आईसीएआर-एनआईबीएसएम मनाएगा 14वां स्थापना दिवस, सतत कृषि और जैविक तनाव प्रबंधन के प्रति प्रतिबद्धता दोहराएगा
रायपुर। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद–राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान (आईसीएआर–एनआईबीएसएम), रायपुर अपने 14वें स्थापना दिवस का आयोजन मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025 को संस्थान के ऑडिटोरियम में करेगा। यह कार्यक्रम कृषि क्षेत्र में संस्थान की उल्लेखनीय यात्रा, नवाचार, अनुसंधान एवं किसान उन्मुख समाधानों के माध्यम से जैविक तनाव प्रबंधन के क्षेत्र में उसके योगदान को रेखांकित करेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. पी. के. राय, निदेशक, आईसीएआर–एनआईबीएसएम द्वारा की जाएगी। इस अवसर पर डॉ. मंगला राय, पूर्व सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) तथा पूर्व महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। विशिष्ट अतिथियों में डॉ. टी. पी. राजेन्द्रन, पूर्व सह महानिदेशक (पौध संरक्षण एवं जैव सुरक्षा), आईसीएआर तथा पूर्व विशेष अधिकारी, आईसीएआर–एनआईबीएसएम और डॉ. जे. कुमार, पूर्व संयुक्त निदेशक, आईसीएआर–एनआईबीएसएम शामिल होंगे।
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों के आगमन, वृक्षारोपण समारोह, परिसर भ्रमण तथा शिक्षकों और छात्रों से संवाद के साथ होगी। उद्घाटन सत्र में संस्थान की प्रगति, उपलब्धियों और कृषि की स्थिरता को सुदृढ़ करने में इसकी भूमिका पर प्रस्तुति दी जाएगी।
दिन का मुख्य आकर्षण डॉ. मंगला राय द्वारा दिया जाने वाला स्थापना दिवस व्याख्यान होगा, जिसमें वे जलवायु परिवर्तन के दौर में कृषि की सहनशीलता बढ़ाने हेतु जैविक तनाव प्रबंधन की आवश्यकता और आधुनिक विज्ञान तथा पारंपरिक ज्ञान के समन्वय पर अपने विचार साझा करेंगे।
इस अवसर पर वैज्ञानिक प्रकाशनों का विमोचन, किसानों, वैज्ञानिकों और विद्यार्थियों को पुरस्कार वितरण तथा किसान–वैज्ञानिक संवाद सत्र का भी आयोजन किया जाएगा, जो अनुभवों और व्यावहारिक ज्ञान के आदान–प्रदान को प्रोत्साहित करेगा। कार्यक्रम का समापन सांस्कृतिक आयोजन से होगा।
कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर डॉ. पी. के. राय ने कहा कि स्थापना दिवस केवल उपलब्धियों का प्रतीक नहीं, बल्कि किसानों को वैज्ञानिक उत्कृष्टता के माध्यम से सशक्त बनाने की हमारी निरंतर प्रतिबद्धता का प्रतीक है। हमारा उद्देश्य कृषि को अधिक सशक्त, उत्पादक और सतत बनाना है।14वां स्थापना दिवस देशभर के वैज्ञानिकों, शिक्षकों, विद्यार्थियों, किसानों एवं हितधारकों को एक मंच पर लाएगा, जिससे संस्थान की प्रगति पर पुनर्विचार और भविष्य की दिशा पर विमर्श संभव होगा।


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