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पुनर्जीवित की जाएगी भैंसी नदी

शाहजहांपुर (उप्र). शाहजहांपुर जिले में अपना अस्तित्व खो चुकी पौराणिक महत्व की भैंसी नदी को लखनऊ की कुकरैल नदी की तर्ज पर पुनर्जीवित किया जाएगा। नदी के ज्यादातर हिस्से को पाटकर उस पर खेती की जा रही है जिससे उसका अस्तित्व खत्म हो गया है।
जिला प्रशासन ने सरकारी धन के बजाय जन सहयोग से भैंसी नदी के पुनरुद्धार का फैसला किया है और इसके लिये सर्वे का काम भी पूरा कर लिया गया है। जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह ने बुधवार को बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में विलुप्त हो चुकी नदियों में से कम से कम एक नदी के पुनरुद्धार का आदेश दिया गया है। इसी क्रम में हमने भैंसी नदी को चुना है जिसका अपना पौराणिक महत्व भी बताया जाता है।” जिलाधिकारी ने बताया कि स्थिति की पड़ताल करने पर यह मालूम हुआ है कि कभी जिले में लगभग 80 किलोमीटर क्षेत्र में बहने वाली इस महत्वपूर्ण नदी के ज्यादातर हिस्से को पाटकर उस पर खेती की जा रही है जिससे उसका अस्तित्व ही खत्म हो गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि वस्तु स्थिति का निरीक्षण करने के लिए उन्होंने पिछले दिनों संबंधित अधिकारियों और समाजसेवियों के साथ नदी क्षेत्र का भ्रमण किया था। इसके पुनरुद्धार के लिए सोमवार को ड्रोन के जरिए सर्वे पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि नदी क्षेत्र पर अतिक्रमण करने वाले लोगों की पहचान करके उन्हें अपना अवैध कब्जा हटाने की नोटिस जारी किया जाएगा और नहीं हटाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। जिलाधिकारी ने कहा कि भैंसी नदी के प्रवाह क्षेत्र में कई औद्योगिक इकाइयों का गंदा पानी फेंका जा रहा है जिससे वहां तालाब बन गए हैं, इन इकाइयों के प्रबंधन को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। सिंह ने बताया कि भैंसी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए खुदाई का काम 12 जून को शुरू होगा।
उन्होंने कहा कि इरादा है कि यह कार्य सरकारी धन का उपयोग करने के बजाय जन सहयोग से मिले धन से किया जाए। सिंह ने बताया कि लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की विशेष पहल पर कुकरैल नदी का पुनरुद्धार किया गया था, अब कुकरैल की ही तर्ज पर भैंसी नदी के पुनरुद्धार का काम भी शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि भैंसी नदी पीलीभीत से निकलने वाली गोमती की यह सहायक नदी है।
अधिकारी ने कहा कि पुनरुद्धार कार्य के तहत इस नदी को उसके उद्गम स्थल भैंसापुर से खोदा जाएगा और इस कार्य को उसके पूरे प्रवाह क्षेत्र में किया जाएगा, इसके बाद नदी के दोनों ओर सघन वृक्षारोपण करवाया जाएगा ताकि फिर से नदी पर कोई अतिक्रमण न कर पाए। भैंसी नदी के पौराणिक महत्व के बारे में स्वामी शुकदेवानंद कॉलेज के इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर विकास खुराना बताते हैं कि इस नदी का उद्गम भैंसापुर झील से हुआ है और यह गोमती नदी की सहायक नदी है। उन्होंने कहा कि इस नदी को गंगा नदी का प्रतिरूप माना जाता है. इसके तट पर अनेक धार्मिक सांस्कृतिक आयोजन भी होते थे। खुराना बताते हैं कि ब्रिटिश गजेटियर में उल्लेख है कि शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा नदियों तथा जल स्रोतों का जिला है परंतु दुर्भाग्य है कि इस जिले में आठ मुख्य नदियां है जिनमे गर्रा, रामगंगा, गंगा, बहगुल और खन्नौत जीवित हैं तथा 16 सहायक नदियों में से मात्र पांच नदियों का ही अस्तित्व दिखाई देता है। पर्यावरणविद् डॉक्टर नमिता सिंह ने इसे जिले में नदी पारिस्थितिकी को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करार देते हुए कहा कि भैंसी नदी को पुनर्जीवित करने के काम में उनकी संस्था भी श्रमदान के अलावा वृक्षारोपण के रूप में सहयोग करेगी।

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