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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शनिवार को दिल्ली स्थित भारत मंडपम में नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस बैठक का विषय ‘विकसित राज्य से विकसित भारत @2047’ रखा गया है, जिसका उद्देश्य भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाना है। यह बैठक केंद्र और सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को ‘टीम इंडिया’ की भावना से एक साथ लाने का प्रयास है। प्रधानमंत्री का मानना है कि जब तक राज्यों में जमीनी स्तर पर बदलाव नहीं होगा, तब तक 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाएं पूरी नहीं की जा सकतीं। इसलिए सभी राज्यों से आग्रह किया गया है कि वे राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप, लेकिन स्थानीय जरूरतों पर आधारित दीर्घकालिक और समावेशी विजन दस्तावेज तैयार करें, जिनमें मानव विकास, आर्थिक प्रगति, सतत विकास, तकनीकी नवाचार और शासन सुधार शामिल हों।
इसके अलावा राज्यों को सलाह दी गई है कि वे अपने भूगोल और जनसंख्या संबंधी विशेषताओं का उपयोग करें, और समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित करें। इस प्रक्रिया में डेटा-आधारित कार्यप्रणालियों, आईसीटी सक्षम इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट्स और मॉनिटरिंग व इवैल्यूएशन सेल्स की मदद से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी। बैठक का एक अहम एजेंडा यह भी होगा कि राज्यों को विकसित भारत की नींव के रूप में कैसे तैयार किया जाए। इसके तहत उद्यमिता को बढ़ावा, स्किलिंग में सुधार, और स्थायी रोज़गार के अवसरों पर विचार किया जाएगा।यह बैठक 13-15 दिसंबर 2024 को हुई मुख्य सचिवों के चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन में हुई चर्चा को भी आगे बढ़ाएगी। गौरतलब है कि उस सम्मेलन का विषय-‘उद्यमिता, रोज़गार और कौशल को बढ़ावा देना-सांख्यिकीय लाभांश का उपयोग’ था। इसमें छह महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर सिफारिशें दी गई थीं : टियर 2 और 3 शहरों में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए अनुकूल माहौल बनाना, टियर 2 और 3 शहरों में सर्विस सेक्टर के लिए अनुकूल माहौल, ग्रामीण क्षेत्रों में एमएसएमई और अनौपचारिक रोजगार, शहरी क्षेत्रों में एमएसएमई और अनौपचारिक रोजगार, हरित अर्थव्यवस्था में अवसर: नवीकरणीय ऊर्जा, हरित अर्थव्यवस्था में अवसर: सर्कुलर इकॉनमी। इस अहम बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल, केंद्रीय मंत्रीगण, और नीति आयोग के उपाध्यक्ष, सदस्य और सीईओ शामिल होंगे। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भारतीय उद्योग जगत से पूर्वोत्तर राज्यों में निवेश करने के लिए पहले कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, पिछले 11 वर्षों में यह क्षेत्र पिछड़े सीमांत क्षेत्र से ग्रोथ फ्रंट रनर यानि विकास में अग्रणी क्षेत्र में तब्दील हो गया है।
राष्ट्रीय राजधानी में राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सरकार की नीति ने पूर्वोत्तर को विकास में प्राथमिकता दी है, जिसके परिणामस्वरूप यह क्षेत्र अब भारत की विकास कहानी के केंद्र में आ गया है।उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस नीति के तहत केंद्रीय कैबिनेट मंत्रियों ने पूर्वोत्तर राज्यों का 700 से अधिक बार दौरा किया है और उन्होंने अपने दौरे के दौरान उनके लिए एक रात रुकना भी अनिवार्य कर दिया है।उन्होंने बताया कि इससे केंद्र को विकास की रणनीति तैयार करने में जमीनी हकीकत और लोगों की आकांक्षाओं का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने में मदद मिली।पूर्वोत्तर का विकास एक “भावनात्मक जुड़ाव”उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर का विकास न केवल क्षेत्र के बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विकास में परिलक्षित एक ईंट और मोर्टार की कहानी है, बल्कि एक “भावनात्मक जुड़ाव” भी है, जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास हुआ है।पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे की क्रांतिपीएम मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे की क्रांति ने अब लंबे समय से पिछड़े क्षेत्र को अवसरों की भूमि में बदल दिया है। पीएम ने इस बात पर प्रकाश डाला कि 11,000 किलोमीटर से अधिक राजमार्ग, सैकड़ों किलोमीटर रेलवे लाइन और जलमार्गों का विकास इस बुनियादी ढांचे के विकास का हिस्सा है, जिसने क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बढ़ाया है। इसके अलावा, राज्य में 4 जी और 5 जी कनेक्टिविटी प्रदान करने वाले बड़ी संख्या में मोबाइल टावर और 1600 किलोमीटर पाइपलाइन गैस ग्रिड का निर्माण किया गया है।यह बुनियादी ढांचा अब विकास को आगे बढ़ाने के लिएयह बुनियादी ढांचा वह रीढ़ है जिसका उपयोग उद्योग अब विकास को आगे बढ़ाने के लिए कर सकते हैं, क्योंकि अब क्षेत्र में पर्याप्त बिजली, राजमार्ग और रसद है।उन्होंने यह भी बताया कि इस क्षेत्र में शांति लौट आई है क्योंकि 10,000 से अधिक युवाओं ने मुख्यधारा में वापस आने के लिए बंदूकें छोड़ दी हैं, क्योंकि सरकार ने आतंकवाद और हिंसा के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाई है।उद्योग के लिए कुशल जनशक्ति उपलब्धप्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि केंद्र ने क्षेत्र में स्कूलों, मेडिकल कॉलेजों, आईआईटी और तकनीकी संस्थानों में शिक्षा प्रणाली में 21,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। परिणामस्वरूप, अब उद्योग के लिए कुशल जनशक्ति उपलब्ध है।पूर्वोत्तर क्षेत्र को एक गतिशील और उभरते निवेश गंतव्य के रूप में पेश करने के लिए किया डिज़ाइन23-24 मई को होने वाला दो दिवसीय शिखर सम्मेलन, पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) को एक गतिशील और उभरते निवेश गंतव्य के रूप में पेश करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य क्षेत्र की अप्रयुक्त आर्थिक क्षमता को प्रस्तुत करके और प्रमुख हितधारकों, निवेशकों, उद्योग के नेताओं और नीति निर्माताओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर वैश्विक और घरेलू दोनों निवेशकों को आकर्षित करना है।यह शिखर सम्मेलन केंद्र सरकार द्वारा सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ किए गए रणनीतिक शिखर सम्मेलन-पूर्व जुड़ावों की श्रृंखला का समापन है। इनमें उच्च-स्तरीय रोड शो, राज्य गोलमेज सम्मेलन, राजदूतों की बैठक और वाणिज्य के द्विपक्षीय चैंबरों के साथ सत्र शामिल थे।शिखर सम्मेलन से पहले मुंबई, बेंगलुरु, अहमदाबाद, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, गुवाहाटी और नई दिल्ली सहित प्रमुख भारतीय शहरों में रोड शो सफलतापूर्वक आयोजित किए गए, ताकि इस क्षेत्र में गति और निवेशकों की रुचि पैदा की जा सके। -
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को पूरी तरह से दुनिया के सामने बेनकाब कर दिया है और यह साबित कर दिया है कि भारत में आतंकवाद पाकिस्तान प्रायोजित है।
