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- अनहेल्दी फूड, प्रदूषण, और खराब लाइफस्टाइल के कारण अधिकतर लोग एसिडिटी और कब्ज की समस्या से परेशान रहते हैं। पेट में गैस बनने के कारण किसी दूसरे काम में मन भी नहीं लगता और पूरा दिन बेकार जाता है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी लोगों में एसिडिटी की समस्या काफी आम हो गई है। ऐसे में 3 फूड्स का इस्तेमाल करने से एसिडिटी की समस्या से राहत मिल सकता है, तो आइए जानते हैं क्या हैं वो फूड्स और उन्हें खाने के हेल्थ बेनिफिट्स…एसिडिटी में फायदेमंद है ये तीन फूड्सभिगी हुई काली किशमिशदही-पोहागुलकंद का पानीकाली किशमिश खाने के फायदे -काली किशमिश में पेक्टिन नाम का फाइबर मौजूद होता है, जो हमारे शरीर में जाकर खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। इसका सेवन करने से एसिडिटी कंट्रोल होती है, आंखों की रोशनी बढ़ती है, हाई ब्लड प्रेशर कम होता है और वजन कम करने में भी मदद मिलती है। रात को सोने से पहले 4-5 काली किशमिश पानी में भिगोकर रख दें और सुबह उठने के बाद किशमिश को खा लें और एक गिलास पानी पी लें।पोहे के साथ दही खाने के फायदेदही के साथ पोहा खाने से आपके शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते है। इतना ही नहीं यह पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में भी मदद करता है। उत्तर प्रदेश और बिहार में पेट खराब होने पर लोग इसे खाना बहुत पसंद करते हैं। पोहे को खाने से पहले इसे पानी से अच्छी तरह साफ कर लें, इसके बाद इसमें दही और काला नमक मिला लें। आप दही पोहे का स्वाद बढ़ाने के लिए हरी मिर्च भी इसमें मिला सकते हैं।गुलकंद का पानी पीने के फायदे -गुलकंद की तासीर ठंडी होती है, जिस कारण इसे पीने से एसिडिटी की समस्या दूर होती है, मुंह के छाले ठीक होते हैं और दिमाग भी तेज होता है। एसिडिटी की समस्या को दूर करने के लिए रात को सोने से पहले या दिन में किसी भी समय आप गुलकंद का पानी पी सकते हैं। आपको बस एक गिलास पानी में एक चम्मच गुलकंद मिलाना है और इसे पी जाना है।-स्वास्थ्य से जुड़ी ये समस्याएं भी होगी दूर-पेट की सूजन कम करने में फायदेमंद-प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम से मिले राहत-हीट एक्जाशन करें दूरएसिडिटी से बचने के लिए इन बातों का भी रखें ध्यान-खाने के बीच में ज्यादा समय का अंतराल न रखें।-समय पर ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर करें।-अपने भूख लगने के संकेतों को पहचाने और थोड़ी-थोड़ी देर पर कुछ खाते रहें।-पेट भरने के संकेतों को पहचानने की कोशिश करें और भूख से अधिक खाने से बचें।-एसिडिटी की समस्या को नजरअंदाज न करें, यह किसी बड़ी बीमारी का भी संकेत हो सकता है। इसलिए एसिडिटी की परेशानी बढ़ने पर अपने निजी डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- काढ़ा एक ऐसा पेयर है, जिसमें कई तरह की चीजों को शामिल एक ड्रिंक तैयार किया जाता है। इसमें हल्दी, दालचीनी, मोटी इलायची और मुलेठी जैसी चीजें यूज की जाती हैं। इन तमाम सामग्रियों के अपने-अपने विशेष फायदे हैं। लेकिन, क्या प्रदूषण की वजह से हो रही खांसी में भी काढ़ा फायदेमंद हो सकता है?विशेषज्ञों के अनुसार "काढ़ा एक तरह हर्बल ड्रिंक है। इससे काफी हद तक खांसी की समस्या से राहत पाई जा सकती है। कई लोग काढ़े में अदरक, तुलसी, काली मिर्च और अन्य मसालों को शामिल करते हैं। इनमें सूजन-रोधी और सुखदायक गुण होते हैं। ये सामग्रियां सांस से जुड़ी जलन से राहत प्रदान कर सकती हैं और सांस नली में आई फंसाहट को भी दूर करने में मदद करती है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि काढ़ा फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसे मेडिकल ट्रीटमेंट का विकल्पन नहीं मानना चाहिए। यदि प्रदूषण की वजह से आपकी खांसी बढ़ गई है, तो आप डॉक्टर के पास जाएं।इसे भी पढ़ें: Balgam Wali Khansi: बलगम वाली खांसी के लिए घर पर बनाएं ये खास काढ़ा, जल्द मिलेगा आरामकाढ़ा पीने के अन्य फायदेजुकाम से राहत मिलती हैप्रदूषण की वजह से न सिर्फ खांसी की समस्या हो रही है, बल्कि जुकाम की समस्या भी देखने को मिल रही है। ऐसे में अगर आप काढ़ा पीते हैं, तो आपकी खांसी के साथ-साथ जुकाम से भी राहत मिल सकती है। दरअसल, काढ़े में एंटीवायरल प्रॉपर्टीज होती हैं, जो आपको सर्दी-जुकाम से दूर रखने में मदद करती है।बलगम की समस्या कम होती हैप्रदूषण की वजह से हो रही खांसी के कारण गले में बलगम भी बनने लगता है। कई बार बलगम की प्रॉब्लम बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसें में, अगर आप काढ़ा पीते हैं, तो गले में बलगम बनना कम हो जाता है और आप इससे राहत पा सकते हैं।संक्रमण से बचाव करता हैप्रदूषण की वजह से कई तरह के संक्रमण होने का रिस्क बढ़ जाता है। वहीं, अगर आप काढ़ा पीते हैं, तो इससे इम्यूनिटी बूस्ट होती है, जो कि आपको संक्रमण से लड़ने में आपकी क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करता है।
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घर छोटा हो या बड़ा, हर कोई उसे पूरे प्यार से सजाता है। घर के कोने में अगर आप छोटी डिजाइन की रंगोली बनाना चाहती हैं तो इन अट्रैक्टिव डिजाइंस को ट्राई कर सकती हैं। इसे बनाने में बहुत कम वक्त लगेगा और फटाफट बनकर रेडी हो जाएंगी। खासतौर पर घर के मंदिर में बनाने के लिए ये रंगोली की डिजाइन बेस्ट हैं। तो चलिए देखें अट्रैक्टिव रंगोली डिजाइन।
फूलों से बनाएं रंगोली
छोटे घर में रंगोली पाउडर के फैलने का डर रहता है तो आप रंग-बिरंगे फूलों से रंगोली तैयार कर सकती हैं। गेंदा, गुलाब, सदाबहार और कुछ सफेद फूलों से खूबसूरत रंगोली बनाई जा सकती है।
स्वास्तिक और रंगोली
मंदिर में रंगोली बनानी है तो स्वास्तिक के साथ रंगोली की डिजाइन को पूरा करें। वहीं कई सारे रंगों को मिलाकर बनाई गई ये रंगोली की डिजाइन भी काफी आसान है। जिसे आप फटाफट बना सकती हैं।
अल्पना
छोटे गोले में बनी अल्पना की क्लासिक डिजाइन अट्रैक्टिव लगती है। सबसे खास बात कि ये कभी ट्रेंड से आउट नहीं होती। आप इन डिजाइन को पहले जमीन पर ड्रॉ कर लें। फिर इन पर रंग भरते चले जाएं। ये कुछ ही समय में बन जाती हैं।
दियों से सजाएं
आप चाहें तो केवल मिट्टी के दियों से ही रंगोली जैसी डिजाइन बना सकती हैं। इससे घर में रंगोली पाउडर के बिखरने का डर नहीं होगा। या, रंगोली बनाकर उनकी डिजाइन के ऊपर दियों को रखकर जलाएं। ये दिए फोटोज में रंगोली को रोशनी देने में मदद करते हैं। -
दिवाली का मौका खुशियों का होता है लेकिन इस समय खुशी के साथ कुछ लोगों को परेशानी और तकलीफ साथ में मिल जाती है। जिसकी वजह से त्योहार के बाद सेहत को लेकर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अस्थमा के मरीजों के लिए अक्सर दिवाली का टाइम मुसीबत लेकर आता है। धुआं, प्रदूषण की वजह से ना केवल सांस लेने में तकलीफ होती है बल्कि गले में जलन भी महसूस होने लगती है। ऐसे में दिवाली के बाद तक उन्हें केयर और सावधानी की जरूरत होती है। घर में अस्थमा के मरीज हैं तो उन्हें इन दिनों सुबह की शुरुआत के लिए इन दो हर्बल ड्रिंक्स पीने को दें। जो उन्हें अस्थमा की परेशानियों से बचाने में मदद करेंगी। साथ ही खानपान में भी इन बातों का ख्याल रखें।
सुबह की शुरुआत करें इन दो ड्रिंक्स के साथ
अस्थमा के मरीजों को धुएं और प्रदूषण के असर से बचना है तो दिन की शुरुआत इन दो ड्रिंक्स के साथ करनी चाहिए। जिससे उन्हें सांस लेने और गले की जलन में राहत महसूस हो।
अदरक की चाय
