बालोद की ड्रोन दीदियों ने हरेली तिहार को दिया आधुनिक टच
-परंपरा और तकनीक के अद्भुत समन्वय की मिसाल बनीं चित्ररेखा, भावना और रूचि साहू
रायपुर । सावन अमावस्या के अवसर पर जब पूरे छत्तीसगढ़ में हरेली तिहार की पारंपरिक गूंज सुनाई दी, तब बालोद जिले ने इस पर्व को एक नवीन पहचान दी। इस वर्ष हरेली तिहार न केवल पारंपरिक कृषि उपकरणों की पूजा का प्रतीक रहा, बल्कि यहां की ड्रोन दीदियों ने आधुनिक तकनीक का समावेश कर इस पर्व को नई ऊंचाई दी।
जहां हरेली तिहार परंपरा, प्रकृति और कृषि जीवन के प्रति सम्मान का पर्व है, वहीं बालोद की तीन प्रेरणादायक महिलाएं- श्रीमती चित्ररेखा साहू, श्रीमती भावना साहू और सुश्री रूचि साहू ने इस अवसर पर तकनीक और संस्कृति के संगम की अनुपम मिसाल प्रस्तुत की। ‘ड्रोन दीदी’ योजना के अंतर्गत प्रशिक्षित इन महिलाओं ने अपने ड्रोन यंत्रों की पारंपरिक विधि से पूजा की, जैसे किसान अपने बैलों को सजाकर तिलक करते हैं, वैसे ही इन दीदियों ने ड्रोन को धूप-दीप दिखाकर नारियल और गुड़ के चीले का भोग अर्पित किया। यह दृश्य न केवल भावनात्मक था, बल्कि यह स्पष्ट संदेश भी देता है कि आधुनिक तकनीक तभी सार्थक है, जब वह हमारी परंपरा और जीवन-मूल्यों का सम्मान करे।
चित्ररेखा साहू कहती हैं कि ड्रोन अब हमारा कृषि यंत्र है। इसे पूजना हमारी परंपरा का विस्तार है। तकनीक को अपनाकर भी हम प्रकृति से जुड़ाव बनाए रख सकते हैं। भावना साहू का मानना है कि ड्रोन तकनीक से खेती सरल हो गई है। हम चाहती हैं कि जिले के हर किसान को इसकी शक्ति का लाभ मिले। रूचि साहू ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हर खेत तक ड्रोन पहुँचे और किसान का जीवन अधिक सुलभ बने। इन तीनों ड्रोन दीदियों ने इस अवसर पर भारत सरकार की ‘ड्रोन शक्ति’ पहल तथा महिला सशक्तिकरण की दिशा में किए जा रहे तकनीकी प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया। साथ ही मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में कृषि नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों की भी सराहना की।
हरेली तिहार के इस पावन अवसर पर उन्होंने प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री को शुभकामनाएं प्रेषित कीं तथा यह संकल्प लिया कि वे आगे भी परंपरा और तकनीक के इस सुंदर समन्वय को गांव-गांव तक पहुंचाने का कार्य निरंतर करती रहेंगी।
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