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ऐतिहासिक लाल किले पर कब्जे का दावा करने वाली महिला की याचिका खारिज

नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक महिला की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर-द्वितीय के प्रपौत्र की विधवा होने का दावा करते हुए कानूनी ‘उत्तराधिकारी' होने के नाते लाल किले पर कब्जे का अनुरोध किया था। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने शुरू में याचिका को ‘‘गलत धारणा'' वाली और ‘‘निराधार'' करार दिया और दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘शुरू में रिट याचिका दायर की गई थी जो गलत और निराधार है। इस पर विचार नहीं किया जा सकता।'' पीठ ने याचिकाकर्ता सुल्ताना बेगम के वकील को याचिका वापस लेने की अनुमति नहीं दी। वकील ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता देश के पहले स्वतंत्रता सेनानी के परिवार की सदस्य हैं।''
 प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अगर दलीलों पर विचार किया जाए तो ‘‘केवल लाल किला ही क्यों, फिर आगरा, फतेहपुरी सीकरी आदि के किले क्यों नहीं''। दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने पिछले साल 13 दिसंबर को बेगम द्वारा दिसंबर 2021 में उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि चुनौती ढाई साल से अधिक की देरी के बाद दायर की गई थी, जिसे उचित नहीं ठहराया जा सकता। बेगम ने कहा कि वह अपने खराब स्वास्थ्य और बेटी के निधन के कारण अपील दायर नहीं कर सकीं।
 उच्च न्यायालय ने कहा था, ‘‘हमें उक्त स्पष्टीकरण अपर्याप्त लगता है। मामले में ढाई साल से अधिक की देरी भी हुई है। याचिका कई दशकों तक लंबित रही, जिसके कारण (एकल न्यायाधीश द्वारा) ने इसे खारिज कर दिया था। देरी के लिए माफी के अनुरोध का आवेदन खारिज किया जाता है। नतीजतन, अपील भी खारिज की जाती है। यह समय सीमा से बंधा हुआ है।'' एकल न्यायाधीश ने 20 दिसंबर, 2021 को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अवैध रूप से लिए गए लाल किले पर कब्जा हासिल करने के अनुरोध वाली बेगम की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि 150 से अधिक वर्षों के बाद अदालत का रुख करने और इसमें हुई अत्यधिक देरी को लेकर कोई न्यायसंगत स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। याचिका में दावा किया गया है कि 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों ने परिवार को उनकी संपत्ति से वंचित कर दिया था, जिसके बाद बादशाह को देश से निर्वासित कर दिया गया था और लाल किले का कब्जा मुगलों से जबरदस्ती छीन लिया गया था। इसमें दावा किया गया है कि बेगम लाल किले की मालिक थीं क्योंकि उन्हें यह उनके पूर्वज बहादुर शाह ज़फर-द्वितीय से विरासत में मिला था, जिनकी मृत्यु 11 नवंबर, 1862 को 82 वर्ष की आयु में हुई थी और भारत सरकार इस संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा कर चुकी है। याचिका में केंद्र को लाल किले को याचिकाकर्ता को सौंपने या पर्याप्त मुआवजा देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

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