सुबह के वक्त नॉर्मल दूध वाली चाय पीने की बजाय अस्थमा पेशेंट को अदरक की चाय पीनी चाहिए। जिंजर टी बनाने के लिए एक गिलास पानी को गर्म करें और इसमे अदरक के कुछ टुकड़ों को घिसकर डालें। आधा पानी होने तक उबालें और इस चाय को पिएं। अदरक अस्थमा के लक्षणों में राहत पहुंचाता है।
हल्दी वाटर
सुबह की शुरुआत करनी है तो गुनगुने पानी में आधा चम्मच हल्दी पाउडर को मिलाकर पिएं। हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन तत्व अस्थमा मरीजों को सांस लेने से जुड़ी दिक्कतों में राहत पहुंचाता है। इसलिए दिन की शुरुआत हल्दी वाटर ड्रिंक से करनी चाहिए।
गर्म सूप
इन दो ड्रिंक के अलावा अस्थमा के मरीजों को गर्म सूप पीने की सलाह एक्सपर्ट देते हैं। जिससे उन्हें गर्माहट महसूस हो और गले में खराश जैसी स्थिति ना होने पाएं।
इन चीजों को ना खाएं
एल्कोहल के अलावा अस्थमा के मरीजों को इन दिनों बहुत मीठा, चिकनाई वाला, तला हुआ फूड खाने से बिल्कुल परहेज करना चाहिए। ये सारी चीजें गले में खराश और खांसी पैदा कर सकती हैं। जिसकी वजह से अस्थमा के लक्षण नजर आने लगते हैं। - आयुर्वेद में कई पेड़-पौधों, फल-फूलों का इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। इन्हीं में से एक है अर्जुन का पेड़। इस पेड़ में कई औषधीय गुण होते हैं। इसलिए अर्जुन के पेड़, छाल, पत्ते, फल और जड़ों का उपयोग कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने के लिए करते हैं। आज हम आपको अर्जुन के फल के फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं। अर्जुन का फल दांतों, हड्डियों और स्किन के लिए काफी लाभकारी होता है।अर्जुन फल के फायदे1. त्वचा के लिए लाभकारी अर्जुन का फलअर्जुन के फल का स्वाद कसैला होता है। यह त्वचा की कई समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। अर्जुन का फल त्वचा की झुर्रियों, दाग-धब्बों और मुहांसों से निजात दिलाता है। यह बढ़ती उम्र के लक्षणों को भी दूर करता है। इसके लिए अर्जुन के फल का (Arjun ke Ped ka Fal) पाउडर बना लें। इसे शहद के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाएं। इससे आपकी त्वचा बेदाग और साफ नजर आएगी। स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए अर्जुन के फल को खाया भी जा सकता है। अर्जुन का फल और पेड़ (Arjun ka Fal aur Ped) दोनों फायदेमंद होते हैं।2. हड्डियों की परेशानी दूर करे अर्जुन का फलहड्डियों को मजबूत बनाने के लिए अर्जुन के फल का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है। यह हड्डियों को ताकत देता है। हड्डी टूटने पर भी अर्जुन के फल का उपयोग किया जा सकता है। इसमें मौजूद तत्व हड्डी को जल्दी जोड़ने में मदद करते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो अर्जुन के छाल का पाउडर भी दूध के साथ ले सकते हैं। इससे भी हड्डी जोड़ने में मदद मिलती है। हड्डियों के लिए अर्जुन की छाल भी फायदेमंद होती है।3. मुंह की दुर्गंध दूर करे अर्जुन का फलअगर आपको मुंह से जुड़ी कोई समस्या है, तो आप अर्जुन के फल का उपयोग कर सकते हैं। अर्जुन का फल मुंह की दुर्गंध, दांतों की कैविटी, मसूड़ों की समस्या, दांतों में दर्द, दांतों से खून आना और दांतों के संक्रमण को दूर करने में उपयोगी होता है। इतना ही नहीं यह मुंह के अल्सर को भी ठीक करने में सहायक हो सकता है। अर्जुन के पेड़ के फल के साथ ही अर्जुन की छाल भी दांतों के लिए फायदेमंद होती है।4. हृदय के लिए उपयोगी अर्जुन का फलहृदय को स्वस्थ रखने के लिए भी अर्जुन का फल फायदेमंद होता है। आजकल हृदय रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में हेल्दी डाइट लेना बहुत जरूरी है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए आप अर्जुन के फल का सेवन भी कर सकते हैं।5. मूत्रमार्ग की समस्या दूर करे अर्जुन का फलकई लोगों को पेशाब में रूकावट की समस्या होती है। ऐसे में अर्जुन के फल का सेवन करना फायदेमंद माना जाता है। इसके सेवन से पेशाब में रुकावट की समस्या दूर होती है। अगर आपको पेशाब से जुड़ी कोई समस्या है, तो आप डॉक्टर की सलाह पर अर्जुन के फल का उपयोग कर सकते हैं।अर्जुन का फल कैसा होता है?अर्जुन का फल काफी पौष्टिक होता है। यह स्वाद में कसैला होता है। यह फल सफेद या पीले मंजरियों में लगे होते हैं। इस फल में हल्की सी सुगंध होती है। जब अर्जुन का फल कच्चा होता है, तो यह हरे-पीले रंग का दिखाई देता है। पकने के बाद यह भूरे-लाल रंग का हो जाता है।आप भी अर्जुन के फल का सेवन कर सकते हैं। लेकिन सीमित मात्रा में ही इसका सेवन करना चाहिए। यह एक सिर्फ चिकित्सकीय अनुभव है, इसलिए अर्जुन के फल का सेवन करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह जरूर लें। डॉक्टर आपको अर्जुन के फल को लेना है या नहीं, इस बारे में सही सुझाव देंगे।
- आयुर्वेद में काफी सारी रोजमर्रा की रसोई की चीजों के फायदे बताए गए हैं। लेकिन एक औषधि जो काफी सारी बीमारियों पर असर दिखाती है वो है त्रिफला। तीन फलों को मिलाकर बनी ये आयुर्वेदिक दवा के काफी सारे फायदे हैं। जिन्हें जानने के बाद आप भी इसे जरूर आजमाना चाहेंगे। त्रिफला को बनाने के लिए तीन फलों आंवला, हरीतिका यानी हर्र और बीभितिका यानी बहेड़ा को मिलाकर बनाई जाती है। आयुर्वेद में इस औषधि के काफी सारे फायदे बताये गए हैं। तो चलिए जानें त्रिफला चूर्ण को खाने के फायदे।पाचनशक्ति को मजबूत बनाता हैत्रिफला को अगर नियमित रूप से खाया जाए तो ये भूख को कंट्रोल करने के साथ ही एसिडिटी को सही करता है। त्रिफला में एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। साथ ही ये बॉडी को डिटॉक्स भी करता है। त्रिफला खाने से कब्ज की समस्या दूर होती है और डाइजेशन ट्रैक साफ होता है।हार्मोंस की समस्या करता है सहीत्रिफला चूर्ण को अगर नियमित रूप से खाया जाए तो ये हार्मोंस की दिक्कत को ठीक करता है। इसके अलावा आयुर्वेद में बताए गए वात, पित्त और कफ को भी ठीक करता है।इम्यूनिटी बढ़ाता हैआंवला में विटामिन सी काफी ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। त्रिफला में आंवला का भी खास महत्व होता है। इसी वजह से त्रिफला खाने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है।दिल की बीमारी के लिए फायदेमंद है त्रिफलात्रिफला को केवल डाइजेशन और इम्यूनिटी के लिए ही नहीं बल्कि दिल की सेहत के लिए भी फायदेमंद माना गया है। हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के साथ ही कोलेस्ट्रॉल को भी बढ़ने से रोकता है। साथ ही लिवर की समस्याओं में भी त्रिफला आराम पहुंचाता है।ब्लड को करता है प्यूरीफाईत्रिफला गंदे खून को साफ करने में भी मदद करता है।वजन कंट्रोल करने में मददत्रिफला के तत्व मेटाबॉलिज्म को भी सही करते हैं। साथ ही शरीर के एक्स्ट्रा फैट को बाहर निकालने में मदद करता है। इसी वजह से ये वजन को भी बढ़ने से रोकता है।
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आयुर्वेद में आवंला मानव शरीर के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद माना गया है, इसका इस्तेमाल खाने और दवाई दोनों के रूप में किया जाता है। आंवले में विटामिन सी, कैल्शियम, पोटेशियम, एंटी-ऑक्सीडेंट, फाइबर जैसे जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिसके सेवन से कई बीमारियां दूर होती है और व्यक्ति हेल्दी रहता है।
