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 विशेष देखभाल की आवश्यकता वाले बच्चों को गोद लेने के लिए सबसे लंबा इंतजार: आंकड़े

नयी दिल्ली. देश में गोद लिये जाने की प्रतीक्षा कर रहे बच्चों में से करीब दो-तिहाई विशेष देखभाल की आवश्यकता वाले बच्चे हैं, जबकि पिछले कुछ वर्षों में गोद लेने की कुल संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि देखी गई है। सरकार के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्रालय की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में 3,684 बच्चे गोद लेने के लिए कानूनी रूप से अनुमोदित थे और 2,177 बच्चे केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) के माध्यम से गोद लेने के लिए उपलब्ध थे। इन 2,177 बच्चों में से 1,423 या 65 प्रतिशत विशेष देखभाल की आवश्यकता वाले बच्चे थे। विशेष देखभाल की आवश्यकता वाले बच्चों को गोद लेने के लिए लगातार प्रयासों और जागरूकता अभियानों के बावजूद, आधिकारिक अभिलेख बताते हैं कि इन बच्चों को गोद लेने के मामले अपेक्षाकृत बहुत कम हैं। 
एक आरटीआई के तहत  प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 2018-19 में ऐसे बच्चों के दत्तक ग्रहण के 401 मामले थे, लेकिन अगले वर्ष यह संख्या घटकर 166 रह गई। इसके बाद से यह संख्या हर साल 300 से 370 के बीच रही है। वर्ष 2024-25 में विशेष देखभाल की आवश्यकता वाले 328 बच्चों को गोद लिया गया, जिनमें ‘‘अन्य लिंग'' श्रेणी में सूचीबद्ध एक बच्चा भी शामिल है। वर्ष 2014 के बाद यह पहली बार हुआ है। हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार, भारत में समग्र दत्तक ग्रहण व्यवस्था को 2024-25 में बड़ा प्रोत्साहन मिला और इस दौरान 4,515 दत्तक ग्रहण हुए और यह आंकड़ा 2015-16 के बाद से सबसे अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2024 में 4,266 गोद लेने की घटनाएं दर्ज की गईं।
अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण में 93 बच्चों को भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों (ओसीआई), 59 को अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) और 306 बच्चों को विदेशी नागरिकों ने गोद लिया। रिपोर्ट में दत्तक ग्रहण प्रणाली में हुए अहम बदलावों का भी उल्लेख है।
उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद कारा ने जुलाई 2024 में एक ‘‘पहचान प्रकोष्ठ'' स्थापित किया, ताकि सभी बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) में रह रहे बच्चों को 'केयरिंग्स पोर्टल' पर दर्ज किया जा सके। बढ़ते दत्तक ग्रहण तंत्र को समर्थन देने के लिए विशेषीकृत दत्तक ग्रहण एजेंसियों की संख्या 495 से बढ़कर 698 हो गई, जो 588 जिलों को सम्मेलित करती हैं। बाल कल्याण समितियां 480 से बढ़कर 665 हो गईं और जिला बाल संरक्षण इकाइयों की संख्या 756 हो गई।
कारा विशेष देखभाल की आवश्यकता वाले और बड़े बच्चों के दत्तक ग्रहण को प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता अभियान भी चला रहा है। वर्ष 2024 में विशेष देखभाल की आवश्यकता वाले 364 बच्चों को भावी दत्तक माता-पिता द्वारा ‘‘आरक्षित'' किया गया, जिससे धीरे-धीरे रुचि बढ़ने का संकेत मिला है।
 

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