वर्ष शतरंज : दिव्या देशमुख चमकी, गुकेश प्रभावित करने में नाकाम रहे
नयी दिल्ली. शतरंज में भारत का दबदबा और प्रतिभाओं की गहराई वर्ष 2025 में एक बार फिर साबित हुआ जब दिव्या देशमुख ने बातूमी में महिला शतरंज विश्व कप जीता लेकिन विश्व चैम्पियन डी गुकेश प्रभावित नहीं कर पाये । पिछले साल विश्व चैम्पियन बने गुकेश को इस साल लगातार पराजय का सामना करना पड़ा । वहीं नागपुर की 19 वर्ष की दिव्या ने शानदार जीत दर्ज करके एक खिताब और कैरियर की तीन उपलब्धियां अर्जित की । दिव्या फिडे महिला विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई । उन्होंने प्रतिष्ठित ग्रैंडमास्टर खिताब जीता और 2026 कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिये भी क्वालीफाई कर लिया । इस टूर्नामेंट के विजेता को मौजूदा महिला विश्व चैम्पियन चीन की जू वेंजुन को चुनौती देने का मौका मिलेगा । दिव्या की जीत से देश में महिला शतरंज पर एक बार फिर लोगों की नजरें गई जो अब तक दो बार की विश्व रैपिड चैम्पियन कोनेरू हम्पी और द्रोणवल्ली हरिका पर निर्भर थी । दोनों खिलाड़ी करीब दो दशक से भारत में महिला शतरंज की ध्वजवाहिका रही हैं । दिव्या ने अपनी अप्रत्याशित जीत से सुर्खियां बंटोरी । दूसरी ओर पिछले साल विश्व चैम्पियन बने गुकेश को टाटा स्टील मास्टर्स में ब्लिट्ज टाइब्रेकर में हमवतन आर प्रज्ञानानंदा ने हराकर खिताब जीता । वह फ्रीस्टाइल शतरंज ग्रैंडस्लैम से भी बाहर हो गए , फिडे ग्रैंड स्विस में नाकाम रहे और गोवा में फिडे विश्व कप के तीसरे दौर में हार गए । उन्होंने मई जून में नॉर्वे शतरंज में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को हराया और अक्टूबर में यूरोपीय क्लब कप में व्यक्तिगत और टीम खिताब जीते । इसके अलावा इस साल उनके नाम कोई उल्लेखनीय उपलब्धि नहीं रही । कार्लसन ने गुकेश से हारने के बावजूद सातवीं बार नॉर्वे शतरंज खिताब जीता ।

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