आंवला में छिपे आयुर्वेदिक गुणआंवला में वयस्थापन गुणआयुर्वेद के अनुसार आंवला में उम्र को कम करने वाले गुण मौजूद होते हैं, जिसे वयस्थापन गुण कहा जाता है। आंवले में वस्थापन वह इंग्रीडियंट है जो स्किन को पोषण देता है और व्यक्ति को जल्दी बूढ़ा होने से बचाता है, यानि इसमें एंटी एजिंग गुण मौजूद होते हैं। आंवले में मौजूद वयस्थापन ( Vayasthapana ) गुण तीनों दोषों को संतुलन में रखकर स्किन को हेल्दी रखने में मदद करती है।आंवला में वृष्य गुणआयुर्वेद के अनुसार आंवले में वृष्य चित्कित्सा गुण होते हैं, जो प्रजनन क्षमता के लिए अच्छा माना जाता है। आंवले में मौजूद वृष्य ( Vrishya ) गुण प्रजनन से जुड़ी समस्याओं को कम कर बांझपन की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं। वृष्य चिकित्सा आयुर्वेद की आठ प्रमुख विशेषताओं में से एक है, जो महिला और पुरुष के प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकता है और व्यक्ति को यौन रूप से शक्तिशाली और सक्षम बना सकता है। अगर कोई कंसीव करने की कोशिश कर रहा है तो वह ज्यादा आंवले का सेवन कर सकता है।आंवला में त्रिदोष गुणआयुर्वेद के अनुसार आंवले में त्रिदोष ( Tridosha ) गुण होते हैं, जो तीनों दोष यानि वात, पित और कफ को बैलेंस करने में मदद करता है। इसके सेवन से आंख की रोशनी तेज होती है, स्किन हेल्दी रहती है, फेफड़ों से जुड़ी समस्या समेत कई हेल्थ बेनिफिट्स मिलते हैं। ऐसे में किसी भी उम्र के लोग इसका सेवन कर सकते हैं।आंवला खाने के तरीकेपाउडर - आप आंवले का सेवन पाउडर के रूप में कर सकते हैं, आपको बस 1 चम्मच आंवला पाउडर को सुबह खाली पेट 1 चम्मच शहद या गर्म पानी के साथ लेना है।रस - 20 मिलीलीटर आंवले का रस सुबह गर्म पानी के साथ लेना पेट के लिए काफी अच्छा माना जाता है।च्यवनप्राश - च्यवनप्राश में मौजूद मुख्य सामग्री आंवला है, तो आप सुबह खाली पेट या खाना खाने के 2 घंटे बाद गर्म पानी के साथ 1 चम्मच च्यवनप्राश ले सकते हैं।आंवले का मुरब्बा या अचार - आप आंवले का मुरब्बा या अचार बना कर भी इसका सेवन कर सकते हैं।आंवला कैंडी - आप आंवले को टुकड़ों में काटकर धूप में सुखा सकते हैं और रोजाना कैंडी के रूप में खा सकते हैं।आंवला खाने के बेनिफिट्स-उम्र बढ़ने की समस्या को रोकने में फायदेमंद-प्रजनन क्षमता में सुधार करें-बालों के झड़ने की समस्या रोकें-पाचन संबंधी समस्याओं से दिलाए राहत-थायराइड करें कंट्रोल-ब्लड शुगर को करें संतुलित-आंखों की बढ़ाए रोशनी - गाने या आवाज को सुनने के लिए लोग ईयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है इन दोनों में से कान के लिए क्या ज्यादा बेहतर है? फोन हो या लैपटॉप दोनों के लिए ईयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल किया जाता है। कई लोगों को यह कंंफ्यूजन होता है कि कानों की सेहत के लिए हेडफोन बेहतर है या ईयरफोन। तो चलिए जानते हैं दोनों में क्या फर्क होता है।कानों के लिए ईयरफोन इस्तेमाल करें या हेडफोन?-ईयरफोन को कान में डाला जाता है और इससे कान पूरी तरह से बंद हो जाते हैं। ईयरफोन की आवाज कानों के लिए हानिकारक हो सकती हैं। अगर आप लंबे समय के लिए ईयरफोन लगाने के बारे में सोच रहे हैं, तो सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। अगर आप मीटिंग, लेक्चर या म्यूजिक के लिए लंबे समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल करेंगे, तो कान डैमेज हो सकते हैं। इसलिए उस दौरान हेडफोन का इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि हेडफोन का इस्तेमाल करते समय तेज आवाज से बचना चाहिए। हेडफोन की वॉल्यूम अधिकतम 60 प्रतिशत तक ही होनी चाहिए। अगर आपके डिवाइस में नॉइस कैंसिलेशन का ऑप्शन है, तो उसे इस्तेमाल करना चाहिए। ईयरफोन को इस्तेमाल करने के नुकसानजब आप ईयरफोन को कान में डालते हैं, तो वह ईयर वैक्स को कान के अंदर गहराई तक धकेल देता है। इससे कान पूरी तरह से बंद हो जाते हैं। ईयरफोन को कान के अंदर तक पहना जाता है। यह सीधे हमारे कान के ईयर कैनाल और ईयर ड्रम को प्रभावित कर सकता है। ईयरफोन कानों को पूरी तरह से बंद कर देता है। इस वजह से नमी लॉक हो जाती है और कानों में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।ज्यादा वॉल्यूम बढ़ाने से कानों को गंभीर नुकसान पहुंचता है। इसलिए चाहे ईयरफोन हो या हेडफोन आपको इनका सीमित इस्तेमाल ही करना चाहिए।
- भोजन में हल्दी का प्रयोग तो हम सभी करते हैं। इसके अलावा, अद्भुत आयुर्वेदिक हर्ब और मसाले का प्रयोग कई शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए एक प्रभावी औषधी के रूप में भी किया जाता है। रेगुलर हल्दी का प्रयोग तो हम सभी करते हैं, लेकिन अंबा हल्दी कुछ मामलों में रेगुलर हल्दी की तुलना में अधिक फायदेमंद होती है ।आंबा हल्दी खाने के फायदे1. कोशिकाओं को नुकसान से बचाए: एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होने की वजह से शरीर में फ्री-रेडिकल्स के कारण होने वाले ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करती है और कोशिकाओं को नुकसान से बचाती है.2. त्वचा के लिए लाभकारी है: अंबा हल्दी त्वचा की खुजली, खुजलीदार स्कैल्प, त्वचा रोग और कई आम समस्याओं को दूर करने में बहुत प्रभावी है।3. पाचन रखने दुरुस्त: यह पाचन स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है। इसके अलावा, यह मेटाबॉलिज्म में भी सुधार करती है। किसी भी प्रकार की गैस्ट्रिक समस्या, अपच और अन्य आंत से जुड़े रोगों से अम्बा हल्दी आपको बहुत राहत देती है।4. वात दोष को करे संतुलित: यह शरीर में वात को संतुलित करने में मदद करती है। वात दोष के असंतुलन के कारण किसी भी प्रकार के दर्द से राहत दिलाने में अंबा हल्दी लाभकारी है। यह आपको जोड़ों के दर्द, गठिया आदि जैसी स्थितियों से भी राहत दिलाएगी।5. एलर्जी के लक्षण करे कम: इसमें एंटी-एलर्जी गुण होते हैं, इसलिए अगर किसी को अस्थमा, खांसी, सर्दी और अन्य एलर्जी संबंधी समस्याएं हैं, तो इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अंबा हल्दी डाइट में शामिल कर सकते हैं।6. अंबा हल्दी में कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो लाइपोक्सिनेज और इंड्यूसिबल के बढ़े हुए लेवल को कम करने साइटोकिंस के उत्पादन को रोकने का काम करती है। जिससे सूजन और तनाव कम होता है। इसके अलावा इससे जोड़ों में दर्द कम करने में भी मदद मिलती है। कच्ची हल्दी को डाइट का हिस्सा बनाने से आपको भी ये फायदे मिल सकते हैं।7.कच्ची हल्दी में करक्यूमिन के साथ-साथ जरूरी ऑयल्स होते हैं। जो दर्द को खींचने का काम करते हैं। अगर आप नियमित रूप से अंबा हल्दी का सेवन करते हैं, तो आपको पुराने से पुराने दर्द को भगाने में मदद मिल सकती है।8. कच्ची हल्दी के अर्क में कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने की क्षमता होती है। इसे साथ ही लिवर से जुड़ी कई तरह की समस्याओं का छुटकारा अंबा हल्दी को डाइट में शामिल करने से मिल सकता है। अंबा हल्दी में इंफ्लेमेटरी के गुण होते हैं। जो टेंशन को दूर करने के साथ साथ दिमाग को भी शांत रखने का काम करती है।9. अंबा हल्दी में करक्यूमिन के तत्व मौजूद होते हैं। जो कैंसर कोशिकाओं को शरीर में बढ़ने से रोक सकते हैं। इसे अपनी डाइट में शामिल करने से पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर और महिलाओं में होने वाले ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करती है।अंबा हल्दी का सेवन कैसे करें--अपच की समस्या के लिए इसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें और इसमें सेंधा नमक और नींबू का रस मिलाएं। उसके बाद खा लें।-त्वचा की समस्याओं और अन्य त्वचा की स्थितियों के लिए अंबा हल्दी का रस बनाएं और 10-15 मिलीलीटर रस का दिन में 2 बार सेवन करें।-खांसी, सर्दी, अस्थमा और कमजोर इम्यूनिटी के लिए छोटे टुकड़े काटें और शहद के साथ लें।-जोड़ों के दर्द और वात दोष के असंतुलन से जुड़े रोगों के लिए इसे कच्चा खाएं या इसका जूस बनाकर पिएं।
