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- नयी दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक ने कर्ज पर लगने वाले ब्याज दर में 0.5 प्रतिशत की कटौती की है। भारतीय रिजर्व बैंक के प्रमुख नीतिगत दर रेपो में कटौती के बाद बैंकों ने यह कदम उठाया है। यूनियन बैंक ने बयान में कहा कि बाह्य मानक आधारित ब्याज दर (ईबीएलआर) और रेपो आधारित ब्याज दर (आरएलएलआर) में 0.5 प्रतिशत की कटौती की गयी है। इस कटौती के साथ यूनियन बैंक ने हाल में आरबीआई के रेपो दर में कटौती के अनुरूप ईबीएलआर और आरएलएलआर से जुड़े कर्ज के लिए ब्याज दर में कमी कर दी है। इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) ने कहा कि बैंक की संपत्ति देनदारी प्रबंधन समिति (एएलसीओ) की मंगलवार को हुई बैठक में रेपो आधारित कर्ज पर देय ब्याज में 0.5 प्रतिशत की कटौती का निर्णय किया गया है। इस कटौती के बाद आरएलएलआर कम होकर 8.35 प्रतिशत हो गयी है जो पहले 8.85 प्रतिशत थी। नयी दर बुधवार से लागू होगी। केनरा बैंक ने भी रेपो आधारित ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की है।बैंक के बयान के अनुसार, इस कटौती से रेपो आधारित ब्याज दर 8.75 प्रतिशत से घटकर 8.25 प्रतिशत पर आ गयी है। नयी दर बुधवार से लागू होगी। बैंकों के इस कदम से रेपो आधारित ब्याज से जुड़े कर्ज सस्ते होंगे। इससे आवास, वाहन, व्यक्तिगत कर्ज लेने वाले नये और मौजूदा खुदरा ग्राहकों के अलावा एमएसएमई कर्जदारों को लाभ होगा। उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने पिछले सप्ताह प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया था। साथ ही नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) एक प्रतिशत कम कर तीन प्रतिशत करने की घोषणा की।
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नयी दिल्ली. अदाणी समूह ने मंगलवार को कहा कि उसकी सीमेंट कंपनियों ने जम्मू-कश्मीर के चिनाब नदी पर बने दुनिया के सबसे ऊंचे मेहराब रेल पुल के निर्माण में सीमेंट की प्रमुख आपूर्तिकर्ता रही है। अदाणी की सीमेंट कंपनियों ने कुल 65,000 टन सीमेंट की आपूर्ति की है। पुल के लिए आपूर्ति किया गयेा सीमेंट ‘आर्डिनरी पोर्टलैंड सीमेंट' (ओपीसी) 43 ग्रेड का था। यह अपनी उच्च शक्ति, स्थायित्व और बेहतर गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। इस कारण इसे बड़े पैमाने के बुनियादी ढांचे के लिए आदर्श माना जाता है। समूह ने कहा कि अदाणी सीमेंट ने चिनाब पुल के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अदाणी सीमेंट में अम्बुजा सीमेंट्स और एसीसी शामिल हैं। अदाणी समूह के सीमेंट कारोबार के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विनोद बहेटी ने कहा, ‘‘हमारे लिए एक ऐसी परियोजना का हिस्सा बनना बहुत गर्व की बात है जो न केवल इंजीनियरिंग सीमाओं को फिर से परिभाषित करती है बल्कि राष्ट्रीय एकीकरण में भी योगदान देती है।'' उन्होंने कहा, ‘‘अदाणी सीमेंट में हम मानते हैं कि सीमेंट का हर बैग देश की प्रगति का भार वहन करता है। चिनाब पुल इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि किस तरह से गुणवत्ता, निरंतरता और समय पर डिलिवरी के प्रति हमारी प्रतिबद्धता भारत की बुनियादी ढांचे की कहानी का समर्थन करती है।'' वास्तुकला का अद्भुत नमूना चिनाब रेलवे पुल नदी तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और पेरिस के प्रतिष्ठित एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है। यह 1,315 मीटर लंबा इस्पात का मेहराब वाला (आर्च ब्रिज) पुल है जिसे भूकंपीय और वायु संबंधी परिस्थितियों को झेल सकने के अनुकूल बनाया गया है।
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नयी दिल्ली. मजबूत वैश्विक रुख के अनुरूप खुदरा विक्रेताओं एवं स्टाकिस्टों की ताजा लिवाली के कारण बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 820 रुपये बढ़कर 98,490 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गयी। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी। 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 750 रुपये बढ़कर 98,000 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गई। हालांकि, बुधवार को चांदी की कीमत 1,07,100 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) पर स्थिर बनी रही।
इस बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजार में हाजिर सोना 12.09 डॉलर प्रति औंस या 0.36 प्रतिशत बढ़कर 3,334.69 डॉलर प्रति औंस हो गया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक - जिंस सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘शुल्क से जुड़ी अनिश्चितता के बारे में व्यापारियों की चिंता के कारण सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ने के कारण सोने में तेजी आई।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह नई अनिश्चितता संघीय अपील अदालत के फैसले के बाद आई है, जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को वैश्विक शुल्क को जारी रखने की अनुमति दी है।'' गांधी ने यह भी बताया कि इन चिंताओं ने अमेरिका और चीन के बीच सकारात्मक व्यापार वार्ता से उपजे कुछ आशावाद को फीका कर दिया है। लंदन में अपनी दो दिवसीय चर्चा के दौरान, दोनों पक्ष व्यापार तनाव को कम करने की योजना पर सहमत हुए।
जिंस बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध से उपजे भू-राजनीतिक तनाव और पश्चिम एशिया में बढ़ते संघर्ष के कारण सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की मांग बढ़ रही है। हालांकि, वैश्विक बाजारों में हाजिर चांदी 0.5 प्रतिशत गिरकर 36.34 डॉलर प्रति औंस रह गई।
