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- सुबह पेट साफ न होना छोटी-सी बात लग सकती है लेकिन उन लोगों को इस समस्या के बारे में अच्छी तरह पता है, जो अक्सर इसका सामना करते हैं। आपको भी अगर सुबह पेट साफ न होने की समस्या है, तो सुबह की शुरुआत लौंग चबाने से कर दें, जिससे आपकी समस्या काफी हद तक ठीक हो जाएगी। लौंग विटामिन सी, फाइबर, मैंगनीज, एंटीऑक्सिडेंट और विटामिन-के से भरपूर होती है।आइए, जानते हैं सुबह खाली पेट दो लौंग चबाने के फायदे-इम्युनिटी बढ़ती हैलौंग में विटामिन सी और कुछ एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। यह आपके शरीर को किसी भी संक्रमण या बीमारियों से लडऩे में मदद करता है।पाचन में सुधार करती हैसुबह लौंग का सेवन करने से आपको पाचन संबंधी किसी भी समस्या का इलाज करने में मदद मिलती है। लौंग पाचन एंजाइमों के स्राव को बढ़ाती है, जो कब्ज और अपच जैसे पाचन संबंधी विकारों को रोकती है। लौंग फाइबर से भरा होता है जो आपके पाचन स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।लिवर फंक्शन को बढ़ावा देती हैआपका लिवर शरीर को डिटॉक्स करता है और आपके द्वारा सेवन की जाने वाली दवाओं को मेटाबोलाइज करता है। अपने लिवर के कामकाज को बेहतर करने के लिए आपके पास रोज लौंग होनी चाहिए। लौंग में यूजेनॉल होता है, जो लीवर फंक्शन को बेहतर बनाने के लिए जाना जाता है।दांत दर्द को ठीक करती हैदांत दर्द को रोकने के लिए लौंग का तेल आमतौर पर दांतों पर लगाया जाता है। लौंग का सेवन दांत दर्द को कम करने में भी मदद कर सकता है। लौंग में संवेदनाहारी गुण होते हैं, जो कुछ समय के लिए असुविधा को रोकते हैं। इसके अलावा, अगर आप अपने दांत का इलाज करवा चुके हैं तो लौंग का सेवन दर्द को शांत करने में मदद कर सकता है।सिरदर्द से राहत देती है लौंगलौंग में यूजेनॉल होता है जिसमें एनाल्जेसिक और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह इस मसाले को सिर दर्द के लिए एक अद्भुत उपाय बनाता है। आप इनका सेवन कर सकते हैं। एक गिलास दूध के साथ लौंग का पाउडर लें। लौंग का तेल लगाने से भी आपको आराम मिल सकता है।हड्डियों के लिए अच्छी है लौंगलौंग में फ्लेवोनॉयड्स, मैंगनीज और यूजेनॉल होते हैं जो हड्डी और संयुक्त स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। लौंग का सेवन हड्डियों के घनत्व को बढ़ाने में मदद करता है।लिवर होता है मजबूतआपका लिवर शरीर को डिटॉक्स करता है और आपके द्वारा सेवन की जाने वाली दवाओं को मेटाबोलाइज करता है।अपने लिवर के कामकाज को बेहतर करने के लिए आपके पास रोज लौंग होनी चाहिए।
- हायपरटेंशन जर्नल में पब्लिश रिसर्च कहती है, अलसी ब्लड प्रेशर को बढ़ने से रोकती है और दिल की बीमारियों का खतरा कम करती है। इसमें फायबर की मात्रा अधिक होने के कारण यह कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करती है और आंतों में सूजन होने का खतरा घटाती है। अलग-अलग रिसर्च में कई फायदे सामने आने पर इसे सुपरफूड नाम भी दिया गया है। एक्सपर्ट का कहना है, इसे अधिक मात्रा में लेने से बचें। रोजाना 25 ग्राम से अधिक अलसी खाने पर सिरदर्द, सांस लेने में दिक्कत और बेचैनी की शिकायत हो सकती है। हेयर और स्किन चमकदार बनाती है, लेकिन 25 ग्राम से अधिक न लेंसेहत के लिए क्यों फायदेमंद हैं अलसी?जब हम फाइबरयुक्त भोजन करते हैं, तो यह लंबे समय तक हमें पेट के भरे होने का अहसास कराता है, जिससे हम बार-बार खाने से बचते हैं। अलसी भी फाइबर से भरपूर होती हैं। हम जब एंटीऑक्सीडेंट्स युक्त आहार के बारे में सोचते हैं तो फल-सब्जियां दिमाग में आते हैं। लेकिन एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर 100 सबसे आम खाद्य पदार्थों की सूची में अलसी 9वें नंबर पर है। एंटीऑक्सीडेंट्स हमारी कोशिकाओं को स्वस्थ रखते हैं। इसीलिए विशेषज्ञ इसे फायदेमंद मानते हैं।ओमेगा-3 हार्ट के लिए फायदेमंदअलसी में गुड फैट ओमेगा-3 पाया जाता है। जो हार्ट, हाई बीपी और कैंसर के मरीजों के लिए फायदेमंद है। ओमेगा-3 ज्यादातर मांसाहारी चीजों में अधिक पाया जाता है, लेकिन अलसी में यह पर्याप्त मात्रा में होता है। 2.50 लाख लोगों पर हुई स्टडी में भी यह साबित हुआ है कि ओमेगा-3 हृदय रोगों का खतरा 14 फीसदी तक घटाता है।कोलोन और स्किन कैंसर का खतरा घटाती है अलसीकनाडा में 6 हजार महिलाओं पर हुई एक स्टडी के मुताबिक, अलसी कैंसर का खतरा भी घटाती है। इसमें प्लांट फूड के मुकाबले 600 गुना लिग्निन अधिक होता है। यही लिग्निन कोलोन और स्किन कैंसर की आशंका को कम करता है।वजन घटाने में मददगारअगर आप वजन घटाने की शुरुआत कर रहे हैं, तो रोजाना अपनी डाइट में अलसी के बीजों को जरूर शामिल करना चाहिए। इसमें पर्याप्त मात्रा में फायबर और प्रोटीन होता है, जिससे भूख कम लगेगी और आप ओवरइटिंग से बच सकेंगे। ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, प्रोटीन और एंटीऑक्सिडेंट्स मेटाबॉलिज्म को बढ़ाते हैं। बढ़ा हुआ मेटाबॉलिज्म वजन कंट्रोल करने में मदद करता है।पाचन शक्ति बेहतर होती हैअलसी में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचनशक्ति को बढ़ाकर कब्ज की समस्या को दूर करता है। इसमें मौजूद ओमेगा 3 और 6 फैटी एसिड तनाव के स्तर को कम करने में भी मदद करता है।
- बेर का फल जिसे चीनी सेब भी कहा जाता है एक मौसमी फल है। यह फल अनेक प्रकार के औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। अगर इसका सेवन सही तरीके से नहीं किया गया तो इसके नुकसान भी देखने को मिलते हैं।बेर में प्रमुख रूप से विटामिन, राइबोफ्लेविन और थायमिन जैसे तत्व पाए जाते हैं और इसके साथ बेर प्रोटीन, पोटेशियम और कैल्शियम समेत कई पोषक तत्वों का भण्डार माना जाता है। यह विटामिन सी का अच्छा स्रोत माना जाता है, आयुर्वेद के मुताबिक बेर के बीजों में कैंसर जैसी बीमारियों से लडऩे की क्षमता भी होती है। बेर के फल में पाए जाने वाले कुछ प्रमुख पोषक तत्व इस प्रकार हैं-विटामिन सी, ए, और बी कॉम्प्लेक्स-कार्बोहाइड्रेट-प्रोटीन-वसा-आयरन और कॉपर-कैल्शियम और फास्फोरस-सोडियम-जिंक-साइट्रिक एसिडबेर खाने के फायदेवैसे तो बेर का फल औषधीय गुणों से युक्त होने के कारण हर प्रकार से लाभदायक होता है लेकिन आयुर्वेद के हिसाब से भी बेर खाने के अनेकों फायदे हैं। बेर के फल, पत्तियों और बीज का उपयोग अनेक प्रकार से आयुर्वेद में किया जाता है। बेर का फल अपच और पित्तनाशक माना जाता है। इसके बीज गर्भावस्था में मतली, उल्टी और पेट दर्द को रोकने के लिए भी प्रयोग में लाये जाते हैं। बेर की पत्तियां और जड़ें आयुर्वेदिक काढ़ा बनाने में भी उपयोग में लायी जाती हैं। बेर के फल में विटामिन सी, कैल्शियम, लोहा, फास्फोरस, पोटेशियम और जस्ता प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिसकी वजह से यह शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है। पारंपरिक चिकित्सा और अनिद्रा जैसी बीमारियों के इलाज में भी बेर का प्रयोग किया जाता है। बेर खाने के कुछ प्रमुख फायदे इस प्रकार से हैं -1. शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना2. पाचन तंत्र और कब्ज जैसी बीमारियों में फायदेमंद3. मस्तिष्क विकास में सहयोगी4. तनाव, अनिद्रा जैसी बीमारियों में उपयोगी5. शरीर की बैक्टीरिया से रक्षा6. बेर में मौजूद कैल्शियम दांतों और हड्डियों को मजबूत करता है7. लिवर से जुड़ी समस्याओं में उपयोगी8. एंटी एजिंग तत्व चेहरे को रखते हैं साफ़9. बालों के विकास में लाभदायकबेर खाने के नुकसानतमाम पौष्टिक तत्वों और औषधीय गुणों से युक्त बेर के खाने से ज्यादातर लोगों को कोई नुकसान नही होता है। लेकिन कुछ परिस्थितियों में बेर का सेवन वर्जित हैं। कुछ आयुर्वेदिक शोध में कहा गया है कि अधिक मात्रा में बेर का सेवन करने से दस्त, सुस्ती, भूख का कम लगना या कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसका सेवन करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे --मधुमेह की बीमारी से पीडि़त लोगों को-लो फाइबर डाइट का पालन करने वाले लोगों को-लेटेक्स से एलर्जी होने पर भी बेर का सेवन नही करना चाहिए-पेट की गैस और सूजन से पीडि़त लोगों कोअगर आप कोई तनाव या अनिद्रा से जुड़ी दवाई का सेवन कर रहे हैं तो बेर के सेवन से परहेज करना चाहिए। तो, बेर के इन सभी फायदे और नुकसान को जानें और इन्हें अपने डाइट में शामिल करें।
