कांग्रेस की सरकार से मांग: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पाकिस्तान से तनाव पर विशेष सत्र बुलाया जाए
नई दिल्ली। लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पहलगाम आतंकवादी हमले, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और सीमा पार से गोलीबारी के मामले में ताजा घटनाक्रम पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। दोनों नेताओं ने अपने पत्र में आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक संकल्प प्रदर्शित करने के लिए संसद के दोनों सदनों का विशेष सत्र बुलाने की अपनी मांग दोहराई है।
राहुल ने अपने पत्र में लिखा है, ‘मैं विपक्ष के सर्वसम्मति से किए गए अनुरोध को दोहराता हूं कि संसद का विशेष सत्र तुरंत बुलाया जाए। लोगों और उनके प्रतिनिधियों के लिए पहलगाम आतंकवादी हमले, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से दोनों देशों के संघर्ष-विराम के लिए तैयार होने की घोषणा पर चर्चा करना अहम है। यह आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए हमारे सामूहिक संकल्प को प्रदर्शित करने का भी अवसर होगा।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि आप इस मांग पर गंभीरतापूर्वक और शीघ्रता से विचार करेंगे।’ खरगे ने अपने पत्र में उनके और राहुल गांधी की ओर से 28 अप्रैल को लिखे गए पत्रों का जिक्र किया, जिनमें प्रधानमंत्री से पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर संसद का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया गया था।
क्या सरकार ने स्वीकारी अमेरिकी मध्यस्थता
इस बीच, भारत और पाकिस्तान के सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमत होने की घोषणा सबसे पहले अमेरिका की ओर से किए जाने के बाद कांग्रेस ने रविवार को सरकार से सवाल किया कि क्या उसने कश्मीर मुद्दे पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार कर ली है? पार्टी ने इस मुद्दे का ‘अंतरराष्ट्रीयकरण’ करने के प्रयास की भी आलोचना की। कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने पार्टी मुख्यालय पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि संघर्ष रोकने पर सहमति का ऐलान सभी के लिए आश्चर्यजनक है, क्योंकि यह पहली बार है, जब किसी तीसरे देश ने भारत और पाकिस्तान की तरफ से घोषणा की है। उन्होंने दोनों देशों को एक साथ जोड़ने के अमेरिका के प्रयास पर भी सवाल उठाया। पायलट ने कहा कि सरकार को मौजूदा हालात में इन मुद्दों पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक और सर्वदलीय बैठक तथा संसद का विशेष सत्र बुलाने की विपक्ष की मांग को स्वीकार करना चाहिए। पिछले 24 घंटे में घटनाक्रम में तेजी से आए बदलावों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘अमेरिकी राष्ट्रपति के सोशल मीडिया के माध्यम से (भारत और पाकिस्तान के बीच) सैन्य संघर्ष रोकने पर सहमति बनाने की घोषणा किए जाने से हम सभी हैरान थे।’ पायलट ने कहा, ‘भारत और पाकिस्तान के बीच के मुद्दों का अंतरराष्ट्रीयकरण करने का प्रयास किया गया है। ऐसा पहली बार हुआ है।’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को राष्ट्र और सभी पक्षों को विश्वास में लेते हुए स्पष्टीकरण देना चाहिए।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार को घोषणा की कि भारत और पाकिस्तान जमीन, हवा और समुद्र में सभी प्रकार की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई को तत्काल प्रभाव से रोकने पर सहमत हो गए हैं। पायलट ने सवाल किया, ‘किन शर्तों पर सैन्य कार्रवाई रोकने की घोषणा की गई है और क्या गारंटी है कि ऐसी चीजें दोबारा नहीं होंगी, क्योंकि कल के संघर्ष विराम के उल्लंघन के बाद कोई विश्वसनीयता नहीं बची है। हम उन पर कैसे विश्वास कर सकते हैं और क्या गारंटी है कि ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होंगी।’
राज्य सभा सदस्य कपिल सिब्बल ने भी इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने की मांग की, लेकिन साथ ही राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे इसमें शामिल होने पर तब तक सहमत न हों जब तक सरकार यह आश्वासन नहीं देती कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें मौजूद रहेंगे। सिब्बल ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सोशल मीडिया पोस्ट का जिक्र किया।
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