कोटक सिक्योरिटीज की एवीपी-जिंस शोध कायनात चैनवाला ने कहा कि बाजार प्रतिभागियों का ध्यान मौद्रिक नीति दृष्टिकोण के बारे में अधिक संकेत देने वाले आगामी अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आंकड़ों पर जाएगा, जो दिन के उत्तरार्द्ध में जारी किए जाएंगे। - नयी दिल्ली. जीवन बीमा कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में नए व्यवसाय से प्रीमियम संग्रह में 10.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। जीवन बीमा परिषद ने सोमवार को जारी आंकड़ों में बताया कि मई 2025 में नए व्यवसाय से प्रीमियम संग्रह में 12.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। नए व्यवसाय से प्रीमियम आय मई 2025 में बढ़कर 30,463 करोड़ रुपये हो गई, जो एक साल पहले इसी महीने में 27,034 करोड़ रुपये थी। आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2025-26 के पहले दो महीनों में संग्रह सालाना आधार पर 47,293 करोड़ रुपये से बढ़कर 52,427 करोड़ रुपये हो गया। इस मजबूत प्रदर्शन का श्रेय जीवन बीमा कंपनियों को दिया गया, जिन्होंने पहली बार जीवन बीमा लेने वालों को प्रोत्साहित किया। मई 2025 में संयुक्त व्यक्तिगत प्रीमियम संग्रह में 3.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई। परिषद ने बताया कि जीवन बीमा उद्योग में व्यक्तिगत एकल प्रीमियम में सालाना आधार पर 5.21 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह मई 2025 में 3,525 करोड़ रुपये रहा। देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी एलआईसी का नए व्यवसाय से प्रीमियम मई 2025 में 10.27 प्रतिशत बढ़कर 18,405.04 करोड़ रुपये हो गया, जो एक साल पहले इसी महीने में 16,690.39 करोड़ रुपये था।
- बर्न. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा कि सरकार भारत में बड़ी घरेलू लेखा कंपनियां बनाने की कोशिश कर रही है और देश में जल्द ही अपनी खुद की ‘बिग फोर' कंपनियां होंगी। वर्तमान में दुनिया की 'बिग फोर' पेशेवर सेवा कंपनियां डेलॉयट, पीडब्ल्यूसी या प्राइसवाटरहाउस कूपर्स, अर्न्स्ट एंड यंग (ईवाई) और केपीएमजी हैं। ये चारों विदेशी कंपनियां भारत के लेखा परीक्षण और परामर्श क्षेत्र में हावी हैं। गोयल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘अब हम अपनी खुद की ‘बिग फोर' कंपनियां बनाने की कोशिश कर रहे हैं। पहले नियम (दोस्ताना नहीं) थे...आप जानते हैं, हम विलय नहीं कर सकते थे। हमारी सोच भी अलग थी। अब धीरे-धीरे लोग समझ रहे हैं...भारत में बहुत जल्द हमारी अपनी बिग फोर कंपनियां होंगी...।'' गोयल इस समय यूरोपीय देशों की आधिकारिक यात्रा पर हैं।
- नयी दिल्ली. घरेलू वाहन विनिर्माता टाटा मोटर्स ने अगले चार वित्त वर्षों में 30 उत्पाद गतिविधियों पर 33,000 करोड़ रुपये से लेकर 35,000 करोड़ रुपये तक का निवेश करने की योजना बनाई है। इस दौरान सात नए मॉडल भी पेश करने की तैयारी है। टाटा समूह की कंपनी अपने यात्री वाहन पोर्टफोलियो में उन्नत प्रौद्योगिकी और इंजन प्रणाली लाने पर भी निवेश करने की योजना बना रही है। टाटा मोटर्स वित्त वर्ष 2026-27 तक 16 प्रतिशत (ईवी सहित) और अगले दो-तीन वर्षों में लगभग 18-20 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी की उम्मीद कर रही है। कंपनी ने विश्लेषकों के समक्ष एक प्रस्तुति में उम्मीद जताई कि घरेलू यात्री वाहन उद्योग वर्ष 2030 तक सालाना 60 लाख इकाई तक बढ़ जाएगा। कंपनी ने कहा, ‘‘हम वित्त वर्ष 2029-30 तक अपने पोर्टफोलियो को मजबूत करेंगे। इसमें सात नए उत्पाद और 23 उत्पादों के नए संस्करण शामिल होंगे।'' टाटा मोटर्स ने कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 से लेकर 2029-30 के दौरान 33,000 करोड़ रुपये से लेकर 35,000 करोड़ रुपये तक का पूंजीगत व्यय किया जाएगा। इसका इस्तेमाल अभिनव उत्पादों, सॉफ्टवेयर-संचालित वाहनों (एसडीवी), उन्नत प्रौद्योगिकियों और इंजन प्रणाली पर किया जाएगा। कंपनी ने कहा कि यात्री वाहन खंड में वह नए और विस्तृत पोर्टफोलियो के साथ मजबूत वृद्धि हासिल करना चाहती है। इसके लिए वह बिक्री बढ़ाने के साथ ही अपने सर्विस नेटवर्क पर भी विशेष ध्यान देगी। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) खंड में अपनी अग्रणी स्थिति को बनाए रखना भी कंपनी की प्राथमिकता में होगा। टाटा मोटर्स को उम्मीद है कि 2030 तक कुल यात्री वाहन बाजार में ईवी की हिस्सेदारी बढ़कर 30 प्रतिशत तक हो जाएगी।
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नयी दिल्ली. सरकार ने सोमवार को कहा कि उसने सेमीकंडक्टर एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) स्थापित करने को माइक्रॉन सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी इंडिया और हुबली ड्यूरेबल गुड्स क्लस्टर (एकस ग्रुप) को मंजूरी दे दी है। वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार को बयान में इन प्रस्तावों को मंजूरी दिए जाने की जानकारी दी।
बयान के मुताबिक, माइक्रॉन 13,000 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश से गुजरात के साणंद में 37.64 हेक्टेयर क्षेत्र में अपना एसईजेड विकसित करेगी जबकि एकस ग्रुप 100 करोड़ रुपये के निवेश से इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के विनिर्माण के लिए कर्नाटक के धारवाड़ में 11.55 हेक्टेयर क्षेत्र में अपना एसईजेड स्थापित करेगी। सरकार ने सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एसईजेड गठन संबंधी कुछ नियमों को आसान बनाने के बाद यह निर्णय लिया है। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘नियमों में बदलाव के बाद एसईजेड की स्वीकृति देने वाले बोर्ड ने माइक्रॉन सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी इंडिया और हुबली ड्यूरेबल गुड्स क्लस्टर प्राइवेट लिमिटेड (एकस ग्रुप) से मिले प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। इनमें सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के विनिर्माण के लिए एसईजेड के गठन का जिक्र है।'' इन क्षेत्रों में विनिर्माण के लिए अत्यधिक पूंजी की जरूरत, आयात पर निर्भरता और लाभदायक स्थिति में पहुंचने में लगने वाले लंबे समय को देखते हुए अग्रणी निवेश और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए नियम संशोधित किए गए हैं। संशोधित नियम के मुताबिक, सेमीकंडक्टर या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विनिर्माण के लिए एक एसईजेड स्थापित करने के लिए अब केवल 10 हेक्टेयर क्षेत्र की जरूरत पड़ेगी, जो पहले के 50 हेक्टेयर से कम है। इसके अलावा नि:शुल्क आधार पर प्राप्त और आपूर्ति की गई वस्तुओं का मूल्य भी अब शुद्ध विदेशी मुद्रा (एनएफई) की गणना में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा, एसईजेड नियमों के नियम 18 में भी संशोधन किया गया है ताकि सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण विनिर्माण की एसईजेड इकाइयों को घरेलू शुल्क क्षेत्र में भी शुल्क भुगतान के बाद आपूर्ति की अनुमति मिल सके। बयान के मुताबिक, इन संशोधनों को वाणिज्य विभाग ने तीन जून, 2025 को अधिसूचित किया है। इससे देश में उच्च तकनीक विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा, सेमीकंडक्टर विनिर्माण पारिस्थितिकी के विकास को बढ़ावा मिलेगा और देश में उच्च कौशल वाली नौकरियां पैदा होंगी। -