शाह ने ऑपरेशन सिंदूर जैसे निर्णायक कदम उठाने का श्रेय पीएम मोदी को दिया22वें सीमा सुरक्षा बल (BSF) इन्वेस्टिचर समारोह और रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान के दौरान बोलते हुए, शाह ने भारतीय सशस्त्र बलों की प्रशंसा की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को भारत की आतंकवाद विरोधी रणनीति में आमूल-चूल परिवर्तन और ऑपरेशन सिंदूर जैसे निर्णायक कदम उठाने का श्रेय दिया।हमने न तो किसी पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने को निशाना बनाया और न ही किसी एयरबेस पर हमला कियाउन्होंने भारत की संयमित और सटीक रणनीति को रेखांकित करते हुए कहा, “हमने न तो किसी पाकिस्तानी सैन्य ठिकाने को निशाना बनाया और न ही किसी एयरबेस पर हमला किया। हमने केवल और केवल उन आतंकी अड्डों को नष्ट किया जिन्होंने हमारे देश में अपराध किए थे।” शाह ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का श्रेय नेतृत्व, खुफिया जानकारी और सैन्य क्षमता को दिया।ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान पूरी तरह से देश दुनिया में एक्सपोज हो गया है“ऑपरेशन सिंदूर प्रधानमंत्री की दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति, हमारी एजेंसियों की सटीक खुफिया सूचनाओं और सेना की जबरदस्त मारक क्षमता का परिणाम है। जब ये तीनों एक साथ आते हैं, तो ऑपरेशन सिंदूर जैसा अभियान होता है।” गृहमंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान पूरी तरह से देश दुनिया में एक्सपोज हो गया है।भारत में हो रही आतंकी घटनाएं पाकिस्तान द्वारा प्रायोजितशाह ने BSF के एक कार्यक्रम में कहा “ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद की घटनाओं के कारण पाकिस्तान अब पूरी तरह से बेनकाब हो चुका है। भारत में जो आतंकवाद है, वह पाकिस्तान प्रायोजित है। जब पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर हमला हुआ, तो पाकिस्तानी सेना ने ही जवाब दिया। दुनिया ने देखा कि जब मारे गए आतंकवादी नेताओं का अंतिम संस्कार हुआ, तो पाक सेना के वरिष्ठ अधिकारी न केवल मौजूद थे, बल्कि उनके जनाजे को कंधा देते और नमाज में हिस्सा लेते नजर आए,”पाहलगाम आतंकी हमले के बाद, हमने पीओके स्थित आतंकी ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया2014 के बाद भारत की बदलती सुरक्षा नीति पर चर्चा करते हुए शाह ने कहा, “दशकों से देश आतंकवाद का सामना कर रहा है। पाकिस्तान ने कई बार हमला किया, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जब उरी में बड़ा हमला हुआ, तो हमने सर्जिकल स्ट्राइक की। पुलवामा हमले के बाद हमारी सेना ने एयर स्ट्राइक से जवाब दिया। और अब, एक बार फिर हमने आतंकी अड्डों को खत्म कर दिया।”भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर संयमित और सटीक प्रहार करते हुए अपनी दृढ़ नीति का परिचय दियापाहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सशस्त्र बलों की तेज और रणनीतिक प्रतिक्रिया की सराहना करते हुए गृहमंत्री ने कहा:”दुनिया भर में कई देशों ने आतंकी हमलों का जवाब दिया है, लेकिन भारत की प्रतिक्रिया अलग रही है। जब पाहलगाम में हमला हुआ, हमने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। इस अभियान के चंद मिनटों में हमने 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया, जिनमें से 2 उनके मुख्यालय थे।” बीएसएफ के योगदान को स्वीकार करते हुए गृहमंत्री ने कहा “जब यह तय किया गया कि एक सीमा पर एक बल सुरक्षा देगा, तब बीएसएफ को दो सबसे चुनौतीपूर्ण सीमाओं बांग्लादेश और पाकिस्तान की जिम्मेदारी सौंपी गई। आप अपनी क्षमताओं के चलते ही दोनों सीमाओं की सुरक्षा बखूबी कर रहे हैं।” - नयी दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 12,000 करोड़ रुपये के निवेश धोखाधड़ी मामले में धन शोधन जांच के तहत शुक्रवार को जेपी इंफ्राटेक, जेपी एसोसिएट्स और कुछ अन्य के खिलाफ कई स्थानों पर तलाशी ली। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि छापेमारी दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) और मुंबई में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत की जा रही है।उन्होंने बताया कि छापेमारी जेपी इंफ्राटेक, जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड और अन्य से संबंधित मामले में की जा रही है। इसमें घर खरीदारों और निवेशकों के साथ करीब 12, हजार करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी और धन के हेरफेर से जुड़े मामले शामिल हैं।सूत्रों ने बताया कि गौरसंस, गुलशन, महागुन और सुरक्षा रियलिटी जैसे समूह की संबद्ध संस्थाओं पर भी छापेमारी की जा रही है। संबंधित कंपनियों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
- सिरमौर : हिमाचल प्रदेश की बेटी कृतिका शर्मा ने माउंट एवरेस्ट पर विजय पताका फहराकर न केवल प्रदेश बल्कि देश भर को गौरवान्वित किया है. होनहार बेटी की इस बड़ी उपलब्धि पर हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू समेत कई लोगों ने उन्हें इस उपलब्धि पर बधाई दी है.दरअसल कृतिका एनसीसी की कैडेट हैं और जिला सिरमौर के पांवटा साहिब कॉलेज की बीए सेकेंड ईयर की छात्रा है. 19 साल की कृतिका ने माउंट एवरेस्ट शिखर की सफल चढ़ाई पर फर्स्ट एचपी गर्ल्स बटालियन एनसीसी सोलन ने भी खुशी जाहिर की है. 1 एचपी गर्ल्स बटालियन एनसीसी, सोलन की ओर से बताया गया कि कृतिका ने 18 मई 2025 को माउंट एवरेस्ट के शिखर को सफलतापूर्वक फतह किया है. उनका यह असाधारण साहसिक कार्य न केवल उनके महाविद्यालय और बटालियन, बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश एनसीसी समूह के लिए गौरव का विषय है.1 एचपी गर्ल्स बटालियन एनसीसी के अनुसार हमारे लिए अत्यंत गर्व और सम्मान की बात है कि कैडेट कृतिका ने माउंट एवरेस्ट के शिखर को सफलतापूर्वक फतह किया है. उनका ये असाधारण साहसिक कार्य न केवल उनके कॉलेज और बटालियन, बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश एनसीसी समूह के लिए गौरव का विषय है.सीएम सुक्खू ने दी बधाईदूसरी तरफ मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी सिरमौर ज़िला के गत्ताधार गांव की निवासी एनसीसी कैडेट कृतिका शर्मा को बधाई दी है, जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर अपनी विजय पताका को फहराते हुए नया कीर्तिमान स्थापित कर हिमाचल प्रदेश का नाम देशभर में रोशन किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कृतिका की यह उपलब्धि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी. उन्होंने कृतिका को उनकी इस सफलता के लिए हार्दिक बधाई एवं उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी.मुख्यमंत्री के अलावा हिमाचल प्रदेश के डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समेत कई नेताओं ने कृतिका की उपलब्धि पर खुशी जाहिर की है और दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को फतेह करने पर सोशल मीडिया के जरिये शुभकामनाएं दी हैं.कमांडिंग ऑफिसर ने किया प्रोत्साहितएनसीसी की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक कैडेट कृतिका की इस ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत 4 अगस्त 2024 को हुई, जब उन्हें तत्कालीन कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संजय शांडिल ने माउंट एवरेस्ट अभियान के लिए चयनित किया. उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए उन्हें कठोर और विशिष्ट प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिसमें कई ट्रायल कैंप, एक बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स और एक एडवांस माउंटेनियरिंग अभियान शामिल थे. इस प्रशिक्षण ने कृतिका को इस चुनौतीपूर्ण कार्य के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार किया.इस पूरे अभियान के दौरान कर्नल संजय शांडिल कृतिका के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन के स्तंभ बने रहे. उन्होंने हर चरण पर कृतिका को प्रोत्साहित किया और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया. उनका मार्गदर्शन और विश्वास कैडेट कृतिका के मनोबल को ऊंचा बनाए रखने में महत्वपूर्ण रहा. इसी के चलते अपने दृढ़ संकल्प, अनुशासन और साहसिक भावना के बल पर कैडेट कृतिका ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराया और आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन गईं.एवरेस्ट फतेह करने वाली बटालियन की दूसरी कैडेटकृतिका बटालियन की दूसरी कैडेट बनीं हैं, जिन्होंने एवरेस्ट शिखर को फतह किया है. इससे पहले कैडेट बलजीत कौर ने यह गौरव प्राप्त किया था. उधर कैडेट कृतिका की यह उपलब्धि आज के युवाओं को नशे और सोशल मीडिया की लत से दूर रहने और अपनी ऊर्जा को पर्वतारोहण एवं खेलों जैसी चुनौतीपूर्ण और रचनात्मक गतिविधियों में लगाने के लिए प्रेरित करती है.वहीं कर्नल संजय शांडिल ने कैडेट कृतिका और उनकी एसोसिएट एनसीसी ऑफिसर लेफ्टिनेंट पूजा भट्टी को इस अद्वितीय सफलता के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं, जिन्होंने एक बार फिर फर्स्ट एचपी गर्ल्स बटालियन एनसीसी सोलन का परचम वैश्विक मंच पर गर्व से लहराया है. कर्नल शांडिल ने आज के युवाओं से भी आह्वान किया कि 'वो कैडेट कृतिका के मार्ग का अनुसरण करें और खेल, साहसिक गतिविधियों सहित राष्ट्र निर्माण में सक्रिय रूप से भाग लें, जिससे वे स्वयं और देश दोनों को गौरवान्वित कर सकें.'
