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यूपीआई भारत की सबसे पसंदीदा भुगतान प्रणाली, जल्द ही नकद लेनदेन को पीछे छोड़ देगी: मोदी

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) को भारत की सबसे पसंदीदा भुगतान प्रणाली बताया और कहा कि यह जल्द ही नकद लेनदेन को पीछे छोड़ देगी। मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सिंगापुर के अपने समकक्ष ली सियन लूंग की मौजूदगी में ‘यूपीआई' और सिंगापुर की ‘पे नाऊ' प्रणाली के बीच संपर्क सुविधा की शुरुआत के मौके पर कहा कि भारत की भुगतान सेवा यूपीआई और सिंगापुर की ‘पे नाउ' प्रणाली के बीच इस सुविधा की शुरुआत दोनों देशों के संबंधों के लिए एक नया मील का पत्थर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2022 में यूपीआई के जरिये 1,26,000 अरब रुपये से अधिक के 74 अरब लेनदेन हुए हैं। उन्होंने कहा कि यूपीआई अब अन्य देशों में भी अपने कदम बढ़ा रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास और सिंगापुर मौद्रिक प्राधिकरण के प्रबंध निदेशक रवि मेनन ने इस सुविधा को शुरू किया। दास ने इस सुविधा के जरिये पहला लेनदेन भी किया। मोदी ने कहा, ‘‘कई विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत का डिजिटल वॉलेट लेनदेन जल्द ही नकद लेनदेन को पीछे छोड़ देगा।'' उन्होंने कहा कि भारत और सिंगापुर के बीच हुई इस शुरुआत ने ‘सीमापार वित्तीय प्रौद्योगिकी संपर्क (क्रॉस बॉर्डर फिनटेक कनेक्टिविटी)' का एक नया अध्याय शुरू किया है। प्रधानंत्री ने कहा कि इस सुविधा से प्रवासी भारतीयों, छात्रों, पेशेवरों और उनके परिवारों को विशेष रूप से लाभ होगा। उन्होंने कहा, ‘‘आज के बाद सिंगापुर और भारत के लोग अपने मोबाइल फोन से उसी प्रकार धन का हस्तांतरण कर पाएंगे जैसे वे अपने-अपने देशों में करते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘यूपीआई के जरिये इतनी अधिक संख्या में होने वाला लेनदेन यह दिखाता है कि स्वदेशी स्तर पर तैयार यह भुगतान प्रणाली बहुत सुरक्षित है।'' यह उल्लेख करते हुए कि सरकार का ध्यान नवाचार और आधुनिकीकरण को बढ़ावा देने पर है, मोदी ने कहा कि सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने ‘‘जीवन जीने की सुगमता'', ‘‘कारोबार सुगमता'' और डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाया है। साथ ही इससे वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा मिला है। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम से शासन और सार्वजनिक सेवा वितरण में महत्वपूर्ण सुधार आए हैं। रिजर्व बैंक ने एक बयान में कहा कि यूपीआई-पे नाउ संपर्क सुविधा दोनों देशों की त्वरित भुगतान प्रणाली के उपयोगकर्ताओं को अपने-अपने मोबाइल ऐप के जरिये सुविधाजनक, सुरक्षित, त्वरित और किफायती सीमापार धन हस्तांतरण करने में सक्षम बनाएगी। इसमें बताया गया कि धन को बैंक खातों या ई-वॉलेट के जरिये यूपीआई-आईडी, मोबाइल नंबर या वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (वीपीए) का उपयोग करके भारत से या भारत में स्थानांतरित किया जा सकता है। बयान में कहा गया है कि शुरुआत में भारतीय स्टेट बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, इंडियन बैंक और आईसीआईसीआई बैंक लेनदेन (आवक और प्रेषण दोनों) सुविधा प्रदान करेंगे, जबकि एक्सिस बैंक और डीबीएस इंडिया सिर्फ धन आवक की सुविधा प्रदान करेंगे। सिंगापुर के उपयोगकर्ताओं के लिए, यह सेवा डीबीएस-सिंगापुर और लिक्विड ग्रुप (एक गैर-बैंक वित्तीय संस्थान) के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी। आने वाले समय में इसमें वहां के और बैंकों को शामिल किया जाएगा। सिंगापुर स्थित ग्राहक भी बैंक के मोबाइल बैंकिंग ऐप या इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। शुरुआत में, एक भारतीय उपयोगकर्ता एक दिन में 60,000 रुपये तक (लगभग 1,000 सिंगापुरी डॉलर के बराबर) धन भेज सकता है। इसमें बताया गया कि लेनदेन करते समय प्रणाली उपयोगकर्ता की सुविधा के लिए दोनों मुद्राओं में राशि प्रदर्शित करेगी। ‘यूपीआई-पे नाउ लिंकेज' भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), सिंगापुर के मौद्रिक प्राधिकरण (एमएएस) और दोनों देशों के भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों जैसे एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (एनआईपीएल) और बैंकिंग कंप्यूटर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (बीसीएस) और इसमें शामिल बैंकों/ गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के बीच व्यापक सहयोग से संभव हो सका है। बयान में कहा गया कि यह अंतर-संपर्क तेज, सस्ते तथा अधिक पारदर्शी सीमापार भुगतान के लिए जी-20 की वित्तीय समावेशन प्राथमिकताओं के अनुरूप है। इसके अलावा, यह संपर्क सुविधा भारत और सिंगापुर के बीच सीमापार भुगतान के लिए बुनियादी ढांचे के विकास में बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी।

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