नयी दिल्ली. देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने सोमवार को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सरकार को 8,076.84 करोड़ रुपये का लाभांश दिया। एसबीआई के चेयरमैन सी एस शेट्टी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लाभांश का चेक दिया। इस मौके पर वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू और वित्त सचिव अजय सेठ भी थे। वित्त मंत्री के कार्यालय ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ''निर्मला सीतारमण को भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन सी एस शेट्टी से वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 8076.84 करोड़ रुपये का लाभांश चेक मिला।'' एसबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 15.90 रुपये प्रति शेयर का लाभांश घोषित किया था। बैंक ने पिछले साल सरकार को 6,959.29 करोड़ रुपये का लाभांश दिया था। एसबीआई ने 2024-25 के दौरान 70,901 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड शुद्ध लाभ कमाया, जबकि इससे पिछले साल यह आंकड़ा 61,077 करोड़ रुपये था।
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नयी दिल्ली. दिग्गज उद्योगपति और एरिन कैपिटल के चेयरमैन मोहनदास पई का कहना है कि सरकार के प्रतिबंधात्मक नियमों के कारण पर्याप्त घरेलू निवेश की कमी के चलते भारतीय स्टार्टअप पीछे रह गए हैं। उन्होंने पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए नीतिगत सुधारों और अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में निवेश का आह्वान किया। पई ने आगाह किया कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप केंद्र है इसके बावजूद अगर इन चुनौतियों का समाधान नहीं किया गया तो देश वैश्विक नवाचार में पिछड़ सकता है। पई ने कहा, ““हमारे पास 1,65,000 पंजीकृत स्टार्टअप हैं, 22,000 को वित्त पोषण मिला है। उन्होंने 600 अरब डॉलर का मूल्य बनाया है। हमें 121 यूनिकॉर्न और शायद 250-300 सूनिकॉर्न मिले।” उन्होंने कहा, “स्टार्टअप के लिए सबसे बड़ी समस्या पर्याप्त पूंजी की कमी है। उदाहरण के लिए, चीन ने 2014 से 2024 के बीच स्टार्टअप और उद्यमों में 835 अरब डॉलर का निवेश किया, अमेरिका ने 2.32 लाख करोड़ डॉलर का निवेश किया। हमने सिर्फ़ 160 अरब डॉलर का निवेश किया, जिसमें से संभवतः 80 प्रतिशत विदेशों से आया। इसलिए स्थानीय पूंजी नहीं आ रही है।” पई ने बताया कि अमेरिका के विपरीत, जहां बीमा कंपनियां और विश्वविद्यालय निधियां स्टार्टअप कोष के प्रमुख स्रोत हैं, भारतीय कोषों को सरकारी नीति द्वारा स्टार्टअप में निवेश करने से प्रतिबंधित किया गया है, और अधूरे नियामकीय सुधारों के कारण बीमा कंपनियां बड़े पैमाने पर अनुपस्थित रहती हैं। उन्होंने बीमा कंपनियों को ‘फंड-ऑफ-फंड' में भाग लेने की अनुमति देने के लिए विनियामकीय बदलाव लाने की वकालत की और उनके निवेश ढांचे में अधिक लचीलेपन का आह्वान किया। पई ने सरकार के ‘फंड-ऑफ-फंड' कार्यक्रम को 10,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये करने का भी सुझाव दिया। उन्होंने आगे कहा कि 40-45 लाख करोड़ रुपये के कोष वाले भारत के पेंशन कोष रूढ़िवादी दृष्टिकोण और प्रतिबंधात्मक नियमों के कारण स्टार्टअप में निवेश करने में असमर्थ हैं। पई ने भारतीय विश्वविद्यालयों में अनुसंधान एवं विकास कोष में पर्याप्त वृद्धि के महत्व पर जोर दिया और डीआरडीओ जैसे संगठनों को अपनी प्रौद्योगिकियों को निजी क्षेत्र के लिए सुलभ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में वर्तमान अनुसंधान एवं विकास व्यय अंतरराष्ट्रीय मानकों से काफी कम है और सार्थक नवाचार को बढ़ावा देने के लिए अपर्याप्त है। उन्होंने कहा, “हमें स्टार्टअप के लिए सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को व्यवसाय बेचने में आने वाली बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता है...भले ही सरकार ने इसमें सुधार किया हो, लेकिन यह वास्तविक व्यवहार में काम नहीं करता है। इसे खोला जाना चाहिए, और मुझे लगता है कि इसके लिए मानसिकता में बदलाव की आवश्यकता है।
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नयी दिल्ली.अदाणी समूह की कंपनी अंबुजा सीमेंट्स देश के घरों और बुनियादी ढांचे के लिए इस्तेमाल होने वाले सीमेंट में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देती है। कंपनी ने अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी। अंबुजा सीमेंट्स ने मुख्य रूप से अधिग्रहणों के माध्यम से रिकॉर्ड समय में पिछले वित्त वर्ष (2024-25) में 10 करोड़ टन प्रति वर्ष क्षमता को पार कर लिया है। अब उसका लक्ष्य मुख्य रूप से अधिग्रहण करते हुए विस्तार परियोजनाओं के माध्यम से चालू वित्त वर्ष (2025-26) तक 11.8 करोड़ टन प्रतिवर्ष और वित्त वर्ष 2027-28 तक 14 करोड़ टन प्रतिवर्ष तक पहुंचना है। अंबुजा सीमेंट्स के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विनोद बहेटी ने शेयरधारकों को संबोधित करते हुए कहा, “अब अदानी समूह के सीमेंट कारोबार का मुख्य हिस्सा अंबुजा सीमेंट्स भारत के घरों और बुनियादी ढांचे में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देती है।” वित्त वर्ष 2023-24 में, अंबुजा ने 10 करोड़ टन प्रति वर्ष एकीकृत सीमेंट क्षमता का मील का पत्थर पार कर लिया, और वैश्विक स्तर पर नौवीं सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी बन गई। अदाणी समूह ने सीमेंट क्षेत्र में हाल ही में प्रवेश किया है। इसने सितंबर, 2022 में स्विट्जरलैंड की कंपनी होल्सिम से 6.4 अरब डॉलर (लगभग 51,000 करोड़ रुपये) की नकद आय के लिए अंबुजा सीमेंट में नियंत्रण हिस्सेदारी हासिल करने के बाद सीमेंट क्षेत्र में कदम रखा। बाद में, एसीसी लिमिटेड में 51 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाली अंबुजा सीमेंट्स ने हैदराबाद स्थित पेन्ना सीमेंट और सौराष्ट्र स्थित सांघी इंडस्ट्रीज जैसी छोटी कंपनियों का अधिग्रहण किया। इसी साल इसने सीके बिड़ला समूह से ओरिएंट सीमेंट का भी अधिग्रहण किया।
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नयी दिल्ली। भारत के दूसरे सबसे धनी व्यक्ति गौतम अदाणी को 31 मार्च, 2025 को समाप्त वित्त वर्ष में कुल 10.41 करोड़ रुपये का पारिश्रमिक मिला। यह राशि उद्योग के उनके अधिकांश प्रतिस्पर्धियों और उनके अपने प्रमुख अधिकारियों से कम है। समूह की सूचीबद्ध संस्थाओं की ताजा वार्षिक रिपोर्ट से पता चला कि अदाणी (62) ने बंदरगाहों से लेकर ऊर्जा तक फैसे अपने कारोबारी समूह की नौ सूचीबद्ध कंपनियों में सिर्फ दो से वेतन लिया। उनका कुल पारिश्रमिक 2023-24 में अर्जित 9.26 करोड़ रुपये के मुकाबले 2024-25 में 12 प्रतिशत अधिक था।
