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नई दिल्ली। कैलाश मानसरोवर यात्रा पांच साल के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर शुरू हो गई है। शुक्रवार को सिक्किम के राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर ने नाथूला दर्रे से यात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यात्रा के शुभारंभ से पहले राज्यपाल ने यात्रियों से मुलाकात की और उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। उन्होंने इस ऐतिहासिक मार्ग की बहाली को अंतरराष्ट्रीय मित्रता और भारतीय आध्यात्मिक परंपरा की पुनर्स्थापना का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा हिंदू, बौद्ध और जैन समुदायों की आस्था को दर्शाती है।
राज्यपाल माथुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद देते हुए कहा, “यह सिक्किम के लिए गर्व का क्षण है कि यह ऐतिहासिक और आध्यात्मिक यात्रा राज्य की पवित्र भूमि से होकर आगे बढ़ रही है।” पहले जत्थे में 33 यात्री, दो एस्कॉर्ट अधिकारी और एक डॉक्टर शामिल हैं। सभी यात्रियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और उन्हें उच्च हिमालयी क्षेत्र के लिए दो चरणों में पहले ‘18वां मील’ पर और फिर शेराथांग में अनुकूलन प्रक्रिया से गुजरना पड़ा।यात्रियों को चीन की सीमा के पार भी पूरी व्यवस्था के साथ स्वागत किया जाएगा, जहां से वे कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की ओर आगे बढ़ेंगे। यात्रा के पूरे प्रबंधन की जिम्मेदारी भारत सरकार के विदेश मंत्रालय, सिक्किम पर्यटन विकास निगम और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) ने संभाली है। समाचार एजेंसी एएनआई से एक यात्री शैलेन्द्र शर्मा ने खुशी जताते हुए कहा, “कई वर्षों के बाद यात्रा हो रही है और सरकार ने शानदार इंतजाम किए हैं। ऊंचाई पर होने की वजह से स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी है, लेकिन ITBP और बाकी स्टाफ हमें पूरी मदद कर रहे हैं। यह शानदार अनुभव है और मैं चाहता हूं कि ज्यादा से ज्यादा लोग इस यात्रा का हिस्सा बनें।” एक अन्य महिला यात्री ने कहा, “हम यहां दो से चार दिन रहे और ITBP तथा पर्यटन विभाग ने हमें बहुत अच्छे से संभाला। खाने-पीने और रहने की व्यवस्था बहुत अच्छी रही और मेडिकल सहायता भी तुरंत मिली। सभी कर्मचारियों का व्यवहार भी बहुत अच्छा था।” इस अवसर पर सिक्किम सरकार के मंत्री, विधायक, भारतीय सेना और ITBP के वरिष्ठ अधिकारी तथा अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे। -
नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि 2014 से भारत के इंजीनियरिंग सामानों के निर्यात में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।’मेक इन इंडिया’ पहल की सफलता पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय मंत्री गोयल ने इंजीनियरिंग निर्यात में लगातार वृद्धि का श्रेय पिछले एक दशक में सरकार के केंद्रित प्रयासों को दिया।
इंजीनियरिंग सामान के निर्यात में 60 प्रतिशत की वृद्धिकेंद्रीय मंत्री गोयल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, “भारत 2014 से मोदी सरकार के तहत आगे बढ़ रहा है! इंजीनियरिंग सामान के निर्यात में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो ‘मेक इन इंडिया’ की मजबूत सफलता को दर्शाता है।”इंजीनियरिंग निर्यात में यह वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब भारत का व्यापक औद्योगिक प्रदर्शन भी लगातार सुधार दर्ज करवा रहा हैइंजीनियरिंग निर्यात में यह वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब भारत का व्यापक औद्योगिक प्रदर्शन भी लगातार सुधार दर्ज करवा रहा है। सांख्यिकी मंत्रालय के पिछले आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2025 में औद्योगिक उत्पादन में सालाना आधार पर 2.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।भारत की आर्थिक वृद्धि का एक प्रमुख स्तंभ, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने अप्रैल में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो मार्च में 3 प्रतिशत की वृद्धि से बेहतर हैभारत की आर्थिक वृद्धि का एक प्रमुख स्तंभ, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने अप्रैल में 3.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो मार्च में 3 प्रतिशत की वृद्धि से बेहतर है। इस वृद्धि में बेसिक मेटल, मोटर व्हीकल और मशीनरी जैसे क्षेत्र सबसे अधिक योगदान देने वाले क्षेत्रों में से थे। अकेले मशीनरी और उपकरणों के निर्माण में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो घरेलू और निर्यात दोनों बाजारों में मजबूत मांग की ओर इशारा करता है।औद्योगिक और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों के उत्पादन में 20.3 प्रतिशत की तीव्र वृद्धि देखी गईऔद्योगिक और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों के उत्पादन में 20.3 प्रतिशत की तीव्र वृद्धि देखी गई। यह न केवल उच्च निवेश गतिविधि का संकेत देता है, बल्कि दीर्घकालिक रोजगार सृजन और आय वृद्धि का भी समर्थन करता है।भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने से औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिला हैउपभोक्ता मांग भी मजबूत बनी हुई है, इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकरणों जैसे टिकाऊ सामानों के उत्पादन में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने से औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिला है। अप्रैल में इंफ्रास्ट्रक्चर और निर्माण वस्तुओं के क्षेत्र में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो राजमार्गों, रेलवे और बंदरगाहों पर प्रमुख सरकारी खर्च से प्रेरित थी। गुणवत्तापूर्ण इंजीनियरिंग उत्पादों के लिए वैश्विक मांग बढ़ने के साथ, भारत के औद्योगिक उत्पादन और निर्यात प्रदर्शन में सुधार को अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। -
नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (IDY 2025) के मौके पर एक भव्य योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। उनके साथ आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण भी मंच पर उपस्थित रहे। इस आयोजन में 40 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों और हजारों योग प्रेमियों ने भाग लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज की दुनिया विभिन्न प्रकार के तनाव और अस्थिरता से गुजर रही है। ऐसे में योग हमें शांति की दिशा दिखाता है। उन्होंने विश्व समुदाय से अपील की कि योग को सिर्फ व्यक्तिगत अभ्यास न मानकर उसे वैश्विक साझेदारी का माध्यम बनाया जाए। उन्होंने कहा कि योग को लोकनीति का हिस्सा बनाना चाहिए, जिससे यह मानवता की सेवा में और अधिक प्रभावी बन सके।
पीएम मोदी ने कहा, “जब जनता किसी लक्ष्य को थाम लेती है तो उसे कोई नहीं रोक सकता। मी टु वी (मेरे से हम) की भावना भारत की आत्मा का हिस्सा है। जब व्यक्ति अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज के बारे में सोचता है, तभी समस्त मानवता का कल्याण होता है। भारत की संस्कृति सदैव ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ की रही है।” प्रधानमंत्री ने बताया कि आज नेवी के जहाजों पर भी योग किया जा रहा है। ओपेरा हाउस की सीढ़ियों से लेकर हिमालय की चोटियों और समुद्र की गहराइयों तक, हर स्थान से यही संदेश आ रहा है कि “योग सभी का है और सभी के लिए है।” उन्होंने विशाखापत्तनम के लोगों को इतने बड़े आयोजन के लिए बधाई दी और विशेष रूप से मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण की सराहना की।प्रधानमंत्री ने योग का अर्थ “जुड़ना” बताते हुए कहा कि यह देखकर गर्व होता है कि आज 21 जून को दुनिया की 11वीं बार एकसाथ योग कर रही है। योग अब करोड़ों लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुका है। दिव्यांग साथी ब्रेल लिपि में योग पढ़ते हैं, वैज्ञानिक अंतरिक्ष में योग करते हैं और गांवों के युवा योग ओलिंपियाड में भाग लेते हैं। इस विशाल आयोजन के लिए आरके बीच पर 3.19 लाख लोगों के एकसाथ योग करने की व्यवस्था की गई थी। सुरक्षा, तकनीकी और अन्य व्यवस्थाओं की भी व्यापक तैयारी की गई थी। अनुमान है कि इस साल अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर भारत और दुनिया भर के करीब 8 लाख स्थानों पर लोग एकसाथ योग करेंगे। इस आयोजन से भारत का योग संदेश वैश्विक मंच पर और भी सशक्त होकर उभरा है। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में हुए 11 वर्षों के परिवर्तनकारी बदलावों का उत्सव मनाने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने MyGov के साथ मिलकर एक रचनात्मक राष्ट्रव्यापी अभियान बदलता भारत मेरा अनुभव शुरू किया है। यह अभियान देश के सभी नागरिकों को भारत के बदलावों को रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत करने का अवसर देता है। इस अभियान में पांच अनोखी प्रतियोगिताएं शामिल की गई हैं, जिनमें भाग लेने की अंतिम तिथि 9 जुलाई 2025 है। इसमें प्रतिभागियों को आकर्षक पुरस्कार और सभी को डिजिटल प्रमाणपत्र दिए जाएंगे।
