कब है कजरी तीज? जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
हिंदू कैलेंडर में श्रावण मास के बाद भाद्रपद का महीना आता है। भाद्रपद को भादो भी कहते हैं। इसमें कई खास व्रत-त्योहार आते हैं। इन्हीं में से एक है कजरी तीज। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का त्योहार मनाने की परंपरा है। इस बार कजरी तीज का त्योहार 14 अगस्त को ही मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा से पति को दीर्घायु और घर में सुख-संपन्नता का वरदान प्राप्त होता है। आइए कजरी तीज का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में जानते हैं.....
कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। हालांकि कुवांरी लड़कियों के लिए भी इस व्रत को बहुत फलदायी माना गया है। ऐसी मान्यताएं हैं कि शादीशुदा या कुंवारी लड़कियां अगर सच्चे मन से कजरी तीज का उपवास करें तो उन्हें सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त होता है।
कजरी तीज की तिथि
कजरी तीज का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाएगा। तृतीया तिथि 13 अगस्त की रात 12 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 14 अगस्त की रात 10 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। इस बार कजरी तीज का त्योहार 14 अगस्त को ही मनाया जाएगा।
कजरी तीज की पूजन विधि
कजरी तीज के दिन सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें। फिर नीमड़ी माता को जल, रोली और चावल चढ़ाएं। इसके बाद नीमड़ी माता को मेंहदी और रोली लगाएं। माता को काजल और वस्त्र अर्पित करें और फल-फूल चढ़ाएं।
पूजा में इस्तेमाल होने वाले कलश पर रोली से टीका लगाकर कलावा बांधें। पूजा स्थल पर तेल या घी का दीपक जलाएं और मां पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। पूजा खत्म होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करें और उनका आशीर्वाद लें। रात में चंद्रमा के दर्शन और अघ्र्य देने के बाद ही व्रत खोलें।
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