- Home
- सेहत
- इम्यूनिटी के लिए आंवले जैसे पोषक तत्वों से भरपूर चीजों को खाना चाहिए जिनमें विटामिन C के साथ कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स शामिल हों, ये तत्व न सिर्फ आपके शरीर की इम्यूनिटी को बेहतर कर सकते हैं बल्कि स्किन और बालों की क्वालिटी सुधारने में भी सहायक हो सकते हैंआंवले के साथ शहद और काली मिर्च खाने के 7 फायदे1. आंवले में विटामिन C के साथ अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो इम्यून सिस्टम को बेहतर करने में सपोर्ट करते हैं। इसके सेवन से बदलते मौसम में होने वाली कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है।2. शहद और आंवले में पाए जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं, वहीं काली मिर्च में पाया जाने वाला पोटैशियम और मैग्नीशियम शरीर मे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है।3. आंवले के साथ शहद और काली मिर्च के सेवन से वजन को कंट्रोल करना आसान हो सकता है। इसके साथ ही, काली मिर्च में पाया जाने वाला पिपेरिन शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाता है और इंफ्लेमेशन को कम करने में सहायक है।4. आंवले के साथ शहद और काली मिर्च का सेवन पाचन को सुधारने के साथ गैस और एसिडिटी को कम करने में मदद कर सकता है। इसके सेवन से गट हेल्थ बेहतर होती है।5. आंवले के साथ शहद और काली मिर्च के सेवन से थकान और कमजोरी का एहसास कम होता है। जिससे आप दिनभर एनर्जेटिक महसूस कर सकते हैं।आंवला के साथ शहद और काली मिर्च बनाने का तरीकाइस मिक्स को बनाने के लिए आपको आधा किलो आंवला, 3 चम्मच कुटी हुई काली मिर्च और 100ml शहद चाहिए होगा। सबसे पहले आंवले में कांटे या छुरी की मदद से छेद करें और फिर इन्हें पानी में डालकर 10 मिनट के लिए उबालें। इसके बाद जब आंवले ठंडे हो जाएं तो इन्हें एक जार में भरकर इसमें शहद और कुटी हुई काली मिर्च मिलाकर 2 दिन के लिए ढककर रखें और फिर इन्हें खाने के लिए इस्तेमाल करें। ध्यान रखें कि रोजाना 1 आंवला ही खाएं। यदि आप नियमित शहद, आंवला और काली मिर्च के मिश्रण का सेवन करते हैं, तो इससे आपके शरीर की इम्यूनिटी के साथ ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर हो सकता है और दिल की बीमारियों और हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
- हर महिला को खूबसूरत दिखने की चाह होती है। सदियों से महिलाएं निखरी त्वचा पाने के लिए घरेलू उपायों और आयुर्वेदिक तरीकों को अपने रूटीन में शामिल कर रही हैं। चेहरे को खूबसूरत दिखाने के लिए न सिर्फ ऊपर से उसे साफ रखना जरूरी है, बल्कि शरीर के अंदर से भी स्किन को हेल्दी रखना महत्वपूर्ण है। नेचुरल ग्लोइंग स्किन पाने के लिए आयुर्वेद में कई उपाय बताए गए हैं।नेचुरल त्वचा के लिए आयुर्वेदिक उपाय1. गोल्ड, घी और शहद का सेवनअपने दिन की शुरुआत गोल्ड, घी और शहद के मिश्रण की 2-3 बूंदों का सेवन करके करें। सोना त्वचा की रेडनेस को कम कर सकता है, पिंपल्स की सूजन को कम कर सकता है, हाइपरपिग्मेंटेशन से बचा सकता है और त्वचा को प्राकृतिक चमक देने में मदद करता है। जबकि घी त्वचा की लोच और एंटी-ऑक्सीडेंट बनाए रखने में मदद करता है। शहद आपकी त्वचा को नमी देने में मदद करता है और समय से पहले बूढ़ा होने से रोकता है। इस मिश्रण का सेवन हर उम्र के लोग कर सकते हैं।2. अनार और घी का सेवनदाडिमाडी घृत अनार, गाय के घी और अन्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बना सबसे अच्छा आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन में से एक है। यह आपके एचबी को बेहतर बनाने में मदद करता है, आपके ब्लड को डिटॉक्स करता है, आपको शांत और स्थिर रहने में मदद करता है और यहां तक कि आपके पाचन में भी सुधार करता है। आधा-1 चम्मच सुबह या सोते समय गर्म दूध या पानी के साथ।3. आम्रपाली का सेवन करेंत्वचा को चमकदार बनाने के लिए आयुर्वेदिक आम्रपाली चाय का सेवन करें। यह चाय रंग निखारने वाली जड़ी-बूटियों से बनी है, जो खून को शुद्ध करती है और आपकी त्वचा को एकसमान रंगत और चमक देने में मदद करती है। 3 ग्राम आम्रपाली को 300 मिलीलीटर पानी में 7 मिनट तक उबालें और फिर इसे छान लें और खाली पेट इसका सेवन करें।4. आयुर्वेदिक फेस मास्क का इस्तेमाल करेंहिबिस्कस, लोध्र, मंजिष्ठा, चंदन, गुलाब, हल्दी, लाल मसूर, केसर जैसी जड़ी-बूटियों से तैयार आयुर्वेदिक फेस मास्क का इस्तेमाल करें। ये जड़ी-बूटियां आपकी स्किन में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करती हैं और त्वचा में चमक बढ़ाने में मदद करती हैं।5. केसर सीरम का इस्तेमालरात को सोने से पहले अपने चेहरे पर केसर सीरम से सर्कुलर मोशन में मसाज करें।
- आज के समय में खाने की गलत आदतों और लाइफस्टाइल में हुए बदलाव का असर सेहत पर देखने को मिलता है। लोगों की शारीरिक गतिविधियों में आई कमी के कारण पाचन क्रिया प्रभावित होती है। जिसकी वजह से लोगों को गैस, अपच, एसिडिटी और कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए लाइफस्टाइल और डाइट में कुछ आवश्यक बदलाव करने की सलाह दी जाती है। बेर से कब्ज की समस्या को भी दूर किया जा सकता है। आगे जानते हैं कब्ज को दूर करने में बेर किस तरह से फायदेमंद होते हैं।बेर से कब्ज की समस्या को करें दूरफाइबर से भरपूरकब्ज से राहत पाने के लिए आप बेर का सेवन कर सकते हैं। इसमें मौजूद फाइबर आंतों के लिए फायदेमंद होते हैं। भोजन को पचाने और उसको आंतों में आगे की ओर ले जाने में फाइबर महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं। यह मल को एक साथ जोड़कर उसे बाहर करने में मदद करता है। इससे आपको कब्ज की समस्या में आराम मिलता है।आंतों के स्वस्थ बैक्टीरिया (माइक्रोबायोटा) को बढ़ाएंएक्सपर्ट के अनुसार आंतों में मौजूद स्वस्थ बैक्टीरिया (माइक्रोबायोटा) गैस्ट्रोइंंटेस्टाइनल ट्रैक्ट की समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं। यह पाचन क्रिया को सुधारते हैं। साथ ही, गैस और कब्ज जैसे समस्या को दूर करते हैं। बेर के नियमित सेवन से माइक्रोबायोटा में वृद्धि होती है। इससे पाचन क्रिया बेहतर होती है।एंटीऑक्सीडेंट से भरपूरबेर में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो आंतों से जुड़ी समस्याएं जैसे कब्ज और एसिडिटी को कम करने में मददगार होते हैं। यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं। बेर को डाइट में शामिल कर आप कब्ज की समस्या को धीरे-धीरे आसानी से कम कर सकते हैं।शरीर को हाइड्रेट करने में सहायकशरीर में पानी की कमी के कारण लोगों को कब्ज की समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। बेर व अन्य फल के सेवन से आप पानी की आवश्यकता को पूरा कर सकते हैं। इससे भोजन तेजी से डाइजेस्ट होता है।पोषण तत्वों से भरपूरबेर में आवश्यक विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं। कुछ लोगों को पोषण की कमी के कारण भी पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। बेस में मौजूद विटामिन सी इम्यून सिस्टम और कोलेजन को बूस्ट करता है। साथ ही, पोटेशियम, मैग्नीशियम और आयरन शारीरिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इसके नियमित सेवन से पाचन संबंधी समस्याएं जैसे कब्ज से छुटकारा मिलता है।बेर भारतीय बाजार में आसानी से उपलब्ध होते हैं। इनके नियमित सेवन से शरीर की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इससे सूजन, कब्ज, एसिडिटी, गैस, पेट फूलने आदि समस्या को दूर किया जा सकता है। यदि, आपको काफी समय से कब्ज की समस्या है, तो ऐसे में फलों को डाइट में शामिल कर सकते हैं।