- बहुत से लोग इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए कई तरह की दवाइयों का सेवन करने लगते हैं। लेकिन यह दवाइयां अंदरूनी तौर पर शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं। ऐसे में बदलते मौसम में इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए शहद का सेवन किया जा सकता हैं। शहद में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे सोडियम, पोटेशियम, फाइबर, आयरन, विटामिन बी6 और विटामिन सी पाया जाता हैं। शहद के सेवन से इम्यूनिटी मजबूत होने के साथ अंदरूनी तौर पर शरीर गर्म रहता है। आइए जानते हैं फिट क्लीनिक की डाइटिशियन सुमन से कि बदलते मौसम में शहद से इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं।शहद और गर्म पानीइम्यूनिटी मजबूत करने के लिए बदलते मौसम में शहद का सेवन किया जा सकता है। इसका सेवन करने के लिए 1 गिलास हल्का गुनगुना पानी लें। इसमें 1 चम्मच शहद को मिलाकर रोज सुबह पिएं। ऐसा करने से पाचन-तंत्र हेल्दी रहने के साथ इम्यूनिटी भी मजबूत होगी।शहद और अदरकशहद और अदरक के सेवन से कई समस्याओं से राहत मिलती है। इसका सेवन करने के लिए छोटा सा अदरक को कद्दूकस करके 1 चम्मच रस निकालें। अब इस रस में 1/2 शहद को मिलाकर मिश्रण तैयार करें। अब इस मिश्रण को खाएं। यह मिश्रण सर्दी से राहत देने के साथ गले की खराश और खांसी को भी दूर करता है।शहद और नींबूइम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए शहद और नींबू का सेवन भी किया जा सकता है। नींबू विटामिन सी से भरपूर होता है। इसके सेवन से इम्यूनिटी मजबूत होती है और बीमारियों से बचाव होता हैं। इसका सेवन करने के लिए 1 गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्मच शहद और 1 नींबू का डाल कर मिलाएं। इस ड्रिंक को पीने से इम्यूनिटी मजबूत होने के साथ वजन कम होने में भी मदद मिलती हैं।शहद के फायदे-शहद के सेवन से पाचन-तंत्र मजबूत होने के साथ कब्ज, अपच और एसिडिटी से बचाव होता हैं।-शहद के सेवन से वजन कम करने में भी मदद मिलती है।-शहद में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो खांसी को कम करने में मददगार होता है।-शहद के सेवन से हार्ट संबंधित बीमारियां कम होती हैं।-शहद के सेवन से बेहतर नींद आने में मदद मिलती है।इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए शहद को इन तरीकों से सेवन किया जा सकता हैं। हालांकि, अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या हैं, तो डॉक्टर से पूछकर ही इसका सेवन करें।
- आम तौर से पाए जाने वाले इमली को अरबी और फारसी भाषा में दिए गए - हिंदी तामर और भारतीय खजूर सही मायने में उद्बोधक नाम है। भूरे रंग की नाज़ुक फली के अंदर जो मांसल खट्टा फल होता है उसमे टारटारिक एसिड और पेक्टिन समाविष्ट है। आमतौर पर महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में क्षेत्रीय व्यंजनों में एक स्वादिष्ट मसाले के रूप में इमली का प्रयोग किया जाता है। खास तौर पर रसम, सांभर, वता कुज़ंबू (Vatha Kuzhambu), पुलियोगरे इत्यादि बनाते वक्त इमली इस्तेमाल होती है और कोई भी भारतीय चाट इमली की चटनी के बिना अधूरी ही है। यहां तक कि इमली के फूलों को भी स्वादिष्ट पकवान बनाने के उपयोग में लिया जाता है।इसके पत्ते शरीर को शीतलता प्रदान करते हैं एवं अपित्तकर हैं और पेट के कीड़ों को नष्ट करने में भी मदद करते हैं। इसके अलावा, इसके पत्तों को पीलिया के इलाज में भी उपयोग में लाया जाता है। इमली के पेड़ की छाल एक स्तम्मक के रूप में काम आती है। इमली के फल का गूदा पाचन प्रणाली को शीतलता प्रदान करता है एवं रेचक और रोगाणु रोधक (anti-septic) भी होता है।1. पाचन विकारपके हुए फल का गूदा पित्त्त की उलटी, कब्ज और गैस की समस्या, अपचन के इलाज मे लाभदायक है। यह कब्ज़ मे भी लाभकारी है। पानी के साथ इसके गूदे को कोमल करके बनाया हुआ निषेध भूख मे कमी, भोजन ग्रहण की इच्छा मे कमी होने पर लाभकारी है। इमली के दूध का पेय भी पेचिश के इलाज मे काफी लाभकारी है।2, स्र्कवी या स्कर्वी | विटामिन-सी की कमीइमली में विटामिन सी की मात्रा प्रचुर होती है और यह स्र्कवी को रोकने और उसके इलाज में लाभदायक है।3. सामान्य सर्दी-जुकाम को दूर करने के लिएइमली और काली मिर्च का रसम, दक्षिण भारत मे सर्दी-जुकाम के इलाज के लिये इसे प्रभावशाली घरेलू नुस्खा माना जाता है।4, जलने परइमली की कोमल पत्त्तिया जलने का घाव के इलाज मे काफी लाभकारी है। उसे एक ढके हुए बर्तन पर आग से गरम करते है| फिर उसे अच्छे से पीस कर उसे छान लेते है जिससे रेतिले पदार्थ निकल जाये (अलग हो जाए)। छानने के बाद उसे तिल के तेल के साथ मिलाकर जले हुए भाग पर लगाया जाता है। इससे घाव कुछ दिनों में ही ठीक हो जाता है।
- सुबह के समय ब्रेकफास्ट में बहुत से लोग अंकुरित चना और मूंग यानी स्प्राउट्स का सेवन करते हैं। खासकर, जिम जाने वाले लोग। ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें प्रोटीन और डाइट्री फाइबर के साथ कई जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो न सिर्फ वजन घटाने बल्कि बॉडी बिल्डिंग और मांसपेशियां बढ़ाने में भी मदद करते हैं। साथ ही इनका सेवन करने से कई बीमारियों का खतरा भी कम होती है और पाचन संबंधी समस्याएं भी दूर रहती हैं। लेकिन हम में से ज्यादातर लोग स्प्राउट्स खाने का सही तरीका नहीं जानते हैं। आयुर्वेद की मानें तो स्प्राउट्स खाने का पूर्ण लाभ सिर्फ तभी मिल सकता है, जब आप इनका सही तरीके से सेवन करते हैं। इस लेख हम हम आपको इनके बारे में विस्तार से बता रहे हैं...आयुर्वेद के अनुसार स्प्राउट्स खाने के नियम"आयुर्वेद के अनुसार,अंकुरित दाल, फलियां और चना कभी-कभार लेना ठीक रहता है। उदाहरण के लिए, इन्हें सप्ताह में एक या दो बार लिया जा सकता है। यदि सामान्य फलियों और अनाजों को अंकुरित अनाजों से बदल दिया जाए, तो इनसे प्राप्त होने वाले प्रोटीन और फैट की मात्रा में कुछ बदलाव हो सकते हैं। हमारा शरीर अच्छी तरह से व्यवस्थित और केंद्रित पोषक तत्वों को अधिक महत्व देता है। हालांकि, स्प्राउट्स पोषण से भरपूर होते हैं। इसलिए इसे पचाना भारी होता है। इसे पचने योग्य बनाने और अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए अपने आहार में अंकुरित अनाज को शामिल करने के लिए इन नियमों का पालन करने की जरूरत है...1. दैनिक सेवन न करेंअपनी दिनचर्या में अंकुरित अनाज को शामिल न करें, इसे हमेशा कभी-कभार खाएं, क्योंकि यह पचने में भारी होता है और इसमें संक्रमणकारी गुण होते हैं।2. उबालकर खाएंसेवन से पहले स्प्राउट्स को उबाल लें। इसे कच्चा न खाएं, उबालने के बाद यह पचने में और भी आसान हो जायेगा।3. पाचक मसाले डालेंअंकुरित अनाज को पकाते समय पाचक मसाले डालें, मसाले जैसे जीरा पाउडर, काली मिर्च, धनिया पाउडर, हल्दी पाउडर आदि।
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शरीर को हेल्दी और मजबूत रखने के लिए प्रोटीन, कैल्शियम, और विटामिन की मात्रा पर ध्यान देना चाहिए। ज्यादातर लोगों में खून की कमी के चलते कमजोरी होने लगती है। आयरन का काम खून बनाना, हीमोग्लोबिन लेवल को कंट्रोल करना है। इसी के साथ ये शरीर में एनर्जी बढ़ाते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। आयरन की कमी से ज्यादातर लोगों को थकान हो सकती है। इसकी वजह से रंगत भी काली होने लगती है। अगर आपके शरीर में भी आयरन की कमी है तो आप आयुर्वेदिक डॉक्टर द्वारा बताई ये चीजें खा सकते हैं।
