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प्रतिस्पर्धा से परे विनम्रता सिखाता है खेल : श्रीहरि नटराज
 बेंगलुरु. ओलंपियन तैराक श्रीहरि नटराज ने खेलों से मिलने वाले जीवन के सबक पर कहा कि ये प्रतिस्पर्धा से परे विनम्र बने रहने की सीख देते हैं। उन्होंने यहां एसएफए (स्पोर्ट्स फॉर ऑल) चैंपियनशिप के दौरान ‘फ्रॉम द ग्राउंड अप' चर्चा के दौरान कहा, ‘‘मैंने लगभग 3,000 स्पर्धाओं में भाग लिया है और संभवतः इनमें से 300 में प्रथम स्थान पर आया हूं। इसलिए सफलता से कहीं अधिक असफलता का सामना करना पड़ा है। पिछले कुछ वर्षों में, मुझे कोई बड़ी जीत नहीं मिली हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘ खेल का मतलब खुद का सर्वश्रेष्ठ संस्करण बनना है। खेलों में सही परिणाम के लिए आपको प्रशिक्षण के प्रति ईमानदार रहने के साथ प्रतियोगिता में अपना सर्वश्रेष्ठ देना होता है। आप परिणाम नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन प्रक्रिया से आप जो विनम्रता और आचरण सीखते हैं वे आपको कहीं और नहीं मिलेंगे।'' इस कार्यक्रम में पेरिस पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली बैडमिंटन खिलाड़ी मनीषा रामदास ने भी अभ्यास को कड़ाई से पालन करने पर अपने विचार साझा किये। उन्नीस साल की मनीषा ने कहा, ‘‘पेरिस मेरे लिए खास था। मुझे पदक जीतने की उम्मीद नहीं थी। मैं बस हर अंक और हर मैच में अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहती थी। मेरी जीत अप्रत्याशित रही। मुझे कड़ी मेहनत और समर्पण का फायदा मिला। ''

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