प्रशांत द्वीप देशों में विकास परियोजनाओं के लिए भारत अनुदान देगा
न्यूयार्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल रात न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें अधिवेशन से अलग प्रशांत द्वीप राष्ट्रों के नेताओं से भेंट की। श्री मोदी ने हिंद-प्रशांत द्वीप राष्ट्रों की विकास संबंधी प्राथमिकताओं के प्रति भारत की वचनबद्धता व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने सबका साथ सबका और सबका विश्वास के मंत्र के अंतर्गत पी.एस.आई.डी.एस. देशों में प्रभावशाली विकास परिेयाजनाओं के लिए एक करोड़ बीस लाख अमरीकी डॉलर के अनुदान की घोषणा की।
इससे इस क्षेत्र के प्रत्येक देश को दस लाख डॉलर मिलेंगे ताकि वह अपनी पसंद की परियोजना में निवेश कर सके। इसके अतिरिक्त प्रत्येक देश की जरुरत के लिए पन्द्रह करोड़ डॉलर की रियायती ऋण सुविधा की भी घोषणा की गई। जिसका लाभ पी.एस.आई.डी.सी. राष्ट्र सौर और नवकरणीय ऊर्जा तथा जलवायु परिवर्तन संबंधी परियोजनाओं में निवेश के लिए कर सकते हैं।
बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और पी.एस.आई.डी.एस. के मूल्य समान हैं और उन्हें एक साझा भविष्य के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि समावेशी विकास नीतियां बनाने की आवश्यकता है ताकि इस समूह के देशों के बीच असमानता दूर की जा सके और लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाया जा सके। श्री मोदी ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव से निपटने के प्रति समान रूप से प्रतिबद्ध है और वह पी.एस.आई.डी.एस. को इस बारे में उनके लक्ष्?य हासिल करने में तकनीकी और विकासात्मक सहायता करेगा। प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन की समस्या को रेखांकित करते हुए ऊर्जा के क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया। श्री मोदी ने पी.एस.आई.डी.एस. देशों को आपदाओं से निपटने के लिए बनाए गए उन्नत ढांचा गठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।
विदेश मंत्रालय ने बताया है कि यह पहला अवसर था जब प्रधानमंत्री ने प्रशांत द्वीप विकासशील देशों (पी.एस.आई.डी.एस.) के नेताओं से एक साथ भेंट की। विज्ञप्ति में बताया गया कि बैठक में फिजी, किरबाती गणराज्य, मार्शल द्वीप समूह गणराज्य, माइक्रोनेशिया संघीय राष्ट्र, नौरु गणराज्य, पलायु गणराज्य, पापुआ न्यूगिनी स्वतंत्र राष्ट्र, समोआ राष्ट्र, सोलोमन द्वीप समूह, टोंगा साम्राज्य, टुआलू और वनुआतू गणराज्य के राष्ट्रध्यक्षों ने हिस्सा लिया।
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