नेताजी की गुमनाम जिंदगी से संबंधित कहानियां लोकप्रियता का लाभ उठाने का प्रयास: सुगत घोष
कोलकाता। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र और प्रख्यात इतिहासकार सुगत बोस ने अवसरवादी लोगों पर 1945 में नेताजी के ''लापता'' होने और ''1945 के बाद उनकी गुमनाम जिंदगी'' के बारे में झूठी कहानियां गढ़कर उनकी लोकप्रियता का फायदा उठाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इससे परिवार को काफी पीड़ा हुई। पूर्व सांसद बोस ने ' कहा, ''इसमें कोई संदेह नहीं है कि विमान दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी।'' बोस ने नेताजी के रहस्यमयी रूप से लापता होने से संबंधित कहानियों को दरकिनार करते हुए कहा कि हाल में उनकी दिवंगत मां कृष्णा बोस की ''द लाइफ एंड स्ट्रगल ऑफ नेताजी सुभाष चंद्र बोस'' नामक पुस्तक का विमोचन हुआ है, जिसमें नेताजी के बचपन से लेकर 18 अगस्त, 1945 को उनकी मौत से पहले तक के जीवन के बारे में बताया गया है और इसमें साफतौर पर सच्चाई का खुलासा किया गया है। बोस ने कहा, ''मेरी मां 1945 में नेताजी के ''लापता'' होने और ''1945 के बाद की गुमनाम जिंदगी'' से संबंधित झूठी कहानियों से बहुत नाराज थीं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनकी मौत विमान दुर्घटना में हुई थी। उनके जिंदा होने के बारे में बताई किसी भी कहानी का कोई आधार नहीं है।'' एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि जापान के रेंकोजी मंदिर में रखीं नेताजी की अस्थियों को यदि देश लाया जाता है तो यह पूरे सम्मान और गरिमा के साथ उचित तरीके से होना चाहिए। पुस्तक के एक अध्याय में ‘आबिद हसन की जुबानी' विमान हादसे की घटना पर लंबा लेख है।
आजाद हिंद फौज में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के करीबी सहयोगी रहे हसन ने पूर्व सांसद कृष्णा बोस को नेताजी की अगस्त 1945 में बैंकॉक से साइगन की अंतिम हवाई यात्रा के बारे में और उसके बाद हुई विमान दुर्घटना के बारे में बताया था। बोस के अनुसार उनकी मां ने हसन से इस बारे में जानकारी जुटाने के लिए उनके कई इंटरव्यू लिये थे। हसन के अनुसार विमान हादसे में नेताजी उनके पीछे बैठे चीफ ऑफ स्टाफ हबीबुर रहमान की तरह बुरी तरह जल गये थे। हालांकि नेताजी की स्थिति और ज्यादा गंभीर थी। पास के एक सैन्य अस्पताल में उन्हें बचाने की कोशिशें नाकाम रहीं और उसी शाम नेताजी का देहांत हो गया।







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