समूह की प्रमुख कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) से 2024-25 के लिए उनके पारिश्रमिक में 2.26 करोड़ रुपये का वेतन और 28 लाख रुपये के भत्ते, सुविधाएं और अन्य लाभ शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (एपीएसईज़ेड) से 7.87 करोड़ रुपये लिये। इसमें 1.8 करोड़ रुपये वेतन और 6.07 करोड़ रुपये कमीशन के तौर पर मिले। अदाणी का वेतन भारत में लगभग सभी बड़े परिवार के स्वामित्व वाले समूहों के प्रमुखों से कम है। हालांकि सबसे धनी भारतीय मुकेश अंबानी कोविड-19 महामारी फैलने के बाद से वेतन नहीं ले रहे हैं। अदाणी का पारिश्रमिक दूरसंचार कारोबारी सुनील भारती मित्तल (2023-24 में 32.27 करोड़ रुपये), राजीव बजाज (2023-24 में 53.75 करोड़ रुपये), पवन मुंजाल (2023-24 में 109 करोड़ रुपये), एलएंडटी के चेयरमैन एस एन सुब्रह्मण्यन (2024-25 में 76.25 करोड़ रुपये) और इंफोसिस के सीईओ सलिल एस पारेख (2024-25 में 80.62 करोड़ रुपये) से काफी कम है। अदाणी का वेतन उनके समूह की कंपनियों के कम से कम एक-दो मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से कम है। एईएल के सीईओ विनय प्रकाश को 69.34 करोड़ रुपये मिले। प्रकाश के पारिश्रमिक में चार करोड़ रुपये का वेतन और 65.34 करोड़ रुपये के भत्ते तथा अन्य प्रोत्साहन शामिल हैं। इसी तरह अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) के प्रबंध निदेशक विनीत एस जैन को 11.23 करोड़ रुपये मिले, जबकि समूह सीएफओ जुगेशिंदर सिंह ने वित्त वर्ष 2024-25 में 10.4 करोड़ रुपये कमाए। -
नई दिल्ली। भारत में इलेक्ट्रिक कारों (EVs) की बिक्री तेजी से बढ़ रही है। मई 2025 में देश में बेची गई कुल कारों में इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी बढ़कर 4 प्रतिशत से ज्यादा हो गई, जबकि पिछले साल मई में यह हिस्सेदारी 2.6 प्रतिशत थी। यह जानकारी फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) द्वारा जारी आंकड़ों से सामने आई है। अप्रैल 2025 में इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी 3.5 प्रतिशत थी, जो मई में 0.5 प्रतिशत और बढ़ गई। इसका मतलब है कि इलेक्ट्रिक वाहन लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
रिटेल बिक्री के आंकड़ों के अनुसार, मई 2025 में कुल 12,304 इलेक्ट्रिक कारें बिकीं, जबकि मई 2024 में यह संख्या 8,029 यूनिट्स थी। वहीं, अप्रैल 2025 में 12,233 इलेक्ट्रिक कारें बेची गई थीं। FADA के CEO सहर्ष दमानी ने कहा कि यह भारत में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि यह वृद्धि बेहतर बैटरी टेक्नोलॉजी, लंबी ड्राइविंग रेंज और ईवी मॉडल की कीमतों में कमी के कारण हो रही है। टाटा मोटर्स ने मई में 4,351 यूनिट्स इलेक्ट्रिक कारें बेचकर EV सेगमेंट में अपनी लीडरशिप बरकरार रखी। दूसरे नंबर पर रही JSW MG मोटर, जिसने 3,765 यूनिट्स बेचीं, जबकि महिंद्रा एंड महिंद्रा ने 2,632 यूनिट्स की बिक्री के साथ तीसरा स्थान हासिल किया। इन तीनों कंपनियों की संयुक्त हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक कार बाजार में 87 प्रतिशत से अधिक है।हालांकि, FADA ने चेतावनी दी है कि रेयर अर्थ मिनरल्स की सप्लाई में बाधाएं आने से भविष्य में वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग पर असर पड़ सकता है। चीन, जो इन मिनरल्स का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, उसने हाल ही में इनके निर्यात पर कुछ प्रतिबंध लगाए हैं। इससे भारत सहित पूरी दुनिया में EV उत्पादन और बिक्री पर असर पड़ सकता है। इन चुनौतियों के बावजूद, भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए नई स्कीम शुरू की है। इस स्कीम का लक्ष्य भारत को ईवी मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल हब बनाना है और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को देश में उत्पादन के लिए प्रेरित करना है। -
नई दिल्ली। भारत का डिजिटल फोरेंसिक मार्केट वित्त वर्ष 2029-30 तक लगभग 40 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ 11,829 करोड़ रुपए (1.39 बिलियन डॉलर) तक पहुंचने का अनुमान है, जो ग्लोबल एवरेज 11 प्रतिशत से तीन गुना अधिक है। यह जानकारी गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।
अब मोबाइल फोरेंसिक इस सेक्टर पर हावी है, जो मार्केट के लगभग 51 प्रतिशत हिस्से पर अधिकार रखता है। स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल, डिजिटल पेमेंट और मोबाइल-सेंट्रिक साइबर क्राइम में उछाल के कारण इस सेक्टर में मोबाइल फोरेंसिक की हिस्सेदारी बढ़ रही है। वहीं, 81 प्रतिशत मांग सार्वजनिक क्षेत्र, विशेष रूप से कानून प्रवर्तन विभाग की ओर से आ रही है।डेलोइट इंडिया की डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (डीएससीआई) के सहयोग से बनाई गई रिपोर्ट जटिल डिजिटल खतरों से निपटने के लिए फोरेंसिक टेक पर बढ़ती निर्भरता को उजागर करती है। भारत डिजिटल फोरेंसिक में निवेश को राष्ट्रीय सुरक्षा और डिजिटल विश्वास के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में भी बढ़ा रहा है।इस क्षेत्र की पूरी क्षमता को पेश करने के लिए आरजीडब्ल्यू रिपोर्ट, स्वदेशी रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) को बढ़ावा देने पर केंद्रित, एक रणनीतिक रोडमैप की सिफारिश करती है। यह आयात निर्भरता को कम करने, 90,000 फोरेंसिक प्रोफेशनल्स की अनुमानित कमी को पूरा करने के लिए एजुकेशन एंड सर्टिफिकेशन प्रोग्राम का विस्तार करने, एडवांस लैब्स और रिजनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के साथ राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर को मॉडर्न बनाने के लिए जरूरी है।भारत में डेलॉइट के फोरेंसिक प्रैक्टिस का नेतृत्व करने वाले निखिल बेदी ने कहा, “इस विकसित परिदृश्य में, फाइनेशियल फ्रॉड और डेटा ब्रीच से लेकर जटिल क्रॉस-बॉर्डर अटैक तक डिजिटल फोरेंसिक एक रिएक्टिव टूल से एक रणनीतिक क्षमता में बदल गया है। यह डिजिटल ट्रस्ट की सुरक्षा, महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर को सुरक्षित करने और अनुपालन का समर्थन करने के लिए आवश्यक है।”यह सेक्टर विकास के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर पेश करता है, जो बढ़ती औद्योगिक मांग, नियामक जांच और टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट की वजह से आगे बढ़ रहा है।डेटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया (डीएससीआई) के सीईओ विनायक गोडसे ने कहा कि डिजिटल-फर्स्ट इकोनॉमी के रूप में भारत की यात्रा ने अपार अवसर पेश किए हैं। लेकिन, इससे साइबर अपराधियों के बढ़ने की भी परेशानी पैदा हुई है। -
