धीमी रहीं लेकिन फिर भी बढ़ती मांग से मिले समर्थन से परिचालन स्थितियों में साढ़े तीन साल में दूसरा सबसे तेज सुधार दर्ज किया गया। मौसमी रूप से समायोजित ‘एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक' (पीएमआई) अप्रैल में घटकर 58.8 हो गया जो मार्च में 59.1 था। यह साढ़े तीन साल में क्षेत्र की सेहत में दूसरे सबसे अच्छे सुधार का संकेत है। पीएमआई के तहत 50 से ऊपर सूचकांक होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार से है जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा गिरावट को दर्शाता है। एशिया के अन्य बाजारों में हांगकांग का हैंगसेंग लाभ में जबकि दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की और चीन का शंघाई कम्पोजिट नुकसान में रहा। यूरोप के प्रमुख बाजारों में बुधवार को मिला-जुला रुख रहा। अमेरिकी बाजार वॉल स्ट्रीट में बुधवार को मिला-जुला रुख था। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.02 प्रतिशत बढ़कर 84.29 डॉलर प्रति बैरल रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को 1,071.93 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे। घरेलू शेयर बाजार बुधवार को ‘महाराष्ट्र दिवस' के मौके पर बंद थे। बीएसई सेंसेक्स बुधवार को 188.50 अंक नुकसान में रहा था, जबकि एनएसई निफ्टी 38.55 अंक नीचे आया था।
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नयी दिल्ली। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के केंद्रीय एवं राज्य अधिकारियों की शुक्रवार को होने वाली बैठक में फर्जी कंपनियों पर लगाम लगाने के लिए सख्त पंजीकरण मानदंड जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में इस बैठक का आयोजन किया जाएगा। इसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के रिफंड का दावा करने के लिए ही फर्जी कंपनियां बनाने पर लगाम लगाने के उपायों पर चर्चा होगी। यह बैठक आर्थिक वृद्धि में मजबूती, घरेलू लेनदेन में तेजी और सख्त ऑडिट एवं जांच के कारण अप्रैल में जीएसटी संग्रह 2.10 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंचने के कुछ दिन के भीतर हो रही है। केंद्रीय और राज्य कर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की तीसरी राष्ट्रीय समन्वय बैठक में कंपनियों के जीएसटी पंजीकरण की प्रक्रिया पर विशेष जोर रहेगा। इसके अलावा पैसे की आवाजाही का पता लगाकर जीएसटी धोखाधड़ी के सरगना तक पहुंचने के तरीकों पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। फर्जी आईटीसी का लाभ उठाने वाले संदिग्ध करदाताओं की पहचान के लिए कर अधिकारी डेटा एनालिटिक्स और कृत्रिम मेधा (एआई) का सहारा ले रहे हैं। इसके अलावा जीएसटी पंजीकरण के लिए कंपनी परिसर के भौतिक सत्यापन और आधार प्रमाणीकरण के रूप में मजबूत जांच का भी इंतजाम है। इससे फर्जी पंजीकरणों का शीघ्र पता लगाने में मदद मिली है और उनपर काफी हद तक अंकुश लगा है। गुजरात, आंध्र प्रदेश और पुडुचेरी में एप्लिकेशन के पंजीकरण के लिए बायोमेट्रिक आधारित आधार प्रमाणीकरण पर एक पायलट परियोजना चलाई जा रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से दिसंबर, 2023 के बीच केंद्रीय कर अधिकारियों ने जीएसटी चोरी के लगभग 14,600 मामले दर्ज किए थे। इस तरह के सर्वाधिक 2,716 मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए और उसके बाद गुजरात (2,589), हरियाणा (1,123) और पश्चिम बंगाल (1,098) का स्थान रहा। इसके अलावा जीएसटी आसूचना अधिकारियों ने अप्रैल-दिसंबर 2023 में 18,000 करोड़ रुपये के फर्जी आईटीसी मामलों का पता लगाया है और 98 धोखेबाजों/ सरगनाओं को गिरफ्तार किया है।
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नयी दिल्ली. देश का सकल जीएसटी संग्रह अप्रैल में 2.10 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 12.4 प्रतिशत अधिक है। घरेलू लेनदेन तथा आयात में मजबूत वृद्धि से यह संग्रह बढ़ा है। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि जीएसटी संग्रह दो लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है।
