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 अस्थमा में तुलसी का उपयोग कैसे करें?

 अस्थमा फेफड़ों की एक पुरानी बीमारी है जिसमें नेसल पैसेज संकरे हो जाते हैं और सूज जाते हैं। इस बीमारी में सीने में लगातार बलगम बनता है जिससे कंजेशन, घरघराहट, सांस लेने में तकलीफ और खांसी की समस्या हो सकती है। ऐसे में कुछ हर्ब्स का सेवन इस बीमारी से राहत दिला सकता है जैसे कि तुलसी। तुलसी एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुणों से भरपूर है और इसका सेवन फेफड़ों को साफ करने में मदद कर सकता है।  
 अस्थमा में तुलसी के फायदे 
-तुलसी को कूटकर इसका रस पिएं
-तुलसी के तेल का इस्तेमाल करें
-सूखे पत्ते का चूर्ण शहद के साथ लें
 -तुलसी में सूजन-रोधी यौगिक होते हैं जो वायुमार्ग की सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। इससे अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है और ये उन लोगों के लिए काफी मददगार है जिन्हें अस्थमा के दौरान सांस फूलने की समस्या होती है।
- तुलसी के एंटीऑक्सीडेंट अस्थमा से जुड़े ऑक्सीडेटिव तनाव का मुकाबला कर सकते हैं और आपके फेफड़ों की नलियों को हेल्दी रखने में मददगार हैं। दरअसल, अस्थमा के मरीज का फेफड़ा बेहद कमजोर होता है और रिकवरी पूरी तरह से नहीं हो पाती जिससे आपको बार-बार खांसी की समस्या हो सकती है। ऐसे में तुलसी के प्रभाव से फेफड़ों को रिकवरी मिलती है।
- तुलसी का ब्रोन्कोडायलेटरी प्रभाव अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि तुलसी ब्रोन्कियल मांसपेशियों को आराम देने में मदद कर सकती है। इसलिए श्वसन संबंधी समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसका उपयोग किया जाता है।
 अस्थमा में तुलसी का उपयोग कैसे करें- 
तुलसी को कूटकर इसका रस पिएं
श्रेय शर्मा बताते हैं कि सबकुछ तुलसी के अर्क में ही है। आप तुलसी की पत्तियों को पीस लें और इसका अर्क लें। आप इसका अर्क एक चम्मच में डालकर और शहद मिलाकर ले सकते हैं। इसके अलावा आप इस अर्क को काली मिर्च के साथ मिलाकर भी ले सकते हैं जो कि गले की समस्या को शांत करने में मदद कर सकता है।
 तुलसी के तेल का इस्तेमाल करें
अस्थमा में तुलसी का तेल गर्म पानी में मिलाकर पीना काफी राहत दे सकता है। आप इस तेल को अपने नाक में भी लगा सकते हैं। तुलसी का तेल आप घर पर भी बना सकते हैं या फिर इसे खरीदकर भी ला सकते हैं। इससे आपके नेसल पैसेज को काफी बेहतर महसूस होगा।
सूखे पत्ते का चूर्ण शहद के साथ लें
ये नुस्खा आपके लिए लंबे समय तक काम कर सकता है। आप तुलसी के पत्तों को सूखाकर इसका पाउडर बना सकते हैं और इस पाउडर को एक चूर्ण की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इसे शहद में मिलाकर ले सकते हैं जो कि गले को शांत करने के साथ सर्दी-जुकाम के लक्षणों में कमी ला सके।
 तुलसी की चाय पीना अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। हालांकि, आप ताजी तुलसी की पत्तियां चबाएं या किसी व्यंजन में इस्तेमाल करें। इसके अलावा तुलसी की भाप लेना भी फेफड़ों को हेल्दी रखने में मदद कर सकता है।
 हालांकि, अगर आपको गंभीर अस्थमा है तो किसी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से परामर्श लें। अस्थमा के लिए मेडिकल हेल्प जरूरी है। तुलसी के प्रति प्रतिक्रियाएं भिन्न हो सकती हैं इसलिए लक्षणों पर नजर रखें। तुलसी से किसी भी प्रकार की एलर्जी की जांच करें। तुलसी कुछ दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकती है इसलिए लक्षणों पर नजर रखें। अगर बाहर से खरीद रहे हैं तो तुलसी उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करें।

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