- भुई आंवला एक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद के अनुसार, भुई आंवला के फायदे से अनेक बीमारियों को ठीक किया जाता है। भुई आंवला स्वाद में कसैला और मीठा होता है। अधिक प्यास लगने की परेशानी, खांसी, खुजली, कफ और बुखार आदि में भूमि आंवला के फायदे तो मिलते ही हैं, साथ ही लीवर के किसी भी प्रकार के रोग के लिए भुई आंवला को दिव्य औषधि भी माना जाता है। अगर आप इसे लेप घाव पर करेंगे तो इससे घाव भी ठीक हो जाता है। यह कुष्ठ रोग में भी उपयोगी होता है। आइए जानते हैं कि भूमि आंवला के औषधीय गुण से किस-किस रोग में लाभ मिल सकता है। इसके फल धात्रीफल की तरह गोल, लेकिन आकार में छोटे होते हैं। इसी कारण इसे भूधात्री और भूम्यामल भी बोला जाता है। भू-आंवला की तीन प्रजातियां होती है।-भुई आंवला पंचांग को चावल के पानी के साथ पीसकर घाव पर लगाने से घाव की सूजन ठीक हो जाती है। भुई आंवला के पत्तों का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से भी घाव ठीक होता है। भुई-आंवला के कोमल पत्तों को पीसकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।-सांसों से जुड़ी बीमारियों में भुई आंवला बहुत फायदेमंद होता है। भूम्यामलकी की 10 ग्राम जड़ को जल में पीस लें। इसमें 1 चम्मच मिश्री या शहद मिलाएं। इसे पिलाने से, और इसको नाक के रास्ते देने से सांसों के रोग में लाभ होता है।-भुई आंवला के पत्तों को पीस लें। इसमें नमक मिलाकर खुजली पर लगाएं। खुजली ठीक हो जाती है। इसे जांघों की खुजली में भी लगाया जा सकता है। जिस अंग पर चोट लगी होस, वहां भुई-आंवला के कोमल पत्तों पीसकर लगाएं। इससे चोट का दर्द कम हो जाता है।-भुई आंवला को सेंधा नमक के साथ तांबे के बर्तन में जल में घिसें। इसे आंखों के बाहर लेप करने से आंखों के रोग में लाभ होता है।-भूम्यामलकी के 50 ग्राम पत्ते लें। इसे 200 मिली जल में मिलाकर काढ़ा बना लें। इससे कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।-भुई आंवला के 50 ग्राम पंचांग को आधा लीटर जल में गर्म कर लें। जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए है तो एक-एक चम्मच काढ़ा को दिन में दो बार पिलाने से खांसी में लाभ होता है। पिप्पली, लाल चन्दन, भुई आंवला, सारिवा और अतीस आदि द्रव्यों से बने घी का नियम से सेवन करें। इससे भी खांसी की बीमारी से आराम मिलता है।-भुई आंवला के 20 ग्राम पत्तों को 200 मिली जल में उबालें। इसे छानकर थोड़ा-थोड़ा पीने से पेट दर्द से आराम मिलता है।-भुई आंवला की जड़ और पत्तों से काढ़ा बना लें। इसे ठंडा होने पर लगभग 10-20 मिली मात्रा में दिन में दो बार लें। इससे जलोदर रोग में लाभ होता है।--छाया में सुखाए हुए भूमि आंवला को मोटा-मोटा कूटकर रख लें। अब 10 ग्राम भूम्यामलकी को 400 मिली पानी में पकाएं। जब यह एक चौथाई से भी कम रह जाए, तब छानकर सुबह खाली पेट, और रात को भोजन से एक घण्टा पहले सेवन करें। यह आंतों में होने वाले घाव (अल्सर) को ठीक करने वाली चमत्कारिक औषधि है।-सिर दर्द से आराम पाने के लिए घी में पिप्पली, लाल चन्दन, भुई आंवला , सारिवा और अतीस आदि द्रव्यों से मिला लें। इसका सेवन करें। इससे सिर दर्द ठीक हो जाता है।-भुई आंवला के कोमल पत्तों लें। पत्ते की एक चौथाई काली मिर्च लें। दोनों को पीस लें। पीसने के बाद जायफल के बराबर गोलियां बना कर 2-2 गोली दिन में दो बार दें। अगर कोई रोगी गंभीर बुखार से ग्रस्त है तो इससे लाभ होता है। इसके साथ ही बार-बार आने वाले गंभीर बुखार में भी लाभ होता है।---
- नोनी एक प्राकृतिक जड़ी-बूटी है, इसका पत्तियां, फल, जड़, तने इत्यादि का सेवन कई रोगों के उपचार में किया जाता है। यह विटामिन और प्रोटीन जैसे कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो सेहत और स्किन के लिए फायदेमंद है।नोनी स्वास्थ्य के लिए है फायदेनोनी एक ऐसी जड़ी-बूटी है जिसकी पत्तियां, तने और फल लगभग सभी हिस्से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। इसमें डायबिटीज से लेकर कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव करने की क्षमता होती है। इसके फलों से तैयार जूस भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है।1. डायबिटीज करे कंट्रोलनोनी जूस का सेवन करने से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। इसमें एंटीडायबिटीज गुण होते हैं, जो टाइप 2 डायबिटीज को कंट्रोल कर सकते हैं। यह हमारे ब्लड में मौजूद शुगर और ग्लूकोज की मात्रा को कम करने में असरकारी हो सकते हैं। नोनी जूस में डायबिटीज को कंट्रोल करने की क्षमता होती है।2. इम्यूनिटी को बूस्ट करे नोनी जूसइसके जूस में एंटीऑक्सीडेंट गुणों के साथ-साथ कई अन्य गुण भी छिपे होते हैं। जो कई बीमारियों से बचाव में कारगर साबित हो सकते हैं।3. कैंसर में नोनी जूस के फायदेनोनी के जूस में कई ऐसे गुण हैं, जो गंभीर से गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं। नोनी से तैयार जूस में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीकैंसर गुण छिपे होते हैं, जो कैंसर सेल्स को शरीर में पनपने नहीं देते हैं। इसके साथ ही यह धूम्रपान से होने वाले कैंसर से बचाव करने में असरकारी साबित हो सकता है। इतना ही नहीं नोनी में एंटीट्यूमर गुण समृद्ध रूप से होता है, जो कैंसर के ट्यूमर को बढऩे नहीं देता है।4. पाचन में करे सुधारपाचन से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने में नोनी असरकारी साबित हो सकता है। इसमें पेट में होने वाले दर्द और सूजन को कम करने की क्षमता होती है। डॉक्टर की सलाह पर नियमित रूप से इसका सेवन आंतों की सूजन जैसी परेशानी को भी ठीक किया जा सकता है। इसके साथ ही यह पाचन से जुड़ी अन्य समस्याओं को भी ठीक कर सकता है।5. लिवर को रखे स्वास्थ्यनोनी में हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं, जो लिवर को नुकसान पहुंचाने वाले कारणों से सुरक्षित रखते हैं। इसके अलावा यह लिवर से जुड़ी तमाम परेशानियों को ठीक कर सकते हैं।6. सूजन की समस्याओं को करे दूरनोनी के जूस में कई बीमारियों को कंट्रोल करने का गुण छिपा होता है। इसमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होता है, जो शरीर में होने वाले सूजन को कम करने में असरकारी है। रिसर्च में देखा गया है कि नोनी में पाए जाने वाले एंटीइंफ्लेमेटरी गुण, फेफड़ों की सूजन को कम करने में असरकारी होते हैं।7. वजन करे कंट्रोलवजन को कंट्रोल करने में नोनी फायदेमंद हो सकता है। सुबह खाली पेट इस रस के सेवन से मोटापा कंट्रोल होगा। इसमें एंटी-ओवेसिटी गुण पाए जाते हैं, जो बढऩे मोटापे को कंट्रोल कर सकते हैं।8. गठिया की परेशानियों होंगी दूरबढ़ती उम्र के साथ गठिया की समस्या होने लगती है। इस बीमारी के वजह से लोगों का चलना मुश्किल हो जाता है। गठिया में जोड़ों में दर्द और सूजन जैसी कई परेशानियां होने लगती हैं। ऐसे लोगों के लिए नोनी का जूस काफी फायदेमंद हो सकता है। इसमें एंटी-अर्थराइटिस गुण होता है। साथ ही ऑटोइम्यून विकार से होने वाले गठिया रोगों को कंट्रोल करने का गुण होता है।नोनी के नुकसाननोनी में पोटैशियम की अधिकता होती है, जो लिवर और हृदय रोगियों के लिए हानिकारक होती है। इसलिए एक्सपर्ट की सलाहनुसार ही इसका सेवन करें। कम वजन वाले लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसके सेवन से आपके शरीर का वजन और अधिक घट सकता है। ब्लड शुगर की परेशानी से ग्रसित लोगों को इसके सेवन से परहेज करना चाहिए। क्योंकि इसके सेवन से शरीर में ग्लूकोज की मात्रा कम हो जाती है।नोनी का सेवन सही और उचित मात्रा में करने के लिए आयुर्वेद एक्सपर्ट से जरूर संपर्क करें। अपने हिसाब से इसका सेवन ना करें, वरना यह आपके सेहत को फायदे पहुंचाने के बजाय नुकसान भी पहुंचा सकता है। ऐसे में एक्सपर्ट की सलाह लिए बिना इसका सेवन ना करें।
- सूखी खांसी एक ऐसी बड़ी बीमारी है, जिसके एक बार होने से इससे छुटकारा पाना आसान नहीं होता, लेकिन हम आपको बता रहे हैं सूखी खांसी से निजात पाने का कारगर घरेलू नुस्खा । इस नुस्खे में आपको इस्तेमाल करना है बस शहद, अदरक और मुलेठी का।खांसी-जुकाम शरीर की एक रक्षात्मक प्रणाली है, जो वायु मार्ग से बलगम, धूल या धुएं को साफ करने के लिए होती है। जब भी शरीर में कोई संक्रमण होता है या जैसे मौसम बदलने पर होने वाले आम फ्लू वगैरह, तो शरीर सबसे पहले नाक से उसे बाहर निकालने की कोशिश करता है, तो नाक में मौजूद म्यूकस पतला हो जाता है और नाक बहने लगती है, जिससे की संक्रमण या बैक्टीरिया उससे बाहर चला जाता है। जब हमारा शरीर उसे नाक से बाहर करने में सक्षम नहीं होता और संक्रमण गले तक पहुंच जाता है, तो आपका शरीर बलगम या खांसी की मदद से उसे बाहर फेंकने का प्रयास करता है। सूखी खांसी ठीक करने के लिए शहद, अदरक और मुलेठी का इस्तेमाल काफी कारगर होता है।शहद और अदरक में कई औषधीय गुण होते हैं। दोनों ही इम्यूनिटी बूस्ट करने में भी ये काफी मददगार हैं। अदरक में फलेगम होता है जो एंटीमाक्रोबायल गुणों से भरपूर है। इसके साथ ही शहद डेम्यूलसेंट है, जो राहत देने वाला है। इनके अलावा मुलेठी खांसी को ठीक करने में मददगार है। सूखी खांसी से राहत के लिए एक चम्मच शहद में जरा सा अदरक का जूस डालें और पी लें। इसके कुछ देर बाद आप मुंह में मुलेठी की छोटी सी डंडी रखें। मुलेठी आपके गले को सूखने नहीं देगी। मुलेठी सूखे गले और खराश से राहत दिलाने का काम करेगी।अगर खांसी लंबे समय से आ रही है और साथ ही बलगम में खून निकल रहा है, तो डॉक्टर से जरूर सलाह लें। जब खांसी दो हफ्ते से ज़्यादा लंबे समय तक बनी रहती है, तब इसका डायग्नॉस्टिक टेस्ट करना महत्वपूर्ण हो जाता है।
