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डार्क एनर्जी की खोज ने ब्रह्मांड की समझ को बदल दिया: नोबेल पुरस्कार विजेता ब्रायन श्मिद

नयी दिल्ली. ‘डार्क मैटर' ब्रह्मांड को खींचता है और ‘डार्क एनर्जी' धकेलती है, ये दोनों ही रहस्य हैं जो आज भी बने हुए हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता ब्रायन श्मिद कहते हैं कि यह खोज निर्णायक साबित हुई कि ब्रह्मांड का अधिकांश हिस्सा ऐसे ‘पदार्थों' से बना है जो गुरुत्वाकर्षण को खींचने के बजाय धकेलने में सक्षम बनाता है। अमेरिका में जन्मे ऑस्ट्रेलियाई खगोलशास्त्री ने अमेरिका के एडम रीस और सॉल पर्लमटर के साथ मिलकर 1998 में उस ‘पदार्थ' की खोज की थी, जिसे बाद में ‘डार्क एनर्जी' कहा गया। तीनों को 2011 में भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार मिला। श्मिद ने अपनी खोज के महत्व को रेखांकित करते हुए  कहा, ‘‘डार्क एनर्जी वास्तव में यह कह रही है कि अंतरिक्ष से भी ऊर्जा जुड़ी हुई है।'' उन्होंने कहा कि इस खोज ने ब्रह्मांड की कार्यप्रणाली के बारे में हमारी समझ को बदल दिया।
 ‘लोढ़ा जीनियस प्रोग्राम' के लिए अशोका यूनिवर्सिटी का दौरा करने वाले खगोलशास्त्री श्मिद ने कहा, ‘‘अगर हमारे पास डार्क एनर्जी नहीं होती, तो ब्रह्मांड वक्राकार होता और इसका विस्तार तेजी से नहीं होता — और यह चीज ब्रह्मांडीय वस्तुओं, जैसे आकाशगंगाओं, के दिखने के तरीके को बदल देती है। यह वास्तव में एक बड़ा अंतर पैदा करता है।'' ‘डार्क मैटर' का मतलब ब्रह्मांड में मौजूद उन कणों से है जो आकाशगंगाओं और अन्य संरचनाओं को एक साथ बांधे रखते हैं। कहा जाता है कि इसमें कुछ विशेष गुण होते हैं, जैसे कि यह अदृश्य होता है, क्योंकि यह प्रकाश के साथ कोई प्रतिक्रिया नहीं करता। श्मिद ने कहा, हालांकि, ‘‘जहां डार्क मैटर और परमाणु (जो सामान्य पदार्थ बनाते हैं) ब्रह्मांड को खींच रहे हैं, वहीं ‘डार्क एनर्जी' ब्रह्मांड को बाहर की ओर धकेल रही है। किसी भी समय इस बात का संतुलन होता है कि इस 'संघर्ष' में कौन भारी है — ऐसा लगता है कि अब ‘डार्क एनर्जी' इसमें यह संघर्ष जीत चुकी है और ब्रह्मांड को अलग-अलग दिशाओं में फैला रही है।'' ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान में खगोल विज्ञान के प्रोफेसर श्मिद (58) ने कहा कि यह इसलिए है क्योंकि डार्क एनर्जी का घनत्व ‘बिग बैंग' के समय निर्धारित हो गया था। बिग बैंग को ब्रह्मांड की उत्पत्ति का कारण माना जाता है। यह घटना लगभग 13.8 अरब साल पहले हुई थी। डार्क मैटर उन कणों में शामिल है जो इस घटना के तुरंत बाद बने थे। श्मिद ने कहा, ‘‘और (डार्क एनर्जी) उसी घनत्व पर बनी रही। लेकिन जैसे-जैसे ब्रह्मांड का विस्तार होता गया, परमाणु और डार्क मैटर का घनत्व समय के साथ घटता गया। लगभग 6.5 अरब साल पहले दोनों का घनत्व एक-दूसरे के बराबर हो गया — और उसी बिंदु पर डार्क एनर्जी ने प्रभुत्व हासिल कर लिया और ब्रह्मांड के विस्तार को तेज़ कर दिया।

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