भारत-इंडोनेशिया आर्थिक और वित्तीय वार्ता में द्विपक्षीय निवेश, व्यापार पर रहेगा जोर
गांधीनगर. रविवार को शुरू हुई भारत-इंडोनेशिया आर्थिक और वित्तीय वार्ता में द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने, वित्तीय सेवाओं और बुनियादी ढांचे के विकास आदि पर जोर रहेगा। वार्ता की शुरुआत की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह वार्ता उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के परिप्रेक्ष्य से मुद्दों पर आम समझ तक पहुंचने और वैश्विक एजेंडे को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने यहां आयोजित जी20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों (एफएमसीबीजी) की तीसरी बैठक के मौके पर कहा कि यह वार्ता वैश्विक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता में योगदान करते हुए भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच बेहतर सहयोग प्रदान करेगी। सोमवार से यहां शुरू हो रही दो दिवसीय वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की बैठक की सह-अध्यक्षता सीतारमण और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास करेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों देश साझा हित के मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जो रिश्तों को बढ़ाने में पारस्परिक रूप से लाभकारी हैं। वित्त मंत्री ने कहा, “सहयोग के क्षेत्रों में द्विपक्षीय निवेश, वित्तीय सेवाएं और बुनियादी ढांचे का विकास और अन्य रहेंगे। उदाहरण के लिए, भारत ने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में विशेषज्ञता विकसित की है तो यह सुविधाजनक और किफायती डिजिटल भुगतान के लिए समाधान प्रदान कर सकता है। यह इंडोनेशिया को अपने वित्तीय समावेशन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता कर सकता है।” भारत और इंडोनेशिया दोनों तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाएं हैं और कई मायनों में समान हैं। उन्होंने कहा कि दोनों जी20, डब्ल्यूटीओ और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन जैसे बहुपक्षीय संगठनों के सक्रिय सदस्य हैं। भारत ने इंडोनेशिया से जी20 की अध्यक्षता ली है और कई पिछले मुद्दे हैं जिन्हें हम अपनी अध्यक्षता के दौरान आगे बढ़ाना जारी रख रहे हैं।
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