-
हृदय हमारे शरीर का एक अहम अंग होता है। लंबी उम्र तक जीने के लिए हृदय का स्वस्थ होना बहुत जरूरी होता है। आपको बता दें कि हृदय रोग, दुनियाभर में होने वाले मौतों का एक मुख्य कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो हर साल दुनियाभर में 17.9 मिलियन लोगों की जान चली जाती है। वैसे तो हृदय रोग कई तरह के होते हैं, लेकिन हार्ट अटैक और स्ट्रोक, दो ऐसे रोग हैं, जो सबसे ज्यादा मौतों का कारण बनते हैं। WHO के अनुसार 5 में से 4 मौतें हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण होती हैं। इनमें से एक तिहाई मौतें 70 वर्ष से कम उम्र के लोगों की होती हैं। इसलिए हार्ट अटैक और स्ट्रोक के लक्षणों की समय पर पहचान करना बहुत जरूरी है, जिससे मृत्यु दर को कम किया जा सके। युवाओं में भी तेजी से हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामले देखने को मिल रहे हैं। इसी के बीच WHO ने ट्विटर पर हार्ट अटैक और स्ट्रोक के लक्षणों को सांझा किया है। आइए, जानते हैं इनके बारे में-
हार्ट अटैक के लक्षण-1. सीने के बीच में दर्दविश्व स्वास्थ्य संगठन ने जो लिस्ट शेयर की है, उसके अनुसार सीने के बीच में दर्द होना हार्ट अटैक का एक आम लक्षण होता है। अगर आपको अचानक से सीने में दर्द होता है, तो इसे नजरअंदाज न करें। इस दौरान आपको सीने में असहजता भी महसूस हो सकती है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें।2. बाएं कंधे में दर्दबाएं कंधे, हाथ, कोहनी, कमर और जबड़े में दर्द होना भी हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं। WHO ने अपनी लिस्ट में इन्हें भी हार्ट अटैक का लक्षण बताया है। इन समस्याओं को अनदेखा न करें।3. सांस लेने में दिक्कतडब्ल्यूएचओ के अनुसार, सांस लेने में दिक्कत होना हार्ट अटैक का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा, अगर आपको दम फूलने जैसा लग रहा है, तो यह भी हार्ट अटैक का एक लक्षण है।4. उल्टी आनाविश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो उल्टी आना और त्वचा का पीला पड़ना भी हार्ट अटैक के लक्षण माने जाते हैं। इसलिए अगर आपको अचानक से जी मिचलाने या उल्टी आने जैसी समस्याएं होती हैं, जो इन्हें अनदेखा न करें। त्वचा इसलिए पीली पड़ने लगती है, क्योंकि ब्लड सप्लाई कम होने लगती है।5. ठंडा पसीना आनाअगर आपको ठंडा पसीना आ रहा है, तो WHO के अनुसार यह भी हार्ट अटैक का लक्षण हो सकता है। इस स्थिति में आपका शरीर ठंडा रहता है, लेकिन आपको पसीना आ सकता है।स्ट्रोक के लक्षण1. अचानक कमजोरी महसूस होनाविश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो अचानक से कमजोरी महसूस होना स्ट्रोक का एक संकेत हो सकता है। इस स्थिति में आपको हाथ और पैरों में या शरीर के एक हिस्से में अचानक सुन्नपन भी महसूस हो सकता है।2. कंफ्यूजनअगर आपके दिमाग में अक्सर कंफ्यूजन रहती है, तो यह स्ट्रोक का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा, बोलने में दिक्कत या फिर किसी बात को समझने में दिक्कत होना भी स्ट्रोक के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में आपको डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए।3. आंखों से देखने में दिक्कतअगर आपको एक या दोनों आंखों से देखने में दिक्कत हो रही है, तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह भी स्ट्रोक का लक्षण हो सकता है।4. चलने में दिक्कत होनाअगर आपको चलने में दिक्कत, चलने के दौरान बैलेंस बनाने में परेशानी या फिर चक्कर जैसा महसूस होता है, तो भी डॉक्टर से जरूर मिलें। ये भी स्ट्रोक के संकेत हो सकते हैं।5. सिरदर्द होनाअगर आपको अक्सर ही सिरदर्द बना रहता है, तो इस लक्षण को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। इसके अलावा, बेहोशी या चक्कर आना भी स्ट्रोक के लक्षण होते हैं। - सर्दियों में ब्लड सर्कुलेशन पर प्रभाव पड़ता है, जिसकी वजह से लोगों को हार्ट संबंधी समस्याएं होने लगती है। वैसे, सर्दियों से बचने के लिए कई तरह के उपाय हैं, लेकिन आप डाइट में कीवी को शामिल कर कई रोगों से खुद का बचाव कर सकते हैं। कीवी का नियमित सेवन करने से आपको कोलेस्ट्रॉल और हार्ट अटैक जैसी समस्याओं का खतरा कम हो सकता है ।सर्दियों में कोलेस्ट्रॉल और हार्ट अटैक से बचने के लिए करें कीवी का सेवन -फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूरकीवी में फाइबर पाए जाते हैं। हाई फाइबर युक्त आहार को कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में सहायक माना जाता है। कीवी में मौजूद सॉल्यूबल फाइबर पाचन तंत्र में कोलेस्ट्रॉल को बांधने को मदद करता है। साथ ही ब्लड में इसके अवशोषण को रोकता है। कीवी में विटामिन सी, विटामिन ई और एंटीऑकसीडेंट्स होते हैं। यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं। इससे सूजन कम होती है, सूजन हार्ट डिजीज को बढ़ा सकती है।पोटेशियम और मैग्नीशियमकीवी पोटेशियम और मैग्नीशियम मुख्य सोर्स होता है। पोटेशियम सोडियम के प्रभाव कम करके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। वहीं, मैग्नीशियम दिल की धड़कन को स्थिर बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में सर्दियों में आप कीवी का सेवन कर सकते हैं। इससे हार्ट हेल्थ बेहत होती है।खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) के स्तर को कम करेंनियमित रूप से कीवी खाने से आपको खराब कोलेस्ट्रॉल यानी कि एलडीएल को कम करने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर खराब कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करते हैं। साथ ही, कीवी खाने से नसों की दीवारों पर पड़ने वाला हानिकारक प्रभाव कम होता है।ब्लड शुगर को नियंत्रित करेंब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करना हृदय स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। डायबिटीज की वजह से भी हार्ट पर दबाव पड़ सकता है। कीवी में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो डायबिटीज से जुड़ी अन्य समस्याओं का खतरा कम करता है। साथ ही, डायबिटीज को भी बढ़ने से रोकता है। ऐसे में सर्दियों के दौरान होने वाले हार्ट अटैक से भी बचा जा सकता है।वजन को करें कंट्रोलमोटापे को कंट्रोल कर आप हार्ट हेल्थ को बेहतर कर सकते हैं। कीवी का सेवन करने से मोटापा कंट्रोल में रहता है। इसमें मौजूद फाइबर आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगने देत हैं। इससे आपका वजन नियंत्रित रहता है। साथ ही आप सर्दियों में होने वाली हार्ट संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से बचे रहते हैं।कीवी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। सूजन की वजह से हार्ट अटैक का खतरा अधिक होता है। वहीं, कीवी के नियमित सेवन से खराब कोलेस्ट्रॉल कम होता है और अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। कोलेस्ट्रॉल भी आपके हार्ट को नुकसान पहुंचा सकता है।
