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हमारी सरकार अहिल्याबाई के ‘नागरिक देवो भव' के मंत्र पर काम कर रही है : प्रधानमंत्री मोदी

भोपाल. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को होलकर राजवंश की रानी अहिल्याबाई होलकर को भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक बताया और कहा कि केंद्र सरकार ‘नागरिक देवो भव' के मंत्र पर काम कर रही है जो उन्हीं (अहिल्याबाई) का दर्शन था। देवी अहिल्याबाई की 300वीं जयंती के अवसर पर राजधानी भोपाल के जंबूरी मैदान में ‘लोकमाता देवी अहिल्याबाई महिला सशक्तीकरण महासम्मेलन' कार्यक्रम के दौरान मोदी ने इंदौर मेट्रो के अलावा दतिया और सतना में नवनिर्मित हवाई अड्डों का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन भी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अहिल्याबाई की 300वीं जयंती के अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और 300 रुपये का सिक्का भी जारी किया। अहिल्याबाई होलकर को पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने देवी अहिल्याबाई के एक कथन को याद करते हुए कहा कि उसका भाव यही था कि ‘‘जो कुछ भी हमें मिला है, वो जनता द्वारा दिया गया ऋण है, जिसे हमें चुकाना है।'' मोदी ने कहा, ‘‘आज हमारी सरकार लोकमाता अहिल्याबाई के इन्हीं मंत्रों पर चलते हुए कार्य कर रही है। ‘नागरिक देवो भव' ये आज शासन का मंत्र है।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके नेतृत्व में केन्द्र सरकार महिला नीत प्रगति की दृष्टि को विकास की धुरी बना रही है और सरकार की हर बड़ी योजना के केंद्र में महिलाएं हैं। बता दें कि अठारहवीं सदी के मालवा में होलकर राजवंश की रानी अहिल्याबाई को उनके असाधारण शासन, सामाजिक कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता और संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति योगदान के लिए याद किया जाता है। देवी अहिल्याबाई ने 1767 से 1795 तक पश्चिमी मध्यप्रदेश के मालवा अंचल पर शासन किया था।
मोदी ने कहा कि देवी अहिल्याबाई कहती थीं कि शासन का सही अर्थ जनता की सेवा करना और उनके जीवन में सुधार लाना होता है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज का कार्यक्रम उनकी इस सोच को आगे बढ़ाता है। आज इंदौर मेट्रो की शुरुआत हुई है, दतिया और सतना भी अब हवाई सेवा से जुड़ गए हैं। इन सभी परियोजनाओं से मध्यप्रदेश में सुविधाएं बढ़ेंगी, विकास को गति मिलेगी और रोजगार के अनेक नए अवसर बनेंगे।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर का नाम सुनते ही मन में श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है और उनके महान व्यक्तित्व के बारे में बोलने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘देवी अहिल्याबाई प्रतीक हैं कि जब इच्छाशक्ति होती है, दृढ़ प्रतिज्ञा होती है तो परिस्थितियां कितनी ही विपरीत क्यों ना हों, परिणाम लाकर दिखाया जा सकता है।'' मोदी ने कहा कि 250-300 साल पहले जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, उस समय ऐसे महान कार्य कर जाना कि आने वाली अनेक पीढ़ियां उसकी चर्चा करें, ये कहना तो आसान है लेकिन करना आसान नहीं था। उन्होंने कहा, ‘‘लोकमाता अहिल्याबाई ने प्रभु सेवा और जनसेवा को कभी अलग नहीं माना। कहते हैं कि वह हमेशा शिवलिंग अपने साथ लेकर चलती थीं। उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में एक राज्य का नेतृत्व, कांटों से भरा ताज, लेकिन लोकमाता अहिल्याबाई ने अपने राज्य की समृद्धि को नई दिशा दी।'' प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘देवी अहिल्याबाई भारत की विरासत की बहुत बड़ी संरक्षक थीं। जब देश की संस्कृति पर, हमारे मंदिरों, हमारे तीर्थ स्थलों पर हमले हो रहे थे, तब लोकमाता ने उन्हें संरक्षित करने का बीड़ा उठाया। उन्होंने काशी विश्वनाथ सहित पूरे देश में हमारे अनेकों मंदिरों का, हमारे तीर्थों का पुनर्निर्माण किया।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि जिस काशी में लोकमाता अहिल्याबाई ने विकास के इतने काम किए, उस काशी ने उन्हें सांसद चुनकर सेवा का अवसर दिया है। उन्होंने कहा आज अगर कोई काशी विश्वनाथ महादेव के दर्शन करने जाएगा तो वहां देवी अहिल्याबाई की मूर्ति भी मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि माता अहिल्याबाई राष्ट्र निर्माण में हमारी नारी शक्ति के अमूल्य योगदान का प्रतीक भी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘आज जितने भी हमारे बड़े अंतरिक्ष अभियान हैं, उनमें बड़ी संख्या में महिला वैज्ञानिक काम कर रही हैं। चंद्रयान-3 अभियान में तो 100 से अधिक महिला वैज्ञानिक और इंजीनियर शामिल थीं।'' मोदी ने इस अवसर पर अहिल्याबाई होलकर का संबंध अपने गृह राज्य गुजरात से भी जोड़ा।
उन्होंने कहा, ‘‘देवी अहिल्या ने विश्व प्रसिद्ध माहेश्वरी साड़ी के लिए नए उद्योग लगाए और बहुत कम लोगों को पता होगा कि देवी अहिल्या जी हूनर की पारखी थीं और वह गुजरात के जूनागढ़ से कुछ परिवारों को माहेश्वर लाईं और उनको साथ जोड़कर, आज से ढाई सौ-तीन सौ साल पहले माहेश्वरी साड़ी का काम आगे बढ़ाया।'' उन्होंने कहा, ‘‘माहेश्वरी साड़ी आज भी अनेक परिवारों का गहना बन गया है और इससे हमारे बुनकरों को बहुत फायदा हुआ है।'' मोदी ने भोपाल में एक प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया, जिसमें अहिल्याबाई होल्कर के जीवन, कार्यों और भारतीय समाज और संस्कृति में उनके योगदान को दर्शाया गया था। कार्यक्रम का गवाह बनने के लिए भारी संख्या में महिलाएं जंबूरी मैदान पहुंची थीं और उनमें से कई महिलाओं ने पारंपरिक पीले और सिंदूरी रंग की साड़ियां पहन रखी थीं। ‘ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता के बाद प्रधानमंत्री मोदी पहली बार भोपाल पहुंचे थे।

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