नयी दिल्ली. देश की सबसे बड़ी इस्पात कंपनी सेल पिछले साल अपने बकाया कर्ज में से करीब 750 करोड़ रुपये की कटौती करने में सफल रही और वह आगे इसमें और कमी लाने की योजना बना रही है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के निदेशक (वित्त) अशोक कुमार पांडा ने कंपनी के वित्तीय नतीजों पर एक विश्लेषक चर्चा के दौरान कहा कि सेल पर फिलहाल करीब 26,800 करोड़ रुपये का कर्ज है। पांडा ने कहा, "हम इस वित्त वर्ष में इस कर्ज को और कम करने की योजना बना रहे हैं। पिछले साल भी हमने लगभग 750 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया था।" उन्होंने कहा कि आगे पूंजीगत व्यय बढ़ने् पर कंपनी दो-आयामी दृष्टिकोण अपनाएगी जिसमें लाभप्रदता बढ़ाने की कोशिश के साथ कोष जुटाने के लिए उपलब्ध अन्य साधनों को इस्तेमाल किया जाएगा। सेल ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 7,500 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय लक्ष्य रखा है। इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक अपनी कुल स्थापित क्षमता को मौजूदा दो करोड़ टन प्रति वर्ष से बढ़ाकर 3.5 करोड़ टन प्रति वर्ष करना चाहती है। पांडा ने कहा, "विस्तार के लिए हम शुरुआत में विभिन्न संयंत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इसकी शुरुआत आईएसपी, आईआईएससीओ इस्पात संयंत्र में निविदा जारी करने से हो रही है।
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नई दिल्ली। वॉलमार्ट की स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट (Flipkart) को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से लेंडिंग लाइसेंस मिल गया है, जिससे अब कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद ग्राहकों और विक्रेताओं को सीधे लोन दे सकेगी। यह पहली बार है जब RBI ने किसी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी को नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) का लाइसेंस जारी किया है। इस लाइसेंस के तहत फ्लिपकार्ट कर्ज (loan) दे सकती है, हालांकि वह ग्राहकों से जमा (डिपॉजिट) नहीं ले सकेगी।
Flipkart को 13 मार्च को मिला लाइसेंसअधिकांश ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म फिलहाल बैंकों और एनबीएफसी के साथ साझेदारी में लोन की सुविधा देते हैं, लेकिन लेंडिंग लाइसेंस मिलने से फ्लिपकार्ट अब सीधे लोन दे सकेगी। यह मॉडल कंपनी के लिए अधिक फायदेमंद माना जा रहा है।भारतीय रिजर्व बैंक ने फ्लिपकार्ट फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड को 13 मार्च को रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट जारी किया, जो किसी कंपनी को आधिकारिक रूप से NBFC (नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी) के रूप में मान्यता देने वाला दस्तावेज होता है। रॉयटर्स ने रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और 13 मार्च को जारी अप्रूवल लेटर की एक-एक कॉपी की समीक्षा की है। इस मंजूरी की जानकारी अब तक सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आई थी।Flipkart ने 2022 में किया था आवेदनकेंद्रीय बैंक के अप्रूवल लेटर के अनुसार, फ्लिपकार्ट ने 2022 में लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। न तो फ्लिपकार्ट और न ही भारतीय रिजर्व बैंक ने रॉयटर्स के टिप्पणी के अनुरोध पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया दी।मामले से वाकिफ एक सूत्र के अनुसार, ई-कॉमर्स दिग्गज फ्लिपकार्ट अगले “कुछ महीनों में” अपना लेंडिंग ऑपरेशन शुरू कर सकती है। हालांकि, बातचीत निजी होने के कारण सूत्र ने अपनी पहचान जाहिर नहीं की।Flipkart कब से शुरू करेगा लोन देना?रिपोर्ट में बताया गया कि लोन सेवा की शुरुआत को लेकर अंतिम फैसला कई आंतरिक प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद ही लिया जाएगा। इनमें प्रमुख प्रबंधन पदों पर नियुक्तियां, बोर्ड सदस्यों की चयन प्रक्रिया और व्यावसायिक योजना को अंतिम रूप देना शामिल है। फ्लिपकार्ट की योजना अपने लोकप्रिय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और फिनटेक ऐप super.money के जरिए ग्राहकों को सीधे लोन देने की है। इसके अलावा, कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद विक्रेताओं को भी फाइनेंसिंग की सुविधा दे सकती है।फिलहाल, यह ई-कॉमर्स दिग्गज एक्सिस बैंक, IDFC बैंक और क्रेडिट साइसॉन जैसे लेंडर्स के साथ साझेदारी के जरिए ग्राहकों को पर्सनल लोन की सुविधा देता है।IPO लाने की तैयारी में फ्लिपकार्टफ्लिपकार्ट की वैल्यूएशन 2024 में तब 37 अरब डॉलर आंकी गई थी, जब वॉलमार्ट की अगुवाई में इसे 1 अरब डॉलर की फंडिंग मिली थी। अब कंपनी अपनी होल्डिंग कंपनी को सिंगापुर से भारत में शिफ्ट कर रही है। वॉलमार्ट की योजना 17 साल पुरानी इस कंपनी को शेयर बाजार में लिस्ट कराने की भी है। वॉलमार्ट ने 2018 में फ्लिपकार्ट में कंट्रोलिंग हिस्सेदारी खरीदी थी, जिसके साथ उसे फिनटेक कंपनी फोनपे का स्वामित्व भी मिला था। फोनपे भी फिलहाल IPO की तैयारी में है।इस साल की शुरुआत में फ्लिपकार्ट की प्रतिद्वंद्वी कंपनी अमेजन ने बेंगलुरु स्थित नॉन-बैंक लेंडर Axio का अधिग्रहण किया था। हालांकि, यह डील अभी तक भारतीय रिजर्व बैंक की मंजूरी का इंतजार कर रही है। - नयी दिल्ली,। देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी लि. ने अपनी प्रमुख सीएसआर पहल ‘बालिका सशक्तीकरण मिशन' की शुरुआत की है। एनटीपीसी ने बुधवार को बयान में कहा कि कंपनी कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पहल के तहत बालिका सशक्तीकरण मिशन (जीईएम) के इस छठे संस्करण में 17 राज्यों में एनटीपीसी के बिजलीघरों के आसपास रहने वाले वंचित समुदायों की 2,600 से अधिक युवा लड़कियों के लिए आवासीय कार्यशाला आयोजित करेगी। कार्यक्रम के समापन पर, कुल प्रतिभागियों में से लगभग 10 प्रतिशत को एनटीपीसी के स्कूलों में पठन-पाठन की सुविधा दी जाएगी। कंपनी उनकी हाई स्कूल शिक्षा का खर्च उठाएगी। गर्मी की छुट्टियों के दौरान महीने भर चलने वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य इन लड़कियों को समग्र विकास के अवसर प्रदान करना है। इस पहल का प्राथमिक उद्देश्य आत्मविश्वास का निर्माण करना और ऐसा परिवेश बनाना है जो वंचित समुदायों की लड़कियों के बीच आवश्यक जीवन कौशल सीखने और विकास का समर्थन करता है। यह कार्यक्रम वर्ष 2018 में 392 प्रतिभागियों के साथ सिर्फ तीन स्थानों पर एक पायलट परियोजना के रूप में शुरू किया गया था। पिछले कुछ वर्षों में, इस कार्यक्रम के जरिये 17 राज्यों में 12,700 से ज्यादा युवा लड़कियों को जीवन बदलने वाले अवसर उपलब्ध कराये गये हैं।