- सोना :-सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है।चाँदी :-चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है।कांसा :-काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है। लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल ३ प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।तांबा :-तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है।पीतल :-पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल ७ प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।लोहा :-लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढती है, लोह्तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है। लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है. लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है। लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है।स्टील :-स्टील के बर्तन नुक्सान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसलिए नुक्सान नहीं होता है. इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता तो नुक्सान भी नहीं पहुँचता।एलुमिनियम :-एल्युमिनिय बोक्साईट का बना होता है। इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुक्सान होता है। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डियां कमजोर होती है. मानसिक बीमारियाँ होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है। उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है। एलुमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।मिट्टी :-मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त हैमिट्टी के बर्तन। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे १०० प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है।पानी पीने के पात्र के विषय में 'भावप्रकाश ग्रंथ' में लिखा है....जलपात्रं तु ताम्रस्य तदभावे मृदो हितम्।पवित्रं शीतलं पात्रं रचितं स्फटिकेन यत्।काचेन रचितं तद्वत् वैङूर्यसम्भवम्।(भावप्रकाश, पूर्वखंडः4)अर्थात् - पानी पीने के लिए ताँबा, स्फटिक अथवा काँच-पात्र का उपयोग करना चाहिए। सम्भव हो तो वैङूर्यरत्नजड़ित पात्र का उपयोग करें। इनके अभाव में मिट्टी के जलपात्र पवित्र व शीतल होते हैं। टूटे-फूटे बर्तन से अथवा अंजलि से पानी नहीं पीना चाहिए।
- टॉन्सिल्स में होने वाले इन्फेक्शन को ही टॉन्सिलिटिस कहा जाता है। हमारे गले में टॉन्सिल्स मौजूद होता है। टॉन्सिल्स का काम है गले को सुरक्षा प्रदान करना और पैथोजन्स द्वारा गले को संक्रमित होने से बचाना। टॉन्सिलिटिस एक तरह का इन्फेक्शन है जो ज्यादातर वायरस के कारण होता है। हालांकि बैक्टीरिया के हमले के कारण भी टॉन्सिलिटिस हो सकता है। अगर टॉन्सिलिटिस इन्फेक्शन ज्यादा है, तो संक्रमण को डाइट में बदलाव करके और दवाओं की मदद से ठीक किया जा सकता है।टॉन्सिल्स होने पर डाइट में करें ये बदलाव1. टॉन्सिल्स होने पर ऐसे मसालों का सेवन करें जिनमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण हों। इन गुणों से भरपूर मसालों का सेवन करने से टॉन्सिल्स जल्दी ठीक हो जाते हैं। जैसे- अदरक और हल्दी आदि।2. टॉन्सिल्स होने पर एल्कोहल का सेवन बिल्कुल न करें, इससे गले में इरिटेशन हो सकता है।3. टॉन्सिल्स होने पर ठंडी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए। इससे गले का दर्द बढ़ सकता है।4. अगर आपको टॉन्सिल्स हो गए हैं, तो घर का बना खाना ही खाएं। बाहर की चीजों का सेवन करने से बचें।5. टॉन्सिल्स होने पर आप ऐसी चीजों का सेवन करने से बचें जिससे इम्यूनिटी कमजोर होती हो, जैसे- फास्ट फूड या जंक फूड।टॉन्सिल्स होने पर कैसी डाइट लें?-कुरकुरी चीजें जैसे पॉपकॉर्न, फ्राइज और नमकीन खाने से बचें।-जंक फूड या ज्यादा मसाले वाला भोजन करने से बचना चाहिए।-ऐसी चीजों का सेवन न करें जो खाने में ड्राई हो, इससे खाना चबाने में तकलीफ हो सकती है।-खट्टे फलों का सेवन करने से बचें, इससे गले में इरिटेशन हो सकता है।-ज्यादा गर्म या ज्यादा ठंडी चीजों को न खाएं, इससे दर्द हो सकता है।-किसी भी प्रकार के नट्स जैसे- अखरोट, बादाम को खाने से बचें।
- आजकल की लाइफस्टाइल और बिगड़े खानपान का बुरा असर लोगों के शरीर पर पड़ रहा है और कब्ज जैसी पेट से जुड़ी समस्याएं आम हो चुकी हैं।इन गलत आदतों के कारण बढ़ती है कब्ज की समस्या1. एक्सरसाइज न करनाकई लोग बिजी लाइफस्टाइल के कारण एक्सरसाइज और योग के लिए समय नहीं निकालते हैं, जिसका बुरा असर सेहत पर पड़ता है। अगर आप नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते हैं, तो इससे कब्ज का खतरा बढ़ सकता है। रोजाना एक्सरसाइज करने से आपकी पाचन शक्ति बेहतर हो सकती है और कब्ज की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।2. कम पानी पीनाहेल्दी रहने के लिए शरीर को प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। अगर आप पर्याप्त पानी नहीं पीते तो आपको कब्ज की समस्या हो सकती है। ऐसे में रोजाना 2 से 3 लीटर पानी जरूर पिएं। पानी पीने से शरीर में मौजूद टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं, जिसका अच्छा असर स्किन और बालों पर भी देखने को मिलता है।3. शराब का अधिक सेवनआजकल लोग पार्टी करना काफी पसंद करते हैं, जहां ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन करना शरीर के पाचन सिस्टम को प्रभावित कर सकता है। अधिक मात्रा में शराब का सेवन कब्ज का कारण बन सकता है। अगर आप सेहतमंद जीवन जीना चाहते हैं तो शराब का सेवन कम करें।4. तनावतनाव न केवल मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि आपके शरीर के पाचन सिस्टम को भी प्रभावित कर सकता है जिससे कब्ज की समस्या उत्पन्न हो सकती है। स्ट्रेस कम करने के लिए आप रोजाना योग और मेडिटेशन करें।5. फाइबर की कमीआजकल बाजार में मिलने वाले फास्ट फूड और तलेभुने खाने से शरीर को जरूरी मात्रा में फाइबर प्राप्त नहीं होता है, जिसके कारण कब्ज की समस्या होती है। कब्ज से बचने के लिए आप डाइट में फल, सब्जियां, अनाज, और दालें शामिल करें, जिससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में फाइबर मिल सकता है।
- बदलते मौसम और सर्दियों के दौरान सर्दी-खांसी की समस्या होना तो बहुत आम बात है। लेकिन इसके बाद ज्यादातर लोगों के साथ यह देखने को मिलता है कि उन्हें गले में खराश, बलगम और गंभीर खांसी का सामना भी करना पड़ता है। इसके अलावा, गले में दर्द बहुत दर्द भी महसूस होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, आज जो कुछ खाते हैं वह भी आपकी खांसी को ठीक करने और बलगम को ढीला करने में कई तरह से मदद करता है। अगर आप बलगम वाली खांसी होने पर कुछ फूड्स का सेवन बढ़ा दें, तो इससे आपको बलगम वाली खांसी के लक्षणों को कम करने और इससे जल्द छुटकारा पाने में बहुत मदद मिल सकती हैबलगम वाली खांसी में क्या खाना चाहिए?ये फल खाएंअनानास, जामुन और खट्टे फल, खासकर अंगूर जैसे फल बलगम को बाहर निकालने में बहुत प्रभावी हैं। अनानास में बायोफ्लेवोनॉइड ब्रोमेलैन एक प्रोटियोलिटिक एंजाइम होते हैं, जो प्रोटीन को तोड़ने में मदद करते हैं। साथ ही इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। यह सूजन और बलगम के उपचार में बहुत प्रभावी है। इसी तरह अन्य फल भी गले की सूजन और बलगम को ठीक करने में मदद करते हैं।फैटी फिश खाएंइनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड बहुत अच्छी मात्रा में होते हैं। इनका सेवन करने से बलगम कम करने में मदद मिलती है। ये आपकी इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ सूजन कम करने में भी मदद करती हैं।ये सब्जियां डाइट में शामिल करेंहल्की उबली हुई सब्जियां, ताजा, मौसमी साग और अन्य हरी सब्जियां डाइट में जरूर शामिल करें। इन्हें खाने से इम्यूनिटी मजबूत होती है और बलगम वाली खांसी के लक्षणों को गंभीर होने से रोकने में मदद मिलती है। अदरक, लहसुन और प्याज आदि को जरूर डाइट में शामिल करें।सूप और शोरबा का सेवन करेंसर्दी-खांसी, जुकाम और बलगम आदि की समस्या होने पर इनका सेवन बहुत लाभकारी माना जाता है। इनमें कुछ गर्म मसाले डालें और सेवन करें। ये बलगम को कम करने में बहुत मदद करते हैं।एप्पल साइडर विनेगर पिएंइसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, यह हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ने और बलगम को तोड़ने में मदद करता है। आप इसका चम्मच किसी भी हर्बल चाय में मिलाकर पी सकते हैं।