- अर्जुन एक ऐसा सदाबहार वृक्ष है, जिसमें कई औषधीय गुण मौजूद हैं। इसकी अंदरूनी छाल अधिक औषधीय गुणों से भरपूर है। साथ ही इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक भी करते हैं। यह कई गंभीर समस्या जैसे स्ट्रोक, हार्ट अटैक, हृदय फेलियर आदि रोगों पर प्रभावशाली है। आज हम जानेंगे अर्जुन की छाल के फायदे....अर्जुन की छाल से सेहत को अनेक फायदे मिल सकते हैं। इसके अंदर कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे- पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि मौजूद हैं, ऐसे में इसके प्रयोग से कई समस्याओं को दूर किया जा सकता है। यह स्वाद में कसैली और तीखी होती है।मधुमेह के रोगियों के लिए उपयोगीमधुमेह के रोगियों के लिए अर्जुन की छाल बेहद उपयोगी है। ऐसे में मधुमेह से पीडि़त रोग अर्जुन की छाल के चूर्ण को देसी जामुन के बीजों के साथ मिलाएं व नियमित रूप से रात को सोने से पहले बने चूर्ण का सेवन करें। मात्रा जानने के लिए एक बार आयुर्वेदाचार्य से संपर्क करें। इसके अलावा आप घर पर अर्जुन की छाल का काढ़ा भी बना सकते हैं। इसके लिए आपको कदम्ब की छाल, अर्जुन की छाल, जामुन की छाल तथा आजवाइन को एक साथ बराबर मात्रा में पीसना होगा और गैस पर आधा लीटर पानी के साथ उबालना होगा। थोड़ी देर के बाद बने मिश्रण को छानें और ठंडा होने के बाद पी लें।त्वचा के लिए उपयोगीअर्जुन की छाल का प्रयोग त्वचा के लिए किसी अमृत से कम नहीं है। इससे बना उबटन त्वचा को कई समस्याओं से दूर रख सकता है। अगर आप अपनी स्किन को टाइट करना चाहते हैं या चमकदार और साफ दिखाई देना चाहते हैं तो अर्जुन की छाल से बना लेप एक अच्छा विकल्प है। आप इसे घर पर ही बना सकते हैं। इसके लिए आपको बादाम, हल्दी, कपूर और अर्जुन की छाल को बराबर मात्रा में लेकर पीसना होगा और चेहरे पर लगाना होगा।मोटापे से छुटकारा दिलाएअर्जुन की छाल से बना काढ़ा नियमित रूप से सेवन करने से शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी खुद-ब-खुद कम होनी शुरू हो जाएगी। इसके लिए आपको अलग से व्यायाम करने की जरूरत नहीं है।दिल की सेहत के लिएअर्जुन की छाल हृदय संबंधी समस्या से लडऩे में मददगार हैं। ये न केवल अनियमित धड़कन संकुचन दूर करती है बल्कि हृदय में आई सूजन, स्ट्रोक के खतरे को भी दूर कर सकती है। यह दिल को ताकत पहुंचाती है। ऐसे में आम अर्जुन की छाल और जंगली प्याज को समान मात्रा में लें और उसका चूर्ण बनाएं। इस पाउडर को नियमित रूप से दूध के साथ सेवन करने से हृदय की ब्लॉकेज दूर होगी और मांसपेशियों को मजबूती मिलेगी।मूत्र की रुकावट को दूर करेमूत्र से संबंधित रोगों को दूर करने में अर्जुन की छाल बेहद फायदेमंद है। इसके अलावा गुर्दे या मूत्राशय की पथरी को निकालने में भी इसका प्रयोग किया जाता है। ऐसे में अर्जुन की छाल को पीसकर दो कप पानी में उबालें और गैस से उतारकर रोगी को इसका सेवन करने के लिए दें। इसका सेवन दिन में दो बारकिया जा सकता है। ऐसा करने से न केवल पेशाब की रुकावट दूर होती है बल्कि शरीर में भी तंदुरुस्ती आती है।मुंह के छालेअर्जुन की छाल से मुंह के छालों को दूर किया जा सकता है। ऐसे में अर्जुन की छाल के चूर्ण को नारियल के तेल के साथ मिलाएं और छालों पर लगाएं। ऐसा करने से मुंह के छाले तुरंत ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति बुखार से पीडि़त है तो अर्जुन के चूर्ण को गुड़ के साथ सेवन करें। ऐसा करने से बुखार उतर जाएगा।अर्जुन की छाल से होने वाले नुकसानअर्जुन की छाल से रक्त स्राव के साथ शर्करा को भी कम किया जा सकता है। ऐसे में जो लोग बीपी या मधुमेह की दवाई का सेवन करते हैं उन लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है। इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर करें। गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन करने से पहले महिलाएं एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- कुसुम का फल बेर की तरह होता है । यह स्वाद में खट्टे होते हैं। कुसुम फल एक औषधि के रूप में काम करता है। इसकी जड़, छाल, बीज, पत्ते आदि का इस्तेमाल विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है।कुसुम फल खाने के फायदे1. डायबिटिक मरीजों के लिए फायदेमंदकुसुम के फल में एंटी डायबिटीक प्रॉपर्टीज होती हैं। जिसे खाने से डायटिबिटक मरीजों को फायदा मिलता है।2. बच्चों के लिए फायदेमंदकुसुम का फल बच्चों की सेहत के लिए फायदेमंद भी है। इसे खाने से बच्चों के पेट में कीड़े की समस्या खत्म होती है।3. गंजेपन को करे दूरकुसुम के फल के बीज से निकाला गया तेल बालों में लगाने से बाल झडऩे की समस्या दूर होती है। यह गंजेपन की समस्या भी दूर करता है।4. कान के दर्द में सहायककुसुम का तेल कान के दर्द में सहायक होता है। उस तेल में लहसुन मिलाकर गर्म कर लें, फिर ठंडा होने पर कान में डालें। इससे कान के दर्द में मदद मिलेगी।5. अल्सर को करे ठीककुसुम के फल के बीज के पाउडर को घाव में लगाने से पुराना घाव भी जल्दी ठीक हो जाता है। दरअसल यह एंटी बैक्टिरियल होता है जो कई बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है।6. शरीर रखे साफकुसुम फल शरीर को डिटॉक्स करता है। कुसुम के फल के बीज से अब साबुन भी तैयार किया जा रहा है।7. जोड़ों के दर्द में करे मददइस फल को खाने से जोड़ों का दर्द खत्म हो जाता है।8. माहवारी में उपयोगीइस फल में कई रोगों को खत्म करने की ताकत होती है। इसे खआने से माहवारी के दौरान होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है।9. चेहरे के लिए लाभदायकइस फल को खाने से चेहरे से गैर जरूरी बाल हट जाते हैं। साथ ही चेहरा चमकने लगता है।10. कैंसर में मददगारइस फल में कैल्शियम, फाॉसफोरस, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। इसमें वैनेलिक एसिड पाया जाता है। यह फल एंटी-इंफलामेंट्री, एंटी कैंसर होने के कारण कैंसर को पनपने से रोकता है।कुसुम फल को खाने के नुकसानकुसुम फल के अधिक इस्तेमाल से पेट खराब हो सकता है। तो वहीं गले में दर्द भी पैदा हो सकता है। इसलिए नियंत्रित रूप से फल को खाएं।
- क्या आपकी बार-बार सांस फूलती है? या फिर आपको थोड़ा-सा काम करने के बाद ही शरीर में दर्द और सीने में जकड़न की समस्या होने लगती है? अगर आपको ऐसी ही समस्याएं होती हैं, तो सावधान होने का वक्त है क्योंकि ये लक्षण आम नहीं बल्कि अस्थमा के भी हो सकते हैं इसलिए अगर आपको ज्यादा परेशानी हो रही है, तो आपको तुंरत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। आइए, जानते हैं अस्थमा के कुछ शुरुआती लक्षण क्या है-हमेशा सूखी खांसी का होनाज्यादातर लोगों को सर्दी-जुकाम या फिर ब्रोंकाइटिस में कफ या सूखी खांसी आती है लेकिन ये अस्थमा का भी संकेत हो सकता है। हंसने या लेटने के बाद आपकी खांसी और बढ़ जाती है और ये खांसी आपके गले से नहीं बल्कि छाती से आती है। इस तरह के अस्थमा को कफ वेरिएंट अस्थमा कहते हैं।हमेशा उबासी, सांस फूलनालगातार उबासी, सांस फूलना या गहरी सांस की वजह हमेशा ऐंगजाइटी या थकान होती है। बासी या गहरी सांस लेने से शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन मिलती है और कार्बन डाइऑक्साइड भी ज्यादा बाहर निकलती है। ये तीनों चीजों वायुमार्ग में आए असंतुलन की वजह हो सकती हैं।रात में इन समस्याओं का बढ़नाआप कफ और सांस की घरघराहट की वजह से सो नहीं पाते हैं तो ये एक गंभीर समस्या हो सकती है। ठीक से ना सो पाने की वजह से एनर्जी कम हो जाती है और इसका असर मानसिक रूप से भी पड़ता है। क्रोनिक स्लीपलेसनेस को दिल की बीमारी या फिर डायबिटीज के संकेतों से भी जोड़ कर देखा जाता है।सीने में जकड़न का होनासीने में जकड़न या दर्द हमेशा दिल की बीमारी की वजह से नहीं होता है। ये भी अस्थमा का एक मुख्य लक्षण हो सकता है। सीने में जकड़न की वजह से अस्थमा अटैक आ सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अस्थमा अटैक की वजह से सीने में जकड़न, सांस लेने में तकलीफ और कफ का अनुभव होता है।तेज-तेज सांसे लेनाकुछ लोगों में तेज-तेज सांस लेना भी अस्थमा का लक्षण माना जाता है। अमेरिका की क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, वयस्कों के सांस लेने की सामान्य दर 12 से 20 सांस प्रति मिनट होती है। अगर आप इससे अधिक तेजी से सांस ले रहे हैं तो आपको हाइपरवेंटिलेशन भी हो सकता है।
