अमेरिकी शुल्क के बाद भारतीय रिफाइनरी कंपनियां भावी रणनीति तय करने में जुटीं
नयी दिल्ली.भारतीय तेल रिफाइनरी कंपनियां रूस से तेल आयात की गति धीमी होने और अपने आयात बास्केट में विविधता लाने के उपाय तेज कर सकती हैं। इसके पीछे वजह यह है कि भारत, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क की घोषणा से होने वाले असर का आकलन कर रहा है। ट्रंप ने बुधवार को एक कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसमें रूस से तेल आयात जारी रखने पर भारत से आयातित उत्पादों पर शुल्क को दोगुना करके 50 प्रतिशत कर दिया गया है। सरकार ने पेट्रोलियम कंपनियों को व्यावसायिक व्यवहार्यता को ध्यान में रखते हुए कच्चा तेल खरीदने की पूरी छूट दी है। लेकिन घटनाक्रम से परिचित तीन सूत्रों ने बताया कि रिफाइनरी संतुलन बनाने के लिए अमेरिका और अन्य गैर-ओपेक आपूर्तिकर्ताओं से आयात बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ताजा शुल्क आदेश के बाद रिफाइनरी रूस से तेल आयात को लेकर सतर्क रुख अपनाएंगी।
उन्होंने कहा कि सरकार ने अभी तक उन्हें रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद करने या गति धीमी करने के लिए नहीं कहा है। ट्रंप के कार्यकारी आदेश जारी करने के फौरन बाद अधिकारियों ने संभावित परिणामों और विकल्पों पर चर्चा करते हुए एक बैठक की। सूत्रों ने यह भी कहा कि रूस के तेल पर छूट घटकर दो डॉलर प्रति बैरल से भी कम रह गई है, जिससे अब रूसी तेल खरीदने पर कोई खास आर्थिक लाभ नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत इस समय रूस से जितनी बड़ी मात्रा में तेल खरीद रहा है, उसे देखते हुए तेजी से इसे कम करना लगभग असंभव होगा। चीन और तुर्किये से आगे निकलते हुए भारत इस समय रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक है।
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