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अमिताभ बच्चन  से भी अधिक पारिश्रमिक लिया करते थे प्राण...

 भूली बिसरी बातें...

 -प्रशांत शर्मा

बॉलीवुड एक्टर और खलनायक प्राण किशन सिकंद को फिल्मी दुनिया में प्राण के नाम से जाना जाता है। प्राण अपने बेहतरीन अभिनय के चलते लोगों के बीच काफी पॉपुलर हो गए थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पंजाबी और हिंदी फिल्मों से एक हीरो के तौर पर की थी.। मगर कुछ समय बाद ही वो फिल्मों में खलनायक की भूमिका में नजर आने लग गए थे.। प्राण खलनायक की भूमिका को इस तरह निभाते थे कि जैसे वो सच में उस किरदार को महसूस कर रहे हो। उनकी इस कमाल की अदाकारी के चलते वो बॉलीवुड के सबसे बड़े खलनायक बन गए थे।  प्राण ने फिल्म मधुमती, जिस देश में गंगा बहती है और कश्मीर की कली जैसी फिल्मों में भी अपनी एक्टिंग का हुनर दिखाया है। प्राण की लोकप्रियता इस तरह लोगों के बीच बढ़ गई थी कि मेकर्स को उनकी तस्वीर फिल्म के पोस्टर पर लगानी पड़ती थी.। कई फिल्मों में तो उनके शामिल होने का प्रचार तक किया जाता था.। उनकी लोकप्रियता हर दिन बढ़ती जा रही थी. । लोग उनको देखने के लिए सिनेमाघरों के बाहर फिल्म की टिकट के लिए लाइन लगाने लगे थे।. इसके चलते प्राण ने अपनी फीस भी बढ़ा कर दुगनी कर दी थी।. प्राण मंजे हुए एक्टर्स अमिताभ बच्चन, जितेंद्र, धर्मेंद्र और सुनील दत्त को पीछे छोड़कर सबसे ज्यादा कमाई करने वाले एक्टर बन गए थे.।

 90 के दशक में प्राण अपने खलनायक के रूप से हर घर में लोकप्रिय हो गए थे मगर प्राण के खलनायक रूप से अच्छे -अच्छे कांप जाते थे.। प्राण की खलनायक छवि लोगों के बीच उस समय इतनी बुरी बन गई थी कि वो अपने बच्चों का नाम प्राण रखने से इनकार कर देते थे.। छोटे -छोटे बच्चों को उन्हें फिल्मों में देखकर डर लगने लगता था ।
 प्राण आज भी एक खलनायक के रूप में लोगों के जहन का हिस्सा हैं ।1998 में प्राण को दिल का दौरा पड़ गया था जिसके बाद उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली थी और 2013 में उनका निधन हो गया था । उन्होंने 350 से अधिक फ़िल्मों में काम किया। उन्होंने खानदान (1942), पिलपिली साहेब (1954) और हलाकू (1956) जैसी फ़िल्मों में मुख्य अभिनेता की भूमिका निभायी। उनका सर्वश्रेष्ठ अभिनय मधुमती (1958), जिस देश में गंगा बहती है (1960), उपकार (1967), शहीद (1965), आँसू बन गये फूल (1969), जॉनी मेरा नाम (1970), विक्टोरिया नं॰ 203 (1972), बे-ईमान (1972), ज़ंजीर (1973), डॉन (1978) और दुनिया (1984) फ़िल्मों में माना जाता है।

 

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