- भृंगराज स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। इससे स्किन और बालों की समस्याओं के साथ-साथ कई अन्य परेशानी से निजात पा सकते हैं। भृंगराज एक आयुर्वेदिक औषधीय पौधा है। अधिकतर लोग इसका इस्तेमाल तेल के रूप में करते हैं। भृंगराज के इस्तेमाल से बालों की ग्रोथ अच्छी होती है। इससे बालों की हर एक परेशानी जैसे- बालों का झडऩा, सफेद बाल इत्यादि से छुटकारा मिलता है। इतना ही नहीं भृंगराज के इस्तेमाल से आप अन्य समस्याओं से निजात पा सकते हैं।भृंगराज के औषधीय गुणभृंगराज में कई एंटी-ऑक्सिडेंट्स गुण मौजूद है, जिसमें फ्लैवानॉयड और एल्कलॉइड शामिल हैं। यह एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर के हानिकारक पदार्थों को शरीर से बाहर निकालते हैं। इसके इस्तेमाल से लिवर में मौजूद टॉक्सिंस को बाहर निकाला जा सकता है। यह लिवर को सुरक्षित रखने में आपकी मदद करता है। इसके अलावा भृंगराज में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो लिवर के हेपेटाइटिस सी जैसे संक्रमण से बचाव करता है। इसके साथ ही भृंगराज के इस्तेमाल से शरीर में होने वाले सूजन से राहत मिलती है। बालों की कई परेशानियों को दूर करने में भृंगराज फायदेमंद हो सकता है।भृंगराज के फायदे1. स्किन कटने, छिलने पर दिलाए राहतनियमित रूप से भृंगराज के सेवन आप कई परेशानियों से राहत पा सकते हैं। इससे स्किन कटने, छिलने और घाव जैसी परेशानियों से राहत पा सकते हैं। भृंगराज स्किन पर होने वाले विकारों जैसे- छिलने, कटने और घाव से आराम दिलाता है।2. इम्यूनिटी क्षमता बढ़ाने में मददभृंगराज के इस्तेमाल से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसके इस्तेमाल से रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने वाली कोशिकाओं का उत्पादन सही तरीके से होता है। यह हमारे शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स को बढ़ाने का कार्य करती है, जो इम्यूनिटी पावर को बूस्ट करता है।3. फैटी लीवर और पीलिया आदि में भी फायदेमंदभृंगराज में एंटी-इंफ्लैमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूदहोता है, जो पीलिया और फैटी लिवर की बीमारी से छुटकारा दिलाने में मददगार हो सकता है। फैटी लिवर और पीलिया की परेशानी से राहत पाने के लिए आप भृंगराज का सेवन दिन में 2 बार कर सकते हैं। खाना खाने के बाद गर्म पानी के साथ भृंगराज का पाउडर खाएं। बेहतर परिणाम के लिए 1-2 महीने तक लगाकर इसका सेवन किया जा सकता है।4. कफ एवं वात विकार में फायदेमंदभृगराज में मौजूद पोषक तत्व, कफ-वात के विकारों को कम करने में असरदार होता है। इसके सेवन से कफ-वात की परेशानियों से निजात पा सकते है। आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर की कई परेशानियों का जड़ कफ-वात होता है। इसलिए अगर आप कफ-वात के विकार से सुरक्षित हैं, तो कई समस्याओं से खुद का बचाव कर सकते हैं।5. किडनी की परेशानी से दिलाए राहतकिडनी रोगियों के लिए भी भृंगराज काफी फायदेमंद है। किडनी की परेशानी को दूर करने के लिए आयुर्वेद में इसके जड़ का इस्तेमाल किया जाता है। भृंगराज का जड़ शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालता है। इससे शारीरिक कार्यप्रणाली बेहतर होती है।6. स्किन के संक्रमण को करे दूरयह एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसमें एंटी-इंफ्लामेंटरी गुण होता है। इसके इस्तेमाल से स्किन पर होने वाले संक्रमण से बचा जा सकता है।7. कब्ज और अपच की परेशानी होगी दूरभृंगराज में एंटी-इंफ्लमैटरी तत्व होता है, जो लिवर को स्वस्थ रखकर आपकी पेट की कार्य प्रणाली को बेहतर करता है। इसके सेवन से आंत सुचारू रूप से कार्य करता है। यह पेट में होने वाली अपच, कब्ज और पेट की अन्य परेशानियों से राहत दिलाता है। इसके साथ ही भृंगराज के सेवन से आप लिवर में होने वाले सूजन को कम कर सकते है।8. बालों के लिए है असरदारअधिकतर तेल और शैंपू में भृंगराज का इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि इसके इस्तेमाल से बालों का विकास बेहतर तरीके से होता है। झड़ते बालों की समस्याओं से राहत दिलाने में यह असरकारी है। इतना ही नहीं, सफेद बालों की परेशानी से छुटकारा दिलाता है।
- आयुर्वेद में आंवले को पंचरस कहा गया है तो वहीं खजूर की अहमियत भी उससे कम नहीं है। खजूर में 32 फीसदी मिनरल्स होते हैं। आयुर्वेद में कहा गया है कि ब्रह्मांड में जितनी भी वस्तुएं हैं वे पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश से बनी हैं। खजूर में अग्नि और पृथ्वी के गुण होते हैं। खजूर को गर्मी में नहीं खाया जा सकता, क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है। रोजाना नियमित रूप से खजूर का दूध पीने के कई फायदे होते हैं।खजूर वाला दूध बनाने की विधि-एक कप दूध लें, इसमें दो खजूर मिला लें और फिर इसे अच्छी तरह से उबाल लें। जब दूध पौना कप रह जाए तब पी लें। खजूर वाला दूध रात को ही पिएं। खजूर का दूध हमेशा घर में ही बनाकर पिएं।खजूर के दूध के फायदे1. पेट रखे साफखजूर का दूध पीने से पेट साफ रहता है। खजूर में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसलिए पाचन ठीक से होता है। जब पेट में खाने का पाचन ठीक से होगा तो पेट से संबंधित आधे से ज्यादा रोग ऐसे ही ठीक हो जाएंगे।2.हड्डियां रखे मजबूतखजूर वैसे ही हड्डियों के लिए ठीक होता है। साथ में दूध पीने पर इसमें कैल्शियम भी मिल जाता है जिससे शरीर में कैल्शियम की कमी पूरी होती और हड्डियां मजबूत रहती हैं। खजूर में प्रोटीन होता है जिससे मांसपेशियां भी ठीक रहती हैं। और खजूर व दूध का मिश्रण हड्डियों को मजबूत करता है। इसके अलावा खजूर के दूध में विटामिन, आयरन, एंटी-ऑक्सीडेंट आदि गुण होते हैं जिनसे हड्डियों को मजबूती मिलती है। इसके नियमित सेवन से गठिया के रोग से छुटकारा मिलता है। साथ ही नींद अच्छी आती है।3.शारीरिक कमजोरियों को करे दूरखजूर में इतने फायदे होते हैं कि इसके नियमित सेवन से शरीर की शारीरिक कमजोरियां भी ठीक होती हैं। इसमें ग्लूकोज और फ्रक्टोज की मात्रा अधिक होती है जिससे शरीर को स्टैमिना मिलता है। साथ ही खजूर और दूध का सेवन करने से वीर्य संबंधी परेशानियां दूर होती हैं और स्पर्म काउंट बढ़ता है।4.दिल के लिए अच्छा है ये दूधखजूर वाले दूध का सेवन करने से दिल की बीमारियां ठीक होती हैं। दरअसल खजूर वाला दूध पीने से कॉलेस्ट्रॉल कम होता है, इसलिए यह दिल के लिए फायदेमंद है। रोजाना और नियमित रूप से इसका सेवन करने से दिल की बीमारियां ठीक रहती हैं।5. .याददाश्त बढ़ाएखजूर के दूध का सेवन करने पर दिमाग तेज होता है। कहा जाता है कि रोजाना दो खजूर दूध के साथ लेने पर दिमाग की सूजन कम होती है। साथ ही दिमाग की नसों को आराम मिलता है और याद करने की क्षमता तेजी से बढ़ती है।6.दांतों को रखे मजबूतखजूर वाला दूध रोजाना पीने से दांतों को मजबूती मिलती है। इसमें फास्फोरस होता है जिससे दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं। इसके अलावा खजूर वाला दूध पीने से चेहरे का ग्लो भी बढ़ता है। इसलिए खजूर के दूध का सेवन की बीमारियों से निजात पाने के लिए किया जा सकता है।7. जिन लोगों को शुगर की दिक्कत है वे खजूर का दूध का सेवन न करें। खजूर का दूध रात में ही पिएं। रात में हमारा शरीर तेजी से काम करता है । खजूर का दूध रात में लेने से नींद भी अच्छी आती है।---
- मानसिक स्वास्थ्य वो होता है, जिसमें हमारा भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण शामिल होता है। यह हमारे सोचने, समझने, महसूस करने और कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मानसिक स्वास्थ्य से किसी व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का अहसास होता है, उसे यह भरोसा होता है कि वह जीवन के सामान्य तनाव का सामना कर सकता है और समाज के प्रति अपना योगदान देने में सक्षम होता है। इंदौर स्थित समर्थ साइकोथेरेपी एंड काउंसिलिंग सेंटर के मनोचिकित्सक डॉ. संजीव त्रिपाठी कहते हैं, अगर हम चाहें तो मानसिक स्वास्थ्य को दो भागों में बांट सकते हैं। पहला, न्यूरोटिक समस्या और दूसरा साइकोटिक समस्या। न्यूरोटिक समस्याओं में अवसाद, चिंता या घबराहट और फोबिया आदि आते हैं, जबकि साइकोटिक समस्याओं में सिजोफ्रेनिया, पैरानॉयड डिसऑर्डर आदि आते हैं।सिजोफ्रेनिया क्या है?यह एक ऐसा विकार है, जो व्यक्ति की स्पष्ट रूप से सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने की क्षमता को प्रभावित करता है। इस स्थिति में व्यक्ति कल्पना और वास्तविकता में अंतर नहीं कर पाता। इसके लक्षणों में सोचने या बोलने में असामान्यता, व्यवहार में असामान्यता, रोजमर्रा की सामान्य गतिविधियों में रूचि खो देना (जैसे- सामाजिक अलगाव, जीवन से संबंधित योजनाएं बनाने में परेशानी) आदि शामिल हैं।पैरानॉयड डिसऑर्डर क्या है?आमतौर पर संदेह करना एक सामान्य मानवीय प्रवृत्ति है, लेकिन जब यह किसी की आदत बन जाए और वह हमेशा संदेह से घिरा रहे, तो यह पैरानॉयड पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है। इस समस्या से ग्रसित मरीज भ्रम में रहने लगते हैं। छोटी-छोटी बातों पर बेवजह शक करना और शक का पक्के विश्वास में बदल जाना, पैरानॉयड पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लक्षण हैं।मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ समस्याएं, जैसे- अवसाद की वजह से हमें कई प्रकार की शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अगर अवसाद लंबे समय तक बना रहे, तो यह हृदय संबंधी रोगों का खतरा भी बढ़ा देता है। क्या स्ट्रेस (तनाव) जिंदगी के लिए घातक हो सकता है? इस सवाल के जवाब में डॉ. संजीव कहते हैं, स्ट्रेस जानलेवा नहीं होता है, डिप्रेशन (अवसाद) जानलेवा हो सकता है। स्ट्रेस में आम तौर पर सुसाइडल थॉट (आत्महत्या के विचार) देखने को नहीं मिलते हैं। स्ट्रेस में आदमी आत्महत्या नहीं करता है, स्ट्रेस जब आगे बढ़कर डिप्रेशन तक पहुंच जाता है, तब आत्महत्या करने की संभावना बढ़ जाती है।