आयरन बढ़ाने के लिए चीजेंआंवला, चुकंदर और गाजर बढ़ाएगा खूनचुकंदर और गाजर आयरन से भरपूर होते हैं और आंवला विटामिन सी से भरपूर होता है। इन तीनों को एक साथ खाने से आयरन बढ़ाएगा। आप आंवला, चुकंदर और गाजर का जूस पी सकते हैं।तिल के बीज से बनाएं लड्डूये आयरन, कॉपर, जस्ता, सेलेनियम, विटामिन बी 6, फोलेट और ई से भरे होते हैं। इसे खाने के लिए लगभग 1 बड़ा चम्मच काले तिल लें, और फिर इन्हें सूखा भून लें। फिर इसमें एक चम्मच शहद और घी के साथ मिलाएं। फिर इसका लड्डू बनाएं।खजूर, अंजीर और किशमिश है फायदेमंदइन तीनों चीजों से आयरन, मैग्नीशियम, कॉपर, विटामिन ए और सी से भरपूर है। आप 2-3 खजूर, 2 अंजीर और एक बड़ा चम्मच किशमिश लें और फिर इसे रात भर भिगोएं। इससे एनर्जी बढ़ती है और आयरन का लेवल बढ़ता है।दुबा घासयह बीटा-कैरोटीन, विटामिन के, फोलिक एसिड, कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन, विटामिन सी,से भरपूर होते हैं। रोजाना सुबह सबसे पहले इसका केवल 1 चम्मच दुबा खाने से आपकी इम्यूनिटी बूस्ट होगी।रोजाना खाएं एक अनारअनार विटामिन के, विटामिन सी, फाइबर, पोटेशियम और प्रोटीन से भरपूर होता है। यह विटामिन सी से भरपूर होता है। अनार में विटामिन सी की हाई मात्रा होती है। इससे शरीर में आयरन बढ़ता है।मोरिंगामोरिंगा की पत्तियां पर्याप्त मात्रा में आयरन, विटामिन ए, सी और मैग्नीशियम से भरपूर होती हैं। रोजाना सुबह खाली पेट घी/शहद के साथ 1 चम्मच मोरिंगा पत्ती का पाउडर लें। - मौसम बदलने के कारण कई तरह की मौसमी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता हैं। बहुत से लोग इस मौसम में काफी जल्दी बीमार होते हैं क्योंकि उनकी इम्यूनिटी काफी कमजोरी होती हैं। इस मौसम में अगर ठीक से देखभाल न कि जाएं, तो मौसमी बीमारियां आसानी से लग जाती हैं। अक्सर लोग बीमारियों से बचने के लिए कई तरह के पाउडर या दवाइयों का सेवन करते हैं। लेकिन बार इनके सेवन से भी मन मुताबिक रिजल्ट नहीं मिलता है। ऐसे में बदलते मौसम में इम्यूनिटी बढ़ाने और मौसमी बीमारियों से बचने के लिए हर्बल चाय का सेवन किया जा सकता हैं। यह चाय पीने से अंदरूनी गर्माहट मिलती हैं और शरीर भी स्वस्थ रहता हैं।पुदीना चायबदलते मौसम में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए पुदीना चाय का सेवन किया जा सकता हैं। पुदीना चाय पीने से मौसमी बीमारियों से बचाव होने के साथ तनाव कम करने में मदद मिलती है। यह चाय पीने से मौसमी बीमारियों का खतरा कम होता हैं। इस चाय को बनाने के लिए 2 कप पानी रखें। उसमें 5 से 8 पुदीना की पत्तियां डालकर और 1/2 छोटा चम्मच काली मिर्च डालकर 5 मिनट के लिए उबालें। जब पानी आधा रह जाएं, तो छानकर इसे पिएं। स्वाद के लिए इसमें शहद को भी मिलाया जा सकता है।अदरक की चायबदलते मौसम में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए अदरक की चाय का सेवन किया जा सकता हैं। अदरक में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो सर्दी, जुकाम और खांसी से बचाव करते हैं। अदरक की चाय बनाने के लिए 1 कप पानी में 1 चम्मच कद्दूकस की हुए अदरक को मिलाएं। अब पानी को अच्छे से उबलने के बाद इसें छानकर कप में डालें। इसमें 1 चम्मच नींबू का रस और शहद मिलाकर पिएं।हल्दी की चायबदलते मौसम में हेल्दी रहने के लिए हल्दी की चाय का सेवन भी किया जा सकता है। हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व पाया जाता है, जो शरीर की सूजन को दूर करने के साथ इम्यूनिटी को भी मजबूत करते हैं। हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को स्वस्थ रखते हैं। 1 कप पानी में 1/4 चम्मच हल्दी, 1 चुटकी काली मिर्च और 1 चुटकी दालचीनी पाउडर डालकर मिलाएं। अब इसे छानकर उपर से शहदल मिलाकर पिएं।ग्रीन टीअगर आप भी बदलते मौसम में इम्यूनिटी को बढ़ाना चाहते हैं, तो डाइट में ग्रीन टी को अवश्य शामिल करें। ग्रीन टी में मौजूद एंटीऑक्सीडे्टस इम्यूनिटी को मजबूत करके शरीर को स्वस्थ रखते हैं। इस चाय को पीने से वजन कंट्रोल में रहता है। दिन में 1 कप ग्रीन टी का सेवन किया जा सकता हैं।कैमोमाइल टीबदलते मौसम में मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए कैमोइल टी का सेवन किया जा सकता हैं। यह चाय पीने से सर्दी-जुकाम में राहत मिलने के साथ कई बीमारियों से राहत मिलती हैं। यह हर्बल चाय पाचन को हेल्दी रखने के साथ शरीर को स्वस्थ रखता हैं।बदलते मौसम में इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए यह हर्बल चाय पी जा सकती हैं। हालांकि, अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या हैं, तो डॉक्टर से पूछकर ही इन चाय का सेवन करें।
- नियमित आंवला खाने के अनेक फायदे हैं। आयुर्वेद के अनुसार हरेक व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए रोज 1-2 आंवला जरूर खाने चाहिए। पोषक तत्व और कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है। साथ ही, इसमें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स भी होते हैं। इसके अलावा, आंवले में डाइट्री फाइबर, आयरन, कैल्शियम और फास्फोरस जैसे जरूरी पोषक तत्व भी होते हैं। यह न सिर्फ शरीर को जरूरी पोषण प्रदान करता है, बल्कि कई गंभीर रोगों से भी आपको दूर रखने में मदद करता है। इम्यूनिटी बढ़ाने से लेकर, त्वचा और बालों को स्वस्थ रखने तक, रोज आंवले का सेवन संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है। क्या आपने कभी आंवले का सलाद खाया है? आंवला को डाइट में शामिल करने और इसके स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने का यह भी एक आसान तरीका है। इस लेख में हम आपके साथ आंवले का सलाद खाने के फायदे और रेसिपी के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।आंवले का सलाद खाने के फायदे--पाचन संबंधी समस्याएं करे दूर-बालों को रखे स्वस्थ-डायबिटीज और बीपी रखे कंट्रोल-कोलेस्ट्रॉल कम करने में करे मदद-हृदय रोगों का खतरा करे कम-शरीर को इंस्टेंट एनर्जी-वजन घटाने में करे मददआंवले के सलाद की रेसिपीसामग्री:1 बड़ा चम्मच मूंगफली का मक्खन1/2 बड़ा चम्मच जैतून या राइस ब्रान का तेल1 चम्मच शहद1/2 छोटा चम्मच मिर्च पाउडर3/4 छोटा चम्मच नमक1 चम्मच अनारदाना पाउडर1 चम्मच अमचूरसजावट के लिए मेवे या बीज2 बड़े चम्मच नींबू का रसजरूरी सब्जियां4 आंवले कटे हुए1 शिमला मिर्च4 सलाद के पत्ते1 टमाटर1 खीरा (वैकल्पिक)बनाने का तरीकाएक बाउल में पहले तेल और पीनट बटर डालें। उसके बाद इसमें आंवला और सब्जियों को छोड़कर सभी सामग्रियां डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें। अंत में सभी सब्जियां डालें और मिस्क करें। बस आपका आंवले का सलाह तैयार है। इसका आनंद लें।
- सर्दियों का मौसम शुरू होने से कई दिनों पहले ही मौसम में बदलाव आने लगता है। वातावरण में शुष्क हवा चलने से त्वचा में ड्राईनेस बढ़ने लगती है, इस कारण त्वचा में भी बदलाव देखने को मिलता है। ऐसे में त्वचा में खुजली, इरिटेशन, रेडनेस जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इस समस्या से राहत पाने के लिए आप घर में ही पाए जानें वाली कुछ चीजें इस्तेमाल कर सकते हैं, तो ये नैचुरल मॉइस्चराइजर का काम कर सकती हैं। आइए इस लेख के माध्यम से जानें इस बारे में।नारियल तेल से मसाजदादी-नानी के नुस्खों से लेकर ब्यूटी हैक्स तक नारियल तेल जरूर इस्तेमाल किया जाता है। यह त्वचा को गहराई से मॉइस्चराइज करता है और स्किन को हाइड्रेटेड भी रखता है। वहीं इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा के संक्रमण को रोकने में मदद कर सकते हैं। इसे आप रात में बॉडी में मसाज करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।शहदसर्दियां आने से पहले ही अगर आपकी स्किन ड्राई होने लगी हैं, तो शहद से बेहतर क्या ही होगा। नहाने से पहले कच्चे दूध में शहद मिलाकर चेहरे पर मसाज करें। शहद में मॉइस्चराइजिंग गुण होते हैं, जो स्किन को हाइड्रेट करने में मदद कर सकते हैं। इससे त्वचा की ड्राईनेस कम होगी और स्किन पर ग्लो भी आएगा।