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नई दिल्ली। शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग (DoSEL) ने देशभर में एक बड़ा अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य सभी स्कूलों और कॉलेजों को तंबाकू और नशा मुक्त बनाना है। इस अभियान के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा गया है कि वे शैक्षणिक संस्थानों के आसपास तंबाकू, शराब और अन्य नशीले पदार्थों की बिक्री और उपयोग पर सख्ती से रोक लगाएं। यह कदम DoSEL के सचिव संजय कुमार ने 15 मई 2025 को गृह मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में हुई नारको-कोऑर्डिनेशन सेंटर (NCORD) की 8वीं बैठक के बाद उठाया गया है। बैठक में चर्चा की गई कि युवाओं को नशे से बचाने के लिए शिक्षा और कानून व्यवस्था विभागों को मिलकर काम करना होगा।
गौरतलब है कि भारत एक युवा देश है, जहां बड़ी संख्या में लोग 29 साल से कम उम्र के हैं। यह युवा वर्ग देश का भविष्य है और इन्हें तंबाकू व नशे के दुष्प्रभावों से बचाना बहुत जरूरी है। 2019 में हुए ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे (GYTS-2) के अनुसार, भारत में 13 से 15 साल के 8.5% छात्र किसी न किसी रूप में तंबाकू का उपयोग कर रहे हैं। और भी चौंकाने वाली बात यह है कि हर दिन भारत में 5,500 बच्चे तंबाकू का सेवन शुरू करते हैं। तंबाकू का सेवन अकसर अन्य नशीले पदार्थों की ओर पहला कदम बन जाता है। बच्चे यह उत्पाद स्कूलों के पास की दुकानों से आसानी से खरीद लेते हैं, जबकि ऐसा करना कानून के खिलाफ है।इसी खतरे को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने ‘तंबाकू मुक्त शैक्षणिक संस्थान (ToFEI)’ नाम से दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। इन दिशा-निर्देशों का एक कार्यान्वयन मैनुअल 31 मई 2024 को लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य स्कूलों और कॉलेजों को पूरी तरह तंबाकू मुक्त बनाना है। इसमें कुल 9 जरूरी कदम बताए गए हैं, जैसे कि संस्थान के गेट और परिसर में ‘तंबाकू मुक्त क्षेत्र’ का बोर्ड लगाना, परिसर में तंबाकू के इस्तेमाल का कोई प्रमाण न होना, तंबाकू से होने वाले नुकसान की जानकारी वाली सामग्री लगाना, हर 6 महीने में कम से कम एक जागरूकता गतिविधि करना, तंबाकू निगरानी अधिकारी (Tobacco Monitor) नियुक्त करना, स्कूल के नियमों में तंबाकू निषेध नीति शामिल करना, संस्थान के चारों ओर 100 गज की दूरी पर पीली रेखा खींचना और उस क्षेत्र में तंबाकू की बिक्री पर रोक लगाना। इनमें आखिरी दो कार्यों के लिए स्थानीय प्रशासन की मदद सबसे जरूरी मानी गई है।इस अभियान को असरदार बनाने के लिए मंत्रालय ने 31 मई 2025 (विश्व तंबाकू निषेध दिवस) से 26 जून 2025 (अंतरराष्ट्रीय नशीली दवाओं और तस्करी विरोधी दिवस) तक एक महीने का विशेष प्रवर्तन अभियान शुरू करने का आह्वान किया है। इस दौरान राज्यों से आग्रह किया गया है कि वे COTPA अधिनियम 2003 की धारा 6(b) को सख्ती से लागू करें। यह कानून शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज के दायरे में तंबाकू की बिक्री और नाबालिगों को तंबाकू बेचने या उनके द्वारा बेचने पर रोक लगाता है। साथ ही, राज्यों को यह सलाह दी गई है कि वे स्कूल-कॉलेज स्टाफ के लिए एक स्पष्ट प्रक्रिया (SOP) बनाएं ताकि वे कानून का उल्लंघन होने पर बिना डर के सीधे स्थानीय पुलिस को सूचना दे सकें।मंत्रालय ने स्कूल प्रबंधन समितियों, शिक्षकों और अभिभावकों से भी इस मुहिम में सहयोग मांगा है। समुदाय की सक्रिय भागीदारी से ही स्कूलों और कॉलेजों को एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में बदला जा सकता है। इस प्रयास को और मजेदार बनाने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने 22 मई 2025 से 21 जुलाई 2025 तक ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस जागरूकता क्विज-2025’ भी शुरू किया है, जिसे लोग MyGov पोर्टल (https://quiz.mygov.in/quiz/world-no-tobacco-day-awareness-quiz/) पर जाकर खेल सकते हैं। यह क्विज छात्रों और आम जनता को तंबाकू के नुकसान के बारे में सरल और रोचक तरीके से जानकारी देने का प्रयास है।शिक्षा मंत्रालय ने सभी नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे इस अभियान का समर्थन करें और मिलकर देश के स्कूलों और कॉलेजों को तंबाकू और नशा मुक्त बनाने में सहयोग करें।-( - मुम्बई,। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी), सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार ने मंगलवार को इर्ला रोड, विले पार्ले (पश्चिम) स्थित अपने केंद्रीय कार्यालय में ‘विश्व मधुमक्खी दिवस-2025’ के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया। इस वर्ष का आयोजन थीम – "प्रकृति से प्रेरित मधुमक्खी, सबके जीवन की पोषक" (Bee inspired by nature to nourish us all) पर आधारित था, जो माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण "श्वेत क्रांति से स्वीट क्रांति" के अभियान को सशक्त करता है। इस अवसर पर महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों से आए मधुमक्खी पालक लाभार्थी, प्रशिक्षु, वैज्ञानिकों, सफल मधुमक्खी पालकों, छात्रों, और विशेषज्ञों की उपस्थिति में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में केवीआईसी की उपलब्धियों को साझा किया गया। यह आयोजन न केवल एक तकनीकी मंच रहा, बल्कि ग्रामीण भारत के नवाचार, प्रेरणा और स्वावलंबन की सजीव मिसाल बना। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि केवीआईसी अध्यक्ष श्री मनोज कुमार ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सुश्री रूप राशि की उपस्थिति में किया।मुख्य अतिथि श्री मनोज कुमार ने अपने संबोधन में कहा, "मधुमक्खियां हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ हैं। ये न केवल शहद देती हैं, बल्कि परागण के जरिए हमारी खेती को समृद्ध करती हैं और पर्यावरण का संरक्षण करती हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किया गया ‘हनी मिशन’ आज गांवों की आजीविका का बड़ा आधार बन चुका है।" उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री ने जब ‘स्वीट क्रांति’ का आह्वान किया, तब उन्होंने एक नया रास्ता दिखाया; जिसमें शहद उत्पादन न केवल आर्थिक समृद्धि का, बल्कि स्वास्थ्य समृद्धि का भी स्रोत बना। उनके नेतृत्व में केवीआईसी ने इस दिशा में जो कार्य किया है, वह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है।"अध्यक्ष केवीआईसी ने विशेष रूप से केवीआईसी के ‘हनी मिशन’ की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि केवीआईसी द्वारा अब तक देशभर में 2,29,409 मधुमक्खी बक्से और मधु कॉलोनियां वितरित की गई हैं, जिससे लगभग 20,000 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन हुआ है। इससे मधुमक्खी पालकों को लगभग 325 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में हनी मिशन से जुड़े मधुमक्खी पालकों ने करीब 25 करोड़ रुपये मूल्य का शहद विदेश में निर्यात किया है।इस अवसर पर केवीआईसी की सीईओ सुश्री रूप राशि ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, "हनी मिशन केवल एक योजना नहीं, बल्कि यह एक समग्र आजीविका मॉडल है। आज ग्रामीण क्षेत्रों में हजारों युवाओं, महिलाओं और किसानों को इस मिशन से रोजगार मिल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि केवीआईसी द्वारा संचालित हनी प्रोसेसिंग प्लांट्स, प्रशिक्षण केंद्र और मार्केटिंग नेटवर्क ने मधुमक्खी पालन को आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर किया है।"कार्यक्रम में केंद्रीय मधुमक्खी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (CBRTI), पुणे की ऐतिहासिक भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया। बताया गया कि वर्ष 1962 में स्थापित इस संस्थान ने आज तक 50,000 से अधिक मधुमक्खी पालकों को आधुनिक तकनीकों की ट्रेनिंग दी है। CBRTI का उद्देश्य न केवल शहद उत्पादन को बढ़ावा देना है, बल्कि किसानों को परागण के माध्यम से कृषि और बागवानी उत्पादकता बढ़ाने की जानकारी देना, मधुमक्खी पालन से संबंधित अनुसंधानों को बढ़ावा देना और उद्यमिता विकास को सशक्त करना भी है।कार्यक्रम के दौरान वैज्ञानिकों ने बताया कि मधुमक्खियां केवल शहद उत्पादन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि लगभग 75 प्रतिशत खाद्य फसलों का परागण मधुमक्खियों के माध्यम से होता है। यदि मधुमक्खियां न रहें, तो 30 प्रतिशत खाद्य फसलें और 90 प्रतिशत जंगली पौधों की प्रजातियां संकट में आ सकती हैं। कार्यक्रम में देश के सभी हिस्सों से लाभार्थियों ने डिजिटल रूप से अपनी सफलता की कहानियां साझा कीं। इसके साथ ही बच्चों द्वारा प्रस्तुत नाटक, कविता, और निबंध ने कार्यक्रम में जीवंतता भर दी। कार्यक्रम में केवीआईसी के अधिकारी, कर्मचारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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नई दिल्ली। ‘ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता और पाकिस्तान में जड़ जमा चुके आतंकवाद की सच्चाई से दुनिया के दूसरे देशों को अवगत कराने के लिए निकला कनिमोझी का प्रतिनिधिमंडल मास्को पहुंच चुका है। वहीं, क्योटो पहुंचे संजय झा ने भारत की सोच से जापानी राजनयिकों को अवगत कराया।