- शरीर को हेल्दी और फिट रखने के लिए सीड्स और नट्स का सेवन जरूर करना चाहिए। विटामिन, मिनरल्स और जरूरी पोषक तत्वों से युक्त सीड्स शरीर को बीमारियों से बचाने और हेल्दी रखने में मदद करते हैं।कुम्हड़े - कद्दू के बीज का सेवन भी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व और गुण शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। कद्दू के बीज में मिनरल्स और हेल्दी फैट पाए जाते हैं, जो ओवरऑल हेल्थ को ठीक रखने में मदद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं सुबह खाली पेट कद्दू के बीज का पानी पीने से भी शरीर को कई अनोखे फायदे मिलते हैं।खाली पेट कद्दू के बीज का पानी पीने के फायदेकद्दू के बीजों में प्रोटीन, फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड और आयरन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें प्रोटीन, वसा, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, जिंक और मैंगनीज की पर्याप्त मात्रा होती है। आरोग्यं हेल्थ सेंटर के क्लीनिकल डाइटिशियन डॉ वीडी त्रिपाठी कहते हैं, "कद्दू के बीज का पानी पीने से कब्ज समेत स्किन और बालों से जुड़ी समस्याओं में फायदा मिलता है। सुबह खाली पेट इसका सेवन शरीर के लिए फायदेमंद होता है।"खाली पेट कद्दू के बीज का पानी पीने के फायदे इस तरह से हैं-1. विटामिन और खनिजों की अच्छी मात्रापंपकिन सीड वॉटर या कद्दू के बीज के पानी में विटामिन्स और खनिजों की अच्छी मात्रा होती है, जो आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। खाली पेट कद्दू के बीज का पानी पीने से इनका अवशोषण अच्छी तरह से होता है।2. पाचन तंत्र के लिए फायदेमंदपाचन तंत्र को हेल्दी रखने के लिए रोजाना सुबह खाली पेट कद्दू के बीज का पानी पीना फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण शरीर को हेल्दी रखने और पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियों के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।3. वजन कम करने में फायदेमंदवजन कम करने के लिए कद्दू के बीज का पानी पीना बहुत फायदेमंद होता है। कद्दू के बीज एंटी-ऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर होते हैं। वजन कम करने के लिए रोजाना सुबह के समय इसका सेवन करने से फायदा मिलता है।4. एंटीऑक्सीडेंट्स का अच्छा सोर्सशरीर को स्वस्थ रखने के लिए एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना बहुत जरूरी होता है। आप एंटीऑक्सीडेंट्स के लिए खाली पेट कद्दू के बीज खा सकते हैं। कद्दू के बीजों में फ्लेवोनॉइड्स और फेनोलिक एसिड नामक एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाने में मदद करते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर और त्वचा, दोनों के लिए जरूरी होते हैं।कद्दू के बीज का पानी तैयार करने के लिए सबसे पहले इसे रात में भिगो दें। सुबह इस पानी को अच्छी तरह से उबालें और फिर छान लें। इस पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर खाली पेट इसका सेवन करें। नियमित रूप से कुछ दिनों तक इसका सेवन करने से शरीर को अनोखे फायदे मिलेंगे।
- घर में या ऑफिस में खाना गर्म करके खाने के लिए अब ज्यादातर लोग माइक्रोवेव का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन कई लोग ऐसे भी है, जो खाना गर्म करने के लिए माइक्रोवेव का उपयोग करने से परहेज करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि माइक्रोवेव में खाना गर्म करके खाने से स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन क्या सच में माइक्रोवेव में खाना गर्म करके खाना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है? आइए जानते हैं कि क्या माइक्रोवेव में खाना गर्म करना सुरक्षित है?माइक्रोवेव में कौन सा बर्तन यूज करना चाहिए?माइक्रोवेव में खाना गर्म करने से आपके सेहत पर बुरा असर नहीं पड़ता है, बल्कि इस बात से फर्क पड़ता है कि आप किस चीज में खाना रख कर माइक्रोवेव में गर्म कर रहे हैं। खाना गर्म करने के लिए अक्सर हम किसी भी माइक्रोवेव प्रूफ बर्तन का उपोयग कर लेते हैं। लेकिन आपको इस बात पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि माइक्रोवेव में किसी भी तरह के प्लास्टिक के कंटेनर का इस्तेमाल करना आपके सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। कई प्लास्टिक में BPA होता है, एक तरह का केमिकल जिसका उपयोग प्लास्टिक का लचीलापन और स्थायित्व बढ़ाने के लिए किया जाता है। माइक्रोवेव में खाना गर्म करते समय यह BPA आपके खाने में मिल सकता है, जो शरीर के हार्मोन्स को बाधित कर सकता है और मोटापा, डायबिटीज और प्रजनन से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकता है।माइक्रोवेव का सुरक्षित तरीके से उपयोग करने के उपाय-माइक्रोवेव में खाना गर्म करने के लिए माइक्रोवेव सेफ कांच के कंटेनर का इस्तेमाल करें।-सिरेमिक कंटेनर (चीनी मिट्टी के बर्तन) का उपयोग करना भी एक बेहतर विकल्प है।-BPA-मुक्त प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल भी आप कर सकते हैं। ये प्लास्टिक आपके खाने में हानिकारक केमिकल्स को को छोड़े बिना खाने को गर्माम कर सकते हैं।-जल्दी खाना गर्म करने के लिए माइक्रोवेव का इस्तेमाल एक आसान और बेहतर विकल्प है, लेकिन सही कंटेनर का उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
- हरी मेथी पोषक तत्वों से भरपूर होती है, इसमें फाइबर, कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन और विटामिन सी पाया जाता हैं। इसके सेवन से शरीर की हड्डियां मजबूत होने के साथ मौसमी बीमारियों का खतरा कम होता हैं। हरी मेथी को लोग सब्जी या फिर इसके परांठा बनाकर खाते हैं। हरी मेथी खाने से डायबिटीज लेवल कंट्रोल करने में मदद मिलती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं सर्दियों में हरी मेथी को ज्यादा मात्रा में खाने से शरीर को नुकसान होने के साथ शरीर में कई तरह की परेशानियां भी बढ़ सकती हैं।पाचन-तंत्र को करें खराबसर्दियों में मेथी का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से पाचन-तंत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। मेथी में पाए जाने वाले प्रोटीन का ज्यादा सेवन शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसके सेवन से पेट खराब, बदहजमी और पेट में गैस की समस्या हो सकती हैं।हाई ब्लड प्रेशरमेथी के ज्यादा से से से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। हरी मेथी में सोडियम की मात्रा काफी कम होती है। ऐसे में इसको ज्यादा मात्रा में खाने से शरीर का सोडियम लेवल कम हो सकता है। इस कारण हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ सकती है। हरी मेथी का उन लोगों को हरगिज भी सेवन नहीं करना चाहिए, जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होती हैं।गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसानदायकहरी मेथी शरीर के लिए फायदेमंद होती है। लेकिन क्या आप जानते है गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिए। हरी मेथी की तासीर काफी गर्म होती है। ऐसे में इसके सेवन से महिलाओं को ब्लीडिंग की समस्या होने के साथ पाचन संबंधी समस्या भी हो सकती हैं।सांस संबंधी समस्याएंसर्दियों में ज्यादा हरी मेथी खाने से सांस संबंधी समस्या बढ़ सकती है। हरी मेथी की तासीर गर्म होती है, जो सांस की समस्या को बढ़ा सकती है। इसमे मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण शरीर के लिए हानिकारक होने के साथ समस्या को बढ़ाते हैं।डायबिटीज मरीजों के लिए खतरनाकसर्दियों में ज्यादा हरी मेथी के सेवन से डायबिटीज मरीजों को ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है, जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे में डायबिटीक मरीज को ज्यादा मात्रा में मेथी का सेवन नहीं करना चाहिए।ज्यादा मात्रा में हरी मेथी का सेवन शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। हालांकि, अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या हैं, तो डॉक्टर सेस पूछकर ही इसका सेवन करें।
