किसान संगठन एफएआईएफए का जलवायु अनुकूल कृषि प्रौद्योगिकियों में निवेश बढ़ाने का आह्वान
नयी दिल्ली. अखिल भारतीय किसान संघों के महासंघ (एफएआईएफए) ने बृहस्पतिवार को कहा कि टिकाऊ कृषि गतिविधियों को व्यापक रूप से अपनाने में उच्च प्रारंभिक लागत, खंडित बुनियादी ढांचे और किसानों के बीच कम जागरूकता प्रमुख बाधाएं हैं। संगठन ने जलवायु-सहिष्णु कृषि प्रौद्योगिकियों में निवेश बढ़ाने का आह्वान किया। एफएआईएफए ने नयी दिल्ली में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान ‘भविष्य का पोषण: जलवायु-सहिष्णु कृषि पर एक रिपोर्ट' शीर्षक से एक श्वेत पत्र जारी किया, जिसमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मुकाबला करने के लिए टिकाऊ यानी पर्यावरण अनुकूल कृषि गतिविधियों की तत्काल जरूरत बतायी गयी है। रिपोर्ट में अनियमित वर्षा, बेमौसम सूखा, तापमान में उछाल और कीटों के बढ़ते प्रकोप को उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक सहित प्रमुख कृषि राज्यों में फसल चक्र को बाधित करने वाले प्रमुख खतरों के रूप में चिन्हित किया गया है। आंध्र प्रदेश के सांसद पुट्टा महेश कुमार इस कार्यक्रम में मौजूद थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के कृषि समुदाय में 80 प्रतिशत से अधिक छोटे और सीमांत किसान सीमित अनुकूलन क्षमता के कारण काफी प्रभावित हैं। एफएआईएफए के महासचिव मुरली बाबू ने कहा, ‘‘मिट्टी का क्षरण, खेती की बढ़ती लागत और गिरते जल स्तर कृषि उत्पादकता और आय पर महत्वपूर्ण दबाव डाल रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमें 'अधिक उत्पादन' दृष्टिकोण से 'बेहतर उत्पादन' मानसिकता में बदलाव करना चाहिए।''
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