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 महिला एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं से पोषण, सुरक्षा और स्वावलंबन को नई दिशा

0- छत्तीसगढ़ राज्य रजत जयंती वर्ष 2025
बिलासपुर. महिलाओं और बच्चों के समग्र विकास, सुरक्षा, पोषण एवं सशक्तिकरण की दिशा में महिला एवं बाल विकास विभाग ने अपना विशेष योगदान दिया है। विभाग द्वारा महिलाओं और बच्चों के सर्वांगीण विकास, पोषण, शिक्षा, सुरक्षा और स्वावलंबन हेतु निरंतर कार्य किया जा रहा है। राज्य गठन पूर्व बिलासपुर जिले में मात्र 780 मुख्य आंगनबाड़ी केंद्र संचालित थे। आज यह संख्या बढ़कर 1 हजार 925 केंद्रों तक पहुँच चुकी है। इसी प्रकार 212 आंगनबाड़ी भवनों से बढ़कर अब 1 हजार 661 भवनों की स्वीकृति प्राप्त हुई है अर्थात 1 हजार 449 नए भवनों का निर्माण हुआ है। यह विस्तार ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में पोषण, बाल शिक्षा एवं मातृ स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण रहा है। 
पोषण सुधार और कुपोषण उन्मूलन में ऐतिहासिक प्रगति हुई है। वर्ष 2002 में पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के अंतर्गत 82 हजार 285 हितग्राही लाभान्वित हो रहे थे, जबकि वर्तमान में यह संख्या बढ़कर 1 लाख 56 हजार 678 हो गई है। वर्ष 2003 में जिले में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में 57.80 प्रतिशत कुपोषण था, जो अब घटकर 9.68 प्रतिशत रह गया है अर्थात 48.2 प्रतिशत की कमी, जो विभाग की समर्पित कार्यप्रणाली और जनजागरूकता का परिणाम है। महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाने के लिए विभाग द्वारा विविध योजनाएँ संचालित की जा रही हैं। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना (2005 से) के अंतर्गत अब तक 5 हजार 728 कन्याओं का विवाह सम्पन्न कराकर शासन द्वारा 5 करोड़ 50 लाख 63 हजार 502 रूपए की राशि व्यय की गई। 
छत्तीसगढ़ महिला कोष योजना के तहत 2,022 स्वसहायता समूहों को 6 करोड़ 12 लाख 68 हजार रूपए की ऋण सहायता प्रदान की गई। साथ ही 115 महिला हितग्राहियों को 1 करोड़ 20 लाख 80 हजार रूपए की राशि से लाभान्वित किया गया है। इन योजनाओं ने महिलाओं को आत्मनिर्भर, सम्मानित और सशक्त बनाने की दिशा में ठोस आधार प्रदान किया है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (2017 से) के तहत अब तक 72 हजार 125 माताओं को 35.15 करोड़ रूपए की राशि से लाभान्वित किया गया है। महतारी वंदन योजना के अंतर्गत 4 लाख से अधिक माताओं को 78.73 करोड़ रूपए की राशि प्रदान की जा चुकी है। इन योजनाओं से गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को पोषण और आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ है, जिससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। सखी वन स्टॉप सेंटर योजना (2015 से) के तहत अब तक 1 हजार 841 प्रकरण प्राप्त हुए, जिनमें से 1 हजार 788 मामलों का सफल निराकरण किया जा चुका है। नवा बिहान योजना के अंतर्गत 2 हजार 365 पीड़ित महिलाओं को संरक्षण, परामर्श एवं पुनर्वास की सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। ये योजनाएँ महिलाओं को संकट की स्थिति में तत्काल सहायता, कानूनी परामर्श और आत्मनिर्भर जीवन की नई दिशा प्रदान करती हैं।
 

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