गुनगुना घीघी को हल्का गर्म करके शरीर पर लगाने से त्वचा की ड्राईनेस कम होती है। यह बहुत ही पुराना और आजमाया हुआ नुस्खा है। घी में हेल्दी फैट्स और मॉइस्चराइजिंग गुण होते हैं, जो स्किन को हाइड्रेटेड रखने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए आप नहाने से एक घंटा पहले गुनगुने घी से शरीर की मसाज कर सकते हैं।एलोवेरा जेलअगर आप चेहरे के लिए कोई लाइट मॉइस्चराइजर ढूंढ रहे हैं, तो एलोवेरा जेल एक अच्छा विकल्प है। यह स्किन को गहराई तक मॉइस्चराइज करता है और ग्लोइंग भी बनाए रखता है। एलोवेरा जेल में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण पाए जाते हैं, जो त्वचा की खुजली और इंफेक्शन से राहत देने में भी मदद करते हैं। इसके लिए आप इसे नहाने के बाद इस्तेमाल कर सकते हैं।बादाम का तेलबादाम के तेल में आवश्यक विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो स्किन को हाइड्रेटेड रखने में मदद कर सकते हैं, इसे रात में सोते दौरान चेहरे पर मसाज करें। यह स्किन की ड्राईनेस कम करने के साथ डार्क स्पॉट्स से राहत देने में भी मददगार है।इन चीजों का भी रखें ध्यान--अपनी त्वचा के लिए ज्यादा गर्म पानी का इस्तेमाल न करें, इससे त्वचा की ड्राईनेस बढ़ती है।-केमिकल फेशियल और स्किन ट्रीटमेंट् कम करवाएं, अन्यथा इससे त्वचा की ड्राईनेस बढ़ सकती है।-पर्याप्त पानी पिएं और फलों का सेवन भी करें, इससे आपकी स्किन हेल्दी रहेगी।-इन 5 चीजों को आप नैचुरल मॉइस्चराइजर की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आपको स्किन एलर्जी रहती है, तो इस्तेमाल से बेहतर पहले पैच टेस्ट जरूर करें।
- कोयनार एक प्रकार का साग है, जिसकी सब्जी खाई जाती है। मुननगे की तरह कोयनार के पत्ते और फूल दोनों खाए जाते हैं। इसका इस्तेमाल बुखार, बुखार के बाद की कमजोरी और संक्रमण से होने वाली लंबी बीमारी में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर उसे ठीक करने में किया जाता है। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन और खनिज होते हैं। आज हम जानेंगे कि इस सब्जी को कैसे बनाया जाता है ।विभिन्न् भाषाओं में नाम*रोंगा-कंचन (असमिया),* कोइराल (बंगाली),*कनियार (हिंदी),*देवकंचन (कन्नड़),*रक्ता चंदन (मराठी),कैसे बनाएं सागसामग्री- कोइनर के पत्तेजीरा (जीरा)लाल मिर्च, साबूतप्याज़ (प्याज)सरसों तेल (सरसों तेल)कोयनार के अच्छे पत्ते लें। थोड़ा सा सरसों का तेल गरम करें और आँच को कम करने से पहले एक स्मोकिंग पॉइंट पर ले आएँ। जीरे के साथ तेल तडक़ाएं। लाल मिर्च डालें और मिर्च जलने से पहले प्याज डालें और उसे सुनहरा होने तक भून लें। अब इसमें साग डालकर पकाएं। इसे चावल या रोटी के साथ बड़े चाव से खाया जाता है।कोयनार साग खाने में जितना स्वादिष्ट लगता है स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। इम्यून सिस्टम को भी बूस्ट करता हैं। इसे छत्तीसगढ़ में कोईलार भाजी कहते हैं और झारखंड में कोयनार साग। इसे खाने से शरीर में आयरन और खून की कमी पूरी होती है । इस साग का सेवन करने से कब्ज की शिकायत भी दूर होती है।
- करवा चौथ का व्रत हर महिला के लिए बहुत खास होता है। इस व्रत में सुबह 4 बजे सरगी खाने के बाद सीधा रात में ही खाना खा पाते हैं। ऐसे में ज्यादातर घरों में तला-भूना जैसे कि पूरी, कचोड़ी, पकोड़े जैसी चीजें बनती हैं। वहीं दिनभर के उपवास के बाद रात में भारी खाना खाने से तबीयत भी खराब हो सकती है। इसलिए करवा थाली में हमेशा ऐसे पकवानों को शामिल करना चाहिए, जो आपके पाचन के लिए भी नुकसानदायक न हो। अगर आप कंफ्यूज हैं, कि आपको अपनी करवा थाली में किन पकवानों को शामिल करना चाहिए, तो ये 3 हेल्दी रेसिपीज आपके लिए फायदेमंद हो सकती हैं। ये रेसिपीज बदलते मौसम में भी आपकी सेहत के लिए फायदेमंद हो सकती हैं, तो चलिए जानते हैं बनाने की विधि।ड्राई फ्रूट खीरकरवा थाली में मीठा रखना काफी जरूरी होता है। वहीं कुछ लोग तो मीठा खाकर ही व्रत खोलते हैं। ऐसे में ज्यादातर लोग, मालपुआ, रसगुल्ले या हलवे जैसी चीजें ज्यादा रखते हैं। लेकिन इन चीजों के अधिक सेवन से पाचन खराब भी हो सकता है। ऐसे में आप ड्राई फ्रूट्स की खीर तैयार कर सकते हैं। इसमें हेल्दी फैट्स के साथ भरपूर मात्रा में सभी पोषक तत्व होते हैं, जो व्रत के बाद आपको एक्टिव रखने में मदद कर सकते हैं।खीर के लिए आप मखाने, काजू, बादाम, चिरैंजी, पिस्ता को घी में रोस्ट करके ग्राइंड कर लें। अब कढ़ाई में दूध उबालें और इसमें खजूर का पल्प डालें। आखिर में ड्राई फ्रूट से तैयार किया गया पाउडर खीर में मिलाएं। खीर को 15-20 मिनट तक पकाएं और गरमा गर्म सर्व करें।वेजिटेबल पुलावआपकी तीखे की क्रेविंग के लिए वेजिटेबल पुलाव अच्छा ऑप्शन हो सकता है। इसमें पर्याप्त सब्जी इस्तेमाल की जाती है, जिससे यह आपके लिए हैवी मील नहीं होगा। इसके लिए टमाटर, पनीर, मटर, आलू, गाजर, शिमला मिर्च को काटकर एक प्लेट में रख लें। अब खड़े मसालों के साथ सब्जियां भूनें और भीगे हुए चावल डालें। दो सीटी में आपके खूशबूदार और स्वादिष्ट पुलाव बनकर तैयार हो जाएगा।खीरे का रायताअगर आप करवा चौथ में डिनर के लिए तली-भूनी चीजें रख रही हैं, तो ऐसे में खीरे का रायता पाचन के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसे तैयार करने के लिए दही में खीरे को कद्दुकस करके डाला जाता है। इसके बाद काला नमक, धनिया डालकर हींग-जीरे का देसी छौंक डाला जाता है। यह स्वादिष्ट होने के साथ फीलिंग भी होता है। इसे आप करवा थाली में साइड मील के तौर पर शामिल कर सकते हैं।इन व्यंजनों को करवा थाली में शामिल किया जा सकता है। ये पाचन को नुकसान नहीं करेंगी, साथ ही इनके सेवन से आप ओवरईटिंग की फीलिंग भी नहीं होगी
- बहुत से लोगों के साथ यह समस्या देखने को मिलती है, कि वे रात में एक अच्छी नींद लेने के बाद भी काफी थकान महसूस करते हैं। ऐसा होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। अगर आपको कोई मेडिकल कंडीशन नहीं है और फिर भी दिनभर शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस करते हैं, तो इससे छुटकारा दिलाने में राजगिरा आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।थकान दूर करने के लिए राजगिरा के फायदेराजगिरा को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे चौलाई, रामदाना और अमारंथ। यह एक ग्लूटेन-फ्री अनाज है, जिसमें डाइट्री फाइबर बहुत अच्छी मात्रा में मौजूद होता है। राजगिरा के बीज और इसकी पत्तियां, दोनों ही पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, जिससे यह शरीर को एनर्जी प्रदान करने में मदद करता है। जिन लोगों को थकान और कमजोरी महसूस होती है या किसी बीमारी से ठीक हो रहे हैं, उनके शरीर में ऊर्जा बढ़ाने और जल्द रिकवरी में यह बहुत मदद करता है।थकान दूर करने के लिए राजगिरा का प्रयोग कैसे करथकान दूर करने के लिए आप राजगिरा के बीज और पत्तियों का सूप बनाकर पी सकते हैं। यह पचने में भारी होता है, लेकिन अगर आप अच्छी तरह पकाकर इसका सेवन करते हैं, तो यह आसानी से पचने योग्य बन सकता है। इसके लिए आप इसे पकाते समय जीरा, काली मिर्च और घी जैसी चीजों का प्रयोग कर सकते हैं। इस तरह पकाकर खाने से इसे जल्द पचाने और अधिकतम लाभ पाने में मदद मिलेगी।कभी-कभी थकान दूर करने के लिए राजगिरा का सेवन करने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन यह सलाह दी जाती है कि आपको इसका सेवन नियमित नहीं करना चाहिए। इसका अधिक सेवन करने से शरीर में कफ दोष बढ़ता है। इसलिए हफ्ते में 2 बार सेवन करना ही पर्याप्त है।
