रात में पोस्टमार्टम करने में चुनौतियां आएंगी, अधिक मानव संसाधन की जरूरत : विशेषज्ञ
नयी दिल्ली. चिकित्सा और फोरेंसिक विशेषज्ञों ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि सूर्यास्त के बाद पोस्टमार्टम किया जाना है तो अतिरिक्त मानव संसाधन, रोशनी की उपयुक्त व्यवस्था और वैकल्पिक बिजली आपूर्ति की उपलब्धता जैसी कुछ ऐसी चुनौतियां होंगी, जिन्हें ध्यान में रखने की आवश्यकता है। दिल्ली सरकार ने मंगलवार को अपने फैसले को ‘‘ऐतिहासिक सुधार'' बताते हुए कहा था कि शहर सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में अब सूर्यास्त के बाद भी पोस्टमार्टम किया जा सकता है। हालांकि, इस कदम से जहां दुर्घटना जैसे मामलों में अंग दान की प्रक्रिया आसान हो जाएगी, वहीं, कई चिकित्सा और फोरेंसिक विशेषज्ञों ने कहा है कि रात में पोस्टमार्टम करने की अपनी चुनौतियां भी होंगी। दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल एलएनजेपी से जुड़े मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) में सामुदायिक चिकित्सा के पूर्व प्रमुख डॉ सुनील गर्ग ने कहा, ‘‘हां, रात में पोस्टमार्टम करने से निश्चित रूप से समग्र प्रक्रिया में तेजी आएगी और परिवार को अपने परिजन का शव जल्द वापस मिल सकता है, इसलिए इससे मदद मिलेगी।'' हालांकि, कई विशेषज्ञों ने कहा कि रात में पोस्टमार्टम करने के लिए अधिक मानव संसाधन की आवश्यकता होगी, जिसमें डॉक्टर, पोस्टमार्टम तकनीशियन एवं परिचारक, सफाईकर्मी तथा सुरक्षाकर्मी शामिल होंगे। एम्स दिल्ली के फोरेंसिक प्रमुख डॉ सुधीर गुप्ता ने कहा कि सभी मुर्दाघरों में केवल दिन के समय पोस्टमार्टम के लिए डॉक्टर, कर्मचारी और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। गुप्ता ने कहा, ‘‘यदि 24 घंटे पोस्टमार्टम करना है तो दोगुने मानव संसाधन की जरूरत होगी। इनमें डॉक्टरों के अलावा सफाई कर्मचारी और तकनीशियन शामिल हैं, क्योंकि शव परीक्षण करना न केवल एक प्रक्रिया है, बल्कि इसमें आगे की जांच के लिए रक्त, मूत्र, ऊतकों और अंगों तथा विसरा जैसे जैविक नमूनों का संरक्षण भी शामिल है।






.jpg)

.jpeg)

Leave A Comment