मंत्रालय ने कहा, सकल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह अप्रैल 2024 में 2.10 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। यह सालाना आधार पर 12.4 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है, जो घरेलू लेनदेन (13.4 प्रतिशत की वृद्धि) और आयात (8.3 प्रतिशत की वृद्धि) में मजबूत वृद्धि के दम पर मुमकिन हो पाया।'' पिछले वर्ष यह संग्रह 1.78 लाख करोड़ रुपये से अधिक था, जबकि अप्रैल 2023 में यह 1.87 लाख करोड़ रुपये था। ‘रिफंड' के बाद अप्रैल 2024 के लिए शुद्ध जीएसटी राजस्व 1.92 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 17.1 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर्शाता है। अप्रैल में केंद्रीय जीएसटी संग्रह 43,846 करोड़ रुपये और राज्य जीएसटी 53,538 करोड़ रुपये रहा। एकीकृत जीएसटी 99,623 करोड़ रुपये रहा जिसमें आयातित वस्तुओं पर एकत्र 37,826 करोड़ रुपये शामिल हैं। उपकर संग्रह 13,260 करोड़ रुपये रहा, जिसमें आयातित वस्तुओं पर संग्रहित 1,008 करोड़ रुपये शामिल हैं। -
नयी दिल्ली. विमान ईंधन की कीमत में बुधवार को मामूली 0.7 प्रतिशत की वृद्धि की गई। वाणिज्यिक एलपीजी की कीमत में 19 रुपये प्रति सिलेंडर की कटौती की गई है। वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर का इस्तेमाल होटल तथा रेस्तरां जैसे प्रतिष्ठानों में किया जाता है।
सार्वजनिक क्षेत्र वाले ईंधन खुदरा विक्रेताओं की मूल्य अधिसूचना के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में विमान ईंधन (एटीएफ) की कीमत 749.25 रुपये प्रति किलोलीटर या 0.7 प्रतिशत बढ़कर 101,642.88 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई। इससे पहले एक अप्रैल को विमान ईंधन के दाम में 0.5 प्रतिशत की मामूली कटौती की गई थी। मुंबई में बुधवार को दरें 94,466.41 रुपये प्रति किलोलीटर से बढ़कर 95,173.70 रुपये प्रति किलोलीटर हो गईं। स्थानीय करों के आधार पर कीमतें हर राज्य में अलग-अलग होती हैं। इसके साथ ही तेल कंपनियों ने 19 किलोग्राम वाले वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर की कीमत 19 रुपये घटाकर 1,745.50 रुपये कर दी। वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर की कीमत में एक अप्रैल को 30.5 रुपये की कटौती की गई थी।
हालांकि, घरेलू उपयोग में आने वाली रसोई गैस (14.2 किलोग्राम) के सिलेंडर की कीमत 803 रुपये प्रति सिलेंडर पर बरकरार है। - नई दिल्ली। गोदरेज परिवार ने 127 साल बाद कारोबार का बंटवारा कर दिया है। अब दो समूह में कंपनियां बंट गई हैं। प्रबंधन और बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि 127 साल पुराने गोदरेज समूह के सौहार्दपूर्ण विभाजन से यह सुनिश्चित होगा कि शेयरधारक का मूल्य प्रभावित न हो। उन्होंने यह उम्मीद भी जताई कि इससे समूह की पांच सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों की कीमतों में इजाफा हो सकता है।वर्षों की बातचीत के बाद गोदरेज परिवार ने मंगलवार को बाजार बंद होने के बाद शेयरधारिता के पुनर्गठन का ऐलान किया। नई व्यवस्था के तहत जमशेद गोदरेज, अपनी भतीजी न्यारिका होलकर और परिवारों के संग गैर-सूचीबद्ध गोदरेज एंटरप्राइजेज ग्रुप (जीईजी) संभालेंगे।इस समूह में गोदरेज ऐंड बॉयस और संबंधित कंपनियों होंगी। नादिर गोदरेज और आदि गोदरेज अपने परिवारों के साथ गोदरेज इंडस्ट्रीज ग्रुप (जीआईजी) का संचालन करेंगे, जिसमें गोदरेज इंडस्ट्रीज, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, गोदरेज प्रॉपर्टीज, गोदरेज एग्रोवेट और एस्टेक लाइफसाइंसेज जैसी सूचीबद्ध कंपनियां होंगी।विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे कई हालिया उदाहरण हैं, जिनमें पारिवारिक समाधान के संबंध में विवादों के कारण शेयरधारकों की संपत्ति को चोट पहुंची और कारोबार वृद्धि पर असर पड़ा। उन्होंने कहा कि गोदरेज जैसे बड़े और जटिल समूह ने जिस तरह से स्वामित्व के मसले को हल किया है, उसका शेयर बाजार स्वागत करेगा।इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज के संस्थापक और प्रबंध निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यन ने कहा, ‘गोदरेज समूह जैसे कारोबारी घराने तेजी से यह अनुभव कर रहे हैं कि सौहार्दपूर्ण समझौता बेहतर होता है, वरना सभी शेयरधारकों की संपत्ति चौपट हो जाती है। इसके अलावा किसी भी पारिवारिक समझौते के खुलासे पर सेबी का नया नियम परिवारों को सरल संरचना बनाने पर जोर दे रहा है।’स्वतंत्र इक्विटी विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, ‘कुल मिलाकर इसे जिस तरह से संभाला गया है, वह पूरी प्रक्रिया में गरिमा को दर्शाता है। अन्य कारोबारी परिवारों से उलट यहां कोई कटुता नहीं है। इसके बाद प्रत्येक उपसमूह का ध्यान ज्यादा तीव्र हो जाएगा।’ बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि गुरुवार को जब बाजार खुलेगा, तो पारिवारिक समझौते की वजह से गोदरेज समूह के पांच शेयर सकारात्मक प्रतिक्रिया दे सकते हैं क्योंकि एक प्रमुख समस्या दूर हो गई है।इस ऐलान से पहले गोदरेज इंडस्ट्रीज के शेयरों में करीब छह प्रतिशत की तेजी आई थी। एस्टेक लाइफसाइंसेज में पांच प्रतिशत का अपर सर्किट लगा था जबकि गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, गोदरेज प्रॉपर्टीज और गोदरेज एग्रोवेट में पिछले दिन के बंद भाव के मुकाबले कम ही बदलाव देखा गया था।बंटवारा कर दायरे में नहींवकीलों का कहना है कि गोदरेज समूह के दो पक्षों (आदि गोदरेज/नादिर गोदरेज परिवार और उनके चचेरे भाई जमशेद गोदरेज/स्मिता गोदरेज कृष्णा परिवार) के बीच सौहार्दपूर्ण विभाजन पर कर नहीं लगेगा। अरबों डॉलर के स्वामित्व वाले गोदरेज परिवार ने गोदरेज समूह को दो हिस्सों में विभाजित करने का निर्णय लिया है। समूह का कारोबार रियल एस्टेट से लेकर उपभोक्ता उत्पाद व्यवसायों में फैला हुआ है।समूह की सूचीबद्ध कंपनियों ने मंगलवार की शाम एक्सचेंजों को भेजे बयानों में बताया कि प्रवर्तकों – आदि गोदरेज, नादिर गोदरेज, जमशेद गोदरेज और स्मिता गोदरेज कृष्णा (संबंधित परिवार प्रमुखों) ने गोदरेज परिवार के कुछ सदस्यों के बीच एक पारिवारिक निपटान समझौते (एफएसए) और एक ब्रांड और गैर-प्रतिस्पर्धा समझौते के बारे में एक संयुक्त पत्र भेजा है।वेद जैन ऐंड एसोसिएट्स के पार्टनर अंकित जैन ने कहा, ‘इस तरह के सौदे में कर मामले काफी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं और कई बार सभी समझौतों के बावजूद पूरी प्रक्रिया को बाधित कर सकते हैं। हालांकि तथ्य यह है कि यह एक पारिवारिक निपटान है जो गोदरेज समूह के पक्ष में होगा।’उन्होंने कहा कि अदालतों ने माना है कि पारिवारिक समझौते के तहत शेयरों के हस्तांतरण पर कोई पूंजीगत लाभ कर नहीं लगेगा। जैन ने कहा, ‘अदालतों का मानना है कि परिवार के सदस्य, शांति या परिवार में सद्भाव के लिए ऐसी पारिवारिक व्यवस्था अपना सकते हैं और यदि व्यवस्था अच्छे भरोसे के साथ है तो कोई पूंजीगत लाभ कर लागू नहीं होगा।’पारिवारिक समझौते को विवादों को टालने, प्रतिद्वंद्वी दावों को निपटाने, शांति या परिवार की प्रतिष्ठा बनाए रखने के इरादे से परिवार के सदस्यों के बीच एक व्यवस्था के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें व्यवसाय या संपत्ति में अधिकार रखने वाले विभिन्न घटक ‘फैमिली’ के स्वामित्व वाली संपत्ति में हिस्सा लेते हैं। सीएनके में पार्टनर पल्लव प्रद्युम्न नारंग ने कहा कि कर के दृष्टिकोण से परिवारिक समझौते को स्थानांतरण नहीं माना गया है और इसलिए यह कर के अधीन नहीं है।