- सोयाबीन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती है। अधिकतर लोग बिना सोचे समझे सोयाबीन का सेवन करते रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोयाबीन स्वास्थ्य के लिए जितनी फायदेमंद होती है। उतनी भी नुकसानदायक भी हो सकती है। सोयाबीन को खाने से कुछ लोगो को बचना चाहिए। सोयाबीन के जरूरत से ज्यादा सेवन से हृदय रोग के मरीजों को और थायराइड के लोगों को इसको खाने से परेशानी काफी बढ़ सकती हैं। सोयाबीन के ज्यादा खाने से प्रेगनेंट महिलाओं की समस्या भी बढ़ सकती हैं। आइए जानते हैं सोयाबीन खाने के नुकसान के बारे में।थायराइडथायराइड के मरीजों को सोयाबीन के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि इसको खाने से हाइपरथाइरोइडज्म का खतरा पैदा हो सकता है, जो मरीज थायराइड को कंट्रोल करने के लिए दवाई का सेवन करते हैं। ऐसे में सोयाबीन खाने से थायराइड में ली जाने वाली दवाई का असर भी कम हो सकता है। ऐसे में थायराइड के मरीजों को सोयबीन खाने से बचना चाहिए।गर्भवती महिलाएंगर्भवती महिलाओं को सोयाबीन खाने से बचना चाहिए। क्योंकि अधिक मात्रा में इसके सेवन से गर्भ में पल रहा शिशु के विकास पर असर पड़ सकता है। कई बार प्रेगनेंसी के समय में इसके सेवन से चक्कर आना, उल्टी आना और जी मिचलाने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। ऐसे में प्रेगनेंसी में इसे खाने से बचें।हृदय रोग के मरीजहृदय रोग के मरीजों को सोयाबीन खाने से बचना चाहिए। क्योंकि इसमें मौजूद ट्रांसफैट कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ाता है और इससे हार्ट संबंधी बीमारियां होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में जिन लोगों को हार्ट संबंधी परेशानी है उन्हें ज्यादा सोयाबीन खाने से बचना चाहिए।अस्थमाअस्थमा के मरीजों को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। क्योंकि कई बार सोयाबीन खाने से उन्हें एलर्जी की शिकायत हो सकती है। ऐसे में सोयाबीन के ज्यादा सेवन से बचें। अस्थमा के मरीजों को सोयाबीन से बनी कोई चीज नहीं खानी चाहिए।वजन बढ़ता हैसोयाबीन के जरूरत के ज्यादा सेवन से वजन तेजी से बढ़ता है क्योंकि इसमें फैट की मात्रा ज्यादा होती है। अगर आप वजन घटाने के बारे में सोच रहे है, तो सोयाबीन के सेवन से बचें। क्योंकि इसको खाने से वजन बढ़ने के साथ बैली फैट भी बढ़ेगासोयाबीन के ज्यादा सेवन से बचना चाहिए। अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या हैं, तो डॉक्टर से इसके मात्रा के बारे में पूछकर ही इसका सेवन करें।
- कुछ लोगों के मुंह से सुबह के समय गंदी बदबू आती है, जिसके कारण उन्हें हाथ से मुंह छिपाकर लोगों से बात करनी पड़ती है। मुंह से बदबू (Bad breath) आना एक ऐसी समस्या है, जिसका असर लोगों के आत्मविश्वास पर भी पड़ता है। मुंह की बदबू दूर करने के लिए कुछ घरेलू उपाय कारगर साबित होते हैं।1. नींबू के पानी से गरारामुंह से आने वाली दुर्गंध को दूर करन में नींबू पानी कारगर साबित होता है। इसके लिए रोजाना सुबह के समय 1 गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्मच नींबू का रस मिलाकर इससे गरारा करें। नींबू में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो मुंह की गंदी बदबू को दूर करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा नींबू पानी से गरारा करने के बाद आपको फ्रेश फील होगा।2. लौंग के पानी से गरारालौंग के एंटीमाइक्रोबियल गुण मुंह से आने वाली गंदी बदबू को दूर करने में कारगर साबित हो सकते हैं। इसके लिए आप 1 गिलास पानी के साथ 4 लौंग को पैन में डालकर उबालिए। इसके बाद पानी को गुनगुना होने तक ठंडा करें और फिर हल्के गुनगुने पानी से गरारा करें। लौंग के पानी से गरारा करने के बाद आपको ताजगी का एहसास होगा और मुंह की बदबू भी दूर होगी।3. तुलसी के पानी से गरारामुंह की बदबू दूर करने के लिए औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी फायदेमंद साबित होती है। 1 गिलास पानी के साथ 5 तुलसी के पत्तों को पैन में डालकर उबालें और फिर पानी हल्का ठंडा करके इससे गरारा करें। तुलसी के पानी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो मुंह में मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद कर सकते हैं, जिससे मुंह की दुर्गंध दूर हो सकती है।4. सौंफ के पानी से गराराऔषधीय गुणों से भरपूर सौंफ मुंह से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में कारगर साबित होती है। 1 कप पानी के साथ 1 चम्मच सौंफ को पैन में डालकर उबालिए और फिर ठंडा होने के बाद इससे गरार करें। सौंफ के पानी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण, मुंह से आने वाली बदबू को दूर करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा मसूड़ों में होने वाली सूजन को कम कर सकते हैं।
- पिप्पली एक प्राचीन आयुर्वेदिक हर्ब है, जो आमतौर पर हम सभी भारतीयों के किचन में मौजूद होता है। इसका कई पकवान बनाने के लिए मसाले के तौर पर भी किया जाता है। यह मसाला सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है। इसमें शक्तिशाली औषधीय गुण होते हैं, इसलिए पारंपरिक चिकित्सा में इसका प्रयोग कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। पाचन को दुरुस्त करने से लेकर श्वसन प्रणाली से बेहतर बनाने तक इसके जबरदस्त लाभ मिलते हैं।सेहत के लिए पिप्पली के फायदे और प्रयोग का तरीका1. सर्दी-खांसी की समस्या का रामबाण इलाज है। यह खांसी और सर्दी से राहत प्रदान करने में मदद कर सकती है।2. शरीर के मेटाबॉलिज्म में सुधार करके वजन घटाने को बढ़ावा देने में मदद करती है।3. अपने रेचक गुण के कारण मल त्याग को बढ़ावा देकर कब्ज के प्रबंधन में मदद करती है।4. पिप्पली में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और इसका कारण पिपेरिन जैसे यौगिकों की उपस्थिति को माना जा सकता है।पिप्पली में पाए जाने वाले पिपेरिन का इसके संभावित एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रभावों के लिए अध्ययन किया गया है। ऐसा माना जाता है कि ये यौगिक मसाले की प्रतिरक्षा प्रणाली को व्यवस्थित करने और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव प्रदान करने की क्षमता को बढ़ाने में योगदान देते हैं।5. नींद से जुड़ी समस्याएं दूर करती है। साथ ही वात दोष को संतुलित करती है। वात संतुलन गुण के कारण पिप्पली का उपयोग अनिद्रा को प्रबंधित करने के लिए किया जा सकता है।पिप्पली का सेवन करने के तरीके-पिप्पली का सेवन चूर्ण, कैप्सूल और टैबलेट के रूप में किया जा सकता है।-सर्दी-खांसी से छुटकारा पाने के लिए भोजन के बाद शहद के साथ 1/4 चम्मच पिप्पली पाउडर लें। अपने कफ निस्सारक गुण के कारण यह बलगम को कम करने में मदद करती है, जिससे आपको चैन की सांस लेने में मदद मिलती है।-नींद से जुड़ी समस्याएं दूर करने के लिए आप पिप्पल का सेवन सोने से पहले दूध के साथ कर सकते हैं। 1/2 चम्मच पिप्पली पाउडर लें, इसे दूध में मिलाएं और सोने से ठीक पहले लें।
