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 ओडिशा में शादी के उपहार में बम भेजकर दो लोगों की हत्या करने के आरोपी व्याख्याता को आजीवन कारावास

 भुवनेश्वर. ओडिशा के बलांगीर जिले की एक अदालत ने शादी के उपहार के रूप में पार्सल बम भेजकर दूल्हे समेत दो व्यक्तियों की हत्या करने के मामले में बुधवार को कॉलेज के एक आरोपी व्याख्याता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। पुलिस ने बताया कि ज्योति विकास कॉलेज में व्याख्याता आरोपी पुंजीलाल मेहर की दूल्हे की मां से रंजिश थी और इस कॉलेज में वह प्राचार्य के पद पर कार्यरत थीं। आरोपी पुंजीलाल कुछ दिनों तक कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य थे, उसके बाद दूल्हे की मां संजुक्ता साहू वहां नयी प्राचार्य बनीं। इसने बताया कि इस कारण से आरोपी पुंजीलाल ने उनके बेटे सौम्य की हत्या की साजिश रची और 2018 में शादी के उपहार के रूप में बम भेजा। सरकारी वकील चितरंजन कानूनगो ने बताया कि पटनागढ़ में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (एडीजे) सोनाली पटनायक की अदालत ने मामले में आरोपी मेहर (56) को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उन्होंने बताया कि अदालत ने उसे भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धाराओं 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास) और 201 (अपराध के साक्ष्य नष्ट करना) तथा विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धाराओं तीन और चार के तहत दोषी ठहराया। अदालत ने दो धाराओं के तहत आजीवन कारावास, दो आरोपों के तहत 10 साल कैद और एक अन्य आरोप के तहत सात साल कैद की सजा सुनाई। कानूनगो ने कहा कि सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। मामले को साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष ने अदालत में 62 गवाहों और 100 दस्तावेजी साक्ष्यों को पेश किया। सरकारी वकील ने कहा, ‘‘हमारा कहना था कि इसे दुर्लभतम मामलों में से एक माना जाए। हालांकि, अदालत ने इसे दुर्लभतम मामलों में से एक नहीं माना, क्योंकि सभी जघन्य अपराध के मामलों को इस तरह नहीं माना जा सकता।'' उन्होंने कहा कि अदालत द्वारा सुनाई गई सजा से समाज में सकारात्मक संदेश जाएगा।
 अदालत ने दोषी पर 1.40 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कानूनगो ने अदालत के बाहर मीडियाकर्मियों को बताया कि उसे जीवनभर सलाखों के पीछे रहना होगा। वर्ष 2018 में मामले की जांच के समय अपराध शाखा की अगुआई करने वाले वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अरुण बोथरा ने कहा, ‘‘जब हमने मामला अपने हाथ में लिया, तो कोई सबूत नहीं था, कोई चश्मदीद गवाह नहीं था, जांच को आगे बढ़ाने के लिए कुछ भी नहीं था। आरोपी पुंजीलाल मेहर पर कोई संदेह नहीं था।'' बोथरा ने बताया कि अपराध शाखा को आरोपी पुंजीलाल द्वारा बलांगीर के एसपी को भेजे गए गुमनाम पत्र से सुराग मिले। बोथरा ने ‘ कहा, ‘‘मेरी जानकारी के अनुसार, यह पहला मामला है जिसमें पार्सल बम विस्फोट मामले के आरोपी को दोषी ठहराया गया है। यह एक मुश्किल मामला था और ओडिशा अपराध शाखा ने इसे सुलझा लिया।'' बोथरा ने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘‘हमने आरोपी पुंजीलाल मेहर के कब्जे से पत्र का कवर, पत्र की प्रति, उसे छापने के लिए इस्तेमाल किया गया प्रिंटर और पत्र को सील करने के लिए इस्तेमाल किया गया चिपकने वाला पदार्थ जैसे महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्र किए हैं। सभी का वैज्ञानिक रूप से मिलान किया गया और उन्हें प्रमाणित किया गया।'' उन्होंने बताया कि बाद में आरोपी ने पुलिस के सामने पूरी घटना के बारे में बताया और बम बनाने की प्रक्रिया भी दिखाई। आरोपी पुंजीलाल ने स्वीकार किया कि उसने पार्सल बम बनाने की प्रक्रिया इंटरनेट पर वीडियो से सीखी थी। बोथरा ने कहा, ‘‘मैं संतुष्ट महसूस कर रहा हूं कि अदालत द्वारा आरोपी को दोषी ठहराया गया है और पीड़ित परिवार को न्याय मिला है।'' जांच एजेंसी के अनुसार, पार्सल बम उपहार स्वरूप साहू परिवार को छत्तीसगढ़ के रायपुर से पटनागढ़ भेजा गया था, जो बोलंगीर से लगभग 230 किलोमीटर दूर है। पुलिस ने बताया कि आरोपी पुंजीलाल ने रायपुर की एक कूरियर एजेंसी से एसके शर्मा/सिन्हा जैसे किसी दूसरे नाम से पार्सल भेजा था। इसने बताया कि वहां सीसीटीवी की सुविधा नहीं थी और पकड़े जाने से बचने के लिए उसने ऐसा किया। पुलिस ने बताया कि उसने बहुत ही चालाकी से काम किया और उस पर संदेह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी। दूल्हे के पिता रवींद्र साहू ने कहा, ‘‘हमें अपूरणीय क्षति हुई है। हम मौत की सजा का अनुरोध कर रहे थे। फिर भी, हम अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं।'' पीड़िता की मां संजुक्ता साहू ने भी अदालत के फैसले पर संतोष व्यक्त किया और आरोपी पुंजीलाल की तुलना एक राक्षस से की। सॉफ्टवेयर इंजीनियर सौम्य शेखर साहू, जो 2018 में 26 वर्ष के थे, और उनकी 85 वर्षीय दादी जेमामणि साहू विस्फोट में मारे गए। सौम्य की पत्नी सीमा साहू, 23 फरवरी, 2018 को बलांगीर जिले के पटनागढ़ स्थित उनके घर में शादी के उपहार के रूप में रखे गए पार्सल बम में विस्फोट होने से गंभीर रूप से घायल हो गईं थीं। विस्फोट उस समय हुआ था जब दूल्हे ने उपहार खोला।
 नवविवाहिता और उसके परिवार के अनुरोध के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अपराध शाखा को घटना की जांच करने का आदेश दिया था। अपराध शाखा ने 23 मार्च, 2018 को जांच अपने हाथ में ली और अप्रैल 2018 में मेहर को गिरफ्तार कर लिया गया। वह फिलहाल पटनागढ़ की उप-जेल में बंद है। जांच एजेंसी ने कहा कि इस अपराध को बदला लेने की मंशा के तहत अंजाम दिया गया था। 

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