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नयी दिल्ली. सरकार ने चालू विपणन वर्ष 2024-25 में अब तक 196 लाख टन से अधिक गेहूं खरीदा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम समेत सभी कल्याणकारी योजनाओं के लिए इसकी सालाना जरूरत 186 लाख टन है। खाद्यान्न की खरीद और वितरण के लिए सरकार की नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) अब बफर स्टॉक बढ़ाने के लिए 2024-25 सत्र में 310-320 लाख टन गेहूं खरीद के अपने लक्ष्य को पूरा करने के प्रयास कर रही है। जरूरत पड़ने पर खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए खुले बाजार में हस्तक्षेप करने के लिए इस स्टॉक का इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि रबी सत्र की प्रमुख फसल गेहूं की खरीद पिछले साल की समान अवधि के 219.5 लाख टन से अब तक 11 प्रतिशत कम हुई है। इसका मुख्य कारण मध्य प्रदेश और पंजाब में कम खरीद का होना है। इस बारे में पूछे जाने पर एफसीआई के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अशोक के मीणा ने कहा, ''हम अपनी अनुमानित खरीद लक्ष्य को हासिल करने की राह पर हैं क्योंकि पंजाब और हरियाणा में गेहूं की आवक बहुत अच्छी है।'' उन्होंने कहा कि एफसीआई अकेले इन दोनों राज्यों से लगभग 200 लाख टन गेहूं की खरीद करेगा। केंद्र ने विपणन वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मार्च) में 261.97 लाख टन गेहूं की खरीद की थी। अधिकांश खरीद अप्रैल-मई के दौरान की जाती है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुमानों के मुताबिक, गेहूं का उत्पादन फसल वर्ष 2023-24 में 1,120.19 लाख टन होगा, जबकि पिछले वर्ष में यह 1,105.54 लाख टन था। कुछ राज्यों में उम्मीद से अधिक पैदावार होने पर उत्पादन लगभग 1,150 लाख (115 मिलियन) टन तक भी पहुंच सकता है। सूत्रों के मुताबिक, एफसीआई ने विभिन्न राज्यों के करीब 16 लाख किसानों से 2,275 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 45,000 करोड़ रुपये का गेहूं खरीदा है। पंजाब और हरियाणा में इस समय गेहूं की फसल की आवक अच्छी है। एफसीआई को पंजाब से 130 लाख टन और हरियाणा से 70 लाख टन की खरीद की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि एफसीआई मई से पहले उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे कुछ राज्यों में खरीद अभियान तेज कर सकता है क्योंकि उसे यहां की मंडियों में फसलों के देर से आने की उम्मीद है। कीमतों को नियंत्रित करने के लिए जरूरत पड़ने पर खुला बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) लाने के लिए अतिरिक्त स्टॉक रखने के बारे में सोचा जा रहा है। पिछले साल इस योजना के तहत 100 लाख टन से अधिक गेहूं आटा मिलों और अन्य गेहूं आधारित उद्योगों को भेजा गया था। एफसीआई ने मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में गुणवत्ता मानदंडों में ढील दी है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, "मध्य प्रदेश में खरीद चिंता का विषय है। लेकिन हमें उम्मीद है कि इसमें तेजी आएगी।" मध्य प्रदेश में गेहूं खरीद कम होने के पीछे दाल की खेती को अपनाना, खेत पर ही कारोबारियों द्वारा खरीदारी और अच्छी राशि प्राप्ति के लिए अनाज अपने पास रखने जैसे कई कारक हो सकते हैं। मध्य प्रदेश में अब तक गेहूं की खरीद 34.66 लाख टन ही हुई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 55.59 लाख टन थी। बफर स्टॉक के संबंध में केंद्र के पास एक अप्रैल तक केंद्रीय पूल में 75.02 लाख टन गेहूं था, जबकि उस तारीख को बफर मानक 74.6 लाख टन था। एक जुलाई के लिए बफर मानक 275.8 लाख टन है। चावल के मामले में एफसीआई अधिकारी ने कहा कि स्थिति बहुत आरामदायक है। एफसीआई को सभी कल्याणकारी योजनाओं के लिए 400 लाख टन चावल की वार्षिक जरूरत के मुकाबले विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में 540 लाख टन की खरीद की उम्मीद है। अधिकारी ने कहा, "चावल के मामले में हमारे पास एक साल का अतिरिक्त स्टॉक है।" चावल का बफर स्टॉक फिलहाल 532 लाख टन है। आम आदमी को राहत देने के लिए केंद्र ने अब