यह पहल भारत के डिजिटल सशक्तिकरण, आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश और आधारभूत ढांचे में आए ऐतिहासिक परिवर्तनों को उजागर करती है। यह अभियान ‘विकसित भारत @2047’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसमें भारत को विश्व की अग्रणी शक्तियों में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है। इस अभियान के तहत पांच प्रमुख प्रतियोगिताएं -इंस्टाग्राम रील मेकिंग, यूट्यूब शॉर्ट्स चैलेंज, ब्लॉग भारत (BlogBharat) लेखन प्रतियोगिता, विकसित भारत क्विज 2025 और शॉर्ट ऑडियो-विजुअल (AV) फिल्म प्रतियोगिता रखी गईं हैं।इंस्टाग्राम रील मेकिंग प्रतियोगिता में प्रतिभागियों को डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे विषयों पर 30 से 60 सेकंड की प्रेरणादायक वीडियो बनानी होगी। यूट्यूब शॉर्ट्स चैलेंज में देश में हुए बदलावों, जैसे बदले हुए सार्वजनिक स्थानों, सांस्कृतिक आयोजनों या तकनीकी नवाचारों की कहानियों को वीडियो के माध्यम से प्रस्तुत करना होगा। BlogBharat के तहत छात्र, पत्रकार या लेखक 800 से 1200 शब्दों का लेख लिखकर भारत में पिछले 11 वर्षों में आए बदलावों का विश्लेषण कर सकते हैं।विकसित भारत क्विज 2025 में नागरिक भारत की नीतियों, सुधारों और उपलब्धियों से संबंधित सवालों के जवाब देकर अपना ज्ञान परख सकते हैं और शीर्ष विजेताओं को नकद पुरस्कार भी दिए जाएंगे। वहीं, शॉर्ट ऑडियो-विजुअल (AV) फिल्म प्रतियोगिता में युवा फिल्म निर्माता और कहानीकार 10 मिनट तक की लघु फिल्म बनाकर भारत की प्रगति, सामाजिक बदलाव और नवाचार को दर्शा सकते हैं।इस अभियान का उद्देश्य नागरिकों की नजरों से एक बदलते भारत की झलक दिखाना है और देश की प्रगति की व्यक्तिगत कहानियों को राष्ट्रीय मंच देना है। यह एक ऐसा मौका है जहां हर भारतीय अपने अनुभव, विचार और रचनात्मकता के माध्यम से देश के विकास में योगदान कर सकता है। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत गिनी गणराज्य को निर्यात के लिए बिहार स्थित मरहौड़ा संयंत्र में निर्मित अत्याधुनिक लोकोमोटिव को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह मरहौड़ा संयंत्र में निर्मित पहला निर्यात लोकोमोटिव है। इन लोकोमोटिव्स में उच्च हॉर्स पावर वाले इंजन, उन्नत एसी प्रणोदन प्रणाली, माइक्रोप्रोसेसर आधारित नियंत्रण प्रणाली और एर्गोनॉमिक केब डिज़ाइन जैसी विशेषताएं हैं। इनमें पुनरुत्पादक ब्रेकिंग तकनीक (Regenerative Braking) जैसी आधुनिक सुविधाएं भी शामिल हैं।
पटलिपुत्र से गोरखपुर के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस को दिखाई हरी झंडीइस दौरान प्रधानमंत्री ने पटलिपुत्र से गोरखपुर के बीच (मुजफ्फरपुर और बेतिया होते हुए) वंदे भारत एक्सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाई।सिवान में जनसभा के दौरान कई परियोजनाओं की सौगातसिवान में आयोजित एक जनसभा के दौरान प्रधानमंत्री का अभिनंदन किया गया। उन्होंने जल, रेल और ऊर्जा क्षेत्रों से जुड़ी कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया।बिहार में रेलवे बुनियादी ढांचे को मिला नया बलप्रधानमंत्री ने क्षेत्र में रेलवे बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के उद्देश्य से 400 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली नई वैशाली–देवरिया रेल परियोजना का उद्घाटन किया और इस मार्ग पर एक नई ट्रेन सेवा को रवाना किया।‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत छह एसटीपी का उद्घाटनप्रधानमंत्री ने ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत 1,800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले छह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) का उद्घाटन किया। ये संयंत्र क्षेत्र की आबादी को सेवाएं प्रदान करेंगे।बिहार के विभिन्न शहरों में पेयजल और स्वच्छता परियोजनाओं की आधारशिलाप्रधानमंत्री ने बिहार के कई शहरों में 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से जलापूर्ति, स्वच्छता और सीवेज उपचार अवसंरचना से जुड़ी परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इन परियोजनाओं का उद्देश्य लोगों को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना है।500 मेगावाट बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली का शिलान्यासप्रधानमंत्री ने बिहार में 500 मेगावाट बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (BESS) की भी आधारशिला रखी। ये स्टैंडअलोन BESS इकाइयां राज्य के 15 ग्रिड सबस्टेशनों पर स्थापित की जाएंगी, जिनमें मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, बेतिया और सिवान शामिल हैं। प्रत्येक इकाई की क्षमता 20 से 80 मेगावाट घंटों तक होगी। ये प्रणाली पीक डिमांड के समय ग्रिड को संग्रहित ऊर्जा प्रदान कर वितरण कंपनियों की बिजली खरीद लागत को कम करेंगी, जिससे उपभोक्ताओं को लाभ होगा।प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत लाभार्थियों को सौगातप्रधानमंत्री ने बिहार में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत 53,600 से अधिक लाभार्थियों को पहली किस्त जारी की। साथ ही, इस योजना के अंतर्गत बनकर तैयार हुए 6,600 से अधिक आवासों के गृह प्रवेश कार्यक्रम के तहत कुछ लाभार्थियों को प्रतीकात्मक रूप से घरों की चाबियां भी सौंपीं। -
नई दिल्ली। गुजरात के अहमदाबाद में 12 जून को विमान हादसे में मारे गए 220 लोगों का डीएनए सैंपल मैच हो गया है। गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर डीएनए मिलान के बारे में जानकारी साझा की है।
गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने एक्स पर लिखा, “शुक्रवार सुबह 11:45 बजे तक की जानकारी के अनुसार, शवों की पहचान और उन्हें उनके परिजनों को सौंपने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। अब तक 220 डीएनए सैंपल का मिलान हो गया है और अब तक 220 परिवारों से डीएनए मिलान को लेकर संपर्क किया गया है, जबकि 202 शवों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया है।”ऋषिकेश पटेल ने बताया कि 202 शव परिवार को सौंपे गए हैं, जिनमें 151 भारतीय नागरिक, 34 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और एक कनाडा का नागरिक शामिल हैं। इसके अलावा, मृतकों में नौ भारतीय ऐसे हैं जो यात्री नहीं थे। इन 202 में से 15 शवों को हवाई मार्ग से और 187 को सड़क मार्ग से एंबुलेंस के माध्यम से स्थानांतरित किया गया है।”उन्होंने कहा कि बाकी शवों को जल्द से जल्द उनके परिजनों तक पहुंचाने के प्रयास जारी हैं।गुरुवार सुबह गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “अहमदाबाद पुलिस, जिला प्रशासन और सामाजिक कार्यकर्ताओं को बधाई, उन्होंने पीड़ितों के परिवारों को कीमती सामान लौटाने का शानदार काम किया। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने कई लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव किया है। इन नायकों को सलाम।”इससे पहले, अहमदाबाद विमान हादसे को लेकर गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने बताया था कि जो भी सामान दुर्घटनास्थल से मिला है, वह जांच के बाद उनके परिजनों को सौंप दिया जाएगा।