कनिमोझी के नेतृत्व वाला प्रतिनिधिमंडल 23 मई की सुबह मास्को पहुंचाकनिमोझी के नेतृत्व वाला प्रतिनिधिमंडल 23 मई की सुबह मास्को पहुंचा। इस प्रतिनिधिमंडल में समाजवादी पार्टी के लोकसभा सांसद राजीव राय, भाजपा सांसद कैप्टन ब्रिजेश, प्रेमचंद गुप्ता, आप के राज्यसभा सांसद डॉ. राजीव मित्तल, नेशनल कांफ्रेंस के मिया अल्ताफ अहमद, नेपाल, यूरोपीय संघ, बेल्जियम, लक्जमबर्ग में भारत के राजदूत रहे मंजीव पूरी और पूर्व विदेश सेवा अधिकारी और रूस में भारत के राजदूत रहे विनय कुमार शामिल हैं। रूस स्थित भारतीय दूतावास ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से प्रतिनिधिमंडल के मास्को पहुंचने की तस्वीरें शेयर की हैं।आज भारत आतंकवाद से जूझ रहा है, कल आपका नंबर हो सकता है इसलिए तटस्थ मत रहिए22 मई को जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद संजय झा के नेतृत्व वाला प्रतिनिधिमंडल तीन दिवसीय दौरे पर जापान के क्योटो पहुंचा। दौरे के दूसरे दिन भारत का पक्ष रखते हुए संजय झा ने कहा, “हम दुनिया को यह बताने के लिए आए हैं कि आज भारत आतंकवाद से जूझ रहा है, कल आपका नंबर हो सकता है इसलिए तटस्थ मत रहिए। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सभी के लिए है। पाकिस्तान आतंकवादियों को फंड देता है, उन्हें प्रशिक्षित करता है और फिर भारत में भेजता है इसलिए आतंक के खिलाफ लड़ाई सबको लड़नी होगी।” संजय झा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में राजदूत मोहन कुमार, भाजपा सांसद डॉ. हेमांग जोशी, सीपीआई (एम) सांसद जॉन ब्रिटास, टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी, भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, भाजपा सांसद बृज लाल और भाजपा सांसद प्रदान बरुआ और कांग्रेस के सलमान खुर्शीद शामिल हैं।जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने गोलीबारी करते हुए 26 लोगों की हत्या कर दी थीजम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने गोलीबारी करते हुए 26 लोगों की हत्या कर दी थी। 7 मई को भारतीय सेना ने इस हमले का बदला लेते हुए जवाबी कार्रवाई की थी और पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया था। हालांकि पाकिस्तान की जनता और सैन्य क्षमता को कोई नुकसान नहीं पहुंचा लेकिन पाकिस्तानी सेना ने सीमावर्ती क्षेत्र में ड्रोन से हमले शुरू कर दिए। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के सभी ड्रोन विफल कर दिए। भारत ने अपनी जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को बड़ा नुकसान पहुंचाया।ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उजागर करने और पाकिस्तान के भ्रामक प्रचार का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत सरकार ने सांसदों के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को विदेश यात्रा पर भेजा हैपाकिस्तान इस नुकसान और अपने यहां आतंकवाद के अस्तित्व को स्वीकार करने से इनकार कर रहा है और भारत से संबंधित गलत और भ्रामक खबरें दुनियाभर में फैला रहा है। भारत का हमला ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत हुआ था। इसकी सफलता से दुनिया को अवगत कराने के लिए और पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब करने के लिए भारत सरकार ने सांसदों के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया है और ग्रुप में अलग-अलग देशों में भेज रही है। कनिमोझी और संजय झा का प्रतिनिधिमंडल इसी के तहत मास्को और क्योटो में हैं। -
नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के पहले चरण की बातचीत चल रही है। इस बातचीत में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि दोनों देश एक पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते पर पहुंचने के लिए काम कर रहे हैं।
भारत ने अमेरिका के सामने एक अहम भागीदार के रूप में खुद की छवि पेश कीभारत ने विकास और जनसांख्यिकी के दृष्टिकोण को देखते हुए द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए अमेरिका के सामने अपने महत्व को उजागर करते हुए एक अहम भागीदार के रूप में खुद की छवि पेश की है।अमेरिकी वाणिज्य सचिव के साथ सकारात्मक और उपयोगी रही बैठककेंद्रीय मंत्री गोयल ने गुरुवार (अमेरिकी समय) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते के लिए सचिव हॉवर्ड लुटनिक के साथ एक सकारात्मक और उपयोगी बैठक हुई।”दोनों देश अपने व्यवसायों और लोगों के लिए अवसरों को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धकेंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि दोनों देश “अपने व्यवसायों और लोगों के लिए अवसरों को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” भारत और अमेरिका 2025 की शरद ऋतु की सहमत समयसीमा से पहले टैरिफ को कम करने के लिए बीटीए के पहले चरण पर हस्ताक्षर करने के लिए काम कर रहे हैं, क्योंकि समझौते के लिए संदर्भ की शर्तें पहले ही अंतिम रूप दे दी गई हैं।केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कही ये बातइससे पहले केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि अमेरिका के साथ सकारात्मक बातचीत चल रही है। केंद्रीय मंत्री गोयल ने संवाददाताओं से कहा, “भारत की विकास दर को देखते हुए, अगले 25-30 वर्षों में एक बड़ी, महत्वाकांक्षी, युवा आबादी वस्तुओं और सेवाओं की मांग में इजाफा करेगी। हमारा मानना है कि अमेरिका के साथ एक अच्छा समझौता करने के लिए भारत एक आकर्षक अवसर पेश करता है।”2030 तक 500 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का रखा है महत्वाकांक्षी लक्ष्यअगर दोनों देश टैरिफ कम करने पर एक समझौते करते हैं, तो इससे अमेरिका और भारत के बीच व्यापार में वृद्धि होगी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री की हाल ही में वाशिंगटन डीसी की यात्रा के दौरान एक संयुक्त बयान में 2030 तक 500 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।भारत ने अमेरिकी वस्तुओं पर सभी टैरिफ हटाने की पेशकश कीअमेरिकी राष्ट्रपति ने हाल ही में दावा किया था कि भारत ने अमेरिकी वस्तुओं पर सभी टैरिफ हटाने की पेशकश की है, लेकिन उन्होंने साथ ही यह भी कहा था कि सफलता के बावजूद वे व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने को लेकर जल्दी में नहीं हैं। -
नयी दिल्ली.राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के कर्मियों को अदम्य साहस और असाधारण वीरता दिखाने के लिए बृहस्पतिवार को छह कीर्ति चक्र प्रदान किए, जिनमें से चार को मरणोपरांत दिए गए हैं। कीर्ति चक्र भारत का दूसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है।
सरकार की ओर से साझा की गई पुरस्कार विजेताओं की सूची के अनुसार, ‘सिख लाइट इन्फैंट्री' के कर्नल मनप्रीत सिंह, राष्ट्रीय राइफल्स के दो अन्य सैन्य कर्मियों और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी को मरणोपरांत कीर्ति चक्र दिया गया। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित रक्षा अलंकरण समारोह के दौरान सशस्त्र बलों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पुलिस के कर्मियों को 33 शौर्य चक्र भी प्रदान किए, जिनमें से सात को मरणोपरांत दिए गए हैं। मराठा लाइट इन्फैंट्री, 56 राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर मल्ला राम गोपाल नायडू और पंजाब रेजिमेंट, 22 राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर मंजीत को कीर्ति चक्र दिया गया। बयान में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री, 63 राष्ट्रीय राइफल्स के राइफलमैन रवि कुमार; सिख लाइट इन्फैंट्री, 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कर्नल मनप्रीत सिंह; आर्टिलरी रेजिमेंट, 28 राष्ट्रीय राइफल्स के नायक दिलवर खान; और जम्मू- कश्मीर पुलिस के उपाधीक्षक हिमायूं मुजम्मिल भट को मरणोपरांत भारत का दूसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार प्रदान किया गया। राष्ट्रपति भवन ने बाद में अपने आधिकारिक ‘एक्स' हैंडल पर एक पोस्ट में समारोह की तस्वीरें भी साझा कीं। पोस्ट में कहा गया है, ‘‘राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्क्वॉड्रन लीडर फ्लाइंग (पायलट) दीपक कुमार को शौर्य चक्र प्रदान किया। उन्होंने अंधेरी रात में विमान उतारने का साहसिक निर्णय लेकर जानमाल की संभावित हानि को रोका। -
कौशांबी (उप्र) . जिले में बृहस्पतिवार को आयोजित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह कार्यक्रम में ढाई फुट कद वाले दूल्हा दुल्हन का एक जोड़ा आकर्षण का केंद्र रहा। जिला समाज कल्याण अधिकारी दिलीप कुमार ने बताया कि जिले के भरवारी नगर पालिका परिषद स्थित भवंस मेहता महाविद्यालय में आयोजित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह समारोह में 321 जोड़ों का शादी के लिए रजिस्ट्रेशन हुआ था जिसमें से चार मुस्लिम जोड़ों सहित कुल 298 जोड़ों की शादी संपन्न कराई गई है। कुमार के मुताबिक, शादी के दौरान सभी नव विवाहित जोड़ों को शासन द्वारा निर्धारित गृहस्थी का सामान भी दिया गया है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह कार्यक्रम में ढाई फुट कद वाले एक जोड़े का विवाह के लिए रजिस्ट्रेशन कराया गया था। अधिकारी के अनुसार, प्रतापगढ़ में ग्राम गोपाल का रहने वाला वर जितेंद्र पटेल (21) और कौशांबी में भरवारी नगर पालिका परिषद की रहने वाली वधू हीरामणि पटेल (18) की लंबाई लगभग ढाई फुट है। दूल्हे के बड़े भाई राजेंद्र ने बताया कि वह और उनका छोटा भाई जितेंद्र पटेल मुंबई में रहकर फलों का कारोबार करते हैं और कुछ दिनों पहले एक व्यक्ति उनके गांव आया और बातचीत में पता चला कि भरवारी नगर पालिका परिषद, कौशांबी में उसी के कद की एक लड़की है। उन्होंने बताया, “लड़की के परिजनों से बातचीत के बाद यह रिश्ता तय हुआ। लड़की के घर वालों ने कहा कि उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि धूमधाम से शादी कर सकें और उन्होंने मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह कार्यक्रम में विवाह का प्रस्ताव दिया जिसे हम लोगों ने स्वीकार कर लिया।” राजेंद्र ने बताया कि जितेंद्र को इस संबंध के बारे में सूचना दी गई तो वह तत्काल मुंबई से विमान के जरिए बुधवार को लखनऊ पहुंचना और फिर घर आया तथा आज जितेंद्र और हीरामणि का विवाह मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह कार्यक्रम में संपन्न कराया गया।
