गैर-बासमती चावल निर्यात के लिए एपीडा पंजीकरण से निर्यात नीति में पारदर्शिता आएगी: आईआरईएफ
नयी दिल्ली. चावल निर्यातकों के संगठन आईआरईएफ ने बृहस्पतिवार को गैर-बासमती चावल के निर्यात के लिए एपीडा के साथ अनुबंधों का पंजीकरण अनिवार्य करने के सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे निर्यात नीति में पारदर्शिता और एकरूपता आएगी। बुधवार को, सरकार ने अधिसूचित किया कि गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति केवल वाणिज्य मंत्रालय के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के साथ पंजीकरण के बाद ही दी जाएगी। भारतीय निर्यातक महासंघ (आईआरईएफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गर्ग ने कहा, यह एक ऐतिहासिक निर्णय है जो गैर-बासमती चावल को बासमती चावल के समान ढांचे के अंतर्गत लाता है, जिसके लिए वर्षों से निर्यात अनुबंधों का पंजीकरण आवश्यक है। इस कदम से भारत की चावल निर्यात नीति में एकरूपता, पारदर्शिता और जवाबदेही आएगी।
गर्ग ने कहा कि एपीडा के साथ अनुबंधों का अनिवार्य पंजीकरण शुरू करने से सरकार को अब निर्यात प्रतिबद्धताओं की बेहतर जानकारी होगी, जिससे अधिक पारदर्शी निगरानी संभव होगी। उन्होंने कहा, ‘‘इससे निर्यातकों के हितों की रक्षा होने के साथ-साथ घरेलू प्राथमिकताओं की भी रक्षा होने की उम्मीद है।'' अनुबंध पंजीकरण के लिए आठ रुपये प्रति टन का मामूली शुल्क भी लागू किया गया है।
एपीडा वाणिज्य मंत्रालय की एक इकाई है जो कृषि निर्यात से संबंधित मुद्दों को देखती है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा था, ‘‘गैर-बासमती चावल की निर्यात नीति में एक अतिरिक्त नीतिगत शर्त शामिल करके संशोधन किया गया है जिसके अनुसार गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति केवल एपीडा के साथ अनुबंधों के पंजीकरण पर ही दी जाएगी।'' इस वित्तवर्ष की अप्रैल-अगस्त अवधि के दौरान देश का चावल निर्यात 6.4 प्रतिशत बढ़कर 4.7 अरब डॉलर का हो गया।

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