- मौसम बदलते ही सबसे पहले व्यक्ति का गला खराब होने लगता है। उसे कफ, बलगम या गले में खराश जैसी समस्याएं परेशान करने लगती हैं। ऐसी ही समस्याओं से निजात पाने में अमृतसर की फेमस मिठाई आपकी मदद कर सकती है। जी हां, इस मिठाई का नाम है अमृतसरी 'गुड़ का हलवाÓ। अमृतसरी 'गुड़ का हलवाÓ किचन में मिलने वाले सामान से बड़ी आसानी से घर पर ही बनाया जा सकता है। तो देर किस बात की आइए जानते हैं कैसे बनाया जाता है यह टेस्टी हलवा।अमृतसरी 'गुड़ का हलवा बनाने के लिए सामग्री -1 कप सूजी1/2 कप पिसा हुआ गुड़1/4 चम्मच सौंफ के बीज5 केसर के लच्छे2 चम्मच काजू2 चम्मच किशमिश1/4 कप दूध2 कप पानी2 1/2 बड़े चम्मच घीविधि -पैन को मीडियम फ्लेम पर रखें। पैन में घी डालकर इसे गरम करें। इसके बाद सौंफ डालकर इसे चटकने दें। अब इसमें सूजी डालें और ब्राउन होने तक भूनें। आंच धीमी रखें वर्ना सूजी जल जाएगी। एक और पैन लेकर इसमें मध्यम आंच पर पानी गरम करें। उबल जाए तो इसमें गुड़ डालें। इसे घुल जाने दें। आंच धीमी करके पानी और गुड़ का गाढ़ा मिक्सचर बन जाने दें।अब गुड़ के घोल को सूजी में डालें।आंच पर 3-3 मिनट तक पकाएं इसके बाद इसमें दूध और केसर डाल दें। अगर आप दूध में पहले से केसर भिगाकर रखेंगे तो हलुवे का बढिय़ा कलर मिलेगा। हलवा गाढ़ा हो जाए तो इसमें मेवा डाल दें और फिर दो मिनट तक पकाएं। बादाम काटकर गार्निश करें।
- शाम को अगर आपको चाय के साथ स्नैक्स का मन करता है या आप दिन के बीच कुछ चटपटी चीजें खाते रहते हैं, तो आपको एक हेल्दी स्नैक्स की जरुरत है। अंकुरित काले चने न सिर्फ आपकी भूख शांत करेंगे बल्कि इससे आपका वजन भी कंट्रोल रहेगा। अंकुरित चने क्लोरोफिल, विटामिन ए, बी, सी, डी और के, फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैग्नीशियम और मिनरल्स का अच्छा स्रोत होते हैं। साथ ही इसे खाने के लिए किसी प्रकार की कोई खास तैयारी नहीं करती पड़ती। रातभर भिगोकर सुबह एक-दो मु_ी खाकर हेल्थ अच्छी हो सकती है।काले चने खाने के फायदे-चने में मौजूद फाइबर की मात्रा पाचन के लिए बहुत जरूरी होती है। रातभर भिगोए हुए चने से पानी अलग कर उसमें नमक, अदरक और जीरा मिक्स कर खाने से कब्ज जैसी समस्या से राहत मिलती है। साथ ही जिस पानी में चने को भिगोया गया था, उस पानी को पीने से भी राहत मिलती है। लेकिन कब्ज दूर करने के लिए चने को छिलके सहित ही खाएं।-रोजाना सुबह काला चना खाने से फिट तो रहते ही है साथ ही जल्द एनर्जी देने में भी सहायक होता है। रातभर भिगोए हुए या अंकुरित चने में हल्का सा नमक, नींबू, अदरक के टुकड़े और काली मिर्च डालकर सुबह नाश्ते में खाएं, बहुत फायदेमंद होता है। आप चने का सत्तू भी खा सकते हैं। यह बहुत ही फायदेमंद होता है। -गर्मियों में चने के सत्तू में नींबू और नमक मिलाकर पीने से शरीर को एनर्जी तो मिलती ही है, साथ ही भूख भी शांत होती है।-दूषित पानी और खाने से आजकल किडनी और गॉल ब्लैडर में पथरी की समस्या आम हो गई है। हर दूसरे-तीसरे आदमी के साथ स्टोन की समस्या हो रही है। इसके लिए रातभर भिगोए हुए काले चने में थोड़ी सी शहद की मात्रा मिलाकर खाएं। रोजाना इसके सेवन से स्टोन के होने की संभावना काफी कम हो जाती है और अगर स्टोन है तो आसानी से निकल जाता है। इसके अलावा चने के सत्तू और आटे से मिलकर बनी रोटी भी इस समस्या से राहत दिलाती है।-चना ताकतवर होने के साथ ही शरीर में एक्स्ट्रा ग्लूकोज की मात्रा को कम करता है जो डायबिटीज के मरीजों के लिए कारगर होता है। लेकिन इसका सेवन सुबह-सुबह खालीपेट करना चाहिए। चने का सत्तू डायबिटीज से बचाता है। एक से दो मु_ी काले चना का सेवन करने से ब्लड शुगर की मात्रा को भी नियंत्रित करता है।-शरीर में आयरन की कमी से होने वाली एनीमिया की समस्या को रोजाना चने खाकर दूर किया जा सकता है। चने में शहद मिलाकर खाने से जल्द असर करता है।-आयरन से भरपूर चना एनीमिया की समस्या को काफी हद तक कम कर देता है। चने में 27 फीसदी फॉस्फोरस और 28 फीसदी आयरन होता है जो न केवल नए बल्ड सेल्स को बनाता है, बल्कि हीमोग्लोबिन को भी बढ़ाता है।-हिचकी की समस्या से ज्यादा परेशान हैं, तो चने के पौधे के सूखे पत्तों का धूम्रपान करने से हिचकी आनी बंद हो जाती है। साथ ही चना आंतों-इंटेस्टाइन की बीमारियों के लिए भी काफी फायदेमंद होता है।
- कचनार एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है। जिसका सेवन कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। कचनार की छाल से लेकर जड़ों तक का इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं, कई लोग कचनार की पत्तियों का साग भी बनाकर खाते हैं। प्राचीनकाल से ही कचनार का सेवन किया जा रहा है। इसके सेवन से सर्दी-खांसी से लेकर कई बीमारियों से राहत पाया जा सकता है।कचनार के सेवन से सेहत को होंगे ये 11 फायदे1. ब्लड को करे साफकचनार के सेवन से खून की सफाई अच्छे से होती है। इसके फूलों या फिर छाले का आप काढ़ा बनाकर पी सकते हैं। करीब 10-20 मिली काढ़ा को ठंडा करके इसमें 2-3 बूंदे शहद का मिलाकर पिएं। ऐसा करने से शरीर में मौजूद खून की अच्छे से सफाई होगी।2. सर्दी-खांसी से राहतसर्दी-खांसी की परेशानी से राहत पाने के लिए कचनार के फूलों से तैयार काढ़ा का सेवन करें। दिन में दो बार 20 मिली काढ़ा का सेवन करने से सर्दी-खांसी की परेशानी से राहत मिलेगी। कचनार का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर से संपर्क करें।3. मुंह के छाले का होगा इलाजअगर आप मुंह के छाले से परेशान हैं, तो कचनार के छाल से बने काढ़े से कुल्ला करें। इससे मुंह के छाले से काफी राहत मिलेगी। काढ़ा तैयार करने के लिए 1 लीटर पानी में करीब 50 ग्राम कचनार की छाल मिलाकर उबालें। अच्छी तरह से पानी उबलने के बाद इससे कुल्ला करें। इससे आपको मुंह के छाले से तुरंत राहत मिलेगा।4. पीरियड्स की परेशानी करे दूरपीरियड़्स की शिकायत होने पर कचनार के फूलों से तैयार काढ़े का सेवन करें। इसके सेवन से अधिक रक्तस्त्राव की समस्या से राहत मिलेगी। अधिक रक्तस्त्राव होने पर दिन में दो बार 20 मिली काढ़ा का सेवन करें।5. गैस की परेशानी होगी दूरगैस की परेशानी या फिर अपच की शिकायत होने पर दिन में दो बार 2 ग्राम आजवाइन के साथ 20 मिली काढ़ा का सेवन करें। इससे गैस की परेशानी से तुरंत राहत पा सकते हैं, लेकिन यह प्रयोग करने से पहले अपने चिकित्सक की एक बार राय अवश्य ले लें।6. पाचन को करे दुरुस्तपाचन को दुरुस्त करने में भी काफी असरदार साबित हो सकता है। पाचन में गड़बड़ी होने पर 10-20 ग्राम कचनार की जड़ लें। इसका काढ़ा तैयार करें। दिन में दो बार इस काढ़ा का सेवन करने से पाचन संबंधी परेशानी से राहत मिलेगा।7. अर्थराइटिस की परेशानी से राहतकचनार के सेवन से अर्थराइटिस और सोरायसिस में होने वाली परेशानी से राहत पा सकते हैं। अर्थराइटिस में होने वाली सूजन जैसी परेशानी से राहत पा सकते हैं। इसमें चलने, उठने-बैठने में काफी ज्यादा परेशानी होती है। शरीर में किसी तरह की परेशानी होने पर कचनार का सेवन करें। इससे सूजन की परेशानी से राहत पा सकते हैं।8. ल्यूकोरिया से करे बचावमहिलाओं में होने वाली ल्यूकोरिया बीमारी से राहत दिलाने में कचनार काफी फायदेमंद हो सकता है। ल्यूकोरिया की परेशानी होने पर इसके लाल फूलों से तैयार 1-2 ग्राम चूर्ण का सेवन करें। इससे ल्यूकोरिया परेशानी से राहत पा सकते हैं।9. बवासीर से मिलेगी राहतबवासीर की परेशानी होने पर कचनार की जड़ का चूर्ण तैयार करें। सुबह 1 गिलास छाछ के साथ 1 से 2 ग्राम चूर्ण का सेवन करें। इससे पाचन की परेशानी के साथ-साथ बनासीर की परेशानी से राहत पा सकते हैं।10. पीलिया का करे इलाजपीलिया की परेशानी होने पर कचनार के पत्तों का सेवन करें। इसके पत्तों से तैयार पेस्ट का सेवन 1 गिलास दूध के साथ करें। इससे पीलिया की समस्या से राहत पा सकते हैं।11. पेचिश का करे इलाजदस्त या फिर पेचिश की परेशानी होने पर कचनार का सेवन करें। इसका स्वाद कसैला और ठंडा होता है, जो दस्त की परेशानी को कम करता है। यदि दस्त में ब्लड आ रहा है, तो इसके सेवन से आपकी परेशानी दूर हो सकती है।
- स्वाद और सेहत से भरपूर अमरूद खाना हमारे लिए काफी फायदेमंद है। अमरूद ही नहीं, बल्कि इसकी पत्तियों में भी कई गुण छिपे होते है। खाली पेट अमरुद की पत्तियों के सेवन से पेट संबंधी परेशानी दूर होती है। इसके साथ ही यह डायबिटी मरीजों के लिए भी काफी फायदेमंद है। अमरुद की पत्तियों में एंटी-बैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण पाए जाते हैं, जो कई बीमारियों को दूर करने में असरकारी हो सकते हैं। डायबिटीज रोगियों को अमरूद की पत्तियों से तैयार काढ़ा पीना चाहिए, ये उनके लिए काफी ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।कैसे तैयार करें अमरूद का काढ़ा?अमरूद का काढ़ा बनाने के लिए एक बर्तन में 2 गिलास पानी लें। इसमें 4 से 5 अमरूद की पत्तियां डालें। अब इसे गैस पर अच्छे से उबालें। जब पानी आधा रह जाए, तब गैस को बंद कर दें। पानी को ठंडा होने दें। ठंडा होने के बाद पानी को छानकर पिएं। इससे डायबिटीज की परेशानी कंट्रोल में रहेगी।पिंपल्स की परेशानी करे कमअमरूद की पत्तियों के सेवन स्किन की परेशानी दूर हो सकती है। पिंपल्स और स्किन की अन्य परेशानी से राहत पाने के लिए आप अमरूद की पत्तियों का इस्तेमाल करें। इसके लिए अमरुद की पत्तियों को लें। इसे अच्छे से पीसकर स्किन पर लगाएं। कुछ दिनों तक इसको अपने फेस पर लगाने से पिंपल्स की परेशानी दूर होती है। इतना ही नहीं यह आपके ब्लैकहैड्स को भी दूर कर सकता है।हाई ब्लड प्रेशरहाई ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए भी अमरूद की पत्तियां काफी फायदेमंद हो सकती है। इसके लिए खाली पेट अमरूद का काढ़ा पिएं। इसके सेवन से हाई ब्लड प्रेशर काफी हद तक कंट्रोल में रहेगा।डायरिया की परेशानी करे दूरडायरिया और दस्त की शिकायत होने पर भी अमरूद की पत्तियां आपके लिए फायदेमंद हो सकती हैं। इसके लिए काढ़ा बनाते समय इसमें अदरक या फिर सौंठ का छोटा सा टुकड़ा दालें। इससे लिवर से जुड़ी परेशानी से राहत मिलेगा।शुगर की परेशानी से राहतअमरूद की पत्तियों से बना काढ़ा पीने से शुगर की परेशानी कंट्रोल में रहेगी। दअसल, इसमें अमरूद की पत्तियों में इंसुलिन भरपूर से होता है, जो आपके शरीर में ग्लूकोज को नियंत्रित करता है।मुंह के छालों से दिलाए राहतअमरूद के काढ़े से कुल्ला करने पर मुंह के छाले से निजात मिलेगा। इतना की नहीं यह मसूड़ों में घाव और छाले की परेशानी को दूर करता है। अगर आप काढ़ा नहीं पीना चहते हैं, तो इसकी पत्तियों को चबाएं। इससे आपको काफी राहत मिलेगा।बाल झडऩा रोकेइस काढ़े को सिर में लगाने से बालों के झडऩे की समस्या खत्म होगी।---
