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गृहमंत्री अमित शाह ने उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की बैठक की अध्यक्षता की

फरीदाबाद(हरियाणा). केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी से सटे हरियाणा के फरीदाबाद में आयोजित उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की 32वीं बैठक की अध्यक्षता की और क्षेत्र के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। उत्तरी क्षेत्रीय परिषद में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान राज्य और दिल्ली, जम्मू कश्मीर, लद्दाख एवं चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (हरियाणा), सुखविंदर सिंह सुक्खू (हिमाचल प्रदेश), भगवंत मान (पंजाब), भजनलाल शर्मा (राजस्थान), रेखा गुप्ता (दिल्ली), उमर अब्दुल्ला (जम्मू-कश्मीर), पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (जम्मू-कश्मीर) और वीके सक्सेना (दिल्ली) ने बैठक में हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि बैठक में शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, बिजली, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों की त्वरित जांच जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। अधिकारियों ने बताया कि बैठक की शुरुआत में लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए कार धमाके में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए एक मिनट का मौन रखा गया। उन्होंने बताया कि बैठक में केंद्र, राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए। एक अधिकारी ने बताया कि क्षेत्रीय परिषदें केंद्र और सदस्य राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के बीच, सदस्य राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के बीच तथा क्षेत्र के भीतर मुद्दों और विवादों को सुलझाने और उनमें प्रगति के लिए एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करती हैं। उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय परिषद की बैठक में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों की त्वरित जांच और उनके त्वरित निस्तारण के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) के कार्यान्वयन सहित राष्ट्रीय महत्व के व्यापक मुद्दों पर चर्चा की गई। उत्तरी क्षेत्रीय परिषद राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 15 से 22 के तहत स्थापित पांच क्षेत्रीय परिषदों में से एक है। केंद्रीय गृह मंत्री उत्तरी क्षेत्रीय परिषद के पदेन अध्यक्ष होते हैं। एक सदस्य राज्य का मुख्यमंत्री (प्रत्येक वर्ष बारी-बारी से) उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करता है। प्रत्येक सदस्य राज्य का राज्यपाल दो मंत्रियों को परिषद के सदस्य के रूप में नामित करता है। प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद ने मुख्य सचिव स्तर पर एक स्थायी समिति भी गठित की है। प्रक्रिया के तहत राज्यों द्वारा प्रस्तावित मुद्दों को पहले संबंधित क्षेत्रीय परिषद की स्थायी समिति के समक्ष विचार के लिए प्रस्तुत किया जाता है। स्थायी समिति द्वारा विचार-विमर्श किये जाने के बाद, शेष मुद्दों को आगे के मंथन के लिए क्षेत्रीय परिषद की बैठक में प्रस्तुत किया जाता है। अधिकारी ने बताया कि क्षेत्रीय परिषदों की भूमिका परामर्शक होती है। उन्होंने बताया लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, ये परिषदें विभिन्न क्षेत्रों में आपसी समझ और सहयोग के स्वस्थ संबंधों को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुई हैं।

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