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नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज गुरुवार को ‘प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन’ की घोषणा की। यह अभियान विश्व पर्यावरण दिवस की तैयारी के तहत शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य देशभर के नागरिकों को पर्यावरण अनुकूल विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित करना है। केंद्रीय मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर जानकारी दी कि इस अभियान का नाम ‘वन नेशन, वन मिशन : एंड प्लास्टिक पॉल्यूशन’ रखा गया है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘मिशन लाइफ (LiFE)’ के तहत जन-भागीदारी को बढ़ावा देगा। उन्होंने लिखा, “आइए हम सभी मिलकर जागरूकता से कार्रवाई की ओर कदम बढ़ाएं और स्थायी जीवनशैली को अपनाकर प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करें।”
इससे पहले, 21 मई को भूपेंद्र यादव ने राजस्थान के उदयपुर में आयोजित ‘अरावली पर्वतमाला संरक्षण पर राष्ट्रीय कार्यशाला’ का उद्घाटन किया। यह कार्यशाला अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित की गई। इस कार्यशाला का उद्देश्य भारत की सबसे पुरानी पर्वतमाला अरावली के पुनर्जीवन के लिए विस्तृत कार्य योजना को अंतिम रूप देना था।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 2024 में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर दिल्ली रिज स्थित बुद्ध जयंती पार्क से ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान की शुरुआत की थी, जो अरावली का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि ‘अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट’ के माध्यम से इस क्षेत्र में हरियाली, जैव विविधता, जल स्रोतों का पुनर्स्थापन, मृदा की उर्वरता और जलवायु सहनशीलता बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस अभियान की सफलता के लिए ‘Whole of Government’ और ‘Whole of Society’ दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। उन्होंने नवाचार, तकनीकी समाधान, जन जागरूकता और भागीदारी को कार्यक्रम की सफलता की कुंजी बताया। उन्होंने बताया कि हर पंचायत में पौध नर्सरी बनाने के लिए MNREGA और CAMPA को जोड़ा जाएगा। साथ ही युवा एवं MY Bharat स्वयंसेवकों को अरावली क्षेत्र के पारिस्थितिकी पुनर्स्थापन में लगाया जाएगा।इसके अलावा, ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम, छोड़ी गई खदानों का पुनर्स्थापन, वन्यजीव और जल स्रोतों के रूप में खदान जलाशयों का उपयोग, नेचर पार्क, सफारी और ट्रेकिंग सुविधाओं का विकास, प्राकृतिक प्रजातियों और बांस के साथ पुनर्रोपण, ईको-क्लब और ईको-टास्क फोर्स की भागीदारी, अमृत सरोवर और जल निकायों को अरावली योजना से जोड़ना, और ZSI तथा BSI जैसे संस्थानों के माध्यम से अनुसंधान और निगरानी जैसे कदम भी इस दिशा में उठाए जाएंगे। -
नई दिल्ली। भारतीय रेलवे तरक्की के नित नए नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है और अपने रेलवे नेटवर्क को आधुनिक बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसी क्रम में गुरुवार को रेलवे के इतिहास में एक और उपलब्धि दर्ज की गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीकानेर जिला स्थित देशनोक रेलवे स्टेशन पर आयोजित कार्यक्रम में 103 पुनर्विकसित ‘अमृत स्टेशनों’ का उद्घाटन किया। ये स्टेशन 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 86 जिलों में स्थित हैं और इन्हें 1100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया है।
देश की नई गति और प्रगति की प्रतीकमहज इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बीकानेर में एक सभा को संबोधित करते हुए देश की नई गति और प्रगति के प्रतीक के रूप में वंदे भारत, अमृत भारत और नमो भारत ट्रेनों की शुरुआत को रेखांकित किया। आज इन्हें रेलवे की तरक्की की त्रिवेणी भी कहा जा रहा है।अब लगभग 70 मार्गों पर वंदे भारत ट्रेनें होती हैं संचालितपीएम मोदी ने संबोधन के दौरान यह टिप्पणी की कि अब लगभग 70 मार्गों पर वंदे भारत ट्रेनें संचालित होती हैं, जो दूरदराज के क्षेत्रों में आधुनिक रेल संपर्क लाती हैं। उन्होंने पिछले 11 वर्षों में हुए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की प्रगति की ओर भी ध्यान दिलाया, जिसमें सैकड़ों सड़क ओवरब्रिज और अंडरब्रिज का निर्माण, साथ ही 34,000 किलोमीटर से अधिक नई रेल पटरियां बिछाना शामिल है।रेलवे सेक्टर में पिछले 11 वर्षों में हुई महत्वपूर्ण प्रगतिउन्होंने कहा कि ब्रॉड गेज लाइनों पर मानव रहित लेवल क्रॉसिंग को समाप्त कर दिया गया है, जिससे सुरक्षा में वृद्धि हुई है। श्री मोदी ने माल परिवहन को सुव्यवस्थित करने के लिए समर्पित माल गलियारों के तेजी से विकास और भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना के चल रहे निर्माण पर भी प्रकाश डाला। इन प्रयासों के साथ-साथ, यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए 1,300 से अधिक रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण किया जा रहा है।देश में अब 100 से अधिक आधुनिक रेलवे स्टेशनप्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि आधुनिक रेलवे स्टेशनों को अमृत भारत स्टेशन नाम दिया गया है और ऐसे 100 से अधिक स्टेशन पूरे हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इन स्टेशनों के आश्चर्यजनक परिवर्तन को देखा है, जो स्थानीय कला और इतिहास के प्रदर्शन के रूप में काम करते हैं। उन्होंने राजस्थान के मंडलगढ़ स्टेशन सहित महत्वपूर्ण उदाहरणों की ओर ध्यान दिलाया, जो राजपूत परंपराओं की भव्यता को दर्शाता है, और बिहार का थावे स्टेशन, जो मधुबनी कलाकृति के साथ माँ थावेवाली की पवित्र उपस्थिति को दर्शाता है। मध्य प्रदेश का ओरछा रेलवे स्टेशन भगवान राम की दिव्य छवि को दर्शाता है, जबकि श्रीरंगम स्टेशन का डिज़ाइन श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर से प्रेरित है। गुजरात का डाकोर स्टेशन रणछोड़राय जी को श्रद्धांजलि देता है, तिरुवन्नामलाई स्टेशन द्रविड़ वास्तुकला सिद्धांतों का पालन करता है, और बेगमपेट स्टेशन काकतीय राजवंश की वास्तुकला विरासत का प्रतीक है।अमृत भारत स्टेशन बनेंगे पर्यटन विकास के लिए उत्प्रेरकप्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ये अमृत भारत स्टेशन न केवल भारत की हजारों साल पुरानी विरासत को संरक्षित करते हैं, बल्कि राज्यों में पर्यटन विकास के लिए उत्प्रेरक का काम भी करते हैं, जिससे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं। उन्होंने लोगों से स्टेशनों की सफाई और सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया क्योंकि वे इन बुनियादी ढांचे के असली मालिक हैं। इस बात पर जोर देते हुए कि बुनियादी ढांचे में सरकारी निवेश न केवल विकास को बढ़ावा देता है बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करता है और व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है, पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि खर्च किए जा रहे हजारों करोड़ रुपये सीधे तौर पर श्रमिकों, दुकानदारों, कारखाने के कर्मचारियों और ट्रक और टेम्पो ऑपरेटरों जैसे परिवहन क्षेत्रों से जुड़े लोगों को लाभान्वित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक बार बुनियादी ढांचा परियोजनाएं पूरी हो जाने के बाद, लाभ कई गुना बढ़ जाते हैं। किसान अपनी उपज को कम लागत पर बाजारों तक पहुंचा सकते हैं, जिससे बर्बादी कम होती है। अच्छी तरह से विकसित सड़कें और विस्तारित रेलवे नेटवर्क नए उद्योगों को आकर्षित करते हैं और पर्यटन को काफी बढ़ावा देते हैं। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि बुनियादी ढांचे पर खर्च से अंततः हर घर को फायदा होता है, और युवा लोग उभरते आर्थिक अवसरों से सबसे ज्यादा लाभ उठाते हैं।क्या है अमृत भारत स्टेशन योजना ?उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने आज राजस्थान के बीकानेर से देश के 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 86 जिलों में 103 पुनर्विकसित अमृत भारत रेलवे स्टेशनों का उद्घाटन किया है। अमृत भारत स्टेशन योजना भारत भर के रेलवे स्टेशनों को चरणबद्ध तरीके से बेहतर बनाने की दीर्घकालिक योजना है। इस योजना के तहत, प्रत्येक स्टेशन के लिए विस्तृत योजना बनाई जाती है और प्रत्येक स्टेशन की जरूरतों के आधार पर चरणबद्ध तौर पर काम किया जाता है।कब हुई शुरुआत ?अमृत भारत स्टेशन योजना की शुरुआत 2021 में हुई थी, जब गांधीनगर आधुनिकीकरण से गुजरने वाला पहला रेलवे स्टेशन बना, जिसमें सभी आधुनिक सुविधाएं और एक पांच सितारा होटल था। बाद में उसी वर्ष, रानी कमलापति रेलवे स्टेशन ने एक नया रूप धारण किया, जिसे पहले हबीबगंज के नाम से जाना जाता था।क्या है लक्ष्य ?इसका लक्ष्य स्टेशनों को अधिक स्वच्छ, अधिक आरामदायक और उपयोग में आसान बनाना है । इसमें प्रवेश और निकास द्वार, प्रतीक्षालय, शौचालय, प्लेटफॉर्म और छत को बेहतर बनाना शामिल है। जहां भी जरूरत होगी, वहां लिफ्ट, एस्केलेटर और मुफ्त वाई-फाई जैसी सुविधाएं जोड़ी जाएंगी। यात्रियों की मदद के लिए बेहतर संकेत और सूचना प्रणाली भी होगी। कुछ स्टेशनों में एग्जीक्यूटिव लाउंज और बिजनेस मीटिंग के लिए विशेष स्थान होंगे।103 पुनर्विकसित अमृत भारत रेलवे स्टेशनों के नाममहाराष्ट्र में अमृत स्टेशन हैं आमगांव, चांदा फोर्ट, चिंचपोकली, देवलाली, धुले, केडगांव, लासलगांव, लोनंद जंक्शन, माटुंगा, मुर्तिजापुर जंक्शन, नेताजी सुभाष चंद्र बोस इतवारी जंक्शन, परेल, सावदा, शाहद, वडाला रोड।वहीं उत्तर प्रदेश में बलरामपुर, बरेली शहर, बिजनोर, फतेहाबाद, गोला गोकर्णनाथ, गोवर्धन, गोविंदपुरी, हाथरस सिटी, ईदगाह आगरा जंक्शन, इज्जतनगर, करछना, मैलानी जंक्शन, पुखरायां, रामघाट हॉल्ट, सहारनपुर जंक्शन, सिद्धार्थनगर, सुरेमनपुर, स्वामीनारायण छपिया, उझानी अमृत स्टेशन हैं।तमिलनाडु में चिदंबरम, कुलितुरई, मन्नारगुडी, पोलूर, सामलपट्टी, श्रीरंगम, सेंट थॉमस माउंट, तिरुवन्नामलाई, वृद्धाचलम जंक्शन जैसे स्टेशन भी अमृत भारत स्टेशन योजना का हिस्सा हैं।गुजरात में डाकोर, डेरोल, हापा, जामवंतली, जामजोधपुर, कनालुस जंक्शन, करमसद, कोसांबा जंक्शन, लिंबडी, महुवा, मीठापुर, मोरबी, ओखा, पालीताना, राजुला जंक्शन, समाखियाली, सिहोर जंक्शन, उतरन कटनी साउथ, नर्मदापुरम, ओरछा, सिवनी, शाजापुर, मध्य प्रदेश में श्री धाम स्टेशन अमृत भारत स्टेशन योजना का हिस्सा हैं।अमृत भारत रेलवे स्टेशन सिद्ध होंगे देश के ‘विकास का प्रवेश द्वार’अमृत भारत रेलवे स्टेशन देश के ‘विकास का प्रवेश द्वार’ सिद्ध होंगे। यात्री अब अधिक सुगम, सुरक्षित और विश्वस्तरीय सुविधाओं से युक्त आनंददायक यात्रा का अनुभव करेंगे। केवल इतना ही नहीं, इन स्टेशनों के माध्यम से व्यापार, पर्यटन और रोजगार के नए अवसर भी निर्मित होंगे। -