एयर इंडिया विमान हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी सहित 241 लोगों की मौत हुई। हादसे में सिर्फ एक यात्री की जान बची है, जो भारतीय मूल का ब्रिटिश नागरिक है। - नई दिल्ली। दुनियाभर में 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाएगा। इस दिन के लिए तैयारियां जोर पकड़ चुकी हैं और योग दिवस को विभिन्न तरीकों से मनाने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर की विभिन्न पहलों पर काम किया जा रहा है। देश में मुख्य राष्ट्रीय समारोह 21 जून को सुबह 6.30 से 7.45 बजे तक आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में आयोजित किया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि होंगे। इसके अलावा,आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू और उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण सहित अन्य व्यक्ति भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। वहीं, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत राजस्थान के जोधपुर स्थित ऐतिहासिक मेहरानगढ़ किले में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में भाग लेंगे।कल शनिवार को देशभर में एक लाख से अधिक स्थानों पर एक साथ योग दिवस मनाया जाएगा। इस वर्ष योग दिवस की थीम ‘योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ’ है। आयुष मंत्रालय ने बताया कि आंध्रप्रदेश में मुख्य कार्यक्रम ‘योग संगम’ अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), गोवा द्वारा म्हापुसा के पेडेम स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित किया जा रहा है। संस्थान ने बताया कि इस कार्यक्रम में पेडेम और म्हापुसा क्षेत्रों से बड़ी संख्या में स्कूल और कॉलेज के छात्र, सरकारी अधिकारी और स्थानीय नागरिक भाग लेंगे।मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार देशभर में सरकारी स्तर पर हरित योग और योग संगम जैसी कई पहल की गई हैं। इसी के तहत अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ने राज्य के विभिन्न धरोहर स्थलों, पर्यटन स्थलों, प्राचीन मंदिरों, किलों आदि पर हरित योग सत्र सहित कई प्रभावशाली कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किए। इस विशेष अभियान में 200 से अधिक छात्रों ने भाग लिया। इसके अलावा क्विज़, मेडिकल कैंप और योग सत्र का आयोजन किया गया।वहीं, योग दिवस समारोह आयोजित करने वाले कुछ प्रतिष्ठित स्थानों में शामिल हैं- यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल जैसे चराइदेव मैदान (असम), रानी की वाव और धोलावीरा (गुजरात), हम्पी और पट्टाडकल (कर्नाटक), खजुराहो स्मारक समूह और सांची स्तूप (मध्य प्रदेश), कोणार्क में सूर्य मंदिर (ओडिशा), एलिफेंटा गुफाएं (महाराष्ट्र), और तंजावुर (तमिलनाडु) में बृहदेश्वर मंदिर।इसके अलावा, गोलकुंडा किला और सालारजंग संग्रहालय (हैदराबाद), हुमायूं का मकबरा, पुराना किला और सफदरजंग मकबरा (दिल्ली), जलियांवाला बाग (अमृतसर), चित्तौड़गढ़ और कुंभलगढ़ किले (राजस्थान), लेह पैलेस (लद्दाख), परी महल (श्रीनगर), बेकल किला (केरल) तथा हजारद्वारी और कूच बिहार महल (पश्चिम बंगाल) आदि अन्य प्रमुख सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों में भी योग दिवस पर समारोह आयोजित किए जाएंगे।
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नई दिल्ली। प्रधानमंरेंद्रत्री न मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने राष्ट्रपति को देश के करोड़ों लोगों को प्रेरित करने वाली शख्सियत बताया है। पीएम मोदी के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित अन्य नेताओं ने भी राष्ट्रपति को बधाई दी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। उनका जीवन और नेतृत्व देश भर के करोड़ों लोगों को प्रेरित करता रहेगा। जनसेवा, सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता सभी के लिए आशा और शक्ति की किरण है। उन्होंने हमेशा गरीबों और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए काम किया है। ईश्वर उन्हें लोगों की सेवा करते हुए दीर्घायु और स्वस्थ जीवन प्रदान करे।“रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, “भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। जमीनी स्तर से लेकर सर्वोच्च संवैधानिक पद तक का उनका सफर भारत के लोकतंत्र की मजबूती को दर्शाता है। सामाजिक न्याय, गरीबों के सशक्तिकरण और समावेशी विकास के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता राष्ट्र को प्रेरित करती रहेगी। राष्ट्र की सेवा में उनके दीर्घ, स्वस्थ और संपूर्ण जीवन की कामना करता हूं।केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। ईश्वर से आपके उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घायु और मंगलमय जीवन की प्रार्थना करता हूं।“उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें सेवा और सादगी का प्रतीक बताते हुए लिखा, “सेवा और सादगी की प्रतीक, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को जन्मदिवस की हार्दिक बधाई! भगवान श्री जगन्नाथ से आपके सुदीर्घ, स्वस्थ व यशस्वी जीवन की प्रार्थना है।“उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “सहजता, सरलता, सौम्यता और महिला सशक्तिकरण की प्रतिमूर्ति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को जन्मदिन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। प्रभु बदरी विशाल से आपके सुदीर्घ, उत्तम स्वास्थ्य एवं मंगलमय जीवन की प्रार्थना करता हूं।“वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दीर्घायु होने की कामना करते हुए लिखा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से हम भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं। उनकी बुद्धिमत्ता और राष्ट्र की प्रगति, कल्याण और न्याय के प्रति अटूट समर्पण देश को सत्य और सदाचार के मार्ग पर आगे बढ़ाता रहे। हम उनके दीर्घायु, स्वस्थ और पूर्ण जीवन की कामना करते हैं।“ -
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला समेत 4 एस्ट्रोनॉट को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ले जाने वाला मिशन एक बार फिर टल गया है। 22 जून को एक्सिओम मिशन 4 को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए लॉन्च करना था, जिसे फिलहाल स्थगित करने का फैसला लिया गया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मिशन की लॉन्चिंग पर अपडेट दिया। नासा ने कहा कि आने वाले दिनों में एक नई लॉन्च तिथि निर्धारित की जाएगी।
फिलहाल लॉन्च संभावनाओं की समीक्षा जारीफिलहाल नासा, एक्सिओम स्पेस और स्पेसएक्स तीनों एजेंसी एक्सिओम मिशन 4 की लॉन्च संभावनाओं की समीक्षा जारी रखे हुए हैं। नासा ने जानकारी दी कि स्पेसएक्स का फाल्कन 9 रॉकेट और ड्रैगन यान फ्लोरिडा के नासा कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39ए पर सुरक्षित स्थिति में हैं।नासा ने दिया यह बयाननासा ने एक बयान में कहा, “ये फैसला ज्वेज्दा सेवा मॉड्यूल के पिछले हिस्से में हाल ही में किए गए मरम्मत कार्य के बाद अंतरिक्ष स्टेशन की संचालन स्थितियों का आकलन करने के लिए अतिरिक्त समय देने के उद्देश्य से लिया गया है क्योंकि अंतरिक्ष स्टेशन की प्रणालियां आपस में गहराई से जुड़ी हुई हैं। नासा ये सुनिश्चित करना चाहता है कि अतिरिक्त अंतरिक्ष यात्रियों के आगमन से पहले स्टेशन पूरी तरह तैयार हो इसलिए एजेंसी जरूरी डेटा की समीक्षा के लिए समय ले रही है।”इस समय चालक दल फ्लोरिडा में क्वारंटीन में हैएजेंसी ने आगे कहा, “नासा, एक्सिओम स्पेस और स्पेसएक्स इस मिशन के भारत, पोलैंड और हंगरी जैसे देशों के लिए ऐतिहासिक महत्व को समझते हैं और सराहते हैं। इस समय चालक दल फ्लोरिडा में क्वारंटीन में है और जैसे ही स्टेशन तैयार होगा, अंतरिक्ष यात्री उड़ान भरेंगे।”इसरो केअंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट की भूमिका निभाएंगेनासा के मुताबिक, इस मिशन का नेतृत्व पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री और एक्सिओम स्पेस में मानव अंतरिक्ष उड़ान निदेशक पेगी व्हिटसन करेंगी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट की भूमिका निभाएंगे। दो मिशन विशेषज्ञों में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के प्रोजेक्ट अंतरिक्ष यात्री स्लावोश उज्नान्सकी (पोलैंड) और हंगरी के टिबोर कापु शामिल हैं। -
