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जानें कैसे Scalp मिसाइल और Hammer बम ने भारत के हमले को बनाया अजेय

 नई दिल्ली।  भारत ने 7 मई की रात को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकी शिविरों पर हमला किया। यह हमला भारत की तरफ से हालिया समय में किया गया सबसे बड़ा जवाबी हमला था। इसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम दिया गया। यह हमला उस आतंकवादी हमले के जवाब में था, जिसमें जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 पर्यटकों की जान चली गई थी। यह भारत की आतंकवाद विरोधी नीति में एक नया मोड़ है।

 हमले में अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग
ऑपरेशन सिंदूर में भारत के राफेल फाइटर जेट्स ने Scalp मिसाइलें और Hammer बम दागे। ये मिसाइल और बम भारतीय वायुसेना के सबसे आधुनिक और शक्तिशाली हथियारों में से हैं। यह हमला पूरी तरह से छिपकर और सटीकता के साथ किया गया था। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस हमले में 90 से अधिक आतंकवादी मारे गए हैं। हमला पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की ढांचागत संरचनाओं को नष्ट करने के उद्देश्य से किया गया था, जिन पर सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप है। पाकिस्तान ने इस हमले को “Act of War” करार दिया है।
 Scalp मिसाइल क्या है और यह कैसे काम करती है?
Scalp मिसाइल, जिसे Storm Shadow भी कहा जाता है, एक यूरोपीय एयर-लॉन्च्ड क्रूज मिसाइल है, जिसे MBDA द्वारा विकसित किया गया है। यह मिसाइल 1,300 किलोग्राम वजन की है और इसे 300 किमी तक के लक्ष्य पर सटीक हमला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका मकसद ऐसे स्थिर और महत्वपूर्ण टारगेट को नष्ट करना है, जैसे कि किले जैसी मजबूत आतंकी छिपने की जगहें और अहम कमांड सेंटर। खास बात यह है कि यूक्रेन ने पिछले साल इस मिसाइल का उपयोग रूस के अंदर गहरे लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए किया था।
 यह मिसाइल अपनी सटीकता गाइडेड नेविगेशन सिस्टम से प्राप्त करती है, जिसमें दिशा-निर्देश, GPS और इलाके का नक्शा शामिल होते हैं। जब Scalp मिसाइल अपने टारगेट के करीब पहुंचती है, तो इसमें मौजूद इन्फ्रारेड सर्च सिस्टम पहले से तय किए गए टारगेट की इमेज से मिलाकर सटीक हमला करता है। इससे हमले के दौरान कम से कम सहायक नुकसान होता है। इसके अलावा, मिसाइल की कम ऊंचाई पर उड़ान इसे पता लगाना बहुत मुश्किल बना देती है, जिससे यह और भी प्रभावी साबित होती है।
 Hammer बम कैसे काम करता है?
ऑपरेशन में भारत ने Hammer बम का भी इस्तेमाल किया, जो एक मॉड्यूलर एयर-टू-ग्राउंड हथियार है। इसकी रेंज 70 किमी तक है और इसे किसी भी आम बम के साथ जोड़ा जा सकता है। इसे अलग-अलग वजन के बमों के साथ जोड़ा जा सकता है, जो 125 किलोग्राम से लेकर 1000 किलोग्राम तक हो सकते हैं। इसे फ्रांसीसी रक्षा कंपनी Safran ने विकसित किया है। यह बम इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग से बच सकता है और इसे मुश्किल इलाकों में भी कम ऊंचाई से दागा जा सकता है।
 इन बमों की खासियत यह है कि ये स्थिर और चलते हुए दोनों प्रकार के लक्ष्यों को नष्ट कर सकते हैं, जैसे कि आतंकी लॉन्चपैड्स और कमांड पोस्ट। साथ ही, यह दुश्मन के बचाव सिस्टम से बच सकता है और मजबूत बंकरों को भी नष्ट कर सकता है।
 

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