लंदन/बेंगलुरु. लेखिका, सामाजिक कार्यकर्ता और वकील बानू मुश्ताक के कन्नड़ लघु कथा संग्रह ‘हृदय दीप' के अनूदित संस्करण ‘हार्ट लैंप' को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पहली कन्नड़ कृति है जिसे 50,000 पाउंड के अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। मुश्ताक ने मंगलवार रात लंदन के ‘टेट मॉडर्न' में एक समारोह में अपनी इस रचना की अनुवादक दीपा भास्ती के साथ पुरस्कार प्राप्त किया। दीपा भास्ती ने इस किताब का कन्नड़़ से अंग्रेजी में अनुवाद किया था। मुश्ताक ने कहा, ‘‘यह पल ऐसा लगता है जैसे हजारों जुगनू एक ही आकाश को रोशन कर रहे हों...।''
मुश्ताक की 12 लघु कहानियों का यह संग्रह दक्षिण भारत के पितृसत्तात्मक समुदाय में हर दिन महिलाओं के लचीले रुख, प्रतिरोध और उनकी हाजिरजवाबी का वर्णन करता है, जिसे मौखिक कहानी कहने की समृद्ध परंपरा के माध्यम से जीवंत रूप दिया गया है। पुरस्कार हासिल करने के बाद मुश्ताक (77) ने कहा, ‘‘हम व्यक्तिगत रूप से और एक वैश्विक समुदाय के रूप में तभी फल-फूल सकते हैं जब हम विविधता को अपनाते हैं, अपने मतभेदों का जश्न मनाते हैं और एक-दूसरे को आगे बढ़ाते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘साथ मिलकर हम एक ऐसी दुनिया बनाते हैं, जहां हर आवाज सुनी जाती है, हर कहानी मायने रखती है और हर व्यक्ति का अपना स्थान होता है।'' ‘हार्ट लैंप' यह पुरस्कार प्राप्त करने वाला पहला लघु कथा संग्रह भी है। इसमें मुश्ताक की 1990 से लेकर 2023 तक 30 साल से अधिक समय में लिखी कहानियां हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह किताब इस विश्वास से पैदा हुई है कि कोई भी कहानी कभी छोटी नहीं होती और मानवीय अनुभव के ताने-बाने में बुना गया हर धागा पूरी कहानी का भार उठाता है।'' छह लघु कहानी संग्रह, एक उपन्यास, एक निबंध संग्रह और एक कविता संग्रह की लेखिका मुश्ताक केवल कन्नड़ में लिखती हैं और उन्होंने अपने साहित्यिक कार्यों के लिए कर्नाटक साहित्य अकादमी और दाना चिंतामणि अत्तिमब्बे पुरस्कार समेत प्रमुख पुरस्कार हासिल किये हैं। किताब के रूप में ‘‘हार्ट लैंप'' मुश्ताक की कृति का अंग्रेजी में पहला अनुवाद है।यह दूसरा मौका है जब किसी भारतीय भाषा की अनूदित किताब के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला है। वर्ष 2022 में कथाकार गीतांजलि श्री के हिंदी उपन्यास ‘रेत समाधि' के अनुवादित संस्करण ‘टॉम्ब ऑफ सैंड' को यह पुरस्कार मिला था। ‘रेत समाधि' का अंग्रेजी में अनुवाद डेजी रॉकवेल ने किया था। अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2025 के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष मैक्स पोर्टर ने विजेता कथा संग्रह को अंग्रेजी पाठकों के लिए वास्तव में कुछ नया बताया। उन्होंने कहा, ‘‘एक क्रांतिकारी अनुवाद जो भाषा को बुनता है, अंग्रेजी की बहुलता में नयी बनावट बनाता है।'' भास्ती ने कहा कि उम्मीद है कि इस पुरस्कार से विभिन्न भाषाओं की किताबों को पढ़ने और लिखने तथा अनुवाद में अधिक रुचि पैदा होगी। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप दुनिया की कहानी के बारे में सोचें तो यह मिटाने का इतिहास है, यह महिलाओं की जीत को मिटाने और महिलाओं तथा इस दुनिया के कई हाशिये पर रहने वाले लोगों के जीवन और प्रेम की सामूहिक स्मृति को चुपके से मिटाने की विशेषता है। यह पुरस्कार ऐसी हिंसा के खिलाफ लंबे समय से चल रही लड़ाई में एक छोटी सी जीत है।'' भास्ती के स्तंभ, निबंध और सांस्कृतिक आलोचना भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुए हैं। भास्ती द्वारा मुश्ताक की कहानियों के अनुवाद को 2024 में पेन का ‘पेन ट्रांसलेट' पुरस्कार मिला था। बानू मुश्ताक के पति मुश्ताक मोइनुद्दीन और बेटे ताहिर मुश्ताक यह सम्मान मिलने पर बहुत खुश हैं।उनके पति ने कहा, ‘‘हम इस खबर से बहुत खुश हैं। इसने भारत और कर्नाटक को गौरव दिलाया है। यह केवल हमारे लिए पुरस्कार नहीं है, यह व्यक्तिगत नहीं है, यह पूरे कर्नाटक के लिए बहुत खुशी की बात है।'' उनके बेटे ताहिर ने कहा, ‘‘यह हम सभी के लिए बहुत ही रोमांचक, महत्वपूर्ण और खुशी की घटना है, न केवल हमारे परिवार के लिए बल्कि सभी कन्नड़ लोगों के लिए... हम बहुत खुश हैं कि एक कन्नड़ रचना ने दुनियाभर के पाठकों को प्रभावित किया और उनका दिल जीता।'' अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका गीतांजलि श्री ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि विभिन्न भाषाओं के साहित्य को मान्यता दी जा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘यह अद्भुत है कि दूसरी भाषा की कृति को यह पुरस्कार मिला है। मैं मुश्ताक और भास्ती को बधाई देती हूं। हम सभी को बहुत-बहुत बधाई, क्योंकि हम उस बड़े समुदाय का हिस्सा हैं। जहां तक वैश्विक प्रभाव की बात है, उनके लिए इसका मतलब है ज़्यादा से ज़्यादा किताबें दिखेंगी...दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि अलग-अलग भाषाओं के साहित्य को मान्यता मिल रही है।'' -
नयी दिल्ली. भाखड़ा बांध के पानी के बंटवारे को लेकर पंजाब और हरियाणा के मध्य गतिरोध के बीच केंद्र ने बांध को आतंकवाद रोधी सुरक्षा प्रदान करने के लिए सीआईएसएफ के 296 कर्मियों की टुकड़ी को मंजूरी दी है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निर्देश दिया है कि केंद्रीय खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा तैयार की गई खतरे की आशंका संबंधी रिपोर्ट के मद्देनजर पंजाब-हिमाचल प्रदेश सीमा पर नांगल में स्थित बांध पर बल तैनात किया जाए। सूत्रों ने बताया कि भाखड़ा बांध को किसी भी तरह गड़बड़ी या आतंकवादी हमले जैसे खतरे से बचाने के लिए कुल केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के 296 कर्मियों को तैनात किया जाएगा। इस बीच अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को नवीनतन जल वितरण चक्र शुरू होने के बाद भाखड़ा-नांगल बांध से हरियाणा के लिए पानी छोड़ा गया। वहीं, पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने हरियाणा को और अधिक पानी छोड़े जाने के विरोध में पिछले 20 दिनों से दिया जा रहा अपना धरना आज समाप्त कर दिया। पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर टकराव चल रहा है और ‘आप' सरकार ने भाखड़ा बांध से पानी साझा करने से इनकार करते हुए कहा है कि पड़ोसी राज्य पहले ही अपने हिस्से का जल इस्तेमाल कर चुका है। हरियाणा 8,500 क्यूसेक पानी की मांग कर रहा था, लेकिन पंजाब ने मानवीय आधार पर 4,000 क्यूसेक पानी की अनुमति दी है। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने पिछले हफ्ते एक बैठक में फैसला लिया कि पंजाब को 17,000 क्यूसेक, हरियाणा को 10,300 क्यूसेक तथा राजस्थान को 12,400 क्यूसेक पानी मिलेगा। पंजाब ने पड़ोसी राज्य की 21 मई से 10,300 क्यूसेक पानी की मांग का विरोध किया था और भाखड़ा मेन लाइन (बीएमएल) नहर की क्षमता और सीमावर्ती राज्य की अपनी जरूरतों को देखते हुए इसे "अव्यवहारिक" बताया था। इस बीच, नांगल में एक "विजय" रैली को संबोधित करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि हरियाणा को बुधवार से पानी मिलना शुरू हो जाएगा। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "मैं एक बार फिर हरियाणा के अधिकारियों से कहना चाहता हूं कि वे पानी का विवेकपूर्ण उपयोग करें। पंजाब से अधिक पानी की उम्मीद न करें।" मान ने कहा कि बुधवार को समाप्त हुए पिछले जल चक्र में हरियाणा को 15.06 लाख क्यूसेक पानी आवंटित किया गया था, लेकिन उसने 16.48 लाख क्यूसेक पानी का उपयोग किया।
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कारवार (कर्नाटक). भारतीय नौसेना ने पारंपरिक विधि का इस्तेमाल कर निर्मित किए गए ‘आईएनएसवी कौंडिन्य' नामक जहाज को बुधवार को कर्नाटक में कारवार नौसैनिक प्रतिष्ठान में आयोजित एक समारोह के दौरान बेड़े में शामिल किया। अधिकारियों ने बताया कि यह पांचवीं शताब्दी के जहाज पर आधारित है और इसका नाम ‘कौंडिन्य' के नाम पर रखा गया है, जो हिंद महासागर को पार करके दक्षिण पूर्व एशिया तक यात्रा करने वाले एक महान भारतीय नाविक थे। उन्होंने कहा कि यह जहाज समुद्री अन्वेषण, व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की भारत की दीर्घकालिक परंपराओं का एक मूर्त प्रतीक है तथा देश की समृद्ध जहाज निर्माण विरासत के जश्न से जुड़ी असाधारण परियोजना के पूर्ण होने का भी प्रतीक है। नौसेना के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘भारतीय नौसेना ने आज कारवार नौसैन्य प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम में औपचारिक रूप से इस जहाज को भारतीय नौसेना नौकायन पोत (आईएनएसवी) कौंडिन्य नाम दिया। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।'' जहाज में सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण कई विशेषताएं हैं।
उन्होंने कहा, “इसके पालों पर गंडभेरुंड और सूर्य की आकृतियां दिखाई देती हैं, इसके धनुष पर एक गढ़ा हुआ सिंह यली है, और प्रतीकात्मक हड़प्पा शैली के पत्थर का एक लंगर इसके डेक को सुशोभित करता है। इसका हर तत्व प्राचीन भारत की समृद्ध समुद्री परंपराओं को दर्शाता है। -