नई दिल्ली। भारत और सेंट्रल अमेरिकन इंटीग्रेशन सिस्टम (एसआईसीए) ने भारत के अतिरिक्त सचिव राजेश वैष्णव, कोस्टा रिका के उप मंत्री एंडलेजांद्रो सोलानो और एसआईसीए की ओर से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग निदेशक कारमेन मार्रोक्विन के नेतृत्व में एक वर्चुअल वार्ता की। वार्ता के दौरान भारत-एसआईसीए सहयोग के कई क्षेत्रों पर सार्थक चर्चा हुई। विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है।
वर्चुअल बातचीत की तस्वीरें साझा करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर लिखा कि भारत की ओर से अपर सचिव राजेश वैष्णव और कोस्टा रिका के उप मंत्री श्री एलेजांद्रो सोलानो और एसआईसीए की ओर से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग निदेशक सुश्री कारमेन मार्रोक्विन के नेतृत्व में 18 जून को भारत-एसआईसीए वर्चुअल वार्ता हुई। भारत-एसआईसीए सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों पर सार्थक चर्चा हुई। सहयोग के मुख्य क्षेत्रों की पहचान खाद्य एवं पोषण सुरक्षा, स्वास्थ्य, कनेक्टिविटी, कृषि, डिजिटल परिवर्तन, ऊर्जा, व्यापार और निवेश के रूप में की गई।विदेश मंत्रालय ने कहा कि वर्तमान में कोस्टा रिका के पास एसआईसीए की अस्थायी अध्यक्षता है और इसे इस वर्ष के अंत में पनामा को सौंप दिया जाएगा। अपर सचिव ने अपने संबोधन में इस बात को रेखांकित किया कि भारत-एसआईसीए संबंध आपसी सम्मान, लोकतंत्र और सतत विकास के साझा मूल्यों तथा दक्षिण-दक्षिण सहयोग के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता की मजबूत नींव पर बने हुए हैं। भारत ने ITEC क्षमता निर्माण मंच, त्वरित प्रभाव परियोजनाओं (QIP) और समर्पित SME अनुदान कार्यक्रम सहित अपने विकास सहयोग कार्यक्रमों के माध्यम से इस क्षेत्र में कई पहलों का सक्रिय रूप से समर्थन किया है।एसआईसीए सचिवालय और एसआईसीए सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने वैश्विक दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने में भारत की सक्रिय भूमिका की सराहना की। उन्होंने बताया कि सतत राजनीतिक वार्ता और क्षेत्रीय सहयोग पहल के माध्यम से भारत-एसआईसीए सहयोग और अधिक गहरा होगा। सहयोग के मुख्य क्षेत्रों की पहचान खाद्य एवं पोषण सुरक्षा, स्वास्थ्य, कनेक्टिविटी, कृषि, डिजिटल परिवर्तन, ऊर्जा, व्यापार और निवेश के रूप में की गई।इसके अलावा, एसआईसीए के प्रतिनिधियों ने कोविड महामारी और क्षेत्र को प्रभावित करने वाली अन्य प्राकृतिक आपदाओं जैसे जरूरत के समय में भारत के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। -
नयी दिल्ली/ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 20 जून को बिहार के मरहौरा कारखाने में निर्मित रेल इंजन को गिनी गणराज्य को निर्यात किए जाने को हरी झंडी दिखाएंगे। रेल मंत्रालय ने यह जानकारी दी। रेलवे बोर्ड के सूचना एवं प्रचार विभाग के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार ने बुधवार को कहा, "20 जून 2025 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गिनी गणराज्य को निर्यात किए जाने वाले पहले लोकोमोटिव को हरी झंडी दिखाएंगे।" मरहोरा सुविधा तीन वर्षों में अफ्रीका के गिनी में सिमफेर की सिमंडौ लौह अयस्क परियोजना के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 150 इंजनों की आपूर्ति करेगी। कुमार के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में 37 इंजन, अगले वित्त वर्ष में 82 तथा तीसरे वर्ष में शेष 31 इंजनों की आपूर्ति की जाएगी।
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नयी दिल्ली. संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने एक रणनीतिक पहल शुरू की है, जो केंद्र सरकार और निजी क्षेत्र सहित सत्यापित नियोक्ताओं को देश की सबसे प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की शीर्ष प्रतिभाओं से जुड़ने का अवसर मुहैया करेगी। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यूपीएससी की ‘प्रतिभा सेतु', जिसे पहले सार्वजनिक प्रकटीकरण योजना (पीडीएस) के नाम से जाना जाता था, उन गैर-अनुशंसा वाले इच्छुक अभ्यर्थियों के विवरण उपलब्ध कराती है, जो आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं के सभी चरण में उत्तीर्ण हो गए, लेकिन अंतिम मेधा सूची में जगह नहीं बना पाए। यूपीएससी ने एक आधिकारिक नोट में कहा कि यह नियोक्ताओं को गैर-अनुशंसित इच्छुक अभ्यर्थियों का चयन करने के लिए एक मंच प्रदान करता है, जो अनुशंसित अभ्यर्थियों के समान ही मेधावी होते हैं। साथ ही, यह यूपीएससी अभ्यर्थियों के लिए अपनी प्रतिभा दिखाने का एक और अवसर होगा। इससे पहले, गैर-अनुशंसित इच्छुक अभ्यर्थियों की सूची पीडीएस के तहत आयोग की वेबसाइट पर जारी की जाती थी। गैर-अनुशंसा वाले उम्मीदवार वे हैं जो लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं, लेकिन साक्षात्कार के बाद उनके नाम की अनुशंसा किसी पद के लिए नहीं की जाती है। यूपीएससी के अनुसार निजी संगठन भी आयोग के पोर्टल का उपयोग कर खुद से पंजीकरण कर सकते हैं।
इस पहल के तहत, अभ्यर्थियों की शैक्षणिक योग्यता और संपर्क नंबर व पता सहित उनका व्यक्तिगत विवरण भी उपलब्ध कराया जाएगा। यूपीएससी के अनुसार, उसके पास 10,000 से अधिक इच्छुक अभ्यर्थियों का डेटा बैंक है, जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा के सभी चरणों को उत्तीर्ण कर लिया, लेकिन अंतिम मेधा सूची में जगह नहीं बना पाए। आयोग द्वारा आयोजित विभिन्न सरकारी नौकरी भर्ती परीक्षाओं के लिए लाखों छात्र आवेदन करते हैं।
पीडीएस योजना 20 अगस्त 2018 से लागू है। आयोग ने पहली बार इस योजना का उपयोग संयुक्त चिकित्सा सेवा परीक्षा 2017 के लिए उम्मीदवारों की सूची का खुलासा करने के लिए किया था। हालांकि, अब पीडीएस का नाम बदलकर यूपीएससी ‘प्रतिभा सेतु' कर दिया गया है।
यूपीएससी ने कहा कि सिविल सेवा परीक्षा के गैर-अनुशंसित इच्छुक अभ्यर्थी और भारतीय वन सेवा, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ), इंजीनियरिंग सेवा, संयुक्त भू-वैज्ञानिक, संयुक्त रक्षा सेवा, भारतीय आर्थिक सेवा/भारतीय सांख्यिकी सेवा परीक्षा और संयुक्त चिकित्सा सेवा की परीक्षाओं को इस योजना में शामिल किया गया है। -
भारतीय छात्रों ने ईरान के भयावह हालात याद किए
नयी दिल्ली/हमारे पड़ोस में ही आसमान से मिसाइलें गिर रही थीं, बमबारी हो रही थी।'' यह कहना था युद्धग्रस्त ईरान से निकाले जाने के बाद बृहस्पतिवार को वतन लौटे एमबीबीएस छात्र मीर खलीफ का जिनकी लड़खड़ाती आवाज में वहां (ईरान) के भयावह हालात का डर साफ महसूस हो रहा था। खलीफ, उन 110 भारतीय छात्रों में से एक हैं जो बृहस्पतिवार को सुबह-सुबह पहली निकासी उड़ान से राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे। ईरान-इजराइल संघर्ष के बीच ‘ऑपरेशन सिंधु' के तहत इन छात्रों को भारत लाया गया। जम्मू-कश्मीर के 90 छात्र सहित इन सभी को ईरान के शहरों में विस्फोट और हवाई हमले के मद्देनजर इस सप्ताह की शुरुआत में तेहरान से आर्मेनिया ले जाया गया था। बचाव अभियान में समन्वय भारतीय दूतावास द्वारा किया गया। खलीफ ने ईरान की भयावह यादों को एक बुरा सपना बताया और उन्हें पहले आर्मेनिया पहुंचाने, फिर वतन वापसी के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘हमने मिसाइलें गिरती देखी। युद्ध हो रहा था। हमारे पड़ोस में बमबारी हो रही थी। हम बेहद डर गए। मैं दुआ करता हूं कि हमें ऐसे दिन फिर कभी न देखने पड़ें।'' खलीफ ने कहा, ईरान में अभी भी छात्र फंसे हैं। उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। हमें उम्मीद है कि उन्हें भी जल्द भारत लाया जाएगा। कश्मीर की छात्रा वार्ता के चेहरे पर भी डर साफ दिख रहा था।
उन्होंने कहा, ‘‘हम पहले हैं जिन्हें ईरान से निकाला गया है। स्थिति काफी गंभीर थी। हम डरे हुए थे। हम भारत सरकार और भारतीय दूतावास का धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने हमें यहां लाने के लिए बहुत तेजी से काम किया।'' उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पड़ोस में ही हमले हो रहे थे। जब भारत सरकार से संपर्क हुआ तब जाकर राहत की सांस ली।'' दिल्ली के एक छात्र अली अकबर ने कहा कि हर तरफ तबाही का दृश्य था।