- राजमा चावल शायद की किसी की फेवरेट डिश न हो। हर घर में राजमा चावला तो बनता ही है। राजमा हल्के भूरे रंग का होता है। बींस की इस किस्म में कैल्शियम, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फोलिक एसिड आदि पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ऐसे में राजमा को अपनी डाइट में शामिल करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके सेवन से अनेक समस्याओं से बचा जा सकता है। वहीं इसकी अधिकता से शरीर में कुछ परेशानियों को पैदा कर सकती हंै।प्रोटीन का अच्छा स्रोतराजमा में के अंदर भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जिसके सेवन से शरीर में प्रोटीन का स्तर सामान्य रहता है। राजमा इस काम को शरीर में अतिरिक्त कैलोरी न बढ़ाए करता है। जो लोग मीट का सेवन नहीं करते हैं वे शाकाहारी लोग राजमा के माध्यम से प्रोटीन की कमी को पूरा कर सकते हैं।उच्च रक्तचाप को कम करेराजमा के अंदर उच्च रक्तचाप को कम करने के गुण पाए जाते हैं। इसके अंदर घुलनशील फाइबर, पोटेशियम, मैग्नीशियम आदि भरपूर मात्रा में मौजूद हैं जो रक्तचाप को सामान्य बनाए रखने में मदद करते हैं। पोटैशियम, मैग्निशियम धमनियों और वाहिकाओं को फैलाने का काम करते हैं। वहीं इनके माध्यम से रक्त प्रभाव भी सही होता है। यह सिरदर्द और माइग्रेन की समस्या को दूर करने में भी उपयोगी है।वजन को कम करेंफाइबर अगर आहार में शामिल किया जाए तो लोगों को लंबे समय तक भूख नहीं लगती। वहीं राजमा के अंदर फाइबर के साथ-साथ कम वसा वाले तत्व भी मौजूद है। ऐसे में ये वजन कम करने में बेहद असरकारी है। चूंकि इसके सेवन से भूख कम लगती है तो लोग अधिक खाने से भी बचते हैं।बढ़ती उम्र को रोकेराजमा के अंदर पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट गुण मुक्त कणों से छुटकारा दिलाने में बेहद मददगार हैं। वहीं यह झुर्रियों को कम करने के साथ-साथ मुहांसों को ठीक करता है। इसके सेवन से नाखून और बालों की सेहत भी अच्छी रहती है। इनके सेवन से कोशिकाओं की उम्र स्थिर हो जाती है और इनके बढऩे की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।पेट को तंदुरुस्त रखेराजमा पाचन तंत्र को तंदुरुस्त बनाए रखने में बेहद असरदार है। दूसरी तरफ यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने और कोलन कैंसर के खतरे को कम करने के लिए भी प्रसिद्ध उपचार माना जाता है। ऐसे में पेट दर्द से परेशान लोग सीमित मात्रा में इसका सेवन कर सकते हैं।कब्ज में लाभकारीराजमा के अंदर घुलनशील फाइबर पाए जाते हैं जो मल को बाहर निकालने में मदद करते हैं। वही आंतों के कार्यों को सुचारु रुप से सहायता देने में भी राजमा अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। जिन लोगों को कब्ज की परेशानी रहती है वे अपने आहार में राजमा को शामिल कर सकते हैं। और समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।दिल की रक्षा करे राजमाराजमा के अंदर मैग्निशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। वही यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम भी करता है। दिल से जुड़ी बीमारियां जैसे- दिल का दौरा, धमनियों की जमावट, शरीर को स्ट्रोक आदि से लडऩे में राजमा बेहद मदद करता है। साथ ही दिल को मजबूती देता है।कोलेस्ट्रॉल को कम करेराजमा में जटिल कार्बोहाइड्रेट और फाइबर की बड़ी मात्रा होने के चलते रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर कम होता है घुलनशील फाइबर कोलेस्ट्रोल को चारों ओर एक रक्षा कवच की तरह फैलने से रोकती है।राजमा के अन्य फायदे-राजमा के अंदर मैग्नीशियम, कैल्शियम पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूती देता है। साथ ही ये ओस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं को रोकने में मदद करता है। राजमा में मौजूद मैग्निशियम फेफड़ों में बाहर और अंदर स्मूथ वायु मार्ग को स्वस्थ रखने के साथ अस्थमा को भी रोकता है। बता दें कम मैग्निशियम से शरीर में अस्थमा की बीमारी हो सकती है।-राजमा के अंदर विटामिन बी1 पाया जाता है जो न केवन ऊतकों का विकास करता है बल्कि त्वचा और बालों की सेहत का भी ध्यान रखता है। जिन लोगों को बाल झडऩे की समस्या है वह राजमा का सेवन करके अपनी समस्या को दूर कर सकते हैं।
- इडली स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। अगर आप हेल्दी ब्रेकफास्ट का विकल्प ढूंढ रहे हैं, तो इडली का चुनाव करना आपके लिए सबसे बेस्ट है। इडली सांभर साउड इंडिया का मशहूर खाना है। देशभर के कई लोग इडली-सांभर को अपने डाइट में शामिल करते हैं। हेल्दी ब्रेकफास्ट के लिस्ट की बात करें, तो इडली-सांभर का नाम सबसे ऊपर आता है। इडली एक स्मार्ट ब्रेकफास्ट है, जो पेट को भरने के साथ-साथ आपको हेल्दी रखने में असरदार होता है। इडली कई तरीके से तैयार की जाती है, लेकिन चावल और रवा इडली का सेवन सबसे अधिक किया जाता है। सांभर और नारियल चटनी के साथ इसका स्वाद कई गुणा भर जाता है। स्वाद के साथ-साथ यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसमें कई ऐसे गुणकारी पोषक तत्व होते हैं, जो हमें कई बीमारियों से बचाव करते हैं। वजन को कंट्रोल करने से लेकर ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में इडली काफी फायदेमंद है।इसमें एमिनो एसिड पाया जाता है, जो हमारे मस्तिष्क से लेकर शरीर के सभी अंग के फंक्शन के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा इसमें फाइबर की अधिकता होती है, जो वजन को कंट्रोल कर पेट की कई समस्याओं से दूर रखता है। इसके अलावा इडली के कई असरकारी फायदे हैं।इडली आपके लिए कितना फायदेमंद है, इसका असर इस बात पर निर्भर करता है कि आप किन चीजों से तैयार इडली का सेवन करती हैं। अगर आप चावल और दाल से तैयार इडली का सेवन कर रहे हैं, तो यह ज्यादा फायदेमंद है। क्योंकि इस इडली में दाल होती है, जो आपको प्रोटीन प्रदान करती है। साथ ही इसमें कैलोरी की मात्रा भी कम हो जाती है। इसके अलावा अगर आप सूजी से तैयार इडली का सेवन कर रहे हैं, तो चावल और दाल के मुकाबले इसमें कैलोरी थोड़ी बढ़ जाती है। इसके साथ ही इडली का साइज भी इसकी कैलोरी को प्रभावित करता है।चावल और दाल से तैयार इडली-सांभर प्लेट में न्यूट्रीएंश वैल्यू2 मध्यम आकार की इडली में मौजूद पोषक तत्वटोटल कैलोरी - 120 कैलोरीप्रोटीन- 4.52 ग्रामफैट - 0कार्बोहाइड्रेट- 23.47सोडियम - 5.97 ग्राम2 चम्मच नारियल चटनी में मौजूद पोषक तत्वटोटल कैलोरी - 44.4 कैलोरीफैट - 0प्रोटीन- 0.43 ग्रामकार्बोहाइड्रेट- 1.3 ग्रामसोडियम - 01 छोटी कटोरी सांभर में मौजूद पोषक तत्वटोटल कैलोरी - 50.4 कैलोरीफैट - 0प्रोटीन- 0.78 ग्रामकार्बोहाइड्रेट- 1.6 ग्रामसोडियम - 7.4 ग्रामकोलेस्ट्रोल -सूजी से तैयार इडली-सांभर प्लेट में न्यूट्रीएंश वैल्यू2 मध्यम आकार की इडली में मौजूद पोषक तत्वटोटल कैलोरी - 75.6 कैलोरीप्रोटीन- 2.39 ग्रामकार्बोहाइड्रेट- 14.9डाइट्री फाइबर -0सोडियम - 7.4 ग्रामइडली सांभर खाने के फायदे, पचाने में है आसानइडली में मसाला बिल्कुल भी नहीं होता है। इसके साथ ही इसे तैयार करने के लिए इसमें खामीर भी लाया जाता है। इसी गुणों के कारण इडली को पचाना बहुत ही आसान होता है। इसका सेवन हर एक व्यक्ति कर सकता है। इसके सेवन से दिल से जुड़ी हर बीमारी दूर हो सकती है।ब्लड प्रेशर को करें कंट्रोलइडली में सोडियम की अधिकता होती है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मददगार होता है। स्वस्थ शरीर के लिए यह फायदेमंद है। अगर आप ब्लड प्रेशर के मरीज हैं, तो अपने नाश्ते में इडली को जरूर शामिल करें। इससे आपका ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहेगा।एमिनो एसिड भी है मौजूदइडली में एमिनो एसिड होता है, जो आपके दिमाग के लिए काफी अच्छा होता है। इसके सेवन से दिमाग शांत रहता है। साथ ही यह आपके शरीर में सभी पोषक तत्वों की पूर्ति करता है।प्रोटीन की है अधिकताशरीर में प्रोटीन की कमी होने पर इडली सांभर आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, इडली चावल और उड़द की दाल से तैयार होता है, जिसमें प्रोटीन अच्छी मात्रा में होती है। इसके सेवन से आपके शरीर में प्रोटीन की कमी नहीं होगी।वजन को कर सकता है कंट्रोलनाश्ते में इडली को शामिल करने से आपका वजन कंट्रोल में रह सकता है। क्योंकि इडली में फाइबर की अधिकता होती है। जो लंबे समय तक आपके पेट को भरा रखती है। ऐसे में इसके सेवन से आपका वजन कंट्रोल में रहता है।इडली को आप एक हेल्दी ब्रेकफास्ट के रूप में शामिल कर सकते हैं। रवा और चावल के अलावा इडली कई तरीकों से तैयार की जाती है। आजकल ओट्स इडली, रागी इडली, पोहा इडली, वेजिटेबल इडली इत्यादि का चलन काफी ज्यादा है। ये सभी इडली आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। आप अपने ब्रेकफास्ट में सभी तरह की इडली को शामिल कर सकते हैं। ये सभी आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।
