युवा भारतीय अपने कौशल विकास के लिए कर रहे हैं कर्ज का इस्तेमाल : सर्वेक्षण
मुंबई. युवा भारतीय प्रगति के लिए ऋण का उपयोग एक जिम्मेदार प्रवर्तक के रूप में कर रहे हैं। वे कौशल उन्नयन में निवेश करने, करियर विकास के लिए और उद्यमशीलता के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। डिजिटल ऋण मंच ‘एमपॉकेट' द्वारा किए गए सर्वेक्षण में कहा गया कि आज की पीढ़ी के लिए ऋण तक पहुंच निर्भरता नहीं, बल्कि संभावना है। सर्वेक्षण में पाया गया कि 63 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अपनी वित्तीय भलाई पर सकारात्मक प्रभाव की बात कही। वहीं करीब 40 प्रतिशत लोग ऋण का उपयोग व्यावसायिक उन्नति (21.1 प्रतिशत), जीवनशैली में सुधार (20 प्रतिशत) और शिक्षा (16.5 प्रतिशत) जैसे भविष्योन्मुखी उद्देश्यों के लिए कर रहे हैं। सर्वेक्षण में 3,000 से अधिक युवा भारतीयों से बात की गई। 26.3 प्रतिशत लोग अब भी स्वास्थ्य सेवा के लिए और 12.4 प्रतिशत लोग आपात स्थिति के लिए ऋण पर निर्भर हैं।
प्रमुख प्रवृत्ति स्व-निवेश और दीर्घकालिक विकास की ओर बदलाव को दर्शाती है। करीब 10 प्रतिशत उत्तरदाता ऋण का उपयोग ‘फ्रीलांसिंग', रचनात्मक परियोजनाओं या छोटे उद्यमों में कर रहे हैं जो दर्शाता है कि वित्तीय पहुंच किस प्रकार शहरों तथा कस्बों में भारत की उद्यमशीलता की भावना को उजागर करने में मदद कर रही है। एमपॉकेट के संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) गौरव जालान ने कहा, ‘‘ हम देख रहे हैं कि युवा भारत वित्तीय क्षेत्र में किस तरह से जुड़ रहा है। इसमें एक शक्तिशाली बदलाव आ रहा है। ऋण अब केवल पहुंच का मामला नहीं रह गया है, यह एजेंसी का मामला है। जब इसका उपयोग जिम्मेदारी से किया जाता है तो यह आत्म-विकास का एक साधन बन जाता है जिससे लोगों को कौशल बढ़ाने, आगे की योजना बनाने और अर्थव्यवस्था में आत्मविश्वास से भाग लेने में मदद मिलती है।'' एमपॉकेट फाइनेंशियल सर्विसेज एक वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा पंजीकृत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) है जो भारत में वित्तीय समावेशन को बढ़ाने का काम कर रही है।


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