आप सुधरे तो परिवार सुधरेगा और फिर समाज
0- महाराष्ट्र मंडल में जारी 90वें सालगिरह पर मराठी सोहला के अंतर्गत सर्व समाज की संगोष्ठी में दर्जनभर समाजों के प्रतिनिधि हुए शामिल
रायपुर। बच्चों और युवाओं को सुधारने के लिए हम ज्ञान की बहुत सी बातें कर रहे हैं, लेकिन वास्तव में हम खुद ही नहीं सुधर रहे हैं। याद रखिये, जिस दिन हम सुधर गए, उस दिन हमारा परिवार सुधर जाएगा। परिवार सुधर गया, तो समाज सुधर जाएगा। इस तरह हमारा देश अपने आप ही सुधर जाएगा। इस आशय के संयुक्त विचार सर्व समाज के प्रतिनिधियों से मिले। महाराष्ट्र मंडल की 90वीं सालगिरह पर आयोजित तीन दिवसीय मराठी सोहळा (मेला) के पहले दिन सर्व समाज की संगोष्ठी में दर्जनभर समाजों की प्रतिनिधियों ने अपनी शानदार वैचारिक उपस्थित दर्ज की।
छत्तीसगढ ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि लोग नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण धैर्य खोते जा रहे हैं। ऐसे में जरूरी है कि समाज में, आमजनों के बीच नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। अखिल भारतीय कायस्थ समाज के कोषाध्यक्ष मनोज खरे ने कहा कि समस्या हम में ही हैं। हम ही हैं जो बच्चों को संभाल नहीं पा रहे हैं। जातियों में बंटे सनातन समाज को एक करने की जरूरत है। तभी हमारी बातें और समस्या पर सरकार को भी विचार करना पड़ेगा।
सेवा समिति व सामाजिक कल्याण समिति के अध्यक्ष सी नागेश्वर राव के अनुसार युवाओं को समाज से जोड़ने का लगातार प्रयास होना चाहिए। समाज में अपने लिए यदि अगली पीढ़ी तैयार नहीं करेंगे, तो फिर भविष्य पर विचार ही नहीं किया जा सकता। सर्व मंडल फाउंडेशन की अध्यक्ष अनिता दुबे कहतीं हैं कि बच्चों को घर से ही संस्कार, शिक्षा सिखाना होगा। बच्चों व युवाओं में सहनशीलता की कमी को देखते हुए उन्हें योग, ध्यान और विपश्यना से जोड़ना चाहिए। इसी तरह युवतियों को भी संस्कारिक करने की जरूरत है।
कायस्थ समाज पुरानी बस्ती के विट्ठल श्रीवास्तव ने कहा कि आज बच्चे भटक रहे हैं। यदि वे आरएसएस से जुड़ेगे, तो उनकी रीढ़ की हड्डी मजबूत होगी। बहुत कुछ सीखेंगे और नशे से स्वयं ही दूर होंगे। बच्चों को अभावग्रस्त लोगों की मदद करना सिखाइए। ब्राह्मण समाज के सुनील कुमार गौतम कहते हैं कि हमें अपने परिवार व समाज में ऐसा वातावरण बनाने की जरूरत है, जहां कोई दो साल के बच्चे के हाथ में मोबाइल देकर अपनी जिम्मेदारी को पूरा न मान ले। शुरू से ही बच्चे संस्कारी रहेंगे तो बड़े होने के बाद उन्हें संभालने की अलग से जरूरत नहीं पड़ेगी।
प्रदेश धोबी रजक समाज के अध्यक्ष शेखर चौधरी ने कहा कि महाराष्ट्र मंडल के पास 90 सालों से समाजसेवा का लंबा अनुभव है। हम सब मंडल के मंच पर ही आकर काम करें और अपनी समस्याएं साझा करें। इससे न केवल समस्याओं का आसान समाधान निकाला जा सकेगा और अपनी बातों को सरकार के समक्ष प्रभावशाली तरीके से रखा भी जा सकेगा। नशा हमारे मस्तिष्क में विचार की तरह है। हमें मस्तिष्क को शुद्ध करने की जरूरत है। इसके लिए हम सभी को एक साथ, एक समय एक बार गीता का पाठ जरूर करना चाहिए। हमें इसके सामूहिक पाठ की व्यवस्था करनी चाहिए।
छत्तीसगढ़ प्रगतिशील यादव समाज के कार्यकारी अध्यक्ष अरुणा यादव के मुताबिक घर में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका मां की होती है और उन्हें बच्चों को छोटी- छोटी बातें घर में ही बताने के संस्कार देने चाहिए। इससे समस्या विकराल हो, इससे पहले ही उसका समाधान निकाल लिया जाएगा। शादी के बाद यदि महिलाएं अपनी विवाहित बेटी के घरों में मोबाइल के माध्यम से दखल देना बंद कर दें तो ज्यादातर दाम्पत्य जीवन बिखरने से बच जाएंगे। कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज, आशीर्वाद भवन के महासचिव सुरेश मिश्र ने कहा कि समाज शब्द ही परिवार से आया है। प्रत्येक सदस्य ठीक, तो परिवार ठीक, परिवार ठीक है तो समाज ठीक। हर एक सदस्य अपनी नैतिक जिम्मेदारी को समझे तो न परिवार में समस्या आएगी और न ही समाज में।
कार्यक्रम के संयोजक और बृहन्महाराष्ट्र मंडल के छत्तीसगढ कार्यवाह सुबोध टोले ने बताया कि उनके घर में न तो वाई- फाई है और न ही घर में कोई भी सदस्य मोबाइल का उपयोग करता है। हमारे लिए मोबाइल सिर्फ बाहर उपयोग करने की चीज है। यही वजह है कि हमारे घर मोबाइल से जुड़ी कोई समस्या ही नहीं है। महाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष अजय मधुकर काले ने संगोष्ठी में पधारे अतिथियों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन मंडल उपाध्यक्ष गीता दलाल ने किया। इस मौके पर सचिव चेतन गोविंद दंडवते, मुख्य समन्वयक श्याम सुंदर खंगन, साहित्य समिति की प्रमुख कुमुद लाड, पर्यावरण समिति ने समन्वयक अभय भागवतकर सहित अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे।


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