नयी दिल्ली. अगले महीने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)-नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के संयुक्त मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) की यात्रा करने जा रहे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला वहां से भारतीय छात्रों के साथ बातचीत करेंगे। शुक्ला ‘एक्सिओम-4 मिशन' के तहत आईएसएस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय होंगे, जो नासा के मानव अनुसंधान कार्यक्रम के लिए उसके साथ पांच संयुक्त प्रयोग करेंगे। एक संयुक्त ऑनलाइन प्रेस वार्ता में अधिकारियों ने कहा कि शुक्ला कक्षीय प्रयोगशाला में अपने 14-दिवसीय प्रवास के दौरान भारत में कुछ रेडियो समुदाय से भी जुड़ेंगे। शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री ‘स्पेसएक्स' के ‘ड्रैगन' अंतरिक्ष यान पर ‘एक्सिओम स्पेस' के वाणिज्यिक मिशन ‘एक्स-4' के तहत आठ जून को आईएसएस की यात्रा करने वाले हैं। इसरो के परियोजना निदेशक सुदीश बालन ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आईएसएस पर शुभांशु शुक्ला भारतीय शोधकर्ताओं के नेतृत्व में सात प्रयोग करेंगे। नासा के साथ मिलकर पांच अन्य प्रयोग किए जाएंगे।'' उन्होंने कहा कि शुक्ला दो स्थानों पर छात्र समुदाय को शामिल करते हुए दो संपर्क गतिविधियों में भाग लेंगे और आईएसएस पर एसटीईएम प्रायोगिक वीडियो भी रिकॉर्ड करेंगे, जिसका उपयोग मिशन के बाद किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की कार्यक्रम प्रबंधक डाना वीगल ने कहा कि इसरो और नासा एक संयुक्त सार्वजनिक ‘डाउनलिंक' कार्यक्रम की भी योजना बना रहे हैं, जिसके विवरण पर काम किया जा रहा है। इस बीच, ‘ड्रैगन' अंतरिक्ष यान के उपकरणों को जोड़ने का काम जारी है, जो चालक दल को आईएसएस तक ले जाएगा।
- पुंछ. भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है और इसे फिलहाल स्थगित रखा गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना सतर्क और तैयार है तथा यदि फिर से चुनौती दी गई, तो वह फिर मुंहतोड़ जवाब देगी। दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले और छह-सात मई को भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने के बाद शुरू हुए सैन्य संघर्ष के बाद पुंछ सबसे अधिक प्रभावित हुआ था और पड़ोसी देश की ओर से बड़े पैमाने पर गोलाबारी की गई थी। पुंछ ब्रिगेड कमांडर मुदित महाजन ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है, यह फिलहाल स्थगित है।'' उन्होंने सेना की तैयारियों के संबंध में कहा, ‘‘भारतीय सेना सतर्क और तैयार है तथा यदि एक बार फिर चुनौती दी गई, तो हम फिर जवाब देंगे, शब्दों से नहीं, बल्कि गोलों और राष्ट्र के संकल्प के साथ।'' महाजन ने कहा कि संक्षेप में पाकिस्तानी सेना की क्षति केवल संख्या में ही नहीं हुई है, बल्कि मनोबल और पहल में भी हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘आज, वे अपने ही देश के सामने अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं। अब तक, हमारे पास जो जानकारी हैं, उनसे पता चलता है कि दुश्मन को भारी क्षति हुई है।'' महाजन ने कहा, ‘‘हमने प्रतिक्रिया देने के लिए इंतजार नहीं किया, बल्कि हमने जवाब देने की तैयारी की। इस सीमा तक, मैं कहूंगा कि पुंछ ब्रिगेड ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा नहीं, बल्कि उसके केंद्र में था।
- नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज से बात की और क्षेत्रीय तथा वैश्विक घटनाक्रमों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने रेखांकित किया कि दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुट हैं। इस महीने की शुरुआत में रूढि़वादी नेता फ्रेडरिक मर्ज जर्मनी के चांसलर बने थे।मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘चांसलर फ्रेडरिक मर्ज से बात की और उन्हें पदभार ग्रहण करने पर बधाई दी। भारत तथा जर्मनी के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की हमारी प्रतिबद्धता दोहराई।'' प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रमों पर विचारों का आदान-प्रदान हुआ। हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुट हैं।'' बाद में एक बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा कि टेलीफोन पर बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने ‘‘हर तरह के आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता दोहराई।'' इसमें कहा गया कि पिछले 25 वर्षों में भारत-जर्मनी के बीच रणनीतिक साझेदारी में ‘‘उत्कृष्ट प्रगति'' के मद्देनजर दोनों नेताओं ने ‘‘व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा, तथा नवाचार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों सहित द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने'' पर सहमति व्यक्त की। प्रधानमंत्री मोदी ने चांसलर मर्ज को भारत आने का आमंत्रण दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि नेताओं ने संपर्क में बने रहने पर सहमति व्यक्त की।
- नई दिल्ली। भारतीय रेलवे देशभर में तेज़ी से बुनियादी ढांचे का विस्तार और आधुनिकीकरण कर रही है। इसी क्रम में रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने केंद्रीय राज्य मंत्री श्री तोखन साहू को एक पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ में जारी रेल परियोजनाओं और आगामी उद्घाटन कार्यक्रम की जानकारी दी है। श्री वैष्णव ने बताया कि छत्तीसगढ़ में वर्तमान में 35,916 करोड़ रुपये की लागत से रेल परियोजनाओं पर कार्य प्रगति पर है। वर्ष 2025-26 के बजट में राज्य को रिकॉर्ड 6,925 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। साथ ही, राज्य के 32 रेलवे स्टेशनों को विश्व स्तरीय सुविधाओं से युक्त "अमृत स्टेशन" के रूप में विकसित करने की योजना है।रेल मंत्री ने पत्र में उल्लेख किया है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का यह दृढ़ संकल्प है कि भारतीय रेलवे को विश्व की सर्वोत्तम परिवहन व्यवस्थाओं में शामिल किया जाए। इसके लिए स्टेशनों, ट्रेनों, पटरियों और सिग्नलिंग प्रणाली को अत्याधुनिक बनाया जा रहा है।वर्ष 2023-24 में माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 1,000 से अधिक स्टेशनों का शिलान्यास किया गया था। इसी श्रृंखला में 22 मई 2025 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 103 अमृत स्टेशनों का उद्घाटन/समर्पण करेंगे।छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़, भानुप्रतापपुर, भिलाई, उरकुरा और अंबिकापुर स्टेशन इस ऐतिहासिक उद्घाटन कार्यक्रम का हिस्सा होंगे। रेल मंत्री ने श्री तोखन साहू से आग्रह किया है कि वे इस शुभ अवसर पर किसी भी अमृत स्टेशन पर अपनी गरिमामयी उपस्थिति देकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएं।
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उधगमंडलम (तमिलनाडु). भारत के स्वदेशी परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में अहम योगदान देने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिक और परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष एम आर श्रीनिवासन का मंगलवार को यहां निधन हो गया। परिवार के सूत्रों ने यह जानकारी दी। वह 95 वर्ष के थे और उनके परिवार में पत्नी और एक बेटी है।
परिवार ने एक बयान में कहा, ‘‘हम परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के सचिव डॉ. एम आर श्रीनिवासन के निधन की घोषणा करते हुए बहुत दुखी हैं।'' परिवार ने कहा कि श्रीनिवासन सितंबर 1955 में डीएई से जुड़े और उन्होंने देश के पहले परमाणु अनुसंधान रिएक्टर, अप्सरा के निर्माण पर डॉ होमी भाभा के साथ काम करना शुरू किया था। उन्हें 1959 में भारत के पहले परमाणु ऊर्जा केंद्र के निर्माण के लिए प्रधान परियोजना अभियंता नियुक्त किया गया था। बयान के अनुसार, ‘‘उनके नेतृत्व ने देश के परमाणु कार्यक्रम को आकार देना जारी रखा। 1967 में उन्होंने मद्रास परमाणु ऊर्जा स्टेशन (एमएपीएस) के मुख्य परियोजना इंजीनियर के रूप में कार्यभार संभाला।'' वह राष्ट्रीय महत्व के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। इनमें डीएई में ऊर्जा परियोजना आभियांत्रिकी विभाग के निदेशक और परमाणु ऊर्जा बोर्ड के अध्यक्ष का पद शामिल है। बयान के अनुसार, ‘‘इन भूमिकाओं में उन्होंने देशभर में सभी परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं की योजना, क्रियान्वयन और परिचालन पर निगरानी रखी।'' बयान में कहा गया, ‘‘1987 में उन्हें परमाणु ऊर्जा आयोग का अध्यक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग का सचिव नियुक्त किया गया। उसी वर्ष, वह भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के संस्थापक-अध्यक्ष बने। उनके नेतृत्व में, 18 परमाणु ऊर्जा इकाइयां विकसित की गईं - जिनमें से सात चालू थीं, सात निर्माणाधीन थीं और चार योजना के चरण में थीं।'' भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम में उत्कृष्ट योगदान के लिए श्रीनिवासन को ‘पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया था। जिलाधिकारी लक्ष्मी भव्या तन्नीरू ने श्रीनिवासन की पार्थिव देह पर पुष्प चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
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कोलकाता. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बृहस्पतिवार को केंद्र की अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पश्चिम बंगाल में तीन पुनर्विकसित रेलवे स्टेशनों का उद्घाटन करेंगे। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि तीन स्टेशन - पानागढ़, कल्याणी घोषपाड़ा और जॉयचंडी पहाड़ - उन 103 अमृत भारत रेलवे स्टेशनों में शामिल हैं जिनका उद्घाटन प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए देश भर में करेंगे। पानागढ़ और कल्याणी घोषपाड़ा पूर्वी रेलवे के अधिकार क्षेत्र में हैं, जबकि जॉयचंडी पहाड़ दक्षिण पूर्वी रेलवे का हिस्सा है। अधिकारियों ने बताया कि इन मौजूदा रेलवे स्टेशनों का नई यात्री सुविधाओं और सौंदर्यीकरण के साथ पूर्ण नवीनीकरण किया गया है। एसईआर के एक अधिकारी ने एक बयान में कहा, ‘‘यात्री सुविधाओं को बढ़ाने, पहुंच में सुधार लाने और टिकाऊ डिजाइन को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, ये उन्नयन न केवल यात्रा के अनुभव को बेहतर बनाएगा बल्कि क्षेत्र के आर्थिक विकास में भी योगदान देगा।'' अधिकारी ने बताया कि इस योजना के तहत पश्चिम बंगाल में कुल 100 रेलवे स्टेशनों का विकास किया जा रहा है।