- गेंदे के ताजे खूबसूरत पीले, लाल और नारंगी फूल किसी का भी मन मोह सकते हैं। गेंदे के फूल आसानी से उगते हैं, इसलिए हर जगह मिल जाते हैं। यही कारण है घर की सजावट करनी हो या हार बनाने हों, गेंदे के फूलों का इस्तेमाल उत्तर भारत में काफी किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गेंदे के खूबसूरत फूलों में कई औषधीय गुण भी होते हैं? जी हां, गेंदे के फूलों का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से बहुत सारी समस्याओं को ठीक करने में किया जाता रहा है। त्वचा की कई समस्याओं में गेंदे के फूलों का प्रयोग बहुत फायदेमंद पाया गया है। बाजार में भी आपको बहुत सारे ब्यूटी और स्किन प्रोडक्ट्स मिल जाएंगे, जिन्हें गेंदे के फूल या इसके अर्क से बनाया गया हो।मस्से और डील (गुखरू) हटाने के लिएत्वचा पर होने वाले मस्सों और कॉर्न (गुखरू या डील) को आप गेंदे के फूल की मदद से आसानी से हटा सकते हैं। इसके लिए गेंदे के ताजे फूल की कुछ पंखुडिय़ों को पीसकर इसका पेस्ट तैयार करें और इसे मस्से वाली जगह पर लगाएं। इस फूल के पेस्ट या रस को कॉर्न पर लगाने पर भी जल्द ही आपका कॉर्न निकल जाता है और त्वचा सामान्य हो जाती है। बस यह ध्यान रखें कि आप तुरंत परिणाम की आशा न रखें। मस्से या कॉर्न में इसे कम से कम 2 सप्ताह तक रोजाना लगाते रहें।चेहरे के तेल को हटाने के लिएकई बार ऑयली फेस होने के कारण चेहरा बहुत अधिक चमकता रहता है। गेंदे का फूल बेहतरीन नैचुरल ऑयल रिमूवर है। इसके लिए एक कप गर्म पानी में गेंदे के फूल की कुछ पंखुडिय़ां डालें और 10 मिनट के लिए रख दें। अब इस पानी से अपने फेस को कॉटन बॉल की मदद से साफ करें। ये स्किन के लिए बेस्ट स्किन टोनर है, जो पूरी तरह प्राकृतिक और सुरक्षित है। इस पानी से मुंह धोने से दाग-धब्बे और झुर्रियां आदि भी खत्म हो जाते हैं।घाव साफ करने के लिएघाव को साफ करने के लिए एंटीबायोटिक ऑइन्टमेंट या एल्कोहलयुक्त पदार्थों का इस्तेमाल आमतौर पर किया जाता है, ताकि इंपेक्शन न फैले। मगर आप छोटी-मोटी चोट या घाव को देंगे के फूलों की मदद से भी साफ कर सकते हैं, क्योंकि इसमें एंटीबायोटिक गुण होते हैं। इसके लिए गेंदे की पंखुडिय़ों को पीसकर पेस्ट या रस बना लें और फिर इससे रूई की मदद से घाव को साफ करें। ये रस आपके घाव को जल्दी भरने में भी मदद करेगा और नई स्किन टिशूज जल्दी आएंगी।अपच की समस्याबहुत अधिक तेल-मसालेदार खाना खा लेने से अपच की समस्या हो जाती है। ऐसे में गेंदे का फूल काफी मदद कर सकते हैं। इसके लिए उबले हुए पानी में थोड़ी सी ताजी या सूखी हुई गेंदे के फूल की पंखुडिय़ां डालकर 5 मिनट ढंक दें और फिर चाय की तरह छानकर इसके पी लें। इससे पेट से जुड़ी हर समस्या इस चाय से ठीक हो जाएगी।डैंड्रफ दूर भगाएगा गेंदे का फूलगेंदे के फूल का इस्तेमाल बालों की भी कई समस्याओं में कर सकते हैं। डैंड्रफ होने पर आप ऊपर बताए गए तरीके से गेंदे के पंखुड़ी की चाय बनाएं और शैंपू करने के बाद गेंदे के फूल की ठंडी चाय से अपने बालों को धोएं। इसके बाद बालों को तौलिए से सुखाएं। 2-3 बार के प्रयोग से आपके डैंड्रफ की समस्या दूर हो जाएगी।
- सुबह नाश्ते में पोहा आपको पूरे दिन एनर्जेटिक रखता है। पोहा को आप एक बेहतरीन ब्रेकफास्ट के रूप में अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है अगर आप पोहे को हेल्दी तरीके से बनाते हैं। अगर आप पोहा में तरह-तरह की सब्जियों को मिक्स करके तैयार करते हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। आप पोहा में जितनी सब्जियों को मिक्स करेंगे, वह आपके लिए उतना ही ज्यादा फायदेमंद होगा।किस तरह तैयार करें पोहा?आवश्यक सामग्री2 कटोरी पोहा1 सामान्य आकार का आलूआधी कटोरी कटी हुई गोभीआधी कटोरी मटर2 बड़े चम्मच मूंगफली1 चम्मच आनार दाना2 चम्मच सेव के नमकीनहटा धनिया1 नींबू1 चुटकी हल्दी2 हरी मिर्च बारीक कटी हुई1 सामान्य आकार की बारीक कटी हुई प्याज1 चुटकी राई1 चम्मच सरसो का तेलस्वानुसार नमकपोहा बनाने की विधिसबसे पहले पोहा को भिगो दें। अब एक कढ़ाई में सरसो का तेल डालें। तेल गर्म होने पर इसमें राई डालें। अब इसमें हरी मिर्च और प्याज डालें और इसे भुनें। प्याज जब हल्का का भूरा हो जाए, तो इसमें आलू, गोभी, मटर मिक्स करें। अब इसमें स्वादानुसार नमक मिलाएं। इसके बाद सब्जी को अच्छे से भुनें। इसके बाद इसमें हल्दी डालें। फिर भुनने के बाद इसमें पोहा डाल लें। 5 मिनट तक इसे पकाएं और गैस बंद कर दें। अब 1 कढ़ाही में मूंगफली फ्राई करें और इसे पोहे में डालकर मिक्स करें। अब हरा धनिया काटकर इसमें डालकर फिर से मिक्स करें। अब इसे प्लेट में सर्व करें। सजाने के लिए 1 चम्मच अनार दाना, कटी हुई कच्ची प्याज और सेव नमकीन का इस्तेमाल करें। आपका हेल्दी और स्वादिष्ट पोहा तैयार है।पोहा खाने के फायदेगर्भवती महिलाओं के लिए ब्रेकफास्ट में पोहा शामिल करना फायदेमंद हो सकता है। क्योंकि इसमें आयरन की प्रचुरता होती है, तो शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो होने नहीं देती है। इसके साथ ही यह गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी फायदेमंद है।ऊर्जावान बनाता है पोहाब्रेकफास्ट में पोहा को शामिल करने से आपके शरीर को भरपूर रूप से कार्बोहाइट्रेड मिलता है। जिससे आपका पूरा दिन एनर्जेटिक रहता है। शरीर को पर्याप्त रूप से कार्बोहाइट्रेड मिलने से शरीर में किसी तरह की थकान महसूस नहीं होती है और आप दिनभर के काम से थकते नहीं है।वजन करे कमपोहा खाने आपके शरीर का मोटापा बढ़ता नहीं है। क्योंकि पोहे में कैलोरी की मात्रा कम होती है। इसमें वे सभी विटामिंस और प्रोटीन होते हैं, जो आपके शरीर के लिए जरूरी है।
- अक्सर लोग फूलगोभी की सब्जी बनाकर उसके डंठलों को फेंक देते हैं जबकि इसके डंठल में ढेर सारे गुण होते हैं और छत्तीसगढ़ में इसकी स्वादिष्ट सब्जी बनाई जाती है।फूलगोभी के डंठल में लो-कैलोरी, लो-सोडियम होता है, साथ ही ये कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।- फूलगोभी के डंठल में कैलोरीज की मात्रा कम और विटामिन्स की मात्रा अपेक्षाकृत ज्यादा होती है। इसके अलावा इसमें फाइबर, पोटेशियम, प्रोटीन, मैगनीशियम आदि भी भरपूर मात्रा में होते हैं। डंठलों में विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर, मिनरल आदि भरपूर मात्रा मिलते हैं। यह सभी पोषक तत्व शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।विटामिन ए से भरपूरफूलगोभी के डंठल सब्जी बनाने के बाद फेंकने नहीं चाहिए। यह विटामिन ए से भरपूर होते हैं। इन डंठलों को सब्जी, सलाद या सूप के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।डायबिटीज करे कंट्रोलजिन लोगों को शुगर की समस्या होती है, उनके लिए फूलगोभी के डंठल बहुत फायदेमंद होते हैं। ये डंठल शुगर लेवल को कंट्रोल करते हैं।पाचन शक्ति को बढ़ाएगागोभी के डंठल पाचन शक्ति को बढ़ाने का काम करते हैं। इसके लिए आप इन्हें हफ्ते एक दो बार बना सकते हैं।आंखों की रोशनी के लिएडंठल में विटामिन ए होता है जो आंखों की रोशनी को ठीक रखता है। जो लोग इन डंठलों का सेवन नियमित करते हैं उन्हें आंखों की समस्याएं कम होती हैं।टीबी की बीमारी में मददगारकई बीमारियों का रक्षाकवच फूलगोभी के डंठल टीबी की बीमारी को ठीक करने का अच्छा जरिया हैं।हाई बीपी के लिए अच्छा हैविशेषज्ञों के अनुसार फूलगोभी के डंठल हाई बीपी के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हाई बीपी को डंठल नियंत्रित करते हैं।वजन घटाने में मददागारफूलगोभी के डंठल में कम कार्बोहाइड्रेट, कम कैलोरी होती हैं जो वजन को कम करने के लिए मददगार होते हैं।हड्डियों की मजबूतीफूलगोभी के डंठल में विटामिन के पाया जाता है जो हड्डियों की मजबूती के लिए फायदेमंद है। अगर किसी को फ्रैक्चर आ गया है तो इसके सेवन से वह ठीक हो सकता है।सूजन को करे कमफूलगोभी के डंठल का अधिक फायदा लेने के लिए जरूरी है कि इसे बहुत अधिक न पकाएं। इसको आधा ही पकाएं। फूलगोभी में फ्लेवोनोइड पाया जाता है जो शरीर में सूजनन को कम करने काम करता है। इसलिए अगर इसे कम पकाएंगे तो फ्लेवोनोइड की मात्रा कम नहीं होगी।हार्मोन्स के लिए फायदेमंदफूलगोभोगी के डंठल का सेवन करने से असंतुलित हार्मोन्स को संतुलित किया जा सकता है। ऐसे में असंतुलित हार्मोन से जुड़ी बीमारियों से निजात मिल सकती है।