- नयी दिल्ली. भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात मई में बढ़कर 10 महीने के उच्चस्तर 19.6 लाख बैरल प्रति दिन पर पहुंच गया है। वैश्विक बेंचमार्क कीमतों की तुलना में रूसी तेल पर लगातार मिलने वाली महत्वपूर्ण छूट इसकी मुख्य वजह रही। केप्लर के पोत परिवहन गतिविधियों से जुड़े आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक और उपभोक्ता है। यह विदेशों से करीब 51 लाख बैरल कच्चा तेल खरीदता है जिससे रिफाइनरियों में पेट्रोल एवं डीजल जैसे ईंधन में बदला जाता है। भारत का तेल आपूर्तिकर्ताओं में रूस की सबसे बड़ी 38 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है। वहीं इराक से भारत को प्रतिदिन 12 लाख बैरल कच्चा तेल मिलता है। इराक देश के लिए दूसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। सऊदी अरब ने 6,15,000 बैरल प्रति दिन का निर्यात किया, जबकि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने 4,90,000 बैरल प्रति दिन की आपूर्ति की। अमेरिका ने 2,80,000 बैरल प्रति दिन की आपूर्ति की। केप्लर में रिफाइनिंग एवं मॉडलिंग के प्रमुख शोध विश्लेषक सुमित रितोलिया ने कहा, ‘‘ कुल मिलाकर, मई 2025 के लिए भारत का कच्चा तेल आयात खाका इसकी मूल्य-संवेदनशील, विविध ‘सोर्सिंग' रणनीति को उजागर करता है। बाहरी दबाव के बावजूद रूसी तेल की मात्रा उच्च बनी हुई है जो भारत की ऊर्जा नीति में आर्थिक व्यावहारिकता की के दृष्टिकोण को मजबूत करता है।'' भारत परंपरागत रूप से पश्चिम एशिया से अपना तेल प्राप्त करता रहा है। हालांकि, इसने फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के तुरंत बाद रूस से बड़ी मात्रा में तेल आयात करना शुरू कर दिया था। इसका मुख्य कारण यह है कि पश्चिमी प्रतिबंधों और कुछ यूरोपीय देशों द्वारा खरीद से परहेज के कारण रूसी तेल अन्य अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क की तुलना में काफी छूट पर उपलब्ध था। इसके परिणामस्वरूप भारत के रूसी तेल आयात में काफी वृद्धि देखी गई। भारत के कच्चे तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी अल्पावधि में एक प्रतिशत से बढ़कर अल्पावधि में 40-44 प्रतिशत तक पहुंच गई। रितोलिया ने बताया कि ब्रेंट एवं दुबई जैसे बेंचमार्क या लागत के आधार पर पश्चिम एशिया ‘ग्रेड' की तुलना में रूस से उल्लेखनीय छूट पर कच्चे तेल की पेशकश जारी है। उन्होंने कहा, ‘‘ भारत में रूसी बैरल का मजबूत प्रवाह आर्थिक, परिचालन और भू-राजनीतिक कारकों के संयोजन से प्रेरित है।'' रूस से यूराल क्रूड की कीमत में एक प्रमुख लाभ निहित है, जो कि हमेशा बहुत अधिक छूट पर नहीं होता है लेकिन पश्चिमी अफ्रीकी और पश्चिम एशिया ‘ग्रेड' की तुलना में काफी सस्ता रहता है।
- नयी दिल्ली. यात्रा बुकिंग मंच मेकमाईट्रिप ने ट्रेनों में सीट उपलब्धता की जानकारी देने की सेवा शुरू की। इससे यात्रियों को किसी ट्रेन की टिकट कब तक उपलब्ध रहेगी यह जानकारी मिलेगी ताकि वे समय पर अपनी टिकट बुक करा लें। गुरुग्राम स्थित कंपनी ने सोमवार को यह सेवा पेश की।बयान के अनुसार, भारत में आरक्षित रेल टिकट की बुकिंग प्रस्थान तिथि से 60 दिन पहले शुरू होती है। हालांकि, अधिकतर यात्री अपनी योजना को प्रस्थान तिथि के बहुत करीब आने पर ही अंतिम रूप देते हैं। अमेरिकी शेयर बाजार नैस्डैक में सूचीबद्ध कंपनी ने कहा, ‘‘ सप्ताह-दर-सप्ताह मांग में काफी बदलाव होने के कारण, ‘कन्फर्म बुकिंग' की अवधि बदलती रहती है। अप्रैल में अधिकतर हाई-स्पीड ट्रेन की टिकट प्रस्थान तिथि से करीब 13 दिन पहले ही बिक जाती हैं। मई तक बढ़ती मांग के कारण, वे आमतौर पर प्रस्थान से 20 दिन पहले ही बुक हो जाती हैं।'' बयान में कहा गया कि इससे होता यह है कि यात्रियों को यह पता होता है कि उन्हें कौन सी ट्रेन की टिकट लेनी है लेकिन वे इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाते कि आखिर ये टिकट कब तक उपलब्ध रहेगी। इससे समय पर योजना बनाना कठिन हो जाता है। यह नई सेवा मेकमाईट्रिप ऐप और वेबसाइट दोनों पर उपलब्ध है।मेकमाईट्रिप के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (समूह) राजेश मागो ने कहा, ‘‘ हम भारतीय रेल यात्रियों की छोटी-छोटी आवश्यकताओं का पूर्वानुमान लगाने और उसके तहत काम करने के अपने मिशन पर केंद्रित हैं। सीट उपलब्धता पूर्वानुमान उस प्रयास का परिणाम है, जो डेटा विज्ञान पर आधारित है। इसे सहज सेवा देने और लाखों उपयोगकर्ताओं को यात्रा की योजना बनाने में पेश होने वाली तैयारियों से निपटने के लिए तैयार किया गया है। यह हमारे रेल खंड में एक मजबूत विकल्प जोड़ता है/
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नई दिल्ली। सोने चांदी के वायदा भाव आज कारोबार की शुरुआत में तेजी के साथ कारोबार कर रहे हैं। दोनों के वायदा भाव आज तेजी के साथ खुले। खबर लिखे जाने के समय घरेलू बाजार में आज सोने के भाव 98,000 रुपये, जबकि चांदी के भाव 1,01,400 रुपये के करीब कारोबार कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना चांदी तेजी के साथ कारोबार कर रहे हैं।
सोना के भाव चढ़ेसोने के वायदा भाव की शुरुआत तेजी के साथ हुई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने का बेंचमार्क जून कॉन्ट्रैक्ट आज 293 रुपये की तेजी के साथ 98,012 रुपये के भाव पर खुला। पिछला बंद भाव 97,719 रुपये था। खबर लिखे जाने के समय यह कॉन्ट्रैक्ट 336 रुपये की तेजी के साथ 98,055 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहा था। इस समय इसने 98,116 रुपये के भाव पर दिन का उच्च और 98,012 रुपये के भाव पर दिन का निचला स्तर छू लिया। सोने के वायदा भाव ने इस साल 99,358 रुपये के भाव पर सर्वोच्च स्तर छू लिया था।चांदी भी चांदीचांदी के वायदा भाव की शुरुआत तेजी रही। MCX पर चांदी का बेंचमार्क मई कॉन्ट्रैक्ट आज 115 रुपये की तेजी के साथ 1,01,331 रुपये पर खुला। पिछला बंद भाव 1,01,216 रुपये था। खबर लिखे जाने के समय यह कॉन्ट्रैक्ट 212 रुपये की तेजी के साथ 1,01,428 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहा था। इस समय इसने 1,0,1,428 रुपये के भाव पर दिन का उच्च और 1,01,331 रुपये के भाव पर दिन का निचला स्तर छू लिया। चांदी के वायदा भाव ने इस साल 1,01,999 रुपये किलो के भाव पर सर्वोच्च स्तर छू लिया था।अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना चांदी तेजअंतरराष्ट्रीय बाजार में आज सोने चांदी के वायदा तेजी के साथ कारोबार कर रहे हैं। Comex पर सोना 3,377.80 डॉलर प्रति औंस के भाव पर खुला। पिछला क्लोजिंग प्राइस 3,377.10 डॉलर प्रति औंस था। खबर लिखे जाने के समय यह 14.60 डॉलर की तेजी के साथ 3,391.70 डॉलर प्रति औंस के भाव पर कारोबार कर रहा था। सोने के वायदा भाव ने इस साल 3,509.90 डॉलर के भाव पर ऑल टाइम हाई छू लिया है। Comex पर चांदी के वायदा भाव 34.68 डॉलर के भाव पर खुले। पिछला क्लोजिंग प्राइस 34.63 डॉलर था। खबर लिखे जाने के समय यह 0.12 डॉलर की तेजी के साथ 34.75 डॉलर प्रति औंस के भाव पर कारोबार कर रहा था। -