- जो लोग मोटापे को कम करना चाहते हैं वह भी चने का खूब सेवन करते हैं। शरीर की चर्बी को कम करने और बॉडी को टोन्ड व शेप में लाने में काले चने मुख्य भूमिका निभाते हैं। आपको बता दें कि शाम को भी चने का सेवन किया जा सकता है। शाम के समय काले चने खाने वालों का वजन तेजी से कम होता है। साथ ही, आपको कई बीमारियों से बचाव होता है। काले चने में विटामिन और मिनरल्स पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें मौजूद प्रोटीन और फाइबर आपको हेल्दी बनाने और पेट संबंधी समस्याओं को कम करने में सहायक होते हैं। फाइबर की वजह से आपका पेट लंबे समय तक भरा हुआ रहता है। इससे आप बेवजह बाहर का खाना खाने से बच जाते हैं। वहीं रात को भी आप कम आहार का सेवन करते हैं। इससे आपके शरीर का मोटापा कंट्रोल होता है।शाम के समय काले चने खाने के फायदेप्रोटीन का मुख्य सोर्सकाले चने प्लांट बेस्ट प्रोटीन का मुख्य सोर्स होते हैं। प्रोटीन मांसपेशियों को रिपेयर करने और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में सहायक होता है। शाम के स्नैक्स में काले चने को शामिल करने से आप मांसपेशियों की कमजोरी को दूर कर सकते हैं।एनर्जी को बढ़ाएंकाले चने में कॉम्पलैक्स कार्बोहाइड्रेट होते है, जो शरीर को रेगूलर एनर्जी प्रदान करते हैं। कार्बोहाइड्रेट धीमी गति से पाचन होता है, जिससे ब्लड शुगर तेजी से नहीं बढ़ता है। ऐसे में एनर्जी लॉस से बचाव होता है। साथ ही, बॉडी में एनर्जी का लेवल बना रहता है।पाचन क्रिया में सहायककाले चने में फाइबर उच्चा मात्रा में होता है। यह फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर करता है। इसके साथ ही, फाइबर कब्ज की समस्या को कम करने में सक्रिय भूमिका निभाता है। शाम को काले चने खाने से आप जंक फूड से दूरी बना सकते हैं। ऐसे में आपको कब्ज की समस्या में आराम मिलता है, क्योंकि जंक फूड कब्ज को बढ़ा सकते हैं।ब्लड शुगर को करें नियंत्रितकाले चने में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, इससे यह ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित रखता है। ब्लड शुगर को कम करने और कंट्रोल करने के लिए आप शाम के समय काले चने का सेवन कर सकते हैं। यह डायबिटीज के अन्य जोखिम को भी कम करने में मददगार होता है।हार्ट हेल्थ के लिए आवश्यक-काले चने में मैग्नीशियम और पोटेशियम पाया जाता है। यह दोनों ही हार्ट हेल्थ के लिए आवश्यक होते हैं। मैग्नीशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। वहीं, पोटेशियम शरीर में सोडियम के स्तर को नियंत्रित करता है। ऐसे में जब आप शाम को काले चने का सेवन करते हैं, तो इससे हार्ट संबंधी समस्याओं का जोखिम कम होता है।इसके अलावा, काले में फोलेट और आयरन भी पाया जाता है। फोलेट गर्भावस्था में महिलाओं के लिए आवश्यक होता है। जबकि, आयरन महिलाओं में होने वाली खून की कमी को दूर करता है। जिन लोगों को अक्सर थकान व कमजोरी महसूस होती है, वह शाम के समय काले चने का सेवन कर सकते हैं।
- प्रोटीन, आयरन, मिनरल्स और विटामिन्स का खजाना दाल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। खासकर सर्दियों में कुछ दालों का सेवन किया जाए, यह शरीर को पर्याप्त गर्माहट देने में भी मदद करते हैं। इन्हीं दालों में से एक है उड़द की दाल। उड़द दाल में मैग्नीशियम, फाइबर, पोटेशियम और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो दिल की सेहत के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। आज इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं सर्दियों में उड़द की दाल खाने के 5 फायदों के बारे में।सर्दियों में उड़द की दाल खाने के फायदे -1. शरीर को रखता है गर्मसर्दियों में तापमान कम होने की वजह से शरीर को गर्म रखने की जरूरत होती है। ऐसे में डाइट में उड़द की दाल का सेवन फायदेमंद होता है। उड़द की दाल के पोषक तत्व शरीर को गर्म रखने में मदद करते हैं।2. शरीर का खून बढ़ाने में मददगारउड़द की दाल में आयरन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। आयरन शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में बहुत अहम भूमिका निभाता है। एक्सपर्ट का कहना है कि उड़द की दाल का सेवन करने शरीर में आयरन की कमी पूरी होती है और शरीर में खून की मात्रा भी बढ़ती है।3. हड्डियों को बनाता है मजबूतउड़द की दाल में कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो हड्डियों के लिए फायदेमंद होते हैं। प्रतिदिन 10 से 15 ग्राम उड़द की दाल का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं और उम्र के साथ होने वाली हड्डियों की समस्या से भी बचा जा सकता है।4. पाचन को बनाता है स्ट्रांगसर्दियों में जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं जैसे कि कब्ज, पेट में दर्द होती है उनके लिए भी उड़द की दाल काफी फायदेमंद साबित होती है। उड़द की दाल में फाइबर की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जो मल को मुलायम बनाती है और पाचन संबंधी परेशानियों से बचाती है।5. हार्ट को बनाए हेल्दीउड़द दाल में मैग्नीशियम, फाइबर, पोटेशियम और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो हार्ट को हेल्दी बनाए रखने में मदद करते हैं।
-
सर्दियों के मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कच्ची हल्दी का सेवन कारगर साबित हो सकता है। कच्ची हल्दी में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं, जिससे सर्दी और जुकाम जैसी बीमारियों का खतरा कई गुना कम हो सकता है। इस लेख से जानिए सर्दियों में कच्ची हल्दी खाने का तरीका और फायदे।
सर्दियों में कच्ची हल्दी का सेवन कैसे करें?1. दूध के साथ कच्ची हल्दी -दूध का सेवन शरीर के लिए फायदेमंद होता है। सर्दियों के मौसम में आप रात के समय दूध में कच्ची हल्दी को उबालकर पी सकते हैं। कच्ची हल्दी के साथ बना दूध पीने से सर्दी से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं और नींद अच्छी आती है। 1 कप दूध में आधा इंच कच्ची हल्दी का टुकड़ा कद्दूकस करके डालें और फिर उबाल आने के बाद छानकर गुनगुना ही पिएं। इस दूध को पीने से शरीर अंदर से गर्म होता है, जिससे ठंड का एहसास कम होता है।2. कच्ची हल्दी का काढ़ा -पोषक तत्वों से भरपूर कच्ची हल्दी के साथ तुलसी की पत्तियां मिलाकर काढ़ा तैयार किया जा सकता है। इस काढ़े का सेवन करने से सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है। काढ़ा बनाने के लिए आपको 1 कप पानी में 5 तुलसी की पत्तियां और 1 इंच कच्ची हल्दी का टुकड़ा डालकर उबालना होगा। इसके बाद इसे छानकर इसमें 1 चम्मच शहद मिला सकते हैं। काढ़े में शहद मिलाने से इसका स्वाद बढ़ जाता है। तुलसी और कच्ची हल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सर्दियों के मौसम में आपको हेल्दी रखने में मदद करेंगे।सर्दियों में कच्ची हल्दी का सेवन करने के फायदे1. हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एक पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर से रोगाणुओं (Germs) को खत्म करने में मदद करता है।