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 धान की अधिक पैदावार के लिए किसान उर्वरकों के साथ लिक्विड नैनो यूरिया का करें उपयोग
0-  कृषि विभाग ने किसानों को समसामयिक सलाह दी
0- समय पर बीज भंडारण होने से राजनांदगांव जिले में 1 लाख 54 हजार 494 हेक्टेर में धान की बुवाई संपन्न
राजनांदगांव । कृषि विभाग द्वारा किसानों को धान की अधिक पैदावार के लिए उर्वरकों के साथ लिक्विड यूरिया का उपयोग करने की सलाह दी गई है। किसान धान के कंशे बनने की अवस्था में यूरिया की बोरी का उपयोग न करते हुए तरल रूप में उपलब्ध नैनो यूरिया का एक बॉटल का उपयोग प्रभावी रूप से पत्तियों पर कर सकते है, जो बोरी यूरिया वाले यूरिया से ज्यादा कारगर व पौधों की पत्तियों में सीधा चिपकर नत्रजन की पूर्ति करता है। इससे पौधों के 80 प्रतिशत तक उपयोग क्षमता में बढ़ोतरी होती है। नैनो यूरिया के छिड़काव के लिए 1 लीटर पानी में 2-4 मि. लीटर नैनो यूरिया (4 प्रतिशत नत्रजन) मिलाएं और फसल में सक्रिय विकास के चरणों में पत्तियों पर छिड़काव करें। सामान्य तौर पर एक एकड़ क्षेत्र में नेमसेक स्प्रेयर, बूम या पॉवर स्प्रेयर अथवा ड्रोन सहित अन्य माध्यम से छिड़काव करने के लिए 500 एमएल मात्रा पर्याप्त होती है। सर्वोत्तम परिणाम के लिए 2 पत्तेदार छिड़काव करें। पहला छिड़काव सक्रिय टिलरिंग व ब्रांचिंग अवस्था में अंकुरण के 30-35 दिन बाद या रोपाई के 20-25 दिन बाद एवं दूसरा छिड़काव पहले के 20-25 दिन बाद या फसल में फूल पहले।
जिले में खरीफ धान की बुवाई मानसून के आगमन के साथ ही शुरू हो गई है। खेत की तैयारी के साथ-साथ समय पर बीज भंडारण होने से किसानों द्वारा इसका उठाव कर जिले में अब तक 1 लाख 54 हजार 494 हेक्टेर में धान की बुवाई का कार्य सम्पन्न हो चुका है। शासन द्वारा लगातार यूरिया, डीएपी एवं पोटाश की मांग अनुसार भंडारण समितियों में किया जा रहा है। जिले में अब तक सहकारी समितियों में 35538 मीट्रिक टन खाद भंडारण कर 32717 मीट्रिक टन खाद का वितरण किसानों को किया जा चुका है। इसके साथ ही जिले में लगातार यूरिया, डीएपी की रेक लग रही है, जिसे तत्काल सभी समितियों में भंडारण कराया जा रहा है। धान की खेती में मुख्यत: तीन प्रकार के पोषक तत्व नाईट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश का उपयोग बीज बुवाई से लेकर कंशे से लेकर गभोट अवस्था तक किया जाता है।
प्रथम नत्रजन जिसका कार्य जड़ तना तथा पत्ती की वृद्धि एवं विकास में सहायता करना, बीज और फलों का विकास तथा पुष्पन व जड़ों के विकास में वृद्धि करना है। सामान्य तौर पर शीघ्र पकने वाली धान की किस्मों में 24 किलो ग्राम नत्रजन, 24 किलो ग्राम फास्फोरस तथा 24 किलो ग्राम पोटाश की मात्रा का उपयोग किया जाता है, जिसके लिए एक बोरी यूरिया, एक बोरी डीएपी या तीन बोरी एसएसपी व आधा बोरी पोटाश का उपयोग किया जाना चाहिए। धान के खेत की तैयारी करने के बाद कंशे निकलने तक किसी भी प्रकार के खाद का उपयोग नहीं करना चाहिए, जब फसल 45-50 दिन के बाद धान में कंशे फुटने लगे तक 24 किलोग्राम नत्रजन जिसके लिए एक बोरी यूरिया पुन: पत्तियों पर छिड़काव करना चाहिए। इसी प्रकार मध्यम अवधि में पकने वाले धान किस्मों में तैयारी के समय 30 किलो ग्राम नत्रजन, 24 किलो ग्राम फास्फोरस तथा 24 किलो ग्राम पोटाश का उपयोग करना चाहिए। जिसके लिए 2 बोरी यूरिया, 1 बोरी डीएपी या 2 बोरी एसएसपी या आधा बोरी पोटाश का उपयोग करना चाहिए। जब धान 45-50 दिन हो जाये तभी 30 किलोग्राम नत्रजन का उपयोग किया जाना चाहिए।
 

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