नई दिल्ली। भारत की तेज जीडीपी वृद्धि का असर, कंपनियों और एलएलपी का पंजीकरण 37 प्रतिशत तक बढ़ा
जीडीपी में तेज वृद्धि के कारण देश में मई में कंपनियों और एलएलपी के पंजीकरण में 37 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मई में सालाना आधार पर कंपनियों के पंजीकरण में 29 प्रतिशत और लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप में 37 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।ओवरसीज इकाइयों सहित मई में 20,720 कंपनियों का पंजीकरण हुआ था, जो कि एक साल पहले समान अवधि में 16,081 पर थाकारपोरेट कार्य मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, ओवरसीज इकाइयों सहित मई में 20,720 कंपनियों का पंजीकरण हुआ था, जो कि एक साल पहले समान अवधि में 16,081 पर था। मई को मिला दिया जाए यह लगातार पांचवां महीना था, जब कंपनियों के पंजीकरण में वृद्धि हुई है। बीते महीने 7,487 एलएलपी का पंजीकरण हुआ है, पिछले साल इसकी संख्या 5,464 थी।भारत की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई हैभारत की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में बढ़कर 7.4 प्रतिशत हो गई है। वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही में यह 6.2 प्रतिशत पर थी। देश के निर्यात में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। वित्त वर्ष 25 में सर्विसेज निर्यात सालाना आधार पर 13.6 प्रतिशत बढ़कर 387.5 अरब डॉलर हो गया है। हालांकि, वैश्विक उतार-चढ़ाव के बीच वस्तुओं का निर्यात 437 अरब डॉलर पर करीब सपाट रहा है।2027 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर सकती है और इस दौरान जीडीपी का आकार 5,069.47 अरब डॉलर रहने का अनुमान हैअंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ओर से जारी किए गए वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के मुताबिक, 2025 में भारत की जीडीपी बढ़कर 4,187.017 अरब डॉलर हो जाएगी। वहीं, जापान की जीडीपी का आकार 4,186.431 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। आईएमएफ के अनुमानों के अनुसार, आने वाले वर्षों में भारत जर्मनी को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन सकता है। 2027 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर सकती है और इस दौरान जीडीपी का आकार 5,069.47 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। वहीं, 2028 तक भारत की जीडीपी का आकार 5,584.476 अरब डॉलर होगा, जबकि इस दौरान जर्मनी की जीडीपी का आकार 5,251.928 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। - नयी दिल्ली. गर्मी के मौसम में यात्रा बढ़ने के चलते पेट्रोल की खपत मई में लगातार दूसरे महीने तेजी से बढ़ी, लेकिन डीजल की मांग में मामूली वृद्धि हुई। उद्योग के अस्थायी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। इस साल मई में पेट्रोल की खपत 8.77 प्रतिशत बढ़कर 37.6 लाख टन हो गई, जो एक साल पहले समान महीने में 34.6 लाख टन थी। इसी तरह अप्रैल, 2025 में भी पेट्रोल की बिक्री बढ़ी थी। आंकड़ों के अनुसार, डीजल की बिक्री दो प्रतिशत बढ़कर 85.7 लाख टन हो गई। परिवहन और ग्रामीण कृषि अर्थव्यवस्था में डीजल का बड़ा महत्व है। इसकी मांग 31 मार्च, 2025 को समाप्त वित्त वर्ष में दो प्रतिशत बढ़ी। इस साल अप्रैल में डीजल की खपत करीब चार प्रतिशत और मई दो प्रतिशत बढ़ी।उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में डीजल की मांग सुस्त पड़ रही है, जिससे इसके भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। इस साल मई में विमान ईंधन (एटीएफ) की खपत 4.3 प्रतिशत बढ़कर 7,75,000 टन हो गई।उज्ज्वला कनेक्शनों की बदौलत मई में एलपीजी की बिक्री 13.4 प्रतिशत बढ़कर 27.9 लाख टन हो गई।
- नयी दिल्ली. जी-20 के शेरपा अमिताभ कांत ने सोमवार को कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था फिलहाल चार हजार अरब डॉलर की है और 2047 तक इसके 30 हजार अरब डॉलर के करीब पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि देश को युवा आबादी का भी लाभ मिलेगा।अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आईएटीए) के राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित एक सत्र में उन्होंने यह बात कही। कांत ने कहा, अधिक युवा आबादी है। दुनिया के पश्चिमी हिस्से की अधिकतर आबादी बुजुर्ग हो रहा है और जापान की (अधिकतर आबादी) पहले ही बूढ़ी हो चुका है, यहां तक कि चीन की (अधिकतर आबादी) भी बूढ़ी हो रही है। भारत की अधिकतर आबादी की उम्र सिर्फ 28 वर्ष साल है और जब हमारे देश को (आजाद हुए) 100 साल हो जाएंगे, तब भी औसत आयु 35 वर्ष होगी। '' उन्होंने कहा कि 2047 में देश की अर्थव्यवस्था 30,000 अरब अमेरिकी डॉलर के करीब होगी। देश 4,000 अरब अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था है और हाल ही में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। कांत ने टिकाऊ शहरीकरण पर जोर देते हुए कहा कि देश में करीब 50 लाख लोग शहरीकरण की प्रक्रिया में शामिल होंगे और भारत में 500 नए शहर बनाने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, ‘‘ आपको अगले पांच दशक में दो नए अमेरिका बनाने की जरूरत है। आपको भारत में हर पांच साल में एक शिकॉगो (अमेरिका का शहर) बनाने की जरूरत है। यही भारत के लिए चुनौती है।'' कांत ने साथ ही कहा कि भारत 400 हवाई अड्डे बनाने की महत्वाकांक्षा रखता है।देश में अभी 150 से अधिक चालू हवाई अड्डे हैं। उन्होंने कहा, आपको बेहतरीन हवाई अड्डों, बेहतरीन विमानन कंपनियों की जरूरत है, आपको लंबी दूरी की उड़ानें संचालित करने की जरूरत है... इंडिगो और एयर इंडिया को अपने बड़े आकार के विमानों के साथ अमीरात, कतर एयरवेज के साथ प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए... हम बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में विश्वास करते हैं।'