उन्होंने कहा, ‘‘बस यात्रा के दौरान हमने एक मिसाइल और एक ड्रोन आसमान से गिरते देखे। तेहरान तबाह हो गया है। समाचारों में दिखाई गई तस्वीरें बिल्कुल सही हैं, स्थिति बहुत खराब है।'' विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह छात्रों के आगमन पर दिल्ली हवाई अड्डे पहुंचे।
बाद में, सिंह ने ‘एक्स' पर पोस्ट कर कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान से निकाले गए 110 भारतीय नागरिकों के पहले जत्थे का गर्मजोशी से स्वागत किया जो विदेश में अपने नागरिकों की सुरक्षा और हित के लिए भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।'' सिंह ने हवाई अड्डे पर भारतीय नागरिकों के आगमन की कुछ तस्वीरें भी साझा कीं।
सिंह ने पुष्टि की कि ‘ऑपरेशन सिंधु' के तहत निकासी के प्रयास जारी हैं, और अधिक विमान वहां फंसे लोगों को निकालने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास विमान तैयार हैं। हम आज एक और विमान भेजेंगे। हम तुर्कमेनिस्तान से कुछ और लोगों को निकाल रहे हैं। निकासी अनुरोध के लिए हमारे दूतावासों से 24 घंटे संपर्क किया जा सकता है। जैसे-जैसे स्थिति बदलेगी, हम भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए और विमान भेजेंगे।'' केंद्रीय मंत्री ने तुर्कमेनिस्तान और आर्मेनिया की सरकारों को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।
अधिकारियों ने बुधवार को कहा था कि ईरान से निकाले जा रहे भारतीय नागरिकों को लेकर पहली उड़ान 19 जून की सुबह आर्मेनिया की राजधानी येरेवान से भारत पहुंचेगी। इस बीच, दिल्ली हवाई अड्डे पर कई अभिभावक अपने बच्चों से मिलने के लिए उत्सुकता से इंतजार करते दिखे।
एमबीबीएस छात्र माज हैदर के पिता हैदर अली ने कहा, ‘‘हम खुश हैं और भारत सरकार के आभारी हैं। लेकिन यह जानकर हमारा दिल अब भी भारी है कि कई छात्र अब तक तेहरान में फंसे हैं। हम सरकार से उन्हें भी वापस लाने का आग्रह करते हैं।'' उरमाई में पढ़ने वाले एक छात्र के पिता बुलंदशहर निवासी परवेज ने कहा, ‘‘हम बेहद तनाव में थे। लेकिन भारत सरकार ने छात्रों को आर्मेनिया पहुंचाया जहां उन्हें अच्छे होटल में रखा गया। हम भारत सरकार के शुक्रगुजार हैं।'' जम्मू-कश्मीर छात्र संघ ने निकासी अभियान शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर को धन्यवाद दिया। एसोसिएशन ने एक बयान में कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि शेष सभी छात्रों को जल्द ही निकाल लिया जाएगा। -
नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग' 2026 भारत के शिक्षा क्षेत्र के लिए बहुत अच्छी खबर लेकर आई है। इस रैंकिंग में भारत के 54 संस्थानों को शामिल किया गया है। मोदी ने ‘एक्स' पर लिखा, “क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी 2026 रैंकिंग हमारे शिक्षा क्षेत्र के लिए बहुत अच्छी खबर लेकर आई है। हमारी सरकार भारत के युवाओं के लाभ के लिए अनुसंधान और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को और मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।" बृहस्पतिवार सुबह जारी रैंकिंग के अनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-दिल्ली सर्वोच्च रैंकिंग वाला भारतीय संस्थान है। संस्थान ने दो वर्षों में 70 से अधिक पायदान चढ़कर प्रतिष्ठित सूची में 123वां स्थान प्राप्त किया है। इस वर्ष रैंकिंग में आठ नए भारतीय संस्थानों को शामिल किए जाने के साथ ही अब भारत के संस्थानों की संख्या बढ़कर 54 हो गई है। अमेरिका (192 संस्थान), ब्रिटेन (90 संस्थान) और मुख्यभूमि चीन (72 संस्थान) के बाद भारत चौथे स्थान पर है। किसी अन्य देश या क्षेत्र में इस वर्ष रैंकिंग में इतने विश्वविद्यालय नहीं जुड़े हैं। इस मामले में जॉर्डन और अजरबैजान दूसरे स्थान पर रहे हैं और दोनों के छह-छह विश्वविद्यालय 2026 की रैंकिंग में जुड़े हैं। लंदन स्थित वैश्विक उच्च शिक्षा विश्लेषण कंपनी ‘क्वाक्वेरेली साइमंड्स' (क्यूएस) द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित की जाने वाली प्रतिष्ठित ‘क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग' के तहत विभिन्न प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर विश्वविद्यालयों का आकलन किया जाता है।
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गुरुवार को तीन देशों की सफल यात्रा पूरी करने के बाद भारत लौट आए। उन्होंने अपनी यात्रा का अंतिम चरण क्रोएशिया में पूरा किया, जो किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली आधिकारिक क्रोएशिया यात्रा थी। इस दौरे को भारत और क्रोएशिया के बीच दोस्ती और सहयोग के एक नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे पहले साइप्रस का दौरा किया, फिर कनाडा गए जहां उन्होंने G7 शिखर सम्मेलन में भाग लिया। इसके बाद वह क्रोएशिया पहुंचे, जहां राजधानी जाग्रेब में उनका भव्य स्वागत हुआ। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी दी, “PM @narendramodi तीन देशों साइप्रस, कनाडा और क्रोएशिया की सफल यात्रा के बाद अब नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने क्रोएशिया यात्रा को “ऐतिहासिक और यादगार” बताते हुए वहां की जनता और सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने लिखा, “क्रोएशिया की जनता और सरकार से मिला गर्मजोशी भरा स्वागत अविस्मरणीय रहा। यह यात्रा हमारी दोस्ती और सहयोग के साझा सफर में एक नया अध्याय जोड़ती है।” प्रधानमंत्री मोदी ने क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविच के साथ जाग्रेब में प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत की। उन्होंने साझा किया कि दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि, आईटी, नवीकरणीय ऊर्जा, तकनीक, सेमीकंडक्टर, जहाज निर्माण और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में गहरा सहयोग होगा। उन्होंने कहा कि दोनों देश मिलकर अकादमिक संस्थानों के बीच शोध और अंतरिक्ष क्षेत्र में भी साझेदारी बढ़ाएंगे।प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि दोनों देशों के लोकतंत्र, कानून का शासन, विविधता और गुणवत्ता जैसे साझा मूल्यों से जुड़े होने के कारण भारत-क्रोएशिया के रिश्ते मजबूत हैं। उन्होंने इस बात पर भी खुशी जताई कि उन्हें और प्रधानमंत्री प्लेंकोविच को अपने-अपने देश में लगातार तीसरी बार जनादेश मिला है, जो दोनों देशों की स्थिरता और लोकतांत्रिक मजबूती को दर्शाता है। इस दौरान प्रधानमंत्री प्लेंकोविच ने पीएम मोदी को क्रोएशिया की ऐतिहासिक राजधानी जाग्रेब के केंद्र का दौरा भी कराया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस विशेष सैर को ‘एक मित्रवत और सम्मानजनक इशारा’ बताया और इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं।प्रधानमंत्री मोदी ने क्रोएशिया में अपनी यात्रा के दौरान साझा प्रेस वक्तव्य में कहा कि भारत और क्रोएशिया मिलकर दीर्घकालीन डिफेंस कोऑपरेशन प्लान भी तैयार करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि यह यात्रा भारत और क्रोएशिया के संबंधों में काफी अहम साबित होगी। प्रधानमंत्री मोदी को क्रोएशिया पहुंचने पर औपचारिक सम्मान समारोह भी दिया गया, जिसमें स्थानीय नागरिकों और प्रवासी भारतीयों ने पारंपरिक नारे और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ उनका स्वागत किया। -
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश को 2023 की बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं के बाद की स्थिति में रिकवरी और पुनर्निर्माण योजना के लिए केंद्रीय सहायता के रूप में 2006.40 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है।वित्त मंत्री, कृषि मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष की सदस्यता वाली समिति ने राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (एनडीआरएफ) के तहत रिकवरी और पुनर्निर्माण फंडिंग विंडो से राज्य को वित्तीय सहायता के प्रस्ताव पर विचार किया।
