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 कश्मीर से 59 पाकिस्तानी निर्वासित, शौर्य चक्र सम्मानित शहीद पुलिस कर्मी की मां इनमें शामिल नहीं

 श्रीनगर. पहलगाम हमले के कुछ दिनों बाद, जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों ने 59 पाकिस्तानी नागरिकों को उनके मूल देश वापस भेजने के लिए पंजाब पहुंचाया है। अधिकारियों ने यह जानकारी। अधिकारियों के अनुसार, दशकों से घाटी में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को
 विभिन्न जिलों से इकट्ठा किया गया और बसों में पंजाब ले जाया गया, जहां उन्हें सीमा पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा। इनमें शौर्य चक्र से सम्मानित शहीद कांस्टेबल मुदस्सिर अहमद शेख की मां भी पहले शामिल थीं। मई 2022 में आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए कांस्टेबलन मुदस्सिर अहमद शेख की मां शमीमा अख्तर निर्वासित लोगों में से एक थीं। हालांकि, बाद में उन्हें यहीं रहने की अनुमति दे दी गई। शमीमा के देवर मोहम्मद यूनुस ने सावधानीपूर्वक दिए स्पष्टीकरण में कहा कि शहीद मुदस्सिर की मां घर लौट आई हैं और उन्हें निर्वासन के लिए नहीं ले जाया गया। यूनुस ने कहा, "हम भारत सरकार के आभारी हैं।" इससे पहले, मुदस्सिर के चाचा ने संवाददाताओं से कहा था कि उनकी भाभी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की हैं, इसलिए उन्हें निर्वासित नहीं किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी भाभी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से हैं, जो हमारा क्षेत्र है। केवल पाकिस्तानियों को ही निर्वासित किया जाना चाहिए।'' उन्होंने कहा कि मुदस्सिर की मृत्यु के बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने परिवार से मुलाकात की थी और उपराज्यपाल भी दो बार परिवार से मिलने आए थे। यूनुस ने कहा, ‘‘मेरी भाभी जब यहां आई थीं, तब उनकी उम्र 20 साल थी और वह 45 साल से यहां रह रही हैं। (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी और अमित शाह से मेरी अपील है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।'' शमीमा ने 1990 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के फैलने से पहले सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी मोहम्मद मकसूद से विवाह किया था। पुलिसकर्मी की याद में बारामूला शहर के मुख्य चौक का नाम शहीद मुदस्सिर चौक रखा गया है।
 मुदस्सिर के प्रशस्ति पत्र के अनुसार, अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने वाली एक बड़ी आतंकवादी साजिश को विफल करने में उनकी भूमिका के लिए उन्हें शांति काल का तीसरे सबसे बड़े सम्मान से 2022 में मरणोपरांत सम्मानित किया गया। पच्चीस मई 2022 को एक वाहन में सवार भारी हथियारों से लैस तीन विदेशी आतंकवादियों की गतिविधि के बारे में विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिली थी, जिनका इरादा अमरनाथ यात्रा पर हमला करने का था। इस सूचना के जवाब में, उत्तरी कश्मीर के बारामूला में सुरक्षा बलों द्वारा तेजी से एक संयुक्त अभियान शुरू किया गया। अभियान टीम के अनुभवी और सतर्क सदस्य कांस्टेबल मुदस्सिर अहमद शेख ने संदिग्ध वाहन को पहचानने में तत्परता दिखाई और उसे चुनौती दी। आसन्न खतरे को भांपते हुए आतंकवादियों ने भागने की कोशिश की। शेख ने अपनी सुरक्षा की परवाह न करते हुए, वाहन पर हमला करके निर्णायक कार्रवाई की।
 बहादुरी का परिचय देते हुए उन्होंने एक आतंकवादी को गाड़ी से बाहर खींच लिया। इसके बाद शेष आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके कारण शेख गंभीर रूप से घायल हो गए। बहुत ज़्यादा खून बहने और असहनीय दर्द से जूझने के बावजूद शेख़ ने हिम्मत नहीं हारी और पकड़े गए आतंकवादी से हाथापाई जारी रखी। आख़िरकार उन्होंने उसे मार गिराया। हालांकि, घायल शेख ने अस्पताल ले जाते वक्त दम तोड़ दिया।
 शमीमा ने अपने पति के साथ मई 2023 में दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से यह पुरस्कार लिया। पिछले सप्ताह पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद केंद्र ने कई कदमों की घोषणा की थी, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, इस्लामाबाद के साथ राजनयिक संबंधों को कमतर करना, तथा अल्पकालिक वीजा पर रह रहे सभी पाकिस्तानियों को 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने या कार्रवाई का सामना करने का आदेश देना शामिल था। निर्वासित किए जा रहे 59 लोगों में अधिकतर पूर्व आतंकवादियों की पत्नियां और बच्चे हैं, जो पूर्व आतंकवादियों के लिए 2010 की पुनर्वास नीति के तहत घाटी में लौटे थे। अधिकारियों ने बताया कि इनमें से 36 पाकिस्तानी श्रीनगर में, नौ-नौ बारामूला और कुपवाड़ा में, चार बडगाम में और दो शोपियां जिले में रह रहे थे। 

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