तक 5.6 लाख टन 'भारत चावल' बेचा है। इसे 29 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर बेचा जा रहा है। इसके अलावा लगभग 9.6 लाख टन गेहूं भी 'भारत आटा' में बदलने के लिए दिया गया है। यह आटा 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा जा रहा है। - मुंबई,। देश भर की एटीएम मशीनों में नकदी का प्रबंधन करने वाली कंपनी सीएमएस इंफोसिस्टम्स ने सोमवार को कहा कि एटीएम से मासिक औसत नकदी निकासी वित्त वर्ष 2023-24 में 5.51 प्रतिशत बढ़कर 1.43 करोड़ रुपये हो गई। सीएमएस इंफोसिस्टम्स ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि यूपीआई से डिजिटल भुगतान बढ़ने के बावजूद स्वचालित निकासी मशीन (एटीएम) से औसत मासिक नकदी निकासी सालाना आधार पर बढ़ी है। वित्त वर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा 1.35 करोड़ रुपये था। रिपोर्ट के मुताबिक, महानगरों में औसत नकदी निकासी पिछले वित्त वर्ष में 10.37 प्रतिशत बढ़ी है जबकि कस्बों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में यह 3.94 प्रतिशत और शहरों में 3.73 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। देश के लगभग आधे एटीएम का प्रबंधन करने वाली कंपनी की यह रिपोर्ट कहती है कि मेट्रो शहरों में एटीएम से नकदी निकासी 37.49 प्रतिशत बढ़ी है, जबकि कस्बों एवं देहात में एटीएम से नकदी निकासी में 12.50 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। सरकारी बैंकों के 49 प्रतिशत एटीएम महानगरीय और शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं जबकि निजी क्षेत्र के बैंकों के मामले में यह अनुपात 64 प्रतिशत है। दोनों ही वर्गों के बाकी एटीएम कस्बों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, एक एटीएम से 1.83 करोड़ रुपये की वार्षिक औसत निकासी के साथ कर्नाटक देश में सबसे आगे है। इसके बाद 1.82 करोड़ रुपये के साथ दिल्ली दूसरे और 1.62 करोड़ रुपये के साथ पश्चिम बंगाल तीसरे स्थान पर है।
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नयी दिल्ली. देश की शीर्ष 10 सबसे मूल्यवान फर्मों में छह का संयुक्त बाजार मूल्यांकन पिछले सप्ताह 1.30 लाख करोड़ रुपये बढ़ गया। इस दौरान भारतीय स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को सबसे अधिक लाभ हुआ। पिछले हफ्ते, बीएसई सेंसेक्स 641.83 अंक या 0.87 प्रतिशत बढ़ा।
भारतीय स्टेट बैंक का मूल्यांकन 45,158.54 करोड़ रुपये बढ़कर 7,15,218.40 करोड़ रुपये हो गया। आईसीआईसीआई बैंक का बाजार मूल्यांकन 28,726.33 करोड़ रुपये बढ़कर 7,77,750.22 करोड़ रुपये हो गया। भारती एयरटेल का बाजार पूंजीकरण 20,747.99 करोड़ रुपये बढ़कर 7,51,406.35 करोड़ रुपये हो गया। समीक्षाधीन अवधि में आईटीसी का बाजार पूंजीकरण 18,914.35 करोड़ रुपये बढ़कर 5,49,265.32 करोड़ रुपये हो गया। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का बाजार पूंजीकरण 9,487.5 करोड़ रुपये बढ़कर 6,24,941.40 करोड़ रुपये हो गया। इंफोसिस का बाजार पूंजीकरण 7,699.86 करोड़ रुपये बढ़कर 5,93,636.31 करोड़ रुपये हो गया।
दूसरी ओर रिलायंस इंडस्ट्रीज का मूल्यांकन 26,115.56 करोड़ रुपये घटकर 19,64,079.96 करोड़ रुपये रह गया। एचडीएफसी बैंक का मूल्यांकन 16,371.34 करोड़ रुपये घटकर 11,46,943.59 करोड़ रुपये रह गया। शीर्ष 10 कंपनियों में रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे मूल्यवान कंपनी रही। -
नयी दिल्ली. कंपनियों की तिमाही आय के नतीजे, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर फैसले और अन्य वैश्विक रुझानों से इस सप्ताह घरेलू शेयर बाजार की चाल निर्धारित होगी। विशेषज्ञों ने बताया कि इसके अलावा, विदेशी निवेशकों की व्यापारिक गतिविधियों, वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड की दिशा और रुपया-डॉलर विनिमय दर जैसे कारक भी व्यापार को प्रभावित करेंगे। महाराष्ट्र दिवस के कारण बुधवार को घरेलू शेयर बाजार बंद रहेंगे।