गृह मंत्रालय के अनुसार, रिकवरी योजना से राज्य को 2023 मानसून के दौरान बाढ़, बादल फटने और भूस्खलन के कारण होने वाली क्षति और विनाश के कारण रिकवरी और पुनर्निर्माण गतिविधियों में मदद मिलेगी। 2006.40 करोड़ रुपए में से 1504.80 करोड़ रुपए राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि के तहत रिकवरी और पुनर्निर्माण फंडिंग विंडो से केंद्र का हिस्सा होगा।इससे पूर्व, गृह मंत्रालय ने इस आपदा से प्रभावित हिमाचल प्रदेश को राहत कार्यों के लिए, 12 दिसंबर 2023 को ही एनडीआरएफ से 633.73 करोड़ रुपए की अतिरिक्त वित्तीय सहायता की मंजूरी दी थी।मंत्रालय ने कहा कि केन्द्र सरकार ने जोशीमठ आपदा के बाद उत्तराखंड के लिए 1658.17 करोड़ रुपए और 2023 की GLOF घटना के बाद सिक्किम के लिए 555.27 करोड़ रुपए की रिकवरी योजनाओं को मंजूरी दी थी। साथ ही सरकार ने शहरी बाढ़ (3075.65 करोड़, भूस्खलन (1000 करोड़), GLOF (150 करोड़), जंगल की आग (818.92 करोड़), बिजली गिरने (186.78 करोड़) और सूखे (2022.16 करोड़) के क्षेत्रों में कई खतरों के जोखिम को कम करने के लिए 7253.51 करोड़ रुपए के समग्र वित्तीय परिव्यय के साथ कई शमन परियोजनाओं को मंजूरी दी थी।दरअसल, यह अतिरिक्त सहायता केन्द्र द्वारा राज्यों को राज्य आपदा मोचन निधि (SDRF) में जारी की गई धनराशि के अतिरिक्त है, जो पहले से ही राज्यों के पास है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान केन्द्र सरकार ने SDRF के तहत 28 राज्यों को 20,264.40 करोड़ और NDRF के तहत 19 राज्यों को 5,160.76 करोड़ जारी किए हैं। इसके अतिरिक्त, राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (SDMF) से 19 राज्यों को 4984.25 करोड़ और राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) से 8 राज्यों को 719.72 करोड़ रुपए भी जारी किए गए हैं। -
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि उसने इजरायल के साथ चल रहे संघर्ष के कारण पश्चिम एशियाई देश में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए ईरान से भारतीयों को निकालने के लिए ‘ऑपरेशन सिंधु’ शुरू किया है। बुधवार शाम को जारी बयान में सरकार ने कहा कि वह ईरान में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और संरक्षा के लिए पिछले कई दिनों से विभिन्न कदम उठा रही है। इसने कहा कि पहले कदम के रूप में भारतीय दूतावास ने उत्तरी ईरान से 110 भारतीय छात्रों को निकाला है, जिससे उन्हें 17 जून को सुरक्षित रूप से आर्मेनिया में प्रवेश करने में सहायता मिली। इसने कहा कि ये छात्र ईरान और आर्मेनिया में भारत के मिशनों की देखरेख में सड़क मार्ग से अर्मेनियाई राजधानी येरेवन गए हैं। ये छात्र बुधवार को दोपहर 2.55 बजे एक विशेष उड़ान से येरेवन से रवाना हुए।
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नई दिल्ली। देश का पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट ‘अर्णाला’ बुधवार को भारत के समुद्री बेड़े में शामिल किया गया। महाराष्ट्र के वसई के ऐतिहासिक ‘अर्णाला’ किले के नाम पर बना यह युद्धपोत भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को दर्शाता है। यह पोत भारत की नौसैनिक क्षमताओं में बड़ा बदलाव लाने के साथ ही तटीय सुरक्षा को मजबूत करेगा। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर समुद्री शक्ति के रूप में उभरेगा।
सीडीएस अनिल चौहान की अध्यक्षता में जहाज को नौसेना के बेड़े में शामिल कियाविशाखापट्टनम के नौसेना डॉकयार्ड में आज चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान की अध्यक्षता में कमीशनिंग समारोह में जहाज को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित 16 पनडुब्बी रोधी युद्धक उथले जल पोत (एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट) में से यह पहला पोत है। इस युद्धपोत में 80 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। इसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), एलएंडटी, महिंद्रा डिफेंस और एमईआईएल सहित प्रमुख भारतीय रक्षा फर्मों की उन्नत प्रणालियां शामिल हैं। इस परियोजना में 55 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) ने सहयोग दिया है।युद्धपोत निगरानी टीमों की देखरेख में निर्मित ‘अर्णाला’ को 08 मई को भारतीय नौसेना को सौंपा गया था। विभिन्न खतरों के खिलाफ मजबूती से खड़े रहे ‘अर्णाला’ किले की तरह इस जहाज को समुद्र में मजबूत उपस्थिति के लिए डिजाइन किया गया है। इसका मजबूत निर्माण और उन्नत क्षमताएं सुनिश्चित करती हैं कि यह जहाज समुद्री क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करके उभरते खतरों से भारत के जल की रक्षा कर सकता है। नौसेना के अनुसार ‘अर्णाला’ जहाज को पानी के नीचे निगरानी रखने, तलाश और बचाव कार्यों और कम तीव्रता वाले समुद्री संचालन (एलआईएमओ) के लिए तैयार किया गया है।एंटी-सबमरीन वारफेयर संचालन में सक्षम है ‘अर्णाला’यह जहाज तटीय जल में एंटी-सबमरीन वारफेयर संचालन में सक्षम है। साथ ही यह माइन बिछाने की उन्नत क्षमता से युक्त है। एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट पोत के शामिल होने से भारतीय नौसेना की उथले पानी की पनडुब्बी रोधी युद्धक क्षमता में बढ़ोतरी होगी। यह भारतीय नौसेना का 1490 टन से अधिक सकल भार वाला 77 मीटर लंबा डीजल इंजन-वाटर जेट से संचालित होने वाला सबसे बड़ा युद्धपोत है। जहाज का बख्तरबंद पतवार किले की स्थायी पत्थर की दीवारों को दर्शाता है, जबकि इसके अत्याधुनिक हथियार और सेंसर उन तोपों की जगह लेते हैं, जो कभी आक्रमणकारियों से बचाव करते थे।गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में निर्मित ये जहाज पुराने हो चुके अभय श्रेणी के कोरवेट की जगह लेंगे। 80 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ ये जहाज जहाज निर्माण और रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता को दर्शाते हैं। जहाज के शिखर के नीचे एक रिबन खूबसूरती से फहराया गया है, जिस पर गर्व से जहाज का आदर्श वाक्य ‘अर्णवे शौर्यम्’ (अर्नावे शौर्यम्) प्रदर्शित किया गया है, जिसका अर्थ है ‘महासागर में वीरता’। यह शिलालेख जहाज के अटूट साहस, दुर्जेय शक्ति और विशाल समुद्र पर प्रभुत्व को दर्शाता है।हिंद महासागर क्षेत्र में आत्मनिर्भर समुद्री शक्ति के रूप में भारत की स्थिति और मजबूत होगीस्वदेशी जहाज निर्माण न केवल घरेलू रक्षा उद्योग को मजबूत करता है, बल्कि विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता को भी कम करता है। तटीय और उथले पानी वाले क्षेत्रों में इन जहाजों की प्राथमिक भूमिका दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाना और उन्हें ट्रैक करना है। पानी के नीचे के खतरों को बेअसर करने के लिए इनमें हल्के टॉरपीडो, एएसडब्ल्यू रॉकेट, एंटी-टॉरपीडो डिकॉय और उन्नत माइन-लेइंग क्षमताओं सहित अत्याधुनिक हथियार सूट की सुविधा है। ये जहाज भारत के विशाल समुद्र तट और महत्वपूर्ण अपतटीय संपत्तियों को पनडुब्बी खतरों से निरंतर और प्रभावी सुरक्षा प्रदान करेंगे, जिससे भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते भूमिगत खतरे का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। -
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु 19 जून से 21 जून तक उत्तराखंड के तीन दिवसीय दौरे पर रहेंगी। इस दौरान वह देहरादून और नैनीताल में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगी। खास बात यह है कि इस दौरे के दौरान 20 जून को राष्ट्रपति मुर्मु का जन्मदिन भी है, जिसे वह उत्तराखंड में खास आयोजनों के साथ मनाएंगी। दौरे की शुरुआत 19 जून को होगी, जब राष्ट्रपति देहरादून स्थित राष्ट्रपति निकेतन में एक एम्फीथियेटर का उद्घाटन करेंगी। साथ ही वह स्टाफ क्वार्टर, अस्तबल और बैरकों का शिलान्यास भी करेंगी।
वहीं 20 जून को, अपने जन्मदिन के दिन, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु राष्ट्रपति निकेतन को आम जनता के लिए खोले जाने के समारोह में शामिल होंगी। इस अवसर पर वह आगंतुक सुविधा केंद्र, कैफेटेरिया और स्मारिका दुकान जैसी नई सार्वजनिक सुविधाओं का उद्घाटन करेंगी। साथ ही वह राष्ट्रपति तपोवन का उद्घाटन और राष्ट्रपति उद्यान का शिलान्यास करेंगी। यह जानकारी दी गई है कि राष्ट्रपति निकेतन और राष्ट्रपति तपोवन 24 जून 2025 से आम जनता के दर्शन के लिए खुले रहेंगे।इसी दिन, 20 जून को, राष्ट्रपति देहरादून स्थित राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (NIEPVD) का दौरा भी करेंगी। वह यहां मॉडल स्कूल की विज्ञान प्रयोगशाला और एक प्रदर्शनी का अवलोकन करेंगी और दिव्यांग विद्यार्थियों से संवाद करेंगी। शाम को, राष्ट्रपति नैनीताल स्थित राजभवन के 125 वर्ष पूरे होने के अवसर पर एक विशेष डाक टिकट भी जारी करेंगी।दौरे के अंतिम दिन 21 जून को, राष्ट्रपति मुर्मू अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर उत्तराखंड राज्य पुलिस लाइन मैदान, देहरादून में आयोजित सामूहिक योग प्रदर्शन में भाग लेंगी। यह दौरा उत्तराखंड के विकास और राष्ट्रपति संस्थानों को आम जनता से जोड़ने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। -