- डॉक्टर के अनुसार ब्लड प्रेशर एक स्थिति है जिसके कारण व्यक्ति को हार्ट अटैक और स्ट्रोक होने का जोखिम बढ़ जाता है। साथ ही, स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याए होने की संभावना अधिक होती है। इसलिए एक्सपर्ट्स कहते हैं कि समय रहते आपको अपनी लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव कर हाई बीपी जैसी समस्याओं से बचाव कर लेना चाहिए। डाइट में काबुली चने को शामिल करने से हाई बीपी की समस्या को कम नियंत्रित करने में मदद मिलती है। आगे जानते हैं इसके फायदों के बारे में।ब्लड प्रेशर के लिए फायदेमंद है काबुली चनापोटेशियम से भरपूरपोटेशियम एक महत्वपूर्ण मिनरल है जो ब्लड प्रेशर के लेवल को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह आपके शरीर में सोडियम के प्रभाव को संतुलित करने में मदद करता है। दरअसल, सोडियम की वजह से शरीर में ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। एक कप पके हुए काबुली चने से आपको करीब 477 मिलीग्राम पोटेशियम मिलता है।हाई फाइबरकाबुली चने में फाइबर की मात्रा पाई जाती है। हाई फाइबर डाइट ब्लड प्रेशर को कम करने में सहायक होती है। फाइबर के कारण मोटापा तेजी से कम होता है। साथ ही, नसों में जमा प्लाक कम होने में मदद मिलती है। इससे नसों की ब्लॉकेज खुल जाती है और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। इससे हाई बीपी की समस्या में आराम मिलता है।सोडियम की मात्रा कम होनासोडिम को हाई बीपी का एक मुख्य कारण माना जाता है। प्रोसेस्ड फूड में सोडियम की मात्रा अधिक होती है, जो ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकती है। वहीं, काबुली चने में सोडियम की मात्रा कम होती है, जो शरीर में सोडियम के स्तर को कम करने वालों के लिए एक बेहतरीन विकल्प माना जा सकता है।मैग्नीशियम का मुख्य स्रोतमैग्नीशियम शरीर के लिए आवश्यक मिनरल होता है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ब्लड वेसल्स (नसों) को आराम देने में मदद करता है। जिससे ब्लड प्रेशर नियंत्रित होता है। काबुली चने के एक कप में लगभग 48 मिलीग्राम मैग्नीशियम पाया जाता है।हार्ट हेल्थ के लिए महत्वपूर्णकाबुली चने न केवल ब्लड प्रेशर, बल्कि हार्ट हेल्थ के लिए भी आवश्यक माना जाता है। इसमें विटामिन सी और ई जैसे एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता हैं, जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और शरीर की सूजन को कम करने में मदद कर सकता हैं। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और शरीर की सूजन हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकते हैं।डाइट में कैसे करें शामिल-काबुली चने को आप दाल के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इसके साथ रोटी या चावल खा सकते हैं।-उबले हुए काबुली चने का सेवन किया जा सकता है। इसमें थोड़ा सा मसाला डालकर इसका स्वाद बढ़ जाता है।-सलाद के साथ भी आप काबुली चने के मिक्स करके डाइट में शामिल कर सकते हैं।जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है वह लाइफस्टाइल में भी बदलाव अवश्य करें। शराब व सिगरेट से दूरी बनाना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, रोज सुबह करीब आधा घंटा योग व प्राणायाम करने से ब्लड प्रेशर की समस्या में आराम मिलता है। यदि, हाई बीपी की समस्या अधिक है, तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
- हम में से ज्यादातर लोग जिमीकंद की सब्जी का सेवन करते हैं। यह सब्जी खाने में जितनी स्वादिष्ट होती है, उतनी ही सेहत के लिए लाभकारी भी होती है। जिन लोगों को कब्ज की समस्या रहती है, यह उनकी समस्या को दूर करने के लिए एक रामबाण औषधि साबित हो सकती है। यह बवासीर में सुधार करने में भी मदद करती है। लेकिन यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि आपको इसका लाभ सिर्फ तभी मिल सकता है, जब इसका सही तरीके से सेवन कर सकते हैं। अब सवाल यह उठता है कि कब्ज और बवासीर से छुटकारा पाने के लिए जिमीकंद या सूरन का सेवन कैसे कर सकते हैं?कब्ज और बवासीर में कैसे लाभकारी है सूरनसूरन या जिमीकंद एक पोषण से भरपूर सब्जी है। इसमें डाइट्री फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे कई विटामिन और मिनरल्स मौजूद होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, सूरन शरीर से बवासीर को नष्ट करती है। यह पेट में जमा होने वाली गैस, साथ ही शरीर में वात के असंतुलन के कारण होने वाली स्थितियों में सुधार करती है। बवासीर और कब्ज की समस्या शरीर में वात दोष के असंतुलन के कारण ही पैदा होती हैं। इसके अलावा, सूरन का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में कई पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है जैसे, बवासीर, पेट दर्द और कब्ज जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रोग।कब्ज और बवासीर ठीक करने के लिए सूरन का प्रयोग कैसे करेंइसके लिए आपको एक साफ-सुथरी सूरन लेना है। इसे अच्छी तरह सुखाकर, इसका पाउडर बना लेना है। इस पाउडर का सेवन आपको रोज छाछ में मिलाकर पीना है। ऐसा नियमित रूप से करने से जल्द आपकी स्थिति में सुधार होने लगेगा। एक चम्मच पाउडर सूरन का पाउडर पर्याप्त है, अधिक मात्रा में इसका सेवन न करें।
- सर्दियों के मौसमी फलों में सिंघाड़ा सबसे ज्यादा खाना पसंद किया जाता है। यह फल न केवल खाने में स्वादिष्ट होता है बल्कि पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है, जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मदद कर सकता है। लोग इसे कच्चा और उबालकर भी खाना पसंद करते हैं।100 ग्राम सिंघाड़े में मौजूद पोषक तत्व -कैलोरी - 97 kcalकार्बोहाइड्रेट - 24 ग्रामआहारीय फ़ाइबर - 3 ग्रामप्रोटीन - 2 ग्रामवसा - 0.1 ग्रामविटामिन बी 6 - 0.12 मिलीग्रामपोटैशियम - 584 मिलीग्राममैंगनीज - 0.2 मिलीग्रामसिंघाड़ा खाने के हेल्थ बेनिफिट्सकैलोरी में कमसिंघाड़े में कैलोरी कम मात्रा में मौजूद होती है, जिस कारण यह वजन कंट्रोल करने के लिए डाइट में शामिल करना एक अच्छा विकल्प बन सकता है।फाइबर का अच्छा स्रोतसिंघाड़े को फाइबर का एक अच्छा स्रोत माना जाता है, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में मदद करता है।पोषक तत्वों से भरपूरसिंघाड़ा पोषक तत्वों से भरपूर होता है, इसमें पोटेशियम और मैंगनीज जैसे आवश्यक पोषक तत्व मौजूद होते हैं।एंटीऑक्सीडेंट गुणइसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट सेल्स को नुकसान होने से बचाने में मदद कर सकता है।हाइड्रेटेड रखेसिंघाड़े में पानी की मात्रा ज्यादा होने के कारण, ये आपको हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है।ग्लूटेन-मुक्तसिंघाड़ा स्वाभाविक रूप से ग्लूटेन-फ्री होता है, इसका उपयोग अक्सर ग्लूटेन-मुक्त आटा और स्नैक्स तैयार करने के लिए किया जाता है।फेट में कमसिंघाड़े में वसा बहुत कम होती है, जो दिल के स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है।ब्लड प्रेशर में फायदेमंदसिंघाड़े में मौजूद पोटेशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।पाचन स्वास्थ्यसिंघाड़ा खाने से आपका पाचन स्वास्थ्य बेहतर रहता है। इसमें मौजूद फाइबर स्वस्थ पाचन में मदद करता है।अपनी डाइट में सिंघाड़ा कोई भी व्यक्ति शामिल कर सकता है, लेकिन जो लोग स्वस्थ वजन बनाए रखना चाहते हैं और अपने पाचन स्वास्थ्य को बेहतर रखना चाहते हैं उनके लिए ये एक बेहतर विकल्प है। अगर आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या है तो एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।
