पटनायक ने महानदी विवाद को बातचीत से सुलझाने के ओडिशा सरकार के कदम पर सवाल उठाए
भुवनेश्वर। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी द्वारा छत्तीसगढ़ के साथ महानदी जल विवाद का "सौहार्दपूर्ण" समाधान किये जाने के पक्ष में बयान देने के एक दिन बाद गुरुवार को राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता नवीन पटनायक ने सवाल उठाया कि क्या राज्य सरकार (इस मामले में) कानूनी रास्ते से पीछे हट गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के एक बयान के अनुसार, बुधवार को एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद माझी ने कहा कि चूंकि केंद्रीय जल आयोग में समस्या को हल करने के प्रयास धीमी गति से आगे बढ़ रहे हैं, इसलिए केंद्र सरकार के सहयोग से दोनों राज्यों के बीच बातचीत के जरिए इसे सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जा सकता है।
सोशल मीडिया पर पटनायक ने कहा, "लोगों को जवाब मिलना चाहिए।बुधवार को मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने लंबे समय से चले आ रहे महानदी जल विवाद पर एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति और महाधिवक्ता की एक पोस्ट के अनुसार, इस मुद्दे को आपसी सहमति से सुलझाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।" बीजू जनता दल (बीजद) अध्यक्ष पटनायक ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे हैं और उनके मुख्यमंत्री के कार्यकाल में महानदी जल न्यायाधिकरण का गठन हुआ था। उन्होंने आगे कहा, "लेकिन इससे कुछ गंभीर सवाल उठते हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। किस 'आपसी समझौते' पर चर्चा हो रही है? महानदी ओडिशा की जीवन रेखा है। राज्य की भाजपा सरकार को तुरंत एक सर्वदलीय बैठक बुलाकर यह बताना चाहिए कि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के साथ किस तरह के समझौते पर विचार किया जा रहा है या पहले ही निर्णय हो चुका है।" जब यह पूछा गया कि क्या ओडिशा कानूनी रास्ते से हट रहा है तो पटनायक ने कहा, "क्या राज्य महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण के समक्ष मामले को आगे बढ़ाता रहेगा? या सरकार कानूनी लड़ाई छोड़ने की तैयारी कर रही है?" पटनायक ने यह उल्लेख करते हुए कि न्यायाधिकरण की (दो अगस्त को) अगली सुनवाई में केवल आठ दिन बचे हैं ।
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