स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के शोध प्रमुख संतोष मीना ने कहा कि घरेलू स्तर पर, चौथी तिमाही के नतीजे कुछ विशेष शेयरों को दिशा देंगे। उन्होंने कहा कि मासिक ऑटो बिक्री के आंकड़े मई की शुरुआत में घोषित किए जाएंगे और मतदान का अगला चरण महत्वपूर्ण होगा। मीना ने कहा कि वैश्विक मोर्चे पर, एक मई को होने वाली अमेरिकी फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक का नतीजा महत्वपूर्ण होगा। इसके अलावा चीन और अमेरिका से जारी होने वाले आर्थिक आंकड़ों के साथ ही वैश्विक मुद्रा बाजार में होने वाली हलचल भी बाजार को प्रभावित करेगी। इस सप्ताह टाटा केमिकल्स, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, आईओसी, अडाणी पावर, अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी ग्रीन एनर्जी, एमआरएफ और टाइटन के नजीते आने हैं। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि आगामी अमेरिकी फेडरल नीति, अमेरिकी गैर-कृषि पेरोल डेटा वैश्विक बाजार को प्रभावित करेंगे। इसके अलावा घरेलू मोर्चे पर तिमाही नतीजों से बाजार प्रभावित होंगे। - नयी दिल्ली. सरकार ने निर्यात प्रतिबंध में ढील देते हुए बृहस्पतिवार को तीन बंदरगाहों से 2,000 टन तक सफेद प्याज के निर्यात की अनुमति दे दी। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा कि निर्यातक को निर्यात किए जाने वाले सफेद प्याज की सामग्री और मात्रा को लेकर गुजरात सरकार के बागवानी आयुक्त से प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। इसमें कहा गया है, ‘‘तत्काल प्रभाव से, निर्दिष्ट बंदरगाहों के माध्यम से 2,000 टन तक सफेद प्याज के निर्यात की अनुमति दी गई है।'' यह निर्यात, मुंद्रा बंदरगाह, पिपावाव बंदरगाह और न्हावा शेवा/जेएनपीटी बंदरगाह से करने की अनुमति है।राजनीतिक रूप से संवेदनशील वस्तु प्याज के निर्यात पर सामान्य तौर पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हालांकि, सरकार मित्र राष्ट्रों को उनके अनुरोध पर निर्दिष्ट मात्रा में निर्यात की अनुमति देती है। डीजीएफटी वाणिज्य मंत्रालय की एक इकाई है। यह आयात और निर्यात से संबंधित मानदंडों को तय करती है।पिछले साल आठ दिसंबर को सरकार ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
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मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को महाराष्ट्र के उल्हासनगर स्थित द कोणार्क अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक पर पैसा निकालने सहित कई प्रतिबंध लगाए। बैंक पर ये प्रतिबंध उसकी खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए लगाए गए हैं। पात्र जमाकर्ता जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से अपनी जमा राशि में से पांच लाख रुपये तक की जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने के हकदार होंगे। कोणार्क अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक पर बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए के तहत प्रतिबंध 23 अप्रैल, 2024 (मंगलवार) को कारोबार बंद होने के समय से लागू हो गए। लगाए गए प्रतिबंधों के साथ बैंक आरबीआई की अनुमति के बिना किसी भी ऋण और अग्रिम को मंजूरी या नवीनीकृत नहीं कर सकता है, कोई निवेश नहीं कर सकता है, कोई देनदारी हस्तांतरण नहीं कर सकता है या अपनी किसी भी संपत्ति का निपटान नहीं कर सकता है। केंद्रीय बैंक ने कहा, “बैंक की वर्तमान नकदी स्थिति को ध्यान में रखते हुए सभी बचत खातों या चालू खातों या जमाकर्ता के किसी अन्य खाते में कुल शेष राशि से कोई भी राशि निकालने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, लेकिन ऋणों को समायोजित करने की अनुमति है।” आरबीआई ने कहा कि ऋणदाता पर प्रतिबंध को बैंकिंग लाइसेंस रद्द करने के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि बैंक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कामकाज करना जारी रखेगा। -