- अधिकतर लोग व्रत के दौरान आलू से बनी चीजों का सेवन करते हैं। आलू लोगों को काफी पसंद होता है और व्रत के लिए इससे कई तरह की रेसिपीज तैयार की जा सकती हैं। आज हम आलू से बनी कुछ रेसिपी बताने जा रहे हैं, जो स्वादिष्ट होने के साथ ही शरीर के लिए फायदेमंद है।1. आलू फ्राईसामग्री-2 चम्मच- तेल, 1 चम्मच- मूंगफली,2 आलू- मीडियम साइज के कटे हुए, स्वादनुसार- सेंधा नमक, स्वादनुसार- काली मिर्च पाउडरबनाने का तरीकाआलू फ्राई की रेसिपी बनाने के लिए इन्हे धोकर छील लें और छोटे टुकड़े में काट लें। अब एक पैन लें इसमें तेल गर्म करके जीरा तडक़ाए। अब इसमें मूंगफली को हल्का सा फ्राई करें और निकाल लें। अब इस तेल में आलू डालकर कुछ देर चलाएं। आलू पकने के बाद इसमें सभी मसाले डालकर ढ़क्कर रख दें। जब बनने वाली हो, तो इसमें मूंगफली डालकर हरा धनिया से गर्निश करें। आलू फ्राई खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है, इसके सेवन से पाचन-तंत्र से जुड़ी समस्याएं भी ठीक होती है। आलू को फ्राई करने से इसमें प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है।2. आलू का मीठा हलवासामग्री-3 चम्मच- घी, 5 चम्मच- नारियल का बुरादा,1/2 चम्मच- चिरौंजी,स्वादनुसार- चीनी,2 से 3- इलायचीआलू का मीठा हलवा बनाने का तरीकाआलू का मीठा हलवा बनाने के लिए आलू को उबालकर अच्छे से मैश कर लें। अब कडाही में घी गर्म इसमें नारियल और चिरौंजी को हल्का फ्राई होने के बाद निकाल लें। अब इसमे मैश किए हुए आलू को डालें। आलू को ब्राउन तक रोस्ट करें। जब यह पक जाएं, तो इसमें चीनी और इलायची को डालकर मिक्सर करें। जब हलवा बनने हो, तो इसमें नारियल और चिरौंजी डालकर मिक्स करें। यह हलवा खाने से इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ वजन बढ़ाने में मदद मिलती है। व्रत में इसको खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है।3. दही आलूसामग्री,3 से 4- आलू,1 कटोरी-दही,स्वादनुसार- सेंधा नमक, स्वादनुसार- काली मिर्च पाउडर, 1/2 चम्मच- भुना हुआ जीरा पाउडरदही आलू बनाने का तरीकादही आलू बनाने के लिए आलू को उबाल छील लें। अब इन आलू को छोटे टुकड़ों में काट कर प्लेट में रखें। ऊपर से दही, सेंधा नमक, काली मिर्च और भुना हुआ जीरा पाउडर मिला कर मिक्स करें। आपके दही आलू तैयार है। व्रत में खाने के लिए यह एक बढिय़ा ऑप्शन है। इसको खाने से शरीर लंबे समय तक हाइड्रेट रहता है, हड्डियां मजबूत होती है और पाचन-तंत्र भी हेल्दी रहता हैं।
- नवरात्र शुरू हो गए हैं। कई लोग व्रत के दौरान लोग गेहूं के आटे के बजाय अन्य तरह के आटे को खाते हैं, जिसे सात्विक और व्रत में खाए जाने योग्य समझा जाता है। ऐसे ही दो किस्म के आटे हैं, कुट्टू का आटा और सिंघाड़े का आटा। दोनों ही किस्म के आटों का अपन-अपना महत्व है। जहां एक ओर कुट्टू का आटा खाने की वजह से पाचन शक्ति बेहतर होती है, बाल और त्वचा पर इसका अच्छा असर पड़ता है और भी कई तरह के फायदे मिलते हैं। वहीं, सिंघाड़े के आटा विटामिन के का अच्छा स्रोत हैकुट्टू के आटे में मौजूद पोषक तत्वकुट्टू के आटे में डाइट्री फाइबर होता है। जब आप कुट्टू का आटा खाते हैं, तो लंबे समय तक पेट भरे रहने का अहसास होता है। इसका मतलब है कि कुट्टू का आटा खाने के बाद अप ओवर ईटिंग से बच जाते हैं यानी एस्क्ट्रा मंचिंग नहीं करते हैं। इसी तरह, इसमें सिंघाड़े की आटे की तुलना में प्रोटीन भी काफी मात्रा में होता है और इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है, जो ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है। हालांकि, सिंघाड़े के आटे की तुलना में इसमें कैलोरी काउंट थोड़ा ज्यादा होता है। यह नहीं, अगर कोई ग्लूटन इंटोलरेंस है, तो उन्हें कुट्टू के आटे का सेवन नहीं करना चाहिए।सिंघाड़े के आटे में मौजूद पोषक तत्वसिंघाड़े का आटा कोई भी आसानी से खा सकता है, क्योंकि इसे पचाना काफी आसान होता है। आमतौर पर, इसे खाने के बाद पेट से जुड़ी बीमारियां नहीं होती हैं। इसके अलावा, कुट्टू के आटे के मुकाबले कैलोरी काउंट भी इसमें कम पाया जाता है। वहीं, इसके साइड इफेक्ट की बात करें, तो सिंघाड़े के आटे में फाइबर और प्रोटीन की मात्रा कुट्टू के आटे की तुलना में कम होती है और ब्लड शुगर के स्तर को अचानक से बढ़ाने में अपने योगदान दे सकता है।वजन कम करने के लिए क्या है बेहतर?कुट्टू का आटा हो या सिंघाड़े का आटा। दोनों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं। इसके बावजदू, दोनों में किसी एक को बेहतर नहीं कहा जा सकता है। इसकी वजह है, हर व्यक्ति का स्वास्थ्य अलग होता है। किसी को कुट्टू का आटा सूट कर सकता है, तो किसी को सिंघाड़े का आटा। इसके अलावा, यह आपकी बॉडी प्रेफरेंस पर भी निर्भर करता है। कुछ लोग प्रोटी पर ज्यादा फोस करते हैं, इसके लिए कुट्टू का आटा बेहतर विकल्प है। वहीं, अगर आप कैलोरी सेवन को कम रखना चाहते हैं और आसानी से पचने वाला कुछ खाना चाहते हैं, तो सिंघाड़े के आटा एक अच्छा विकल्प हो सकता है। आप अपनी हेल्थ के अनुसार, इनमें से किसी भी एक आटे को चुन सकते हैं। अगर एलर्जी या कोई और हेल्थ कंडीशन है, तो एक बार एक्सपर्ट से बात कर लेना सही है।
- शारदीय नवरात्रि में कुछ लोग नौ दिनों तक व्रत रखते हैं, जबकि कुछ लोग केवल पहला और अंतिम नवरात्र ही व्रत रखते हैं। उपवास रखने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं। लेकिन, जिन लोगों को पहले ही कुछ स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, उनको उपवास रखते समय विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। व्रत के दौरान कुछ लोगों को चक्कर और थकान महसूस होती है। ऐसे में आप फलों और पौष्टिक चीजों का सेवन कर सकते हैं। इस दौरान आप पनीर खीर का सेवन कर सकते हैं।पनीर खीर बनाने के लिए आवश्यक सामग्रीपनीर - करीब 200 से 300 ग्रामदूध - 200 से 250 ग्राम (बिना फैट वाला दूध भी ले सकते हैं)चीनी - करीब आधा कप (शहद का भी उपयोग कर सकते हैं)केसर - चार से पांच धागे (चार चम्मच दूध में भिगोए हुए)इलायची पाउडर - करीब एक चौथाईबादाम - 10 से 12 बारिक कटे हुएपिस्ता - 10 से 12 बारिक कटे हुएकिशमिश - 10 से 12गुलाब की पंखुडियां - 5 से 6 सजावट के लिए।पनीर खीर बनाने बनाने की रेसिपी-सबसे पहले आप एक कढ़ाई या पैन में दूध को डालकर गर्म करें।-इसके बाद आप दूध में ग्रेटेड (कद्दूकस किया हुआ) पनीर को मिक्स कर दें।-अब दूध को हिलाते रहें।-कुछ देर के बाद दूध गाढ़ा होने लगेगा।-करीब 10 से 15 मिनट के बाद जब दूध हल्का गाढ़ा हो जाए तो इसमें चीनी को मिला दें।-करीब एक से दो मिनट के बाद आप इसमें इलायची का पाउडर मिक्स कर दें।-इसके बाद कुछ देर खीर को पकाएं और आंच को बंद कर इसमें केसर वाले दूध को डालकर मिक्स करें।-अब, इसे अच्छी तरह मिक्स करें और ऊपर से बादाम, पिस्ता और किशमिश डालें।-साथ ही, सर्व करने से पहले गुलाब की पत्तियों को क्रश करके गार्निश कर सकते हैं।नवरात्रि में पनीर खीर रेसिपी के फायदे -प्रोटीन से भरपूर: पनीर की खीर में हाई प्रोटीन होता है। इससे आपकी मांसपेशियां मजबूत होती हैं। साथ ही व्रत में एनर्जी लेवल बना रहता है।एंटीऑक्सीडेंट: पनीर खीर में चीनी की जगह पर आप शहद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं इसमें मौजूद केसर में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो आपको सेहतमंद बनाते हैं।कैल्शियमा का सोर्स: पनीर में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। कैल्शियम से हड्डियों और दांतो को मजबूत बनाए रखने में मदद मिलती है।पोषण तत्व से युक्त: बादाम, पिस्ता और किशमिश पोषक तत्वों से युक्त होते हैं। इनमें हेल्दी फैट, फाइबर, मैग्निशियम, विटामिन ई जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं।व्रत में पनीर खीर खाने से आपका पेट लंबे समय तक भरा रहता है। इससे आपको व्रत में भूख का अहसास नहीं होता है। साथ ही, आपको कमजोरी और थकान भी महसूस नहीं होती है।