दिल्ली के डॉक्टर्स ने बिना ओपन चेस्ट सर्जरी किए फेफड़े से टेनिस बॉल के बराबर गांठ निकाली
मेडिकल साइंस का कमाल
नई दिल्ली। मेडिकल साइंस में कई बार चमत्कार होते रहते हैं। हालांकि आम लोगों की नजर में वे चमत्कार होते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में उसके पीछे विशेषज्ञों की सूझबूझ और समझदारी होती है। ऐसा ही एक मामला दिल्ली के बीएलके हॉस्पिटल में देखने को मिला जहां डॉक्टर्स ने 45 साल की महिला के फेफड़ों में बनी बेहद खतरनाक सिस्ट (गांठ) को बिना किसी ऑपरेशन के ही निकाल दिया। खबर के मुताबिक मेडिकल साइंस में इससे पहले ऐसा करने का कोई केस रिकॉर्ड नहीं है, इसलिए भारतीय डॉक्टर्स ने ये पहली बार कर ऐसा कमाल कर दिखाया है।
टेनिस बॉल जितनी बड़ी थी गांठ
श्रीनगर की रहने वाली 45 वर्षीय रूही-उन्निसा को जुलाई के महीने से ही तकलीफ और खांसी के साथ खून आने की समस्या होती रही। इस समस्या को लेकर जब वो डॉक्टर्स के पास गईं, तो डॉक्टर्स ने उनकी छाती का सीटी स्कैन किया। सीटी स्कैन देखकर डॉक्टर्स हैरान थे क्योंकि महिला के फेफड़े के दाहिने हिस्से में लगभग टेनिस बॉल जितनी बड़ी गांठ थी। इसके बाद महिला को श्रीनगर में ही ब्रोकोस्कोपी की गई , लेकिन उसकी हाल बिगड़ती गई और उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी। उनकी हालत इतनी खराब हो गई कि वो लगभग 2 महीने तक सो नहीं पाईं। हालात गंभीर देखते हुए कश्मीर के अस्पतालों ने उन्हें दिल्ली जाकर इमरजेंसी ट्रीटमेंट की सलाह दी।
फेफड़ों की सर्जरी नहीं करवाना चाहती थी महिला
दिल्ली में बीएलके हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने जांच के बाद पाया कि उनके फेफड़े हाइडैटिड सिस्ट (खतरनाक जानलेवा गांठ) है, जो फट चुकी है। रूही-उन्निसा अपना ओपन लंग सर्जरी नहीं करवाना चाहती थीं। इसके बाद हॉस्पिटल में चेस्ट और रेस्पिरेटरी डिजीज के हेड डॉ. संदीप नायर और उनकी टीम ने सबसे पहले महिला के फेफड़ों में जमा लिक्विड को बाहर निकाला और फिर फट चुकी गांठ को क्रिप्टोप्रोब तकनीक से बाहर निकाल दिया।
बहुत नाजुक होती है फेफड़ों की झिल्ली
डॉक्टर्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि फेफड़ों की झिल्ली को नुकसान पहुंचाए बिना इस गांठ को कैसे निकाला जाए। डॉ. संदीप नायर के अनुसार फेफड़ों की झिल्ली इतनी नाजुक होती है कि सामान्य अवस्था में सिर्फ ताली बजा देने से भी फट सकती है। ऐसे में नॉर्मल ट्रीटमेंट के दौरान मरीज को कीमोथेरेपी दी जाती है। मगर डॉक्टर्स ने इस तरीके के बजाय एक दूसरा तरीका चुना, जिसमें खतरा तो था, लेकिन मरीज की जान बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी समझा।
मुंह के रास्ते से निकाल दी इतनी बड़ी गांठ
बिजनेस वल्र्ड में छपी रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टर्स ने सबसे पहले मरीज के दोनों फेफड़ों में जमा अतिरिक्त लिक्विड को बाहर निकाल लिया और फिर फेफड़ों के टिशूज को बहुत ज्यादा तापमान पर ठंडा करके फ्रीज कर दिया। जब मेंब्रेन पूरी तरह फ्रीज हो गया तो इसे ब्रोंकोस्कोप की मदद से मुंह के रास्ते से बाहर निकाल लिया गया। इस पूरी प्रक्रिया में सिर्फ 45 मिनट का समय लगा। इस ऑपरेशन के 4 दिन बाद दोबारा मरीज की छाती का सीटी स्कैन और ब्रोंकोस्कोपी कई गई और देखा गया कि उसका फेफड़ा अब पूरी तरह गांठ से मुक्त है। मरीज के लक्षण भी ठीक होने लगे और उन्हें अच्छा महसूस होने लगा, जिसके कारण लगभग 2 महीनों के बाद वो पहली बार सो पाईं।
डॉक्टर्स ने इस सफलता पर क्या कहा?
डॉ. संदीप नायर ने इस सफलता पर कहा, ये पहली बार है जब हाइडैटिड सिस्ट को फेफड़ों से फ्रीज करके क्रायोथेरेपी की मदद से निकाला गया है। आमतौर पर इस तरह के मरीजों की सर्जरी की जाती है। लेकिन ये मरीज जो कश्मीर से आई थी गंभीर स्थिति में थी, उसे सांस में लगातार तकलीफ थी और कोविड काल में सर्जरी कराना भी मरीज के लिए कठिन चुनौती थी। इसलिए ये इनोवेटिव आइडिया दरअसल परिस्थिति की जरूरत के अनुसार उपजा।
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