नई दिल्ली। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी ने बुधवार को कहा कि सरकार ने सभी कानूनी, वाणिज्यिक, डिजिटल और प्रशासनिक गतिविधियों के लिए भारतीय मानक समय (आईएसटी) के उपयोग को अनिवार्य बनाने का फैसला किया है। इस पहल से डिजिटल लेनदेन अधिक सुरक्षित होंगे, उपयोगिताओं में सटीक बिलिंग होगी, साइबर अपराध का जोखिम कम होगा और परिवहन और संचार में समय का समन्वय होगा।
वर्तमान में, कई प्रणालियां समय के विदेशी स्रोतों पर निर्भर हैं। भारतीय मानक समय (आईएसटी) को अनिवार्य बनाने के लिए, सरकार जल्द ही कानूनी माप विज्ञान (भारतीय मानक समय) नियम, 2025 को अधिसूचित करेगी।अंशधारकों की प्रतिक्रिया के लिए जनवरी, 2025 में नियमों का मसौदा जारी किया गया था। बुधवार को उपभोक्ता मामले विभाग ने यहां समय प्रसार पर एक गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया। जोशी ने सीएसआईआर-एनपीएल और इसरो के सहयोग से विभाग द्वारा कार्यान्वित की जा रही टाइम डिसेमिनेशन परियोजना के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि आगामी नियम सभी कानूनी, वाणिज्यिक, डिजिटल और प्रशासनिक गतिविधियों को आईएसटी के साथ समन्वयित करने को अनिवार्य करेंगे, ‘जब तक स्पष्ट रूप से अधिकृत न किया जाए, वैकल्पिक समय संदर्भों के उपयोग पर रोक लगाएंगे।’ जोशी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हम नियमों को अधिसूचित कर रहे हैं। इसमें, अब हम एक राष्ट्र एक समय हैं… ये नियम बहुत जल्द ही अनिवार्य हो जाएंगे। सटीक तिथि बाद में तय की जाएगी।’ -
नई दिल्ली। एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) में शामिल सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारी अब पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के तहत मिलने वाले सेवानिवृत्ति एवं मृत्यु ग्रैच्युटी लाभ के लिए पात्र होंगे। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बुधवार को यह जानकारी दी। सरकारी कर्मचारियों के एक बड़े तबके की इस बहुप्रतीक्षित मांग के संदर्भ में कार्मिक राज्यमंत्री सिंह ने कहा कि यह कदम सरकारी कर्मचारियों की एक महत्त्वपूर्ण मांग को पूरा करता है और सेवानिवृत्ति लाभ में समानता लेकर आता है। उन्होंने कहा कि नया प्रावधान राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत सभी श्रेणियों के कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सिंह ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के पिछले 11 वर्षों के सफर पर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शासन को सरल बनाने, नागरिकों को सशक्त बनाने और प्रशासन को मानवीय बनाने के उद्देश्य से कई सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यूपीएस के तहत आने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारी अब केंद्रीय सिविल सेवा (एनपीएस के तहत ग्रैच्युटी का भुगतान) नियम, 2021 के प्रावधानों के अनुरूप सेवानिवृत्ति और मृत्यु ग्रैच्युटी लाभ के लिए पात्र होंगे।कार्मिक मंत्रालय के पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (डीओपीपीडब्ल्यू) ने बुधवार को यूपीएस के तहत आने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए सेवा के दौरान सरकारी कर्मचारी की मृत्यु या अक्षमता या विकलांगता के कारण सरकारी सेवा से उनकी बर्खास्तगी पर ओपीएस के तहत लाभ मिलने के विकल्पों पर एक आदेश जारी किया। डीओपीपीडब्ल्यू के सचिव वी श्रीनिवास ने कहा, ‘यह आदेश किसी कर्मचारी को यह चुनने का विकल्प देता है कि सेवाकाल में ही उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसे फिर से ओपीएस के दायरे में ले लिया जाए। यह प्रकृति में प्रगतिशील है और कर्मचारियों द्वारा मांगे जा रहे स्पष्टीकरणों को संबोधित करता है।’अखिल भारतीय एनपीएस कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष मंजीत सिंह पटेल ने इस सरकारी आदेश का स्वागत करते हुए इसे सरकार का ऐतिहासिक और बेहद जरूरी कदम बताया। पटेल ने कहा कि यूपीएस में मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रैच्युटी को शामिल करने से कर्मचारियों की सभी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में अब बहुत सारे कर्मचारी यूपीएस का विकल्प चुनेंगे।डीओपीपीडब्ल्यू ने एनपीएस के तहत आने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों के सेवा-संबंधी मामलों के नियमन के लिए केंद्रीय सिविल सेवा (एनपीएस कार्यान्वयन) नियम, 2021 को अधिसूचित किया था। इसके नियम 10 में एनपीएस में शामिल कर्मचारी को सेवा के दौरान मृत्यु या अमान्यता या विकलांगता के आधार पर सेवामुक्ति की स्थिति में एनपीएस या ओपीएस के तहत लाभ पाने के लिए विकल्प का प्रयोग करने का प्रावधान है।वित्त मंत्रालय ने 24 जनवरी को जारी अधिसूचना में कहा था कि एक अप्रैल, 2025 से केंद्र सरकार की सिविल सेवा में भर्ती होने वाले कर्मचारियों के लिए एनपीएस के तहत एक विकल्प के रूप में यूपीएस की शुरुआत होगी। डीओपीपीडब्ल्यू ने बुधवार को एक और आदेश जारी कर स्पष्ट किया कि यूपीएस के तहत आने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारी भी केंद्रीय सिविल सेवा (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत ग्रैच्युटी का भुगतान) नियम, 2021 के प्रावधानों के तहत सेवानिवृत्ति ग्रैच्युटी और मृत्यु ग्रैच्युटी के लाभ के लिए पात्र होंगे। श्रीनिवास ने कहा कि यह आदेश ‘एनपीएस और यूपीएस पेंशनभोगियों के बीच समानता लाता है और वे 25 लाख रुपये की ग्रैच्युटी के लिए भी पात्र होंगे।’ -
नई दिल्ली। पंचायती राज मंत्रालय ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत नेशनल लैंग्वेज ट्रांसलेशन मिशन, भाषिणी के साथ एक समझौता ज्ञापन के जरिए एक महत्वपूर्ण सहयोग को औपचारिक रूप देगा। इसका उद्देश्य पंचायती राज शासन में अधिक समावेशिता और बेहतर पहुंच के लिए कटिंग-एज एआई-पावर्ड लैंग्वेज टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना है।
राष्ट्रीय राजधानी में 19 जून, 2025 को केंद्रीय पंचायती राज और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल की मौजूदगी में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। यह पहल पंचायती राज मंत्रालय के डिजिटल प्लेटफॉर्म और आउटरीच प्रयासों में बहुभाषी पहुंच का विस्तार करने के लिए एक रणनीतिक सहयोग है।इस पहल के साथ पंचायती राज पहलों, कार्यक्रमों, संवादों और लाइव कार्यक्रमों में एडवांस्ड ट्रांसलेशन टेक्नोलॉजी के जरिए सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ाया जा सकेगा।यह मंत्रालय के प्लेटफार्मों को निर्बाध रूप से बहुभाषी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे हितधारकों विशेषकर निर्वाचित प्रतिनिधियों, पदाधिकारियों और ग्रामीण भारत के नागरिकों को अपनी मूल भाषाओं में योजना और शासन प्रणालियों तक पहुंच बनाने में सशक्त बनाया जा सके। -
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (आईडीवाई) 2025 के प्रमुख कार्यक्रम योग संगम के लिए पंजीकरण ऐतिहासिक 4 लाख के आंकड़े को पार कर गया है। देश में किसी भी कार्यक्रम ने कभी भी इतने बड़े पैमाने पर सुनिश्चित भागीदारी हासिल नहीं की है। एक लाख से ज्यादा योग स्थानों के साथ राजस्थान सबसे आगे है। वहीं, आंध्र प्रदेश 1 लाख से ज्यादा कार्यक्रमों के साथ दूसरे स्थान पर है, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया।