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नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बृहस्पतिवार को राजस्थान के बीकानेर दौरे पर रेलवे, सड़क, बिजली, जल और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री देश में रेल अवसंरचना को निरंतर बेहतर बनाने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 86 जिलों में 1,100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 103 पुनर्विकसित अमृत स्टेशन का उद्घाटन करेंगे। बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पुनर्विकसित देशनोक रेलवे स्टेशन का भी उद्घाटन करेंगे और बीकानेर-मुंबई एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाएंगे। इसके बाद, वह 26,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे। देशनोक में प्रधानमंत्री एक सार्वजनिक समारोह को भी संबोधित करेंगे। बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री देश में रेल अवसंरचना को निरंतर बेहतर बनाने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 86 जिलों में 1,100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 103 पुनर्विकसित अमृत स्टेशन का उद्घाटन करेंगे। करणी माता मंदिर आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को सेवा प्रदान करने वाला देशनोक रेलवे स्टेशन मंदिर वास्तुकला से प्रेरित है जिसमें मेहराबों और स्तंभों को विशेष महत्व दिया जाता है। तेलंगाना में बेगमपेट रेलवे स्टेशन काकतीय साम्राज्य की वास्तुकला से प्रेरित है। बिहार में थावे स्टेशन में 52 शक्तिपीठों में से एक मां थावेवाली का प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न भित्ति चित्र और कलाकृतियां शामिल हैं और मधुबनी पेंटिंग को भी दर्शाया गया है। बयान में कहा गया है कि भारतीय रेलवे अपने नेटवर्क के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण की ओर अग्रसर है, जिससे रेल परिचालन अधिक कुशल और पर्यावरण अनुकूल बन रहा है। इसी क्रम में, प्रधानमंत्री चूरू-सादुलपुर रेल लाइन (58 किलोमीटर) की आधारशिला रखेंगे और सूरतगढ़-फलोदी (336 किमी), फुलेरा-डेगाना (109 किमी), उदयपुर-हिम्मतनगर (210 किमी), फलोदी-जैसलमेर (157 किमी) और समदड़ी-बाड़मेर (129 किमी) रेल लाइन विद्युतीकरण को राष्ट्र को समर्पित करेंगे। राजस्थान में सड़क अवसंरचना को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री तीन अंडरपास के निर्माण, राष्ट्रीय राजमार्गों के चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण की आधारशिला रखेंगे। वह राजस्थान में 7 सड़क परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे। सभी के लिए बिजली तथा हरित और स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराने की दृष्टि को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री बीकानेर और नावा, डीडवाना, कुचामन में सौर परियोजनाओं सहित बिजली परियोजनाओं और पारेषण प्रणालियों की आधारशिला रखेंगे। प्रधानमंत्री राजस्थान में बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी, बिजली आपूर्ति, स्वास्थ्य सेवाओं और पानी की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए राजस्थान में राज्य सरकार की 25 महत्वपूर्ण परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे।
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नयी दिल्ली. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) ने राज्यों के लोक निर्माण विभागों और सड़क निर्माण विभागों द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गों पर कराये जा रहे कार्यों की निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया है। राजमार्ग मंत्रालय ने एक परिपत्र में कहा कि राज्य लोक निर्माण विभाग और सड़क निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी/ आरसीडी) ने एनएच से जुड़े जो काम कराये हैं, उनमें से कई परियोजनाओं में सही प्रक्रिया का पालन नहीं करने के कारण गंभीर खामियां पाई गई हैं। परिपत्र के अनुसार, मंत्रालय के क्षेत्रीय अधिकारियों (आरओ) से कभी-कभी बोली प्रक्रिया के दौरान या मध्यस्थता न्यायाधिकरणों या अदालतों के समक्ष संविदात्मक विवादों का बचाव करते समय न तो सलाह ली जाती है और न ही उन्हें इस प्रक्रिया में शामिल किया जाता है। इसमें आगे कहा गया कि ऐसे विवादों को अक्सर केंद्र सरकार के हितों की पर्याप्त सुरक्षा किए बिना जैसे-तैसे निपटाया जाता है। परिपत्र में कहा गया, ‘‘ऐसे मामलों को आगे रोकने और बोली प्रक्रिया में अधिक सावधानी सुनिश्चित करने के लिए सभी एनएच परियोजना कार्यों (रखरखाव कार्यों को छोड़कर 100 करोड़ रुपये से कम लागत वाले) के लिए बोली दस्तावेजों की संबंधित आरओ जांच करेंगे।''
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज मंगलवार को प्रसिद्ध खगोलशास्त्री, लेखक और विज्ञान संचारक डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर के निधन पर शोक व्यक्त किया। डॉ. जयंत विष्णु नार्लीकर का 86 वर्ष की उम्र में मंगलवार तड़के पुणे स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। उनके निधन से भारतीय वैज्ञानिक समुदाय में शोक की लहर है।
पीएम मोदी ने पोस्ट में लिखा- ‘डॉ. जयंत नार्लीकर का निधन वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति’इस संबंध में पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा “डॉ. जयंत नार्लीकर का निधन वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है। वे एक प्रसिद्ध व्यक्ति थे, खासकर खगोल भौतिकी के क्षेत्र में। उनके अग्रणी कार्यों, खासकर प्रमुख सैद्धांतिक रूपरेखाओं को शोधकर्ताओं की पीढ़ियों द्वारा महत्व दिया जाएगा। उन्होंने एक संस्थान निर्माता के रूप में अपनी पहचान बनाई, युवा दिमागों के लिए सीखने और नवाचार के केंद्रों को तैयार किया। उनके लेखन ने विज्ञान को आम नागरिकों के लिए सुलभ बनाने में भी काफी मदद की है। इस दुःख की घड़ी में उनके परिवार और दोस्तों के प्रति संवेदना। ओम शांति।”मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने भी डॉ. जयंत नार्लीकर को अर्पित की भावभीनी श्रद्धांजलिमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने आज कैबिनेट की बैठक में डॉ. जयंत नार्लीकर को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है, साथ ही राजकीय सम्मान से उनका अंतिम संस्कार किए जाने का आदेश दिया है।डॉ. जयंत नार्लीकर परिवार के सदस्यों के अनुसार, उनका जन्म 19 जुलाई 1938 को कोल्हापुर में हुआ था। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. करने वाले नार्लीकर ने ब्रह्माण्ड विज्ञान और सापेक्षता पर महत्वपूर्ण शोध किया था। उन्होंने प्रसिद्ध वैज्ञानिक फ्रेड हॉयल के साथ मिलकर ‘हॉयल-नार्लीकर सिद्धांत’ का प्रतिपादन किया। उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) और इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी (आईयूसीएए) में बहुमूल्य योगदान दिया। उन्होंने विज्ञान के प्रसार के लिए मराठी में कई किताबें भी लिखीं।विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानितडॉ. जयंत नार्लीकर को पद्म भूषण, पद्म विभूषण और कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उनके कार्य से भारतीय खगोल विज्ञान को वैश्विक सम्मान मिला। उन्होंने विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए ‘वायरस’, ‘यक्ष का उपहार’, ‘अरस्तू का संदेश’ और ‘ब्रह्मांड के सात आश्चर्य’ जैसी मराठी-अंग्रेजी पुस्तकें लिखीं। उनके लेखन ने खगोल विज्ञान को जनसाधारण तक पहुंचाया और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का संचार किया।मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार के दिए निर्देशवहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने डॉ. नार्लीकर की बेटी से फोन पर बातचीत कर उन्हें सांत्वना दी। मुख्यमंत्री ने संबंधित एजेंसियों को डॉ. नार्लीकर का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार का निर्देश दिया। इस बीच आज मंगलवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में डॉ. जयंत नार्लीकर के निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।डॉ. जयंत नार्लीकर ने खगोल विज्ञान के लिए एक ठोस आधार तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईअपने शोक संदेश में मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, ‘डॉ. भारतीय खगोल विज्ञान के लिए एक ठोस आधार तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नार्लीकर ने अमूल्य योगदान दिया। अपने गणितज्ञ पिता से विरासत लेते हुए डॉ. नार्लीकर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खगोलीय अनुसंधान में बहुमूल्य योगदान दिया। उनके शोध कार्य को दुनिया भर के विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों द्वारा मान्यता दी गई है।भारत लौटने पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उन्हें अंतर-विश्वविद्यालय खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी केंद्र की स्थापना की जिम्मेदारी सौंपी। उन्होंने इसका प्रबंधन भी अच्छी तरह से किया। उन्होंने इस संस्थान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा और अनुसंधान के उत्कृष्टता केंद्र के रूप में भी स्थापित किया। ‘बिग बैंग थ्योरी’ पर काम करते हुए, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ के ब्रह्मांड विज्ञान आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।