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  श्रम संहिताओं का लागू होना भविष्य के लिए तैयार श्रम परिवेश की ओर बड़ा कदम: उद्योग जगत

नयी दिल्ली ।उद्योग जगत ने चार श्रम संहिताओं को लागू किए जाने के सरकार के फैसले को ऐतहासिक कदम बताते हुए शुक्रवार को कहा कि यह आधुनिक, सरलीकृत और भविष्य के लिए तैयार श्रम परिवेश की ओर बड़ा कदम है। उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने इस सुधार को भारत के श्रम परिदृश्य के लिए ‘मील का पत्थर’ बताया। उन्होंने कहा कि यह अर्थव्यवस्था को आधुनिक, सरलीकृत और भविष्य के लिए तैयार करेगा।बनर्जी ने कहा, ‘चार श्रम संहिताओं का कार्यान्वयन एक आधुनिक, सरलीकृत और भविष्य के लिए तैयार श्रम परिवेश की ओर एक बड़ा कदम है।’

उन्होंने कहा कि 29 विभिन्न कानूनों को समेकित करके, ये संहिताएं बेहतर वेतन, मजबूत सामाजिक सुरक्षा, कार्यस्थल सुरक्षा और उद्योग के लिए अधिक भरोसेमंद नियामक वातावरण सुनिश्चित करती हैं। यह सुधार वैश्विक मानकों के अनुरूप है, जो उच्च उत्पादकता और त्वरित रोज़गार सृजन की नींव को मजबूत करेगा।सरकार ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में सभी चार श्रम संहिताओं को अधिसूचित कर दिया। इस प्रमुख सुधार के जरिये 29 मौजूदा श्रम कानूनों को तर्कसंगत बनाया गया है।
इसमें गिग यानी अल्पकालिक अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा कवरेज, सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य नियुक्ति पत्र और सभी क्षेत्रों में वैधानिक न्यूनतम मजदूरी तथा समय पर भुगतान जैसे प्रावधान शामिल हैं।
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा, ‘चार श्रम संहिताएं कारोबार को और सुगम बनाती हैं, अनुपालन को सरल बनाती हैं और उद्योग के विकास का समर्थन करती हैं। साथ ही श्रमिकों की भलाई, सामाजिक सुरक्षा और पारदर्शिता को भी मजबूत करती हैं।’
फिक्की की महानिदेशक ज्योति विज ने कहा कि ये संहिताएं उद्योग की प्रतिस्पर्धी क्षमताएं बढ़ाएंगी।
उन्होंने कहा कि श्रमिकों के कल्याण के दृष्टिकोण से, ये संहिताएं सभी के लिए न्यूनतम मजदूरी, बेहतर कार्यस्थल सुरक्षा , वार्षिक स्वास्थ्य जांच, मातृत्व और सामाजिक सुरक्षा संरक्षण सुनिश्चित करती हैं, साथ ही महिलाओं के लिए सुरक्षित रात्रि पाली के अवसर भी प्रदान करती हैं।उन्होंने इन सुधारों को ‘विकसित भारत’ की दिशा में एक ‘परिवर्तनकारी कदम’ बताया।
गिग और ब्लू-कॉलर कार्यबल के लिए मंच निआ डॉट वन के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सचिन छाबड़ा ने कहा, ‘श्रम संहिताएं भारत में काम को समझने के तरीके में हो रहे अहम बदलाव को दर्शाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘…यह भारत के श्रम बाजार के लिए एक सकारात्मक कदम है, और अगर इसे अच्छी तरह से लागू किया जाए, तो एक ऐसे भविष्य का निर्माण किया जा सकता है जहां उत्पादकता और गरिमा मुकाबला करने की बजाय एक-दूसरे को मजबूत करते हैं।’

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