- किशमिश यानी सूखे हुए अंगूर स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। अगर आप भी रोज नट्स और किशमिश खाते हैं, तो अच्छी बात है। मगर क्या आपको पता है कि अगर आप किशमिश को रात में भिगोकर खाते हैं, तो यह ज्यादा फायदेमंद हो जाता है। अगर आप रोजाना सिर्फ 10 किशमिश के दानों को रात में भिगोकर सुबह खाएं, तो इससे कई तरह के रोगों और बीमारियों से बचाव होगा। भीगी हुई किशमिश में आयरन, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नेशियम और फाइबर भरपूर होता है। इसमें मौजूद शुगर प्राकृतिक होती है इसलिए सामान्यत: इसका कोई नुकसान नहीं होता है मगर डायबीटीज के मरीजों को किशमिश नहीं खानी चाहिए।रात में भीगी हुई किशमिश खाने और इसका पानी पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट्स के कारण इम्यूनिटी बेहतर होती है जिससे बाहरी वायरस और बैक्टीरिया से हमारा शरीर लडऩे में सक्षम होता है और ये बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं।किशमिश यानी मुनक्का पाचन तंत्र में बेहद फायदेमंद है। मिनरल्स की मात्रा काफी होती है। यह हड्डियों के लिए काफी अच्छा होता है। दिनभर में 10-12 किशमिश ली जा सकती हैं। एक बात हमेशा ध्यान रखें कि भीगी हुई किशमिश में कैलरी की मात्रा काफी ज्यादा होती है। इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि इसे ज्यादा मात्रा में न लें। इसे नियमित अपने आहार में शामिल करने से डाइजेशन में आराम मिलता है। असल में यह फाइबर से भरपूर होता है।कब्ज दूर करती है किशमिशकिशमिश खाने से कब्ज में बहुत फायदा मिलता है। इसे पानी में भिगाकर खाने से कब्ज दूर होती है। अगर आपको कब्ज, एसिडिटी और थकान की समस्या है, तो यह काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। इसका नियमित रूप से सेवन करने से जल्द आपको फायदा नजर आएगा।खून की कमी दूर करने के लिएकिशमिश में पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स पाया जाता है जिससे खून की कमी नहीं होती। आप में अगर खून की कमी है तो आप 7-10 किशमिश का सेवन रोजाना कर सकते हैं।ब्लड प्रेशर की समस्यायदि आपके घर में किसी को उच्च रक्तचाप की समस्या है तो रात को आधे गिलास पानी में 8-10 किशमिश भिगो दें। सुबह उठकर बिना कुछ खाएं किशमिश के पानी को पी लें। आप चाहें तो भीगी हुई किशमिश को खा भी सकते हैं। इससे कुछ दिन में उच्च रक्तचाप की समस्या में आराम मिलेगा।लिवर को सेहतमंद रखता हैप्रतिदिन किशमिश के पानी का सेवन करना आपके लिवर को सेहतमंद बनाए रखने और उसे सुचारू रूप से कार्य करने के लिए प्रेरित करने का काम भी करता है। साथ ही आपके मेटाबॉलिज्म के स्तर को नियंत्रित करने में भी सहायक है।वजन बढ़ाने में मददगारअगर आप अंडरवेट हैं और अपने वजन को बढ़ाना चाहते हैं, तो किशमिश आपकी मदद कर सकती है। किशमिश फ्रुक्टोज से भरपूर होती है, जो शरीर का वजन बढ़ाने में मदद कर सकती है।
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घुटनों या जोड़ों के दर्द से परेशान हैं तो खाने में लाल मिर्च का इस्तेमाल बढ़ाना आपके लिए खासा फायदेमंद साबित हो सकता है। ब्रिटेन स्थित द आर्थराइटिस फाउंडेशन ने अपने हालिया अध्ययन के आधार पर यह सलाह दी है। शोधकर्ताओं के मुताबिक लाल मिर्च में कैप्सेसिनॉयड नाम का प्राकृतिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह जोड़ों में सूजन की शिकायत को दूर कर नसों में खून के प्रवाह को सुचारु बनाता है। इससे गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस में होने वाली तकलीफ में काफी राहत मिलती है।
शोधकर्ताओं की मानें तो कैप्सेसिनॉयड पाचन तंत्र दुरुस्त रखने में भी कारगर है। इसके नियमित सेवन से मोटापे से भी निजात मिलती है। अध्ययन में जोड़ों का दर्द भगाने के लिए हल्दी का सेवन बढ़ाने की भी सलाह दी गई है। दरअसल, इसमें मौजूद कक्र्युमिन हड्डियों को मजबूत बनाकर दर्द के एहसास में कमी लाता है। -
लोग सर्दियों में अपनी सेहत का ख्याल रखते हैं लेकिन जाती हुई सर्दियों को अनदेखा करते हुए लापरवाही करने लगते हैं, जिससे खांसी-जुकाम जैसी समस्याएं होने लगती हैं। कभी-कभी तो खांसी इतनी बढ़ जाती है कि इसे ठीक होने में कई दिन लग जाते हैं। आज हम आपको काली मिर्च के ऐसे नुस्खे बता रहे हैं जो जाती हुई सर्दियों में न सिर्फ आपकी खांसी-जुकाम को ठीक कर देगी बल्कि इससे इस्तेमाल से कई फायदे हैं। काली मिर्च में पैपरीन नामक तत्व पाया जाता है। यह तत्व औषधीय गुणों से भरपूर है। इसमें आयरन, पोटैशियम, मैग्नीशियम, मैंग्नीज, जिंक, क्रोमियम, विटामिन ए और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं।
काली मिर्च के कारगर उपाय ------
-आप सर्दी-जुकाम से परेशान हैं तो काली मिर्च को गर्म दूध में मिला कर लें।
-बार-बार जुकाम होता है, तो 15 दिन तक एक-एक काली मिर्च बढ़ाते हुए उसका सेवन करें। उसके बाद 15 दिन तक एक-एक घटाते हुए लें। इससे बार-बार होने वाली जुकाम की समस्या से छुटकारा मिलेगा।
-कफ बनता है तो एक चम्मच शहद में 2-3 बारीक कुटी काली मिर्च के साथ एक चुटकी हल्दी मिला कर उसका सेवन करें।
-अगर आप लगातार खांसी से परेशान हैं, तो काली मिर्च के 4-5 दानों के साथ किशमिश के 15 दाने चबाने से आराम मिलेगा।
-अगर गला बैठ गया है और गले से खरखराहट भरी आवाज निकल रही है तो काली मिर्च को घी व मिश्री के साथ मिला कर खाएं। गला ठीक हो जाएगा।
-फेफड़े और सांस नलियों में संक्रमण है तो काली मिर्च और पुदीने की चाय का सेवन कर सकते हैं।
-खांसी से परेशान हैं तो काली मिर्च के पाउडर को गुड़ में मिला कर उसकी गोलियां बना कर सेवन करें। जल्दी आराम मिलेगा।
-पेट में गैस की समस्या है तो एक कप पानी में आधा नीबू का रस, आधा चम्मच काली मिर्च का पाउडर व आधा चम्मच काला नमक मिला कर पिएं।
-उल्टी-दस्त होने पर काली मिर्च का सेवन फायदेमंद है। इसके लिए काली मिर्च, हींग व कपूर को पांच-पांच ग्राम लेकर मिला लें। उसके बाद राई के बराबर छोटी----छोटी गोलियां बना लें। इन गोलियों का हर 3 घंटे बाद सेवन करें।
-पेट में कीड़ों की समस्या है, तो काली मिर्च को किशमिश के साथ 2-3 बार चबा कर खा जाएं। एक गिलास छाछ में थोड़ी-सा काली मिर्च का पाउडर मिला कर पीने से भी पेट के कीड़े मर जाते हैं।
-बदहजमी होने पर कटे हुए नीबू का आधा टुकड़ा लें, बीज निकाल लें। इसमें काला नमक व काली मिर्च भर कर गर्म करके चूसें।
-काली मिर्च उनके लिए भी बहुत उपयोगी है, जिनकी आंखें कमजोर हैं। काली मिर्च को पीस कर उसके पाउडर को देशी घी के साथ मिला कर खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
-दांतों में होने वाले रोग पायरिया से परेशान हैं और दांत कमजोर हैं तो काली मिर्च को नमक के साथ मिला कर दांतों पर लगाएं।
-याददाश्त कमजोर है तो काली मिर्च को शहद में मिला कर खाएं। - चीकू का सेवन शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करता है. चीकू में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद साबित होते हैं. इसका सेवन करने से अग्नाशय मजबूत होने के साथ शरीर की इम्युनिटी भी मजबूत होती है. चीकू का नियमित सेवन करने से मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत रहती हैं और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के चपेट में आने का खतरा कम हो जाता है.कैंसर से बचाने में मददगारचीकू कैंसर से बचाने में मददगार होता है. चीकू में विटामिन ए और बी, आयरन, कैल्शियम, फाइबर, एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. इसका नियमित सेवन शरीर में कैंसर की कोशिकाएं पनपने से रोकता है.चीकू आंखों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है. इसमें विटामिन ए होने से आंखों की रोशनी बढ़ने के साथ इससे जुड़ी बीमारियों से बचाव रहता है. इसलिए बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के लिए चीकू खाने की सलाह दी जाती है.चीकू एक टेस्टी और गुणों से भरपूर फल है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो रोजाना एक चीकू खाने से सेहत के साथ खूबसूरती भी बरकरार रहती है. इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा के लिए फायदेमंद माने जाते हैं.इस भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग तनाव में रहते हैं. ऐसे में चीकू का सेवन करने से मन को शांति मिलती है. इसका सेवन करने से अच्छी नींद भीआती है.अगर आपको जुकाम की शिकायत है तो चीकू का सेवन करें. सर्दियों में मौसम में चीकू सर्दी-खांसी जैसी तमाम परेशानियों से राहत दिला सकता है. इसका सेवन करने से कफ और बलगम नाक के रास्ते बाहर निकल जाता है. जिससे सांस लेने में राहत मिलती है.चीकू का सेवन कर आप वजन घटा सकते हैं. इसके साथ ही ये कब्ज की समस्या से राहत दिलाता है. इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है और साथ ही इसमें विरेचक का भी गुण पाया जाता है. यही वो गुण हैं, जिनके कारण चीकू कब्ज को दूर भगाता है और पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करता है.