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फिच ने चालू वित्त वर्ष के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.3 प्रतिशत पर कायम रखा

नयी दिल्ली.  साख निर्धारित करने वाली एजेंसी फिच रेटिंग्स ने बृहस्पतिवार को चालू वित्त वर्ष (2023-24) के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.3 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। उसने कहा कि कड़ी मौद्रिक नीति और निर्यात में कमी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। हालांकि, रेटिंग एजेंसी ने अल नीनो की आशंका के कारण मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाया है।
उल्लेखनीय है कि सेवा क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही है। फिच ने कहा, ‘‘कड़ी मौद्रिक नीति और निर्यात में कमी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। देश की आर्थिक वृद्धि दर क्षेत्र के अन्य देशों के मुकाबले कहीं बेहतर है।'' रेटिंग एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिये आर्थिक वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष के लिये 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। फिच ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की अद्यतन रिपोर्ट में हालांकि कहा कि निर्यात, बिजली खपत, माल ढुलाई जैसे आंकड़े संकेत दे रहे हैं कि जुलाई-सितंबर तिमाही में वृद्धि दर नरम रह सकती है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में वृद्धि दर धीमी पड़ने की आशंका है। इसका कारण यह है कि निर्यात लगातार कमजोर हो रहा है, ऋण वृद्धि स्थिर है और भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम द्विमासिक उपभोक्ता भरोसा सर्वेक्षण से पता चलता है कि उपभोक्ताओं में आय तथा रोजगार की संभावनाओं को लेकर कुछ निराशाजनक धारणा बन रही है। मुद्रास्फीति के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई खासकर खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति में अस्थायी तौर पर जो वृद्धि हुई है, उससे आने वाले महीनों में सोच-विचाकर कर किए जाने वाले उपभोक्ता खर्च पर अंकुश लग सकता है। इसमें कहा गया है, ‘‘उपभोक्ताओं पर मुद्रास्फीति का प्रभाव अस्थायी हो सकता है लकिन अन्य बुनियादी चीजें अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं।'' फिच ने कहा, ‘‘भारत वैश्विक आर्थिक नरमी से अछूता नहीं रहेगा और घरेलू अर्थव्यवस्था पिछले वर्ष आरबीआई के नीतिगत दर में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि के प्रभाव से प्रभावित होगी। वहीं कमजोर मानसून आरबीआई के मुद्रास्फीति नियंत्रण को जटिल बना सकता है।'' रेटिंग एजेंसी ने अल नीनो प्रभाव का हवाला देते हुए 2023 के अंत तक खुदरा मुद्रास्फीति 5.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो पूर्व में जताये गये पांच प्रतिशत के अनुमान से ज्यादा है।

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