लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे बने सेना प्रमुख
नई दिल्ली। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने मंगलवार को 28वें सेना प्रमुख का कार्यभार संभाल लिया। सेना प्रमुख बनते ही मनोज मुकुंद नरवणे दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में शामिल 13 लाख थल सैनिकों के मुखिया बन गए। जनरल मनोज मुकुंद नरवणे का जन्म 22 अप्रैल 1960 को मराठी परिवार में हुआ था। उनके पिता इंडियन एयर फोर्स में अफसर थे। वो विंग कमांडर की पोस्ट से रिटायर हुए थे। नए सेना प्रमुख की मां ऑल इंडिया रेडियो में एनाउंसर थीं और उनकी पत्नी पेशे से टीचर हैं। उन्हें शिक्षण कार्य में 25 साल का अनुभव है। मनोज मुकुंद नरवणे दो बेटियों के पिता हैं। जनरल मनोज मुकुंद ने अपनी स्कूल शिक्षा पुणे के एक स्कूल से पूरी की। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी पुणे में दाखिला लिया। इसके अलावा उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून से भी ट्रेनिंग ली। श्री नरवणे ने मद्रास यूनिवर्सिटी से डिफेंस स्टडीज में मास्टर डिग्री लेने के बाद देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर से डिफेंस एंड मैनेजमेंट स्टडीज विषय से एमफिल किया। उन्होंने डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन और आर्मी वॉर कॉलेज से भी प्रशिक्षण लिया। आर्मी के वाइस चीफ बनने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल नरवणे इस्टर्न कमांड के प्रमुख थे। इस्टर्न कमांड भारत-चीन की 4000 किलोमीटर लंबी सीमा की देखभाल करती है।
रावत बोले-कठिन होता है आर्मी चीफ का काम
तीन साल सेना प्रमुख रहे जनरल बिपिन रावत ने उन्हें चार्ज देने से पहले कहा कि आर्मी चीफ का काम कठिन होता है। उम्मीद है कि नरवणे यह जिम्मेदारी बखूबी निभाएंगे। इससे पहले जनरल रावत ने नेशनल वॉर मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया है। वे 1 जनवरी, 2020 को चार्ज लेंगे।
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