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सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा दो सत्र में होने से बेहतर परिणाम आए: विद्यालयों ने कहा


नयी दिल्ली।  विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों का मानना है कि कोरोना वायरस महामारी से पूर्व की तुलना में इस बार छात्रों के उत्तीर्ण होने की दर में सुधार का एक कारण 2021-2022 शैक्षणिक सत्र को दो सत्रों (टर्म) में विभाजित किया जाना भी हो सकता है। पिछले शैक्षणिक सत्र में पहली बार दो टर्म विभाजित की गई थी। जहां पहले टर्म की परीक्षा नवंबर-दिसंबर के दौरान आयोजित हुई थी, वहीं दूसरे टर्म की परीक्षा मई-जून में आयोजित की गई थी। दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) राजेंद्र नगर एक्सटेंशन की प्रधानाध्यापिका पल्लवी उपाध्याय ने कहा कि परीक्षाएं शुरू होने से पहले के तैयारी के लिए छात्रों के पास अपेक्षाकृत अधिक समय और कम पाठ्यक्रम था। उन्होंने कहा, ‘‘इससे स्वाभाविक रूप से विषयों की अधिक और बेहतर समझ पैदा हुई है और उनके उत्तर लेखन में भी सुधार हुआ है। वे अधिक समय होने के कारण अध्यायों को बेहतर ढंग से समझ पाए।'' डीपीएस इंदिरापुरम की प्रधानाध्यापिका संगीता हजेला के अनुसार, परीक्षाओं का दो टर्म में विभाजन स्वाभाविक रूप से अधिक प्रभावी रहा। हजेला ने कहा, ‘‘चूंकि छात्रों के पास पढ़ने के लिए तुलनात्मक रूप से छोटा पाठ्यक्रम था, उनकी समझ के स्तर, स्मरण क्षमता और पाठ्यक्रम को दोहराने पर केंद्रित अध्ययन में वृद्धि हुई है। टर्मिनल परीक्षाओं के कारण पाठ्यक्रम को बार-बार दोहरा पाना आसान हो गया, जिसे छात्र पहले अधिक पाठ्यक्रम होने के कारण अनदेखा कर देते थे।'' उन्होंने कहा, ‘‘विषयों की स्पष्ट समझ उनके उत्तर लेखन में भी दिखी है। उन्होंने लंबे उत्तरों के बजाय बेहतर उत्तर लिखने पर अधिक जोर दिया है।'' 10वीं और 12वीं कक्षाओं के लिए 2022 की परीक्षा के परिणाम शुक्रवार को घोषित किए गए। कुल 92.7 प्रतिशत छात्रों ने 12वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की और 94.40 प्रतिशत छात्र 10वीं कक्षा की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। 12वीं कक्षा में 1,34,797 छात्रों ने 95 प्रतिशत से अधिक और 33,432 ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए, जबकि 10वीं कक्षा में 64,908 छात्रों ने 95 प्रतिशत से अधिक और 2,36,993 ने 90 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए। एमआरजी स्कूल, रोहिणी की प्रधानाध्यापिका अंशु मित्तल ने कहा, ‘‘टर्मिनल परीक्षाओं के कारण अधिक समय और कम पाठ्यक्रम होने से छात्रों ने परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन किया। अधिकतर छात्रों ने 90 या 95 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किया है। पाठ्यक्रम को विभाजित किया गया और इससे छात्रों पर अध्ययन का दबाव कम हो गया और आधी रात को पाठ्यक्रम को दोहराने पर निर्भरता कम हो गई।

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