स्वास्थ्य मंत्रालय की ई-संजीवनी योजना के तहत चार लाख टेलीफोन-परामर्श दिये गये
नई दिल्ली। सरकार के ई-संजीवनी ओपीडी (बाह्य रोगी विभाग) मंच ने इस साल अप्रैल में शुरू होने के बाद से चार लाख टेलीफोन-परामर्श उपलब्ध कराये हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को यह जानकारी दी।
इस योजना के तहत कोविड-19 महामारी के बीच रोगियों को टेलीफोन पर चिकित्सकों द्वारा परामर्श उपलब्ध कराया गया। इसमें सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले राज्य तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश हैं, जहां क्रमश: 1 लाख 33 हजार 167 और 1 लाख 124 बार रोगियों को परामर्श दिया गया। ई-संजीवनी और ई-संजीवनी ओपीडी मंचों के जरिये जिन अन्य राज्यों में सर्वाधिक परामर्श प्रदान किये गये, उनमें हिमाचल प्रदेश (36 हजार 527), केरल (33 हजार 340), आंध्र प्रदेश (31 हजार 34), उत्तराखंड (11 हजार 526), गुजरात (8 हजार 914), मध्य प्रदेश (8 हजार 904), कर्नाटक (7 हजार 684) और महाराष्ट्र (7 हजार 103) शामिल हैं। इस सेवा के उपयोग के रूझानों से यह प्रदर्शित होता है कि विल्लुपुरम जैसे तमिलनाडु के छोटे से जिले में इस सेवा के उपयोग में खासी वृद्धि दर्ज की गई। विल्लुपुरम में 16,000 से अधिक परामर्श दर्ज किये गये। लाभार्थियों द्वारा प्राप्त किये गये टेलीफोन-पर- परामर्श (टेली-कंसल्टेशन) सेवाओं के संदर्भ में यह जिला शीर्ष स्थान पर है। राष्ट्रीय स्तर पर ई-संजीवनी मंच का उपयोग 26 राज्यों द्वारा किया जा रहा है और विभिन्न राज्य सरकारों के स्वास्थ्य विभाग के 12,000 से अधिक चिकित्सक इस पर उपलब्ध हैं। उनकी सेवाएं देश के 510 जिलों के लोगों द्वारा मांगी जा रही है। आखिरी एक लाख परामर्श 18 दिनों की अवधि में दर्ज किये गये, जबकि प्रथम एक लाख परामर्श के लिये करीब तीन महीने लगे थे। बयान में कहा गया है कि ई-संजीवनी ओपीडी सेवा के जरिये कोविड-19 के प्रसार को रोकने में मदद मिली है क्योंकि इससे सामाजिक मेल-जोल से दूरी सुनिश्चित हुई और साथ ही गैर कोविड आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की गईं। करीब 20 प्रतिशत से अधिक रोगियों ने ई-संजीवनी के जरिये एक बार से अधिक स्वास्थ्य सेवाएं मांगी।
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