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बाजारों में पहुंचने लगा आमों का राजा ‘दशहरी’, कई देशों में भेजा जाएगा

 नई दिल्ली। आमों का राजा कहा जाने वाला दशहरी कल से बाजार में आ गया है। । उत्तर प्रदेश के फल पट्टी क्षेत्र मलिहाबाद-काकोरी में आम की मंडी सज गयी है और शनिवार से इसकी बिक्री शुरू हो जाएगी। हालांकि  कारोबारियों का कहना है कि अभी बाजार में पाल का दशहरी ही आएगा जिसकी तोड़ाई का काम जोरों पर बीते एक सप्ताह से चल रहा है। डाल की दशहरी बाजार में पांच जून के आसपास आएगी। अकेले खाड़ी देशों में ही इस बार दशहरी के कम से कम 100 टन निर्यात की उम्मीद है।

 मलिहाबाद में आम की अस्थाई मंडी पहली जून से काम करने लगेगी। हालांकि औपचारिक रूप से आमों से पहली खेप शनिवार को भेजी जाएगी। आढ़तियों का कहना है कि अभी एक हफ्ते तक केवल बाहर के आर्डर ही भेजे जाएंगे। मलिहाबाद में आम के आढ़ती खराब मौसम और कमजोर फसल के बाद भी इस बार अच्छे कारोबार की उम्मीद लगाए हैं। उनका कहना है कि सीजन शुरु होने से पहले ही मुंबई, दिल्ली, नासिक और केरल से भरपूर आर्डर आ चुके हैं। इसके अलावा विदेशों से भी दशहरी निर्यात के लिए मांग आयी है। अकेले खाड़ी देशों में ही इस बार दशहरी के कम से कम 100 टन निर्यात की उम्मीद है। मलिहाबाद के रहमानखेड़ा में मैंगो पैक हाउस में निर्यात के लिए दशहरी की पैकिंग का काम होगा।
 निर्यातकों का कहना है कि पहली खेप जून के पहले ही हफ्ते में दुबई और लंदन के लिए रवाना की जाएगी। पहली बार मलिहाबादी दशहरी को जापान से आर्डर मिला है जबकि न्यूजीलैंड में दूसरी बार यह आम जाएगा। इससे पहले 2012 में दशहरी का निर्यात न्यूजीलैंड को किया गया था। इस बार 50 टन दशहरी निर्यात का आर्डर न्यूजीलैंड से आया है।मैंगो पैक हाउस के कर्मचारी बताते हैं कि आम की ग्रेडिंग, सफाई और पैकिंग करने वाली मशीन तैयार कर ली गयी है और अगले दस दिनों में पैकिंग का काम शुरु कर दिया जाएगा। पैकिंग और परिवहन के लिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ सब ट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर (सीआईएसएच) के वैज्ञानिकों ने तकनीक विकसित की है।
लकड़ी चिराई की आरा मशीनों के बंद होने के बाद इस बार दशहरी की पूरी पैकिंग गत्ते के डिब्बों में की जाएगी। डिब्बों को इस तरह से डिजायन किया गया है कि इसमें आम जल्दी खराब नहीं होगा। सीधी उड़ान सेवा के चलते खाड़ी देशों में जहां दशहरी की सबसे ज्यादा मांग रहती है, वहां उसकी डिलीवरी आसानी से हो जाती है। जबकि यूरोप व अन्य देशों में इसमें समय लगता है जिसके लिए विशेष पैकिंग की जरूरत होती है।आम के कारोबारी और मलिहाबाद स्थित नफीस नर्सरी के शबीहुल हसन बताते हैं कि तमाम दिक्कतों व खराब मौसम के बाद भी इस साल 200 से 250 करोड़ के धंधे की उम्मीद है। इसमें निर्यात का 100 टन भी शामिल है।
उत्तर प्रदेश के फल पट्टी क्षेत्र मलिहाबाद-काकोरी में करीब 30000 हेक्टेयर में आम की बाग है और सीजन में एक लाख से ज्यादा लोगों को इससे रोजगार मिलता है। आम की अन्य किस्मों के मुकाबले दशहरी का सीजन एक से डेढ़ महीने ही रहता है उसमें भी डाल की दशहरी महज 20-25 दिनों तक बाजार में रहती है।

 

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