देश भर में 21 जून को लाखों जगहों पर एक साथ ऐतिहासिक योग प्रदर्शन होगा, जो भारत की स्वास्थ्य यात्रा में एक ऐतिहासिक क्षण होगा। इस राष्ट्रव्यापी आंदोलन का सबसे शानदार प्रदर्शन विशाखापत्तनम में होगा, जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और आयुष मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव, 5 लाख से अधिक योग प्रेमियों के साथ सामान्य योग का प्रदर्शन करेंगे।21 जून, 2025 को सुबह 6:30 बजे से 7:45 बजे तक आयोजित होने वाला योग संगम अब तक का सबसे बड़ा सामूहिक योग कार्यक्रम बनने जा रहा है, जिसमें लाखों संस्थान, संगठन और समुदाय एक साथ हिस्सा लेंगे। राजस्थान इस अभियान में सबसे आगे है, जहां 1,38,033 संगठनों ने पंजीकरण कराया है, उसके बाद हैं:-आंध्र प्रदेश: 1,38,033उत्तर प्रदेश: 1,01,767मध्य प्रदेश: 26,159गुजरात: 19,951हिमाचल प्रदेश: 12,000दरअसल, भागीदारी में यह वृद्धि इस वर्ष की थीम – ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग’ के प्रति व्यापक उत्साह को दर्शाता है – एक संदेश जो योग को वैश्विक और व्यक्तिगत कल्याण के साथ जोड़ता है। आईआईटी और आईआईएम से लेकर जमीनी स्तर के गैर-सरकारी संगठनों और अग्रणी कॉरपोरेट तक, सभी क्षेत्रों के संस्थान इस आह्वान को अपना रहे हैं। योग संगम पोर्टल (https://yoga.ayush.gov.in/yoga-sangam) राष्ट्रव्यापी समन्वय के केंद्र के रूप में उभरा है।योग संगम में शामिल होने के लिए संबंधित पोर्टल https://yoga.ayush.gov.in/yoga-sangam पर जाकर अपना समूह/संगठन पंजीकृत कर सकते है। इसके अलावा संगठन प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन को सुबह 6:30 से 7:00 बजे तक सीधा प्रसारण करें और सुबह 7:00 से 7:45 बजे तक योग सत्र आयोजित करें। साथ ही अपने कार्यक्रम का विवरण अपलोड करके आधिकारिक प्रशंसा प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं ।उल्लेखनीय है, आयुष मंत्रालय ने नागरिकों को चार लाख से अधिक संगठनों के साथ सभी को इस परिवर्तनकारी क्षण का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया है। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी अपील के बाद देशभर की ग्राम पंचायतों में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (IDY) 2025 को लेकर अभूतपूर्व उत्साह देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने ग्राम प्रधानों को एक पत्र लिखकर उन्हें समुदाय स्तर पर योग को बढ़ावा देने और इसे जीवन का हिस्सा बनाने का आह्वान किया, जिससे यह आयोजन अब एक जनआंदोलन का रूप लेता दिख रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पत्र में लिखा, “योग ने न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से बदला है।” इस वर्ष योग दिवस की थीम “योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ” रखी गई है, जो व्यक्ति, समाज और पर्यावरण की आपसी जुड़ाव और संतुलन को दर्शाती है। इस बार का आयोजन इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह वैश्विक स्तर पर योग दिवस की 10वीं वर्षगांठ भी है।
प्रधानमंत्री के इस भावनात्मक संदेश के बाद गांवों में नियमित योग सत्र, स्कूलों और आंगनवाड़ियों में जागरूकता कार्यक्रम, और सार्वजनिक स्थलों पर कॉमन योगा प्रोटोकॉल का अभ्यास शुरू हो गया है। यह प्रयास योग को जन-जन तक पहुं सेचाने और IDY 2025 को एक वास्तविक ‘जन आंदोलन’ बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं। केंद्र सरकार में आयुष मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने प्रधानमंत्री के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री के भावपूर्ण आह्वान ने योग दिवस को जन आंदोलन बना दिया है। देश के गांवों में लोग अब योग को ग्रामीण जीवन का अभिन्न हिस्सा बना रहे हैं।”उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के परियार गांव के प्रधान ओम प्रकाश यादव ने बताया कि प्रधानमंत्री के पत्र से प्रेरित होकर गांव में हर सप्ताह पंचायत भवन में योग सत्र शुरू किए गए हैं। बच्चों के लिए योग प्रतियोगिताएं भी कराई जा रही हैं और एक विशेष ‘योग यात्रा’ का आयोजन कर गांव में जागरूकता फैलाई गई है। मध्य प्रदेश के दमोह जिले के बंदकपुर गांव के ग्राम प्रधान सुनील कुमार डब्ल्यू ने इसे ग्रामीण भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने बताया कि गांव में बड़े पैमाने पर सामूहिक योग सत्र आयोजित किए जा रहे हैं और हर घर तक जागरूकता पहुंचाने के लिए प्रचार अभियान शुरू किया गया है।उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले के खेरा कुरसी गांव की सरपंच पावनी मिश्रा ने बताया कि उनके गांव ने पहाड़ी इलाके में एक खुला योग स्थल विकसित किया है, जहां रोजाना योग सत्र होते हैं। महिलाओं के समूहों ने “स्वास्थ्य ही संपत्ति है” अभियान चलाया है, और बच्चों के लिए “योग से समृद्धि” विषय पर चित्रकला और निबंध प्रतियोगिताएं करवाई गई हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में ग्राम प्रधानों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि योग दिवस के आयोजन में बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग सभी शामिल हों। उन्होंने भरोसा जताया कि यह जमीनी स्तर की पहल योग को घर-घर तक पहुंचाएगी और IDY 2025 को एक गहराई से जुड़ा हुआ राष्ट्रीय उत्सव बना देगी। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्रोएशिया की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान एक अनमोल उपहार मिला। क्रोएशिया के प्रधानमंत्री आंद्रेज प्लेंकोविच ने उन्हें एक विशेष ग्रंथ भेंट किया। यह ग्रंथ 1790 में छपा था और यह पहली बार लैटिन भाषा में लिखी गई संस्कृत व्याकरण की पुस्तक थी। इसे क्रोएशियाई वैज्ञानिक और मिशनरी फिलिप वेजडिन (Ivan Filip Vezdin) ने भारत में रहते हुए लिखा था। यह उपहार भारत और क्रोएशिया के बीच पुराने सांस्कृतिक रिश्तों का प्रतीक माना जा रहा है। प्रधानमंत्री प्लेंकोविच ने कहा कि यह किताब वेजडिन ने मलाबार (केरल) के ब्राह्मणों और स्थानीय पांडुलिपियों के अध्ययन के आधार पर तैयार की थी। वेजडिन 1774 में भारत आए थे और बाद में मलाबार तट पर वाइसर-जनरल बने। वे यूरोप के पहले वैज्ञानिकों में से एक थे जिन्होंने भारतीय भाषाओं और संस्कृति का गंभीर अध्ययन किया।
प्रधानमंत्री मोदी को क्रोएशियाई राजनयिक सिनीशा ग्रगिका द्वारा लिखित एक और पुस्तक भी भेंट की गई। इस पुस्तक का नाम है “Croatia and India: Bilateral Navigator for Diplomats and Business”। इसमें दोनों देशों के बीच संबंधों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है और भविष्य में सहयोग के नए रास्तों को उजागर किया गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को क्रोएशिया की राजधानी जाग्रेब पहुंचे। यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की क्रोएशिया की पहली आधिकारिक यात्रा है। यह यात्रा साइप्रस और कनाडा (जहां G7 सम्मेलन हुआ) के बाद उनकी तीन देशों की यात्रा का अंतिम चरण है। फ्रांजो तुजमान एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री प्लेंकोविच ने मोदी का औपचारिक स्वागत किया। पीएम मोदी के स्वागत के लिए भारतीय समुदाय के सैकड़ों लोग सड़कों पर उमड़े। उनका काफिला जैसे ही शहर से गुज़रा, “मोदी-मोदी”, “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम्” के नारों से वातावरण गूंज उठा। होटल पहुंचने पर भी उन्हें भव्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ स्वागत मिला। प्रधानमंत्री ने लोगों से बातचीत की और स्थानीय लोगों के साथ वैदिक श्लोकों का उच्चारण भी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “जाग्रेब में भारतीय संस्कृति को बहुत सम्मान मिला है। भारतीय समुदाय ने क्रोएशिया की तरक्की में योगदान दिया है और अपनी जड़ों से जुड़े रहे हैं। उनसे मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई।” उन्होंने कहा कि इस यात्रा से दोनों देशों के संबंध और मजबूत होंगे।बाद में प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री प्लेंकोविच के बीच सेंट मार्क्स स्क्वायर में मुलाकात हुई। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की द्विपक्षीय बातचीत हुई। प्रधानमंत्री प्लेंकोविच ने कहा कि यह यात्रा एक खास समय पर हो रही है और भारत-क्रोएशिया संबंधों में एक नया अध्याय शुरू कर रही है।विशेषज्ञों का मानना है कि इस ऐतिहासिक यात्रा से भारत और क्रोएशिया के राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही व्यापार, नवाचार, रक्षा, बंदरगाह, विज्ञान, तकनीक, संस्कृति और कामगार आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ेगा।