नयी दिल्ली. दूरसंचार सेवा क्षेत्र का समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) अक्टूबर-दिसंबर, 2023 में तिमाही आधार पर 1.88 प्रतिशत बढ़कर 67,835 करोड़ रुपये हो गया। दूरसंचार नियामक ट्राई के मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2023 तिमाही में दूरसंचार क्षेत्र का एजीआर एक साल पहले की समान तिमाही के मुकाबले 7.84 प्रतिशत बढ़ गया। दूरसंचार सेवाओं और अन्य निर्धारित वस्तुओं की बिक्री से दूरसंचार कंपनियों द्वारा अर्जित राजस्व को एजीआर कहा जाता है। दिसंबर 2023 को समाप्त तिमाही में दूरसंचार सेवा क्षेत्र का सकल राजस्व (जीआर) 84,500 करोड़ रुपये, लागू सकल राजस्व (एपीजीआर) 81,101 करोड़ रुपये और एजीआर 67,835 करोड़ रुपये रहा है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के आंकड़े बताते हैं कि आलोच्य तिमाही में सितंबर तिमाही की तुलना में जीआर में 2.13 प्रतिशत, एपीजीआर में 1.70 प्रतिशत और एजीआर में 1.88 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। दूरसंचार सेवाओं के कुल समायोजित सकल राजस्व में एक्सेस सेवाओं का हिस्सा 82 प्रतिशत था।
एक्सेस सेवा श्रेणी में दिसंबर तिमाही में भारती एयरटेल का एजीआर तिमाही आधार पर 3.2 प्रतिशत बढ़कर लगभग 20,480.6 करोड़ रुपये हो गया। वहीं सालाना आधार पर इसमें 11.98 प्रतिशत की वृद्धि रही। रिलायंस जियो के लिए एजीआर तिमाही आधार पर 2.7 प्रतिशत बढ़कर 24,862.85 करोड़ रुपये हो गया, जबकि सालाना आधार पर वृद्धि 10 प्रतिशत रही। भारी कर्ज बोझ से दबी वोडाफोन आइडिया का दिसंबर तिमाही में एजीआर पिछली तिमाही की तुलना में 0.65 प्रतिशत गिरकर लगभग 7,459 करोड़ रुपये हो गया। - मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को कहा कि उसने प्रति-चक्रीय यानी मुश्किल हालात से निपटने के लिए लायी गयी पूंजी बफर (सीसीवाईबी) व्यवस्था को सक्रिय नहीं करने का फैसला किया है, क्योंकि मौजूदा हालात में इसकी जरूरत नहीं है। आरबीआई ने फरवरी, 2015 में कठिन समय से पार पाने के लिए पूंजी बफर व्यवस्था से संबंधित रूपरेखा लागू की थी। इसमें यह सलाह दी गई थी कि सीसीवाईबी को परिस्थितियों के हिसाब से जरूरत महसूस होने पर लागू किया जाएगा और इस बारे में सामान्य तौर पर पहले घोषणा की जाएगी। केंद्रीय बैंक की रूपरेखा के मुताबिक, सीसीवाईबी को लागू करने के मुख्य संकेतक के रूप में ऋण-सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अंतर यानी कर्ज जीडीपी अनुपात और इसके दीर्घकालीन रुख के बीच अंतर पर गौर किया जाएगा। इसके साथ अन्य संकेतकों का तालमेल बिठाने के बाद ही कोई फैसला किया जाएगा। आरबीआई ने अपने बयान में कहा, "सीसीवाईबी संकेतकों की समीक्षा और अनुभवजन्य विश्लेषण के आधार पर, यह निर्णय लिया गया है कि इस समय सीसीवाईबी को सक्रिय करना आवश्यक नहीं है।" आरबीआई ने इस व्यवस्था को वर्ष 2015 में अपनाए जाने के बाद से अब तक कभी भी लागू नहीं किया है।दरअसल रिजर्व बैंक मानता है कि सीसीवाईबी व्यवस्था का उद्देश्य दोहरा है। पहले इसके लिए बैंकों को बेहतर दिनों में पूंजी का एक बफर बनाने की आवश्यकता होती है ताकि खराब समय में ऋण के प्रवाह को बनाए रखने के लिए उसका इस्तेमाल किया जा सके। दूसरा उद्देश्य यह है कि बैंकिंग क्षेत्र ऋण वृद्धि की अवधि में अंधाधुंध कर्ज देने से रोकने के व्यापक विवेकपूर्ण लक्ष्य को हासिल कर पाता है। वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में केंद्रीय बैंकों के गवर्नर और निगरानी प्रमुखों के समूह (जीएचओएस) ने प्रति-चक्रीय पूंजीगत उपायों यानी मुश्किल हालात से निपटने के लिए एक रूपरेखा अपनाने की वकालत की थी।