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नयी दिल्ली. सकल माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह मई में 16.4 प्रतिशत बढ़कर 2.01 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। रविवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। इससे पहले, अप्रैल में जीएसटी संग्रह 2.37 लाख करोड़ रुपये के अपने अबतक के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया था। मई में घरेलू लेनदेन से कुल जीएसटी राजस्व 13.7 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1.50 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि आयात से जीएसटी संग्रह 25.2 प्रतिशत बढ़कर 51,266 करोड़ रुपये रहा। मई में कुल केंद्रीय जीएसटी राजस्व 35,434 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी राजस्व 43,902 करोड़ रुपये और एकीकृत जीएसटी संग्रह लगभग 1.09 लाख करोड़ रुपये रहा। उपकर से राजस्व 12,879 करोड़ रुपये रहा। मई, 2024 में जीएसटी संग्रह 1,72,739 करोड़ रुपये रहा था।
इस बीच, महीने के दौरान कुल रिफंड चार प्रतिशत घटकर 27,210 करोड़ रुपये रह गया। माह के दौरान शुद्ध जीएसटी संग्रह 20.4 प्रतिशत की सालाना वृद्धि के साथ लगभग 1.74 लाख करोड़ रुपये रहा। डेलॉयट इंडिया के साझेदार एम एस मणि ने कहा कि राज्यों में जीएसटी संग्रह में वृद्धि में व्यापक आधार पर अंतर देखा जा रहा है। ऐसे में प्रत्येक राज्य में ऐसे क्षेत्रों का गहन विश्लेषण करने की जरूरत है, जो उसके लिए महत्वपूर्ण हैं। महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों ने संग्रह में 17 प्रतिशत से 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, जबकि गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों ने छह प्रतिशत तक की वृद्धि दिखाई है। मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों में जीएसटी संग्रह में औसतन 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मणि ने कहा, “इसलिए, देशभर में औसत वृद्धि, संभवतः क्षेत्रीय या मौसमी कारकों के कारण राज्यों में समान रूप से परिलक्षित नहीं होती है, जिसके लिए गहन डेटा आधारित विश्लेषण की आवश्यकता होती है। -
नयी दिल्ली. इस साल जनवरी-मार्च तिमाही में 15 प्रमुख दूसरी श्रेणी के शहरों में घरों की बिक्री सालाना आठ प्रतिशत घटकर 43,781 इकाई रह गई। प्रॉपइक्विटी की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। रियल एस्टेट विश्लेषक फर्म ने कहा कि समीक्षाधीन अवधि में मूल्य के लिहाज से बिक्री छह प्रतिशत बढ़कर 40,443 करोड़ रुपये हो गई। इससे पहले 2024 की इसी अवधि में घरों की बिक्री मात्रा के लिहाज से 47,378 इकाई और मूल्य के लिहाज से 38,102 करोड़ रुपये थी। ये 15 शहर अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, गांधी नगर, नासिक, नागपुर, गोवा, लखनऊ, जयपुर, मोहाली, विशाखापत्तनम, कोच्चि, कोयंबटूर, भोपाल और भुवनेश्वर हैं। प्रॉपइक्विटी के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) समीर जसूजा ने कहा, ‘‘मार्च तिमाही में कम आपूर्ति के कारण दूसरी श्रेणी के शहरों में बिक्री कम हुई। राज्यों की राजधानियों ने अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया।'' उन्होंने कहा कि भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे में सुधार के कारण मांग मजबूत बनी हुई है।
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नई दिल्ली। भारत सरकार ने खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने कच्चे और रिफाइंड खाद्य तेलों पर बुनियादी आयात कर को 10 प्रतिशत अंक कम कर दिया है। इससे न केवल खाद्य तेलों की कीमतें कम होंगी, बल्कि स्थानीय तेल प्रसंस्करण उद्योग को भी फायदा होगा। इस कदम से मांग बढ़ने और पाम ऑयल, सोयाबीन ऑयल और सूरजमुखी तेल के आयात में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
सरकार ने एक अधिसूचना में बताया कि कच्चे पाम ऑयल, कच्चे सोयाबीन ऑयल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर बुनियादी सीमा शुल्क को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके साथ ही, कृषि अवसंरचना और विकास उपकर (सेस) और सामाजिक कल्याण अधिभार को मिलाकर इन तेलों पर कुल आयात कर अब 27.5 प्रतिशत से घटकर 16.5 प्रतिशत हो गया है।स्थानीय उद्योग को मिलेगा बढ़ावाभारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (IVPA) के अध्यक्ष सुधाकर देसाई ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि कच्चे खाद्य तेल पर आयात कर को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने और रिफाइंड तेल पर शुल्क को 35.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने से कच्चे और रिफाइंड तेल के बीच शुल्क का अंतर बढ़कर 19.25 प्रतिशत हो गया है। देसाई ने इसे ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने वाला एक साहसिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि इससे न केवल भारतीय रिफाइनरियों की क्षमता मजबूत होगी, बल्कि तिलहन किसानों को उचित दाम और उपभोक्ताओं को सस्ता तेल मिलेगा।IVPA के आंकड़ों के अनुसार, जून-सितंबर 2024 में रिफाइंड पाम ऑयल का आयात 4.58 लाख मीट्रिक टन था, जो अक्टूबर 2024-फरवरी 2025 के दौरान बढ़कर 8.24 लाख मीट्रिक टन हो गया, जो कुल पाम ऑयल आयात का लगभग 30 प्रतिशत है। इसके अलावा, दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौते (SAFTA) के तहत शून्य शुल्क के कारण पड़ोसी देशों से रिफाइंड तेल की भारी मात्रा भारतीय बाजार में आ रही थी।हालांकि, सभी इस फैसले से खुश नहीं हैं। इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने बयान जारी कर कहा कि खाद्य तेलों पर शुल्क कम करना स्थानीय तेल प्रसंस्करण उद्योग और किसानों के लिए नुकसानदायक है। SOPA ने इसे आयात लॉबी को फायदा पहुंचाने वाला कदम बताया और कहा कि इससे खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य प्रभावित होगा। SOPA ने यह भी सवाल उठाया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने के एक दिन बाद ही सरकार ने यह कदम क्यों उठाया।अप्रैल 2025 में, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर खाद्य मुद्रास्फीति 2.69 प्रतिशत से घटकर 1.78 प्रतिशत हो गई थी। हालांकि, तेल और वसा (ऑयल्स एंड फैट्स) और फल अप्रैल 2025 में दोहरे अंक की मुद्रास्फीति वाले एकमात्र दो आइटम थे।