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 शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए ?
 शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए ये तो बहुत लोग जानते हैं किन्तु कुछ ऐसी वस्तुएं भी हैं जिसे भगवान शिव को अर्पण करने को शास्त्रों में मना किया गया है। आइये ऐसी ही कुछ वस्तुओं के विषय में जानते हैं। 
हल्दी: भगवान शिव को हल्दी नहीं चढ़ती है क्यूंकि इसका सम्बन्ध भगवान विष्णु से है। विष्णु-लक्ष्मी को हल्दी चढाने का विधान है क्यूंकि नारायण को हल्दी या पीली वस्तुएं बड़ी पसंद हैं। यही कारण है कि उन्हें पीतांबर कहा गया है। इसके अतिरिक्त चूँकि हल्दी का सम्बन्ध रसोईघर से है इसीलिए भी ये महादेव को नहीं चढ़ाई जाती।
चंपा और केवड़े का फूल: इन दोनों फूलों को महादेव पर नहीं चढ़ाया जाता। इन दोनों की गंध अत्यंत तेज होती है। इसके अतिरिक्त दोनों से, विशेषकर केवड़े के फूल से इत्र बनाया जाता है जो सांसारिक अथवा भौतिक वस्तुओं का द्योतक है। महादेव भैतिक वस्तुओं से परे हैं इसीलिए ये दोनों फूल उनके लिए वर्जित है।
शंख और तुलसी: महादेव को शंख और तुलसी भी अर्पित नहीं की जाती क्यूंकि भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक राक्षस का वध किया था। उसे ही कई जगह जालंधर के नाम से जाना जाता है। वृंदा इसी शंखचूड़ की पत्नी थी और उसे वरदान था कि जब तक उसका पतिव्रत अखंड रहेगा तब तक उसके पति को कोई मार नहीं सकेगा। इसी कारण युद्ध में महादेव शंखचूड़ का वध नहीं कर रहे थे ताकि वरदान का अपमान ना हो। तब उनकी प्रेरणा से भगवान विष्णु ने शंखचूड़ का वेश लेकर वृंदा का पतिव्रत भंग कर दिया और तब महादेव ने शंखचूड़ का वध कर दिया। जब वृंदा को इसका पता चला तो उन्होंने नारायण को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया और स्वयं भस्म हो गयी। उनके भस्म से ही तुलसी की उत्पत्ति हुई और नारायण श्राप के कारण शालिग्राम के रूप में जन्मे। तब से शंख और तुलसी महादेव स्वीकार नहीं करते।
नारियल: इसे श्रीफल कहते हैं, अर्थात देवी लक्ष्मी का फल। देवी लक्ष्मी का सम्बन्ध भगवान विष्णु से है इसी कारण महादेव को नारियल या नारियल का पानी नहीं चढ़ाया जाता।
तिल: ऐसी मान्यता है कि तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के मैल से हुई थी। यही कारण है कि इसे भगवान शिव पर नहीं चढ़ाया जाता।
खंडित चावल: इसे किसी भी देवता को नहीं चढ़ाना चाहिए। पूजा में चढ़ने वाले चावल को "अक्षत" कहते हैं, अर्थात जिसकी कोई क्षति ना हुई हो। खंडित अथवा क्षत चावल इसी कारण महादेव या किसी अन्य देवता को नहीं चढ़ाया जाता है।
खंडित बेलपत्र: बेलपत्र महादेव को अत्यंत प्रिय है किन्तु बेलपत्र केवल तीन की संख्या में महादेव को समर्पित किया जाना चाहिए। उसे तोड़ कर एक अथवा दो बेलपत्र भगवान शिव को अर्पण नहीं किया जाता है।
लाल वस्त्र: भगवान शिव को लाल वस्त्र भी अर्पण नहीं किया जाता क्यूंकि ये माता पार्वती को प्रिय नहीं है। ये कथा कुमकुम से भी सम्बंधित है क्यूंकि दोनों का रंग लाल होता है।
कुमकुम: ये भी माता पार्वती को प्रिय नहीं क्यूंकि ऐसी कथा आती है कि एक बार कुमकुम चढाने के कारण माता को रक्त का भ्रम हो गया था। इस विषय में विस्तार पूर्वक पढ़ने के लिए यहाँ जाएँ।  
उबला दूध: अक्षत की ही भांति उबला दूध ना केवल महादेव को बल्कि किसी और देवता को नहीं चढ़ाना चाहिए। भगवान शिव को गाय का ताजा दूध ही अर्पित करना चाहिए। अगर गाय का दूध उपलब्ध ना हो तो भी बाजार से खरीदे गए दूध को बिना उबले भगवान शिव पर चढ़ाना चाहिए। दूध को उबलने पर वो जूठा माना जाता है और इसीलिए भगवान शिव पर नहीं चढ़ाया जाता।
लौह पात्र से जल: भगवान शिव को केवल कांसे या ताम्बे के पात्र से जल चढ़ाया जाता है। लौह पात्र उनके लिए वर्जित है। कई जगह उन्हें लौह के साथ-साथ उन्हें स्वर्ण और रजत पात्र से भी जल चढाने से मना किया जाता है क्यूंकि महादेव ने त्रिपुर, जो क्रमशः स्वर्ण, रजत और लौह से बने थे, का संहार किया था और त्रिपुरारि कहलाये।  
केतकी का फूल: ये पुष्प महादेव को प्रिय नहीं क्यूंकि इसने महादेव से असत्य कहा था। ये कथा भगवान ब्रह्मा और विष्णु के प्रतियोगिता की है।  

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