- नयी दिल्ली. उच्च तुलनात्मक आधार के कारण आवास की मांग और कीमत में चालू वित्त वर्ष में नरमी की संभावना है। इस दौरान बिक्री में आठ से 10 प्रतिशत और कीमत में लगभग पांच प्रतिशत की सालाना वृद्धि होने का अनुमान है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष (2024-25) के लिए आवासीय रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए तटस्थ दृष्टिकोण बनाए रखा है। एजेंसी ने बयान में कहा, “ब्याज दर में कमी और स्थिरता से खरीद और कीमतों को समर्थन मिल सकता है। हालांकि, बीते वित्त वर्ष के उच्च तुलनात्मक आधार को देखते हुए वृद्धि दर कम होने की संभावना है।” आवासीय रियल एस्टेट बाजार ने बीते वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान एक मजबूत प्रदर्शन दर्ज किया। इस दौरान मूल्य वृद्धि और स्थिर ब्याज दरों के बावजूद शीर्ष आठ रियल एस्टेट संकुलों के लिए बिक्री में सालाना आधार पर 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। इंडिया रेटिंग्स में कॉरपोरेट रेटिंग्स के निदेशक महावीर शंकरलाल जैन ने कहा, “अधिकांश क्षेत्रों में कीमतों में वृद्धि देखी जा रही है। हमारा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में पूर्व-बिक्री वृद्धि सालाना आधार पर आठ से 10 प्रतिशत तक रहेगी। वित्त वर्ष 2023-24 में प्रीमियम और लक्जरी खंड में बनकर तैयार मकानों की संख्या बढ़ गयी है। इसका कारण बिक्री और प्राप्तियों में तेज वृद्धि के साथ नई परियोजनाओं का बढ़ना है।'' रेटिंग एजेंसी ने कहा कि बीते वित्त वर्ष 2023-24 के अंत में कीमतें सालाना आधार पर 22 प्रतिशत बढ़ी हैं। तुलनात्मक आधार प्रभाव और बड़ी मात्रा में नई परियोजनाएं शुरू करने की योजना के कारण चालू वित्त वर्ष के लिए यह लगभग पांच प्रतिशत रहने का अनुमान है। इंडिया रेटिंग्स के अनुसार मझोले और छोटे शहरों (टिअर दो और टिअर तीन) में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है।
- नयी दिल्ली. राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) विभिन्न राज्यों में आदिवासी और वंचित युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) के साथ गठजोड़ करेगा। एनएसडीसी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। इसका प्राथमिक उद्देश्य आदिवासी युवाओं, महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले अन्य समुदायों को कौशल विकास के अवसर प्रदान करने पर ध्यान देने के साथ ‘इको' गांवों और प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। एनएसडीसी ने बयान में कहा, “संयुक्त रूप से संचालित अल्पकालिक पाठ्यक्रमों के माध्यम से प्रतिभागियों को स्किल इंडिया डिजिटल हब मंच के माध्यम से उद्योग-मान्यता प्राप्त प्रमाणपत्र प्राप्त होंगे। इससे उनके रोजगार अवसर बढ़ेंगे।” बयान के अनुसार, “प्रशिक्षण कार्यक्रमों के सफल समापन पर कुशल युवाओं को देश में रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसके अलावा, वे वैश्विक गतिशीलता और नियोजन व्यवस्था में विशेषज्ञता रखने वाली एनएसडीसी की अनुषंगी कंपनी एनएसडीसी इंटरनेशनल द्वारा सुविधा प्राप्त अंतरराष्ट्रीय नौकरी नियोजन के लिए पात्र होंगे।” साझेदारी के तहत दो अतिरिक्त परियोजनाएं लागू की जाएंगी, प्रत्येक को स्थानीय युवाओं को सशक्त बनाने और पर्यावरण अनुकूल विकास को बढ़ावा देने के लिए डिजायन किया गया है। पहली परियोजना का लक्ष्य महाराष्ट्र के पालघर में गोवर्धन ‘इको' विलेज (जीईवी) की सफलता को दोहराना है। इसके तहत महाराष्ट्र के नानदरबार, राजस्थान के जयपुर ग्रामीण और मध्य प्रदेश के मांडला और बालाघाट समेत कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के आसपास क्षेत्रों में ऐसे ही ‘इको' विलेज स्थापित किए जाएंगे। दूसरी परियोजना स्थानीय अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से होटल, खुदरा और लॉजिस्टिक में समर्थन के लिए कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी। इस्कॉन के साथ साझेदारी में कौशल भारत केंद्र स्थापित करके यह पहल महिलाओं सहित स्थानीय युवाओं को रोजगार और उद्यमिता के अवसरों के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करेगी।