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मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में भारत की बड़ी छलांग, दुनिया में दूसरा स्थान हासिल

 नई दिल्ली। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को कहा कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग हब बन गया है। साथ ही, देश के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में छह गुना की बढ़ोतरी हुई है।   वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि केंद्र सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) जैसी स्कीमों के कारण देश का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात बीते 11 वर्षों में आठ गुना बढ़ा है।

 उन्होंने कहा कि बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग के लिए लाई गई पीएलआई स्कीम ने 13,475 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया है और इससे इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में 9.8 लाख करोड़ रुपए का उत्पादन हुआ है और मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ नौकरियों और निर्यात में बढ़त हुई है। वैष्णव ने बताया कि बीते पांच वर्षों में 1.3 लाख से ज्यादा नौकरियां इस सेक्टर में पैदा हुई हैं और इलेक्ट्रॉनिक्स अब भारत की तीसरी सबसे बड़ी निर्यात कैटेगरी है। उन्होंने कहा कि देश शुरू में तैयार प्रोडक्ट्स पर फोकस कर रहा था, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम ने “मॉड्यूल, कंपोनेंट, सब-मॉड्यूल, कच्चे माल और उन्हें बनाने वाली मशीनों के लिए क्षमता बनाने” की तरफ बदलाव को सपोर्ट किया। पोस्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम में 249 आवेदन आए हैं, जो 1.15 लाख करोड़ रुपए के निवेश, 10.34 लाख करोड़ रुपए के उत्पादन और 1.42 लाख नौकरियां पैदा करने का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि यह भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में अब तक का सबसे बड़ी निवेश प्रतिबद्धता है, जो इंडस्ट्री के भरोसे को दिखाता है। वैष्णव ने सेमीकंडक्टर सेक्टर में हुई प्रगति के बारे में भी बताया, और कहा कि दस यूनिट्स को मंजूरी मिल गई है, जिनमें से तीन पहले से ही पायलट या शुरुआती प्रोडक्शन में हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत से फैब्स और एटीएमपी जल्द ही फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने वाली कंपनियों को चिप्स सप्लाई करेंगे।
 केंद्रीय मंत्री ने कहा, “पिछले दशक में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग से 25 लाख नौकरियां पैदा हुईं। यह जमीनी स्तर पर असली आर्थिक विकास है।” उन्होंने कहा, “जैसे-जैसे हम सेमीकंडक्टर और कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाएंगे, रोजगार के अवसर और तेजी से बढ़ेंगे। तैयार प्रोडक्ट्स से लेकर कंपोनेंट्स तक, प्रोडक्शन बढ़ रहा है। एक्सपोर्ट बढ़ रहा है। ग्लोबल कंपनियां भरोसेमंद हैं और भारतीय कंपनियां प्रतिस्पर्धी हैं। नौकरियां पैदा हो रही हैं। यह ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता की कहानी है।”

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