पाटजात्रा विधान के साथ बस्तर दशहरे की शुरूआत
*इस वर्ष 75 के बजाए 107 दिनों तक बनाया जाएगा विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा*
जगदलपुर। 75 दिवसीय विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की शुरूआत आज श्रावण अमावश्या को पाटजात्रा विधान के साथ हुआ। पाटजात्रा विधान जगदलपुर स्थित मां दन्तेश्वरी मंदिर के सामने अदा की गई। इस रस्म में बस्तर जिले के ग्राम बिलोरी के जंगल के लाये गए साल वृक्ष के लकड़ी का विधि-विधान पूर्वक पूजा अर्चना की गई। साल के जिस लकड़ी की आज पूजा की गई उसे स्थानीय भाषा में ''ठुरलू खोटल" कहा जाता है। बस्तर दशहरा समिति के जुड़े दन्तेवाड़ा परगना के प्रेमलाल मांझी ने बताया कि इस ठुरलू खोटला का उपयोग बस्तर दशहरा के लिए बनने वाली विशालकाय दोमंजिला रथ के एक्सल बनाने हेतु उपयोग में लाया जाता है। पाटजात्रा विधान के साथ ही बस्तर दशहरा हेतु रथ बनाने के लिए जंगल से लकड़ी लाने का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है। पाटजात्रा विधान में विधि-विधान पूजा अर्चना के साथ मोंगरी मछली एवं एक बकरे की बलि दी गई।
गौरतलब हो कि 75 दिनों तक चलने वाली विश्वप्रसिद्ध बस्तर दशहरा, इस वर्ष श्रावण महिना दो माह पडऩे के कारण 107 दिनों तक मनाई जाएगी।
इस अवसर पर उपस्थित बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल ने कहा कि प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी बस्तर की अराध्य देवी मां दन्तेश्वरी के प्रांगण में परम्परागत बस्तर की संस्कृति के अनुरूप आज हरेली अमावश्या के अवसर पर बस्तर दशहरा पर्व की शुरूआज पाटजात्रा विधान के साथ हुआ है। पाटजात्रा में पूरे विधि-विधान के साथ हमारे कुल देवी-देवताओं सहित पूरे बस्तर के देवी देवताओं एवं मां दन्तेश्वरी का आह्वान करते हुए सभी पुजारी, मुखिया, मेम्बर, मेम्बरीन, मांझी, चालकी, नाईक, पाईक एवं जिला प्रशासन सहित बस्तर दशहरा से जुड़े अन्य लोगों की उपस्थिति में पाटजात्रा पूजा विधान सम्पन्न हुआ।
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