बैंकों में पड़ी बिना दावे वाली राशि के वितरण के लिए विशेष अभियान चलाने की तैयारी
नयी दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार-प्राप्त वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) ने सोमवार को नियामकों से बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों में पड़ी बिना दावे वाली राशि संबंधित लोगों को दिलाने में मदद के लिये विशेष अभियान चलाने को कहा। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने एफएसडीसी बैठक में हुई चर्चा के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा कि बैठक में यह विचार-विमर्श किया गया कि नियामकों को बैंकों में जमा बिना दावे वाली राशि को संबंधित लोगों तक पहुंचाने के लिए विशेष अभियान चलाना चाहिए। साथ ही वित्तीय क्षेत्र में बिना दावे वाले शेयर, लाभांश, म्यूचुअल फंड, बीमा, आदि संबंधित व्यक्तियों अथवा नामित व्यक्तियों तक पहुंचाने के लिये एक विशेष अभियान चलाने की जरूरत बतायी गयी। उन्होंने कहा, ‘‘इस बात पर गौर किया गया कि केंद्रीय बजट में बिना दावे वाली जमा राशि, शेयर और लाभांश को संबंधित लोगों तक पहुंचाने के लिये संबंधित क्षेत्र के नियामकों को विशेष अभियान चलाने के बारे में घोषणा की गयी थी। खासकर यह अभियान उन मामलों में विशेष तौर पर चलाया जाना चाहिए जहां खाते में नामित व्यक्ति का ब्योरा तो है लेकिन संबंधित व्यक्ति को संभवत: इसकी जानकारी नहीं है।'' सेठ ने कहा कि समयबद्ध तरीके से यह काम होना चाहिए, लेकिन जहां नामित व्यक्ति का विवरण नहीं है, वहां निर्धारित प्रक्रिया के तहत काम किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने फरवरी, 2023 तक बिना दावे वाली करीब 35,000 करोड़ रुपये की राशि रिजर्व बैंक को अंतरित की थी। यह राशि उन खातों में जमा थी जिनमें 10 साल या उससे अधिक समय से कोई लेन-देन नहीं हुआ। बिना दावे वाली राशि 10.24 करोड़ खाते से जुड़ी थी। रिजर्व बैंक ने पिछले महीने कहा था कि तीन-चार महीने में इससे संबंधित एक केंद्रीकृत पोर्टल तैयार किया जाएगा। इससे जमाकर्ता और लाभार्थी विभिन्न बैंकों में पड़ी बिना दावे वाली जमा राशि के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। एफएसडीसी की 27वीं बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास समेत सभी वित्तीय क्षेत्रों के नियामक शामिल हुए। यह 2023-24 का बजट पेश किये जाने के बाद एफएसडीसी की पहली बैठक थी। उन्होंने कहा कि परिषद ने वैश्विक स्तर पर उत्पन्न चुनौतियों के बीच वित्तीय स्थिरता समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। सेठ ने कहा, ‘‘बैठक में गौर किया गया कि वित्तीय स्थिरता को बनाए रखना एक साझा जिम्मेदारी है और सभी सदस्य इस दिशा में काम करेंगे।'' उन्होंने कहा कि नियामक अनुपालन बोझ और कम करने के लिये काम करेंगे तथा बेहतर और कुशल नियामकीय परिवेश सुनिश्चित करेंगे। इस दिशा में हुई प्रगति की वित्त मंत्री प्रत्येक नियामक के साथ इस साल जून में समीक्षा करेंगी। सेठ ने कहा कि नियामकों को सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली पर साइबर हमले के जोखिम से निपटने, संवेदनशील वित्तीय आंकड़ों की रक्षा करने और समग्र प्रणाली को दुरुस्त बनाने के लिये सक्रियता के साथ काम करने की जरूरत है। बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि न केवल लोगों तक वित्तीय पहुंच बढ़ाने बल्कि उनकी आर्थिक बेहतरी के लिये वित्तीय क्षेत्र को और विकसित करने को लेकर आवश्यक नीति तथा विधायी सुधार उपायों को तैयार किया जा सकता है। सेठ ने कहा कि परिषद ने यह भी निर्णय लिया कि बजट में की गयी घोषणा के अनुसार जहां भी विधायी परिवर्तनों की आवश्यकता है, उसमें तेजी लाई जानी चाहिए ताकि सरकार उन मामलों पर अंतिम निर्णय ले सके। उन्होंने यह भी कहा कि परिषद ने अर्थव्यवस्था के लिए शुरुआती चेतावनी संकेतकों और उनसे निपटने को लेकर हमारी तैयारियों पर भी विचार-विमर्श किया। इसके अलावा, नियामकीय गुणवत्ता में सुधार कर वित्तीय क्षेत्र में विनियमित संस्थाओं पर अनुपालन बोझ को कम करने, देश में कंपनियों और परिवारों के मामले में ऋण स्तर, डिजिटल इंडिया की जरूरतों को पूरा करने के लिये केवाईसी (अपने ग्राहक को जानों) को सरल और सुव्यवस्थित करने पर भी चर्चा की गयी। परिषद ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में एफएसडीसी उप-समिति के कार्यों तथा परिषद के पूर्व फैसलों के क्रियान्वयन पर भी गौर किया गया। बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर के अलावा, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधबी पुरी बुच, भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) के अध्यक्ष देबाशीष पांडा, भारतीय दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के अध्यक्ष रवि मित्तल और पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण के नवनियुक्त अध्यक्ष दीपक मोहंती शामिल हुए। इसके अलावा परिषद की बैठक में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी, भागवत किशनराव कराड, वित्त सचिव टी वी सोमनाथन, राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा, वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी और वित्त मंत्रालय के अन्य शीर्ष अधिकारी शामिल थे।
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