2. कच्ची हल्दी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण भी होते हैं जो सर्दी-जुकाम से लड़ने में मदद कर सकते हैं।3. कच्ची हल्दी में एंटी-क्लॉटिंग गुण होते हैं, जो खून का थक्का नहीं बनने देते हैं, जिससे शरीर में ब्लड फ्लो बेहतर होता है।4. कच्ची हल्दी का सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल हो सकता है। इसके साथ ही हार्ट हेल्थ के लिए भी कच्ची हल्दी फायदेमंद होती है।हल्दी एक प्राकृतिक औषधि है जो सर्दी और जुकाम से बचाव में मदद कर सकती है। ध्यान रखें कि सही मात्रा में हल्दी का सेवन करने से ही इसके लाभ प्राप्त होंगे। - खाने की अनियमित आदतों के कारण पाचन क्रिया प्रभावित हो सकती है। पाचन क्रिया के प्रभावित होने पर लोगों को कब्ज, पेट में दर्द, गैस, एसिडिटी आदि की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। कुछ लोगों को दाल खाने के बाद गैस और एसिडिटी की समस्या होने लगती है। गैस की समस्या होने पर लोगों को बैचेनी होने लगती है। जिसकी वजह से उनका किसी भी काम में मन नहीं लगता है। इस समस्या को दूर करने के लिए आप कई घेरलू उपायों को अपना सकतो हैं। लेकिन, यदि आपको दाल खाने के बाद गैस की समस्या होती है, तो ऐसे में आप इसे बनाने के तरीके में बदलाव कर सकते हैं।गैस और एसिडिटी से बचने के लिए दाल बनाने का सही तरीका -यदि आपको दाल खाने के बाद गैस की समस्या हो रही है तो ऐसे में आप दाल को बनाने से पहले करीब एक घंटे पहले उसे भिगोना न भूलें। इसके अलावा, आप दाल को एक रात पहले करीब एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर के पानी में भिगोने के लिए रख सकते हैं।पोषण तत्वों का अवशोषण न होना पेट की समस्या का एक मुख्य कारण माना जाता है। दाल में नींबू मिलाने से उसको पचाना आसान होता है।दाल को बनाते समय आप उसमें हींग, जीरा, करी पत्ता व अदरक का तडक़ा लगाना न भूलें। यह सभी मसाले आपकी पाचन क्रिया को बेहतर करते हैं। इससे गैस और अपच की समस्या नहीं होती है।वैसे, तो इस रेसिपी से दाल बनाने के बाद आपको किसी तरह की समस्या नहीं होगी। लेकिन, यदि आपको इसके बाद भी गैस या एसिडिटी होती है, तो आप दाल को खिचड़ी, इडली या डोसे के साथ खा सकते हैं।दाल में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जो आपको एनर्जी प्रदान करने में सहायक होती है। इसके साथ ही, दाल मांसपेशियों के दर्द को दूर करने में मददगार होती है। दाल के सेवन से थकान व आलस को भी दूर किया जा सकता है। इससे आयरन की कमी को दूर किया जा सकता है। साथ ही, खून से होने वाली समस्याओं से बचा सकता है। ऐसे में आप दाल को अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।
- हम सभी रोज कई तरह से देसी घी का सेवन करते हैं। कई मिठाइयां और पकवान बनाने के लिए भी देसी घी का प्रयोग काफी किया जाता है। लेकिन अक्सर हम देखते हैं कि कुछ लोग भैंस के दूध से बने घी का सेवन करते हैं, तो वहीं कुछ गाय के दूध से बने देसी घी का। हालांकि, दोनों ही दूध से बने देसी घी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। लेकिन कुछ मामलों में देसी गाय का घी अधिक फायदेमंद माना जाता है। इसका सेवन करने से न सिर्फ शरीर को कई फायदे मिलते हैं, बल्कि यह कई रोगों से आपको दूर रखने में मदद करता है। गाय का घी हेल्दी फैट्स से भरपूर होता है। इसमें विटामिन ए, ई ब्यूटिरिक एसिड और कई जरूरी विटामिन और मिरल्स बहुत अच्छी मात्रा में होते हैं। नियमित गाय का घी खाने से पाचन को दुरुस्त, आंत को स्वस्थ रखने, आंखों की रोशनी बढ़ाने, त्वचा और बालों से जुड़ी कई समस्याओं से निजात पाने में मदद मिलती है।विभिन्न रोगों से बचने के लिए रोज ऐसे खाएं गाय का घीएक चम्मच देसी गाय का घी आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। हम नियमित रूप से बेहतर गुणवत्ता वाले देसी गाय के घी का उपयोग करने की सलाह देते हैं। सेहतमंद रहने और कई रोगों से बचने के लिए आप इस तरह गाय के घी को डाइट में शामिल कर सकते हैं....1. सही समय पर सेवन करें (दोपहर का भोजन या सोते समय)2. सही मात्रा में (5 मि.ली. - 10 मि.ली.)3. अपने शरीर के प्रकार के अनुसार सेवन करें (सभी का बॉडी टाइप अलग होता है)सेहतमंद रहने के लिए साथ इन समस्याओं को दूर करता है देसी घी-1. आंखों में सूखापन या ड्राई आई की समस्या2. रात में नींद न आने या अनिद्रा की समस्या3. योनि में सूखापन4. सेक्स की इच्छा में कमी5. त्वचा की चमक में सुधार होता है
- सर्दियों के मौसम में ठंडी हवाओं की वजह से बीमारियों का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। सर्दी में गीली खांसी हो तो गले से बलगम निकालकर अच्छा महसूस किया जा सकता है, लेकिन खांसी सूखी हो जाए तो यह जी का जंजाल बन जाती है। सूखी खांसी की वजह से कई बार गले और सीने में भी दर्द की समस्या भी होती है। सर्दी के मौसम में अगर आप भी सूखी खांसी की समस्या से जूझ रहे हैं तो ये नुस्खे आजमा सकते हैं।घूंटघूंट करके पानी पिएंसूखी खांसी में घूंटघूंट कर पानी पीना सही रहता है। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी पीने से गला गीला रहता है, जिससे खराश नहीं होती है और खांसी से भी राहत मिलती है। सर्दियों के मौसम में जो लोग कम पानी पीते हैं उन्हें डिहाइड्रेशन की समस्या होती है। ऐसे में घूंट घूंटकर पानी पिया जाए तो शरीर हाइड्रेट रहता है।कफ ड्रॉप और कैंडीखी खांसी की वजह से जिन लोगों को गले में खराश, गले में दर्द या किसी तरह का इंफेक्शन होता है उनके लिए कफ ड्राप या कैंडी एक अच्छा ऑप्शन है। दिन में 1 से 2 कफ कैंडी चूसने से गला साफ रखने में मदद मिलती है।भांप लेनाशुष्क हवा से सूखी खांसी की दिक्कत को ठीक करने के लिए भांप लेना एक अच्छा विकल्प है। भांप लेने के लिए आप गर्म पानी में थोड़ा सा पिपरमिंट ऑयल, सरसों का तेल या फिर कोई बाम डाल सकते हैं। आप चाहें तो अपने कमरे में ह्यूमिडिफायर लगाकर भी गले की खराश और सूखी खांसी से राहत पा सकते हैं।शहदसूखी खांसी को कम करने के लिए एक चम्मच शहद का सेवन भी किया जा सकता है। शहद गले को गर्माहट देता और सूखी खांसी से आराम दिलाने में मदद करता है। ध्यान रहे कि अगर आपका बच्चा 1 साल से कम उम्र का है तो उसे शहद न दें।
- खूबसूरत और ग्लोइंग स्किन हर व्यक्ति को पसंद होती है। लेकिन कुछ लोगों को मनचाही स्किन नहीं मिल पाती है। कोई मुंहासों, तो कोई दाग-धब्बों से परेशान रहता है। ऐसे में लोग मनचाही स्किन पाने के लिए तरह-तरह के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं।आप चाहें तो स्किन पर ग्लो लाने के लिए चावल के पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं।त्वचा के लिए चावल के पानी के फायदे-अगर आप चेहरे पर चावल का पानी लगाएंगे, तो इससे बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।-चावल का पानी त्वचा को जवां बनाए रखने में मदद करता है। चावल का पानी चेहरे की झुर्रियों और फाइन लाइंस को कम करने में मदद करते हैं।-चावल का पानी दाग-धब्बों को भी कम करने में मदद करता है। इससे चेहरे की डार्कनेस कम होती है।-अगर आप चेहरे पर चावल का पानी लगाएंगे, तो इससे मुंहासों और पिंपल्स से छुटकारा मिलता है।-चावल के पानी से चेहरे की चमक भी बढ़ती है। चावल का पानी चेहरे की त्वचा को मुलायम और चमकदार बनाता है।चेहरे पर चावल का पानी कैसे लगाएं?चेहरे पर चावल का पानी आप फेस वॉश या फेस पैक के रूप में लगा सकते हैं। इसके लिए आप चावल का पानी लें। इसे चेहरे पर लगाएं और फिर 30 मिनट के लिए साफ कर लें। इससे त्वचा की कोशिकाओं को पोषण मिलता है। इससे चेहरा साफ होता है। साथ ही, मुंहासों और झुर्रियों से भी छुटकारा मिलता है। चेहरे पर चावल का पानी लगाने से दाग-धब्बे पूरी तरह से मिट जाते हैं और त्वचा की चमक बढ़ती है।चावल का पानी सभी स्किन टाइप के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन अगर आपकी सेंसिटिव स्किन है, तो पहले पैच टेस्ट जरूर करें।
- सर्दियों के मौसम को सब्जियों का मौसम कहा जाए तो गलत नहीं होगा। सर्दियों में पालक, मटर, गोभी, गाजर, चुकंदर और कई तरह के साग मिलते हैं। ये सब्जियां न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि सेहत को भी दुरुस्त रखती हैं। यही वजह है कि भारतीय घरों में आज भी ठंड के मौसम में हरी सब्जियों से कई तरह के पकवान बनाए और खाए जाते हैं। अब सब्जियों से बनने वाली ट्रेडिशनल रेसिपी तो आप सबने खाई होगी। यह स्वादिष्ट तो होती है, लेकिन बनाने में थोड़ी ट्रिकी होती है। सही मसाले, सब्जियां को पकाने का समय सही न हो तो इसका स्वाद निखर कर नहीं आता है। अगर आप भी मेरी ही तरह ट्रेडिशनल सब्जियां पकाने में कच्चे हैं तो इस बार सर्दियों में ढेर सारी हरी सब्जियों से वेजिटेबल स्टू ट्राई कर सकते हैं।वेजिटेबल स्टू न सिर्फ स्वाद में लजीज होता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं वेजिटेबल स्टू की रेसिपी और इसके फायदे।वेजिटेबल स्टू बनाने के लिए सामग्रीहरी सब्जियां - 2 बड़े बाउल (गाजर, आलू, प्याज, टमाटर, बेल पेपर, अजवाइन, मटर, मशरूम, स्क्वैश, तोरी, पालक)प्याज- 1 बड़ा (बारीक कटा हुआ)हरी मिर्च- 1 छोटीनारियल या सरसों का तेल - 2 चम्मचनारियल का दूध- आधा कपकरी पत्ते- 1 चम्मचअदरक - 1 चम्मच (बारीक कटा हुआ)दाल चीनी - 1 बड़ा पीसलौंग - 3 से 4 पीसतेजपत्ता- 1 पीससौंफ - 1 बड़ा चम्मचवेजिटेबल स्टू बनाने की विधि-सबसे पहले हरी सब्जियां गाजर, आलू, प्याज, टमाटर, बेल पेपर, अजवाइन, मटर, मशरूम, स्क्वैश, तोरी, पालक को पानी से धोकर क्लीन कर लें।- इसके बाद एक कुकर में हरी सब्जियां और 2 गिलास पानी डालकर 2 सीटी आने तक प्रेशर कुक करें।- जब तक सब्जियां प्रेशर कुक हो रही हैं तब तक एक पैन में सरसों या नारियल का तेल गर्म कर लें।-पैन का तेल गर्म होने के बाद इसमें करी पत्ता, दालचीनी, लौंग, तेजपत्ता और सौंफ को हल्का भून लें।-प्रेशर कुक की हुई सब्जियों में से पानी निकाल कर पैन में डालें। इसके बाद पैन में नारियल का दूध डालकर ढक्कन बंद करके धीमी आंच पर पकने दें।-अपने वेजिटेबल स्टू को 10 से 15 मिनट तक धीमी आंच पर गाढ़ा होने तक पकाए।-जब आपका स्टू सही तरीके से पक जाए तो इसमें स्वादानुसार नमक और काली मिर्च का पाउडर डालकर गर्मागर्म सर्व करें।वेजिटेबल स्टू से सेहत को मिलने वाले फायदेवेजिटेबल स्टू को बनाने के लिए कई तरह की सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है। इन सब्जियों में विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो सर्दियों में शरीर को एनर्जी देने का काम करते हैं। स्टू में पाई जाने सब्जियां, जैसे गाजर, टमाटर और पत्तेदार साग, पोटेशियम और एंटीऑक्सीडेंट जैसी सब्जियां हार्ट को हेल्दी बनाए रखने में मदद करती हैं। कई तरह की हरी सब्जियों का इस्तेमाल होने की वजह से वेजिटेबल स्टू में फाइबर की मात्रा प्रचुर होती है। फाइबर पाचन को दुरुस्त कर मल को मुलायम बनाता है। जिससे कब्ज और पेट के दर्द की समस्या नहीं होती है।एक्सपर्ट के मुताबिक वेजिटेबल स्टू वेटलॉस में भी मददगार है। एक बड़ा बाउल वेजिटेबल सूप पीने से पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है, जिससे भूख कंट्रोल रहती है।
- भारतीय घरों में दाल -चावल अकसर ही खाया जाता है। दाल -चावल को काफी हेल्दी खाना माना जाता है। आइए जानते हैं दाल चावल खाने के फायदे-पाचन में होगा सुधारदाल-चावल हल्का भोजन होता है। इससे शरीर आसानी से पचा लेता है। अगर आप नियमित रूप से दाल चावल का सेवन करेंगे, तो इससे आपके पाचन में भी सुधार होगा। दाल-चावल खाने से पाचन से जुड़ी समस्याओं में भी आराम मिलता है।प्रोटीन प्राप्त होता हैदाल प्रोटीन का अच्छा सोर्स होता है। नियमित रूप से दाल-चावल खाने से आपको पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन की पूर्ति होती है। इसलिए आपको अपनी डाइट में दाल चावल जरूर शामिल करना चाहिए।वेट कंट्रोल करेदाल-चावल हल्का भोजन होता है। अगर आप दाल-चावल का सेवन करेंगे, तो इससे वजन भी कंट्रोल में रहेगा। दरअसल, यह भोजन आसानी से पच जाता है और कैलोरी को भी कंट्रोल रहता है। हालांकि, आपको अधिक मात्रा में चावल का सेवन करने से बचना चाहिए।दाल-चावल खाने का सही तरीकादाल-चावल एक हेल्दी भोजन है। अगर आपको दाल-चावल पसंद है, तो आप अपनी डाइट में इसे शामिल कर सकते हैं। अगर आप दाल चावल में घी मिलाकर खाएंगे, तो इससे आपको सभी पोषक तत्व आसानी से मिल जाएंगे। यह एक बैलेंस डाइट बन जाता है, जिससे शरीर को विटामन, मिनरल्स पर्याप्त मिल जाते हैं।
- कुछ लोगों की खाना खाने के बाद पेट में भारीपन लगने लगता है। दरअसल, जिन लोगों की पाचन क्रिया कमजोर होती है उनको पेट में गैस, अपच, भारीपन और एसिडिटी की समस्या हो सकती है। पाचन संबंधी समस्याओं को दूर रने के लिए आप घरेलू उपायों की मदद ले सकते हैं। घर में रखें मसालों का उपयोग पेट की समस्याओं को दूर करने के लिए सालों से किया जा रहा है। लौंग की चाय (Clove Tea Benefits) पेट के भारीपन, गैस, एसिडिटी और कब्ज की समस्या (Constipation) को दूर करने में मददगार होती है। आप खाना खाने के बाद इस चाय का सेवन कर सकते हैं। इससे पाचन क्रिया (Digestion) बेहतर होती है और पेट के दर्द में भी आराम मिलता है।पाचन सहायतालौंग की चाय से पाचन क्रिया को ठीक किया जा सकता है। लौंग में यूजेनॉल सहित सक्रिय यौगिक, पाचन एंजाइमों को रिलीज करने में सहायक होते हैं। इससे पाचन को बढ़ावा मिलता है। लौंग की चाय को आप खाना खाने के करीब 20 से 25 मिनट बाद पी सकते हैं। इससे भोजन में मौजूद विटामिन और मिनरल्स का अवशोषण भी बेहतर ढंग से हो पाता है।गैस और सूजन को कम करने में सहायकज्यादा खाना खा लेने या बाहर का खाना खाने के बाद अधिकतर लोगों को गैस और एसिडिटी की समस्या हो सकती है। लौंग में वातनाशक गुण होते हैं, जो आपके पाचन तंत्र से गैस को बाहर निकालने में सहायक होते हैं। लौंग की चाय के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को शांत करने में सहायक होते हैं, इससे आपको गैस से जुड़ी परेशानियों में राहत मिलती है।एंटीऑक्सीडेंट से भरपूरएंटीऑक्सिडेंट शरीर के फ्री रेडिकल्स को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। फ्री रेडिकल्स शरीर के ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को दूर करने और कोशिकाओं को नष्ट करने में सहायक होते हैं। लौंग की चाय में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट बाहर के खाने की वजह से पेट के भारीपन को दूर करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही, यह संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी होते हैं।पेट के भारीपन को दूर करने के लिए लौंग का चाय कैसे बनाएं --पेट के भारीपन को दूर करने के लिए आप लौंग की चाय बनाने के लिए करीब 2 लौंग लें। इन लौंग को कूट लें।-इसके बाद एक पैन में करीब डेढ़ कप पानी को गर्म करें।-जब पानी हल्का गर्म हो तो इसमें लौंग को मिला दें।-इसके बाद जब पानी करीब एक कप रह जाए तो आप गैस को बंद कर दें।-इसे छानकर एक कप में रखें और इसमें अपनी स्वादानुसार शहद मिलाएं। इस चाय को धीरे-धीरे पिएं।कुछ ही देर में आपका पेट हल्का हो जाएगा। बेहतर परिणाम के लिए आप इस उपाय को खाली पेट भी अपना सकते हैं।