बंपर उत्पादन के बाद सरकार ने कच्चे जूट के लिए न्यूनतम मूल्य तय किया
कोलकाता। गोल्डन फाइबर' की बंपर फसल के कारण किसानों को नुकसान होने की खबरें आने के बाद सरकार ने गुरुवार को जूट के लिए न्यूनतम मूल्य तय कर दिया है। एक अधिसूचना में जूट आयुक्त ने कहा कि खेत के स्तर पर न्यूनतम कीमत 5,050 रुपये प्रति क्विंटल और कोलकाता में डिलिवरी के लिए 5,500 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है। बाजार सूत्रों ने कहा कि यह एक अच्छा कदम है, क्योंकि सबसे अधिक कारोबार वाली किस्म टीडी5 की औसत कच्चे जूट की कीमतें बुधवार को 4,100 रुपये तक गिर गई थी। जूट आयुक्त मलय चंद्र चक्रवर्ती ने कहा कि सभी प्रकार के जूट की न्यूनतम कीमत 31 अक्टूबर तक या कच्चे जूट के किसी भी व्यापार के लिए अगले आदेश तक लागू रहेगी। उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी खरीदार या विक्रेता इस आदेश में निर्दिष्ट दरों के अलावा अन्य पर लेनदेन करने का हकदार नहीं होगा।'' जूट किसानों ने हाल ही में नादिया, मुर्शिदाबाद, उत्तर दिनाजपुर, उत्तर 24-परगना और हुगली जिलों में अपनी उपज के लिए बेहतर कीमतों और एमएसपी में वृद्धि की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था। उन्होंने सड़कों को अवरुद्ध कर दिया था और जूट की गांठों में आग लगा दी थी। पश्चिम बंगाल में लगभग पांच-छह लाख लोग जूट की खेती में लगे हुए हैं।
जब किसान भारतीय जूट निगम के संग्रह केंद्रों पर अपनी उपज बेच सकते हैं, ऐसे में जून की न्यूनतम कीमत तय करने की जरूरत पर चक्रवर्ती ने कहा कि ऐसे केंद्रों के माध्यम से पूरी खेतिहरों की आबादी को कवर करना हमेशा संभव नहीं होता है। जूट आयुक्त ने कहा, ‘‘इसलिए, यह आदेश किसानों और जूट के सामान निर्माताओं दोनों को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करने के लिए जारी किया गया है।'' जेसीआई के प्रबंध निदेशक अजय कुमार जॉली ने कहा कि वह जूट आयुक्त के कदम का स्वागत करते हैं क्योंकि इससे जूट बाजार की स्थिति में सुधार होगा और किसानों को राहत मिलेगी। भारतीय जूट निर्माता संघ के पूर्व अध्यक्ष और कई जूट मिलों के मालिक संजय कजारिया ने इस हस्तक्षेप का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कई दशक में यह पहली बार है कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया गया है। कजारिया ने कहा कि सरकार द्वारा जूट बैग की खरीद अधिक होनी चाहिए क्योंकि यह पिछले